Monday, November 10, 2008

गोपाल को भोपाल जाने में है कई रोड़े

आष्टा 9 नवम्बर (नि.प्र.)। लम्बे समय से आष्टा विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं से जीत कर आष्टा भोपाल जाने के लिए कांग्रेस के नेता गोपालसिंह चौहान भोपाल से ज्यादा समय आष्टा में बीता रहे थे कांग्रेस की घोषित दूसरी सूची में आष्टा से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी की मंशा अनुरूप गोपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया गया। गोपाल सिंह के नाम की घोषणा होते ही कांग्रेस में जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार समर्थक छोड़कर सभी दावेदारों और उनके नेताओं में नाराजी छा गई ।

      गोपाल सिंह के अलावा आष्टा विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से बापूलाल मालवीय, एच.आर. परमाल, डा. हेमंत वर्मा, महाराज ज्योतिरादित्य की ओर से पूर्व विधायक अजीत सिंह, यूथ कांग्रेस की ओर से घनश्याम जांगडा सहित बंशीलाल धनवाल सहित लगभग 19-20 दावेदार आष्टा से भोपाल दिल्ली तक प्रयास में लगे थे लेकिन सभी दावेदार और उनके नेताओं को पचौरी ने ऐसी पटकनी दी कि उनकी आवाज भी नहीं निकली। जिसे कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है वो आष्टा विधानसभा क्षेत्र के ग्राम मुल्लानी के रहने वाले है जन्म इनका यहीं का है लेकिन उनकी कर्मभूमि भोपाल ही रही है यही कारण है कि गोपालसिंह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं आष्टा के मतदाताओं के लिए एक नया और अनजान चेहरा माना जा रहा है वही गोपाल सिंह पर पचौरी परमार नाम का ठप्पा भी लगा है जो कांग्रेस के अन्य गुटों को रास नहीं आ रहा है नाम घोषित होने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय का शुभारंभ हुआ। जिसमें कांग्रेस की एकता दिखाने के पूरे प्रयास किये लेकिन क्या जो एकता दिखाई गई है वो पूरे चुनाव में नजर आयेगी इसको लेकर एक प्रश् चिन्ह खडा है।

      गोपाल सिंह को कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार घोषित किये जाने से आष्टा क्षेत्र के उन सभी दावेदारों और कार्यकर्ताओं में नाराजी का एक प्रमुख जो कारण उभरकर एवं चर्चाओं के माध्यम से सामने आया वो यह की कांग्रेस के लिए संघर्ष हम करें, काम हम करें, झंडे बेनर हम लगाये, डंडे हम खाये, प्रकरण हम पर दर्ज हो यहां तक की एक कार्यकर्ता का तो यह भी कहना था कि कांग्रेस के बेनर तले जनता की समस्याओं को उठाने के लिए जिला बदर हमारा साथी हो और जब टिकिट की बात आये तो जिसने कांग्रेस के लिए कुछ नहीं किया ऐसे व्यक्ति को थोपा हम क्या और क्यों कार्य करे। गोपाल सिंह इंजीनियर पर पचौरी परमार का ठप्पा लगना भी परेशानी का कारण रहेगा। वही एक चल रही चर्चा जो सत्य है या अफवाह लेकिन वो चर्चा आष्टा से दिल्ली तक गूंज रही है वो चर्चा अब ग्रामों तक जा पहुंची है जिसका तोड़ प्रत्याशी के पास भी नहीं है वैसे परमार जो अपनी कार्यशैली, व्यवहार के कारण आष्टा क्षेत्र में जाने-पहचाने जाते है इस चुनाव के पूरे सूत्र भी उनके हाथ में है तथा उनमें वो कला है की वे नाराज और रूठो को मनाकर कार्य पर ले आयेंगे। वे इस चुनाव में ऐसा कर पाने में कितने सफल होते है यह इंतजार कर देखना होगा लेकिन गोपाल सिंह को अगर भोपाल जाना है तो जो उनकी राह में छोटे बड़े स्टापडेम है उन्हें पार करना होगा तो ही उनका भोपाल का सपना पूरा हो सकेगा।


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