Thursday, September 11, 2008

डंडा दिखाकर पूछा : बोलो कोई तकलीफ, सबने कहाँ नहीं है साब

सीहोर (आनन्द) क्या किसी पुराण में लिखा है कि भगवान क्या-क्या नहीं खाते पीते हैं.... और यदि नहीं लिखा तो क्या आप इस आधार पर उन्हे अभक्ष्य सामग्री का भोग लगाने के लिये स्वतंत्र हो सकते हैं ? वाह रे कलयुग के तर्कों का संसार..... कल सुना कि कोई पूछा रहा था कि किस पुराण में लिखा है कि भगवान किसी राजनीतिक निजी सभा के पण्डाल में से नहीं निकलते...तो भैया यदि यह नहीं लिखा कि नहीं निकलते तो यह भी तो नहीं लिखा है कि निकलते हैं....? कोई पुराण और धर्म की किताबों में लिखे होने बातों का बखान करना चाहता है तो पहले वह यह तो तय कर ले कि वह खुद पुराणों में लिखे कितने आचरणों का अमल करता है... जो वह आज पुराण की बात कर रहा है ? हमने तो सुना था कि सबको भगवान के अर्थात धर्म के झण्डे के नीचे आना चाहिये लेकिन यहाँ तो उल्टा हो रहा है वह चाहते हैं कि हमारे राजनीति के झण्डे के नीचे से भगवान निकलें।
हिन्दु धर्म में और भारत वर्ष में घट-घट पर अलग-अलग संस्कृति विद्यमान है हर जगह अलग-अलग मान्यता हैं और यही मान्यताएं हमारी परम्परा और हमारी संस्कृति है। यह सब संस्कृति परम्पराएं किसी पुराण में ढूंढने पर नहीं मिलती.... और यदि नहीं लिखी मिलती तो क्या यह सब परम्पराएं खत्म करवा दी जानी चाहिये......?
आपको जो करना है कीजिए कौन मना करता है....आपके हाथ में डंडा है तो आप जो चाहें जी भरकर करें...लेकिन पुराणों की बात का उल्लेख करने के पहले सोच-समझ लेना उचित होगा।
जब संसार के बंधन में बंधे मनुष्यों को, बंधन मुक्त कर देने वाले भगवान वासुदेव का, अपनी सम्पूर्ण कलाओं के साथ इस भूमण्डल पर जन्म हुआ तो सारी बेड़ियाँ और कारागार के बंधन खुद--खुद खुल गये थे। उन वासुदेव को जन्म के बाद जब माता यशोदा जलवा पूजने लेकर गई थी तो क्या किसी कंस के मण्डप के नीचे से गई थी? क्या किसी ने माता यशोदा और नंदलाल के रास्ते में अपना तंबू गाड़ दिया था ? रास्ता बंद कर दिया था ? अपनी सभा रखी थी ? नहीं ना.... तो फिर अब आप ऐसा कैसे कर सकते हैं.....बताईये...? यदि आप पुराणों का अमल करने की बात कहते हैं तो फिर जब असल में माता बाल गोपाल श्रीकृष्ण जब किसी राजनैतिक पंडाल के नीचे से नहीं निकले तो फिर आज आप कौन से पुराण के आधार पर यह धृष्टता करना चाहते हैं....
पुराणों मैं तो सिर्फ ईश्वर परमात्मा द्वारा बारम्बार अहंकार को नष्ट करने की कथाएं ही व्याख्या के साथ कही गई हैं....इस धरती पर जब-जब कभी कोई अहंकारी तत्व पैदा हुआ तो भगवान ने उसका अहंकार नष्ट किया है। अतुलित शक्ति सम्पन्न अहंकारी रावण हों, कंस हों या फिर कौरव वंश सबका विनाश सिर्फ उनके अहंकार के कारण ही हुआ है। रावण कहता था कि मैं सबसे बलवान हूँ इसलिये सीता मेरी होनी चाहिये ? कंस कहता था कि शक्ति सम्पन्न हूँ इसलिये सारा माल, माखन, गाय मेरी होनी चाहिये और कौरव कहते थे कि हम बड़े पिता की संतान, इसलिये सारा राय ही हमारा होना चाहिये ? सबके अपने-अपने तर्क थे जहाँ धर्म के रास्ते में तर्क की नंगी तलवारें आई तो तर्क करने वालों का खुद का ही नुकसान हुआ...., उनका समूल नष्ट हो गया।
यदि डंडा दिखाकर आप पूछेंगे कि बताईये आपको हमसे कोई तकलीफ तो नहीं आप कैसे हैं ? और जो हम कर रहे हैं वह सही है नहीं ? तो फिर किसकी हिम्मत है जो वह आपकी हाँ में हाँ ना मिलाये। पुलिस नियंत्रण कक्ष के स्थान पर किसी मंदिर के अंदर बैठकर बहुत सामान्य स्तर पर यदि आप पूछेंगे तो यही लोग आपको शुध्द हिन्दी में आपकी गतिविधि के संबंध में समझा देते हैं। इसलिये डंडे के जोर पर किसी से मत तकलीफ नहीं पूछी जाती, डाक्टर बच्चे को इंजेक्शन दिखाकर नहीं पूछता की तकलीफ क्या है ? उसे प्रेम से पूछना पड़ता है कि बेटा कोई तकलीफ हो तो बताओ
जिन देवताओं के आगे सबकुछ नतमस्तक हो जाता है.... जब कुछ बोना हो जाता है.....सब लोग झुक जाते हैं.....पूरा ब्रह्माण्ड जिन्हे नमन करता है.....उनके रास्ते में यदि आप अड़ जाना चाहते हैं.....अपना डंडा और झण्डा गाड़ देना चाहते हैं......उनके झण्डे से ऊँचा झण्डा लहराना चाहते हैं.....यदि आप नहीं समझ सकते कि क्यों कर किसी मंदिर का शिखर सबसे ऊँचा बनाया जाता है.....तिस पर भी झण्डा और ऊँचा लगाया जाता है.....तो आपका यह धार्मिक आवरण सब थोथा साबित होता है।
गणेश जी भगवान हम सबको बुध्दी दे....जय गोवर्धन गिरधारी।


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अंतत: भाजपा ने पांडाल हटाया प्रांतीय भाजपा नेताओं की पहल पर देर रात हटे टेंट के पाईप......

सीहोर 10 सितम्बर। आज दिनभर में भाजपा की अनेक बार विभिन्न विषयों पर छोटी-बडी बैठकों का दौर चलता रहा। बड़ा बाजार सभा स्थल को लेकर विवाद की स्थिति बनी रही। अंतत: रात 9 बजे से मुख्यमंत्री का सभा मंडप के लिये लगाये गये सारे ताम-झाम हटना शुरु हो गये हैं। अभी तक सूत्रों का कहना है कि सभा यहीं होगी लेकिन अब मण्डप नहीं लगेगा। जिससे पारम्परिक डोल ग्यारस उत्सव का मार्ग भी प्रभावित नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि डोल ग्यारस के विशाल चल समारोह बड़ा बाजार से होता निकलता है, बड़ा बाजार में ही भाजपा ने अपने तंबू कल मंगलवार से गाड़ दिये थे, जिसको लेकर नागरिकों का विरोध था कि क्या भगवान के डोल अब भाजपा के टेंट के नीचे से निकलेंगे और सड़क पर गड़े पाईपों के कारण पूरा जुलूस व भगवान के डोल प्रभावित होंगे। लेकिन यह बात भाजपा के स्थानीय नेताओं को समझ में नहीं आ पा रही थी। भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना था कि डोल आराम से निकल जायेंगे जबकि पूरे बाजार में इसको लेकर भारी विरोध था।
इस विरोध को कुचलने के लिये आज पुलिस का सहारा लेते हुए सुबह पुलिस नियंत्रण कक्ष में एक बैठक बुलाकर समस्त डोल निकालने वाले पुजारियों को बुलाया गया और उनसे पूछा गया कि क्या किसी शास्त्र में लिखा है कि डोल किसी टेंट के नीचे से नहीं निकलते ?
पुजारियों को जब पुलिस ने अपनी भाषा में समझाने का प्रयास किया तो सबने कहा कि हमें भाजपा के कार्यक्रम से कोई दिक्कत नहीं है, और यदि सड़क के एक तरफ जगह है तो हम वहाँ से निकल जायेंगे। तब जाकर पुलिस को बांछे व स्थानीय नेताओं के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव उभरे नजरआये।
लेकिन दोपहर बाद जब भाजपा के प्रादेशिक नेताओं का सीहोर में आगमन हुआ और उन्होने सभा स्थल का निरीक्षण किया तो वह दंग रह गये? सबसे पहले तो उन्होने स्थल चयन पर ही आपत्ति ली कहा कि 10000 लोग कहाँ समायेंगे इतनी सी जगह में तब स्थानीय नेताओं ने समझाया कि साहब यहाँ आ जाते हैं। बड़े नेता नाराज हुए उन्होने कहा कि हम भोपाल में दिनरात यही किया करते हैं हमें मत समझाईये कितने लोग यहाँ आ सकते हैं ? उन्होने भी कहा कि क्या कोई दूसरा स्थान नहीं था इस पर सब चुप रहे। इधर कुछ लोगों उन्हे स्थानीय विरोध की जानकारी व स्थानीय अखबार में प्रकाशित खबर से परिचित कराया कि कल डोल ग्यारस का मार्ग भी यही है। इस पर तो प्रांतीय नेताओं ने तत्काल निर्णय दे दिया कि यदि अब स्थान नहीं बदल सकते तो फिर विवाद से तो मुख्यमंत्री को बचाओ। उन्होने कहा कि अब कोई पाण्डाल नहीं लगेगा और यदि मंच बनाना है तो छोटा-सा मंच बनाना।
कुल मिलाकर आज जिस बात को फुरसत ने प्रमुखता से उठाया था कि पांडाला बनाया जाना गलत है तथा मार्ग में लोहे के पाईप गाड़ना गलत है। उसको मानते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अंतत: रात 9 बजे अपने तंबू उखड़वाना शुरु कर दिये हैं। यहाँ बड़ा बाजार में भाजपा के वरिष्ठ नेतागण स्वयं खड़े होकर अपने तंबू उखड़वा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि कल गुरुवार को डोल ग्यारस के दिन भाजपा की सभा तो होगी लेकिन अब सभा मण्डप नहीं बनेगा, देर रात को सभा होगी जिसके लिये सिर्फ मुख्यमंत्री का मंच बनेगा, कोई टेंट आदि नहीं लगेंगे, सड़क पर किसी प्रकार के खंबे, पाईप नहीं गड़े मिलेंगे। शाम डोल निकल जाने के बाद फिर भाजपा जो चाहे वह करेगी इससे सीहोर की परम्परा में किसी प्रकार का विघ्न भी उत्पन्न नहीं होगा।


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