सीहोर 3 अक्टूबर (आनन्द भैया )। अचानक उम्मीद्वारी जताते हुए प्रकट हुई उमाश्री भारती की पार्टी भारतीय जन शक्ति ने यहाँ पहले ही दिन से कहना शुरु कर दिया है कि वर्तमान विधायक की जमानत जप्त हो जायेगी...अब पार्टी के पदाधिकारी भी यही कहते हैं कि हमारी जीत तो तभी सुनिश्चित हो जायेगी जब भाजपा रमेश सक्सेना को उम्मीद्वार बना देगी। जनशक्ति का यह प्रलाप धुरंधर राजनीतिक खूब समझते हैं कि कहीं ना कहीं जनशक्ति को भाजपा से सक्सेना की उम्मीद्वारी क ा खतरा ही सबसे यादा लग रहा है और इसलिये ही अभी तक सीहोर से जनशक्ति की उम्मीद्वारी को स्पष्ट नहीं किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी में निर्दलीय विजयी प्रत्याशी के रुप में आये और आज भाजपा के विधायक लोकप्रिय रमेश सक्सेना की आगामी विधानसभा को लेकर उम्मीद्वारी का अभी तक असमंजस की स्थिति में बनी हुई है। भाजपा में जहाँ संघ परिवार की पूरी पैनल हर बार की तरह इस बार भी सक्सेना के अंदर ही अंदर विरोध में नजर आ रही है वहीं कुछ नेता भी इस संबंध में चुप्पी साधे बैठे हैं। कुछ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से सक्सेना की वर्षों पुरानी दुश्मनी के गड़े मुर्दे भी बार-बार चित्कार करने में लगे हुए हैं। ऐसे में खुद विधायक श्री सक्सेना का पिछले दिनों अपनी उम्मीद्वारी के प्रति असमंजस की स्थिति और अन्य लोगों से टिकिट मांगे जाने की बातें करने के बाद नगरीय क्षेत्र में काफी चर्चाएं सरगर्म हो गई हैं।
इधर भतीजे देवेन्द्र सक्सेना की तेज होती गतिविधियों ने भी चर्चाओं के बाजार को सरगर्म कर दिया है।
भाजपा के पुराने और धुरंधर नेताओं का मानना है कि इस बार टिकिट को लेकर काफी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है और यही कारण कि पिछले दिनों जहाँ मुख्यमंत्री की सभा में सीहोर विधानसभा क्षेत्र के लोगों की अनुपस्थिति सर्वाधिक चर्चा में रही वहीं पिछले दिनों भाजपा के सर्वाधिक महती कार्यक्रम 25 सितम्बर के महाकुंभ में भी सीहोर से गये अधिकांश वाहन खाली ही थे। इस सबको कहीं ना कहीं विधायक सक्सेना के अनमने मन का कारण बताया जा रहा है।
ऐसे में संगठन और सत्ता में मतभेद भी सीहोर विधानसभा क्षेत्र को लेकर उभरने लगे हैं। कांग्रेस के कमजोर प्रत्याशियों के सामने खड़ी सत्तासीन भाजपा के अधिकांश लोग यही चाहते हैं कि इस बार उनकी भी पूछ परख हो जाये अथवा टिकिट उन्हे मिल जाये। इसलिये बारम्बार भोपाल से कई भाजपा नेता टिकिट मांगने और लेने के लिये प्रयासरत हैं और यही लोग दूसरे प्रत्याशियों की कमी का बखान भी बखूबी कर रहे हैं, दूसरे प्रत्याशियों कब-कब भाजपा के खिलाफ, मुख्यमंत्री के खिलाफ, संघ के खिलाफ बोला है, अथवा दूसरे प्रत्याशियों की भावनाएं भाजपा व संघ के प्रति क्या है इसका बखान भी खूब हो रहा है।
जो भी हो, भाजपा के इस अंतद्वंद ने कांग्रेस और हाल ही उमाश्री की एक सभा के बाद सामने आई जनशक्ति की जान सांसत में डाल रखी है। विशेषकर जनशक्ति की बयानबाजी की चर्चाएं सर्वाधिक सरगर्म रहती हैं। जहाँ उमाश्री ने आते ही श्यामपुर की सभा में खुलकर कहा कि वर्तमान विधायक की जमानत जप्त हो जायेगी। इसका मतलब था कि भाषण सुन रही जनता का विधायक के प्रति झुकाव को उमाश्री कम करना चाहती थीं। इस भाषण की चर्चाएं उतनी सरगर्म नहीं हो सकी जितनी जनशक्ति को अपेक्षा थी इसके बाद जनशक्ति के पदाधिकारियों ने खुले रुप से यह कहना शुरु कर दिया कि जनशक्ति को सिर्फ यही चाहती है कि भाजपा से विधायक रमेश सक्सेना को टिकिट मिल जाये...ताकि जनशक्ति की जीत सुनिश्चित हो जाये।
जनशक्ति का यह कहना भी कहीं ना कहीं विधायक सक्सेना की दमदारी की और इंगित करता है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो राजनीति का यह भी एक तरीका है कि सामने वाले को कमजोर प्रदर्शित करना शुरु कर दिया जाये ताकि उसका टिकिट ही कट जाये और अपनी लाईन साफ हो जाये। बार-बार जनशक्ति का यह कहना कि रमेश सक्सेना यदि लड़ेंगे तो जनशक्ति जीत जायेगी इससे लगता है कि जनशक्ति चाहती है कि सक्सेना लड़े ही नहीं। क्योंकि अगर जनशक्ति स्वयं की जीत सुनिश्चित ही कहना चाहती तो वह यही कहती कि हमारी जीत तो सुनिश्चित है, हम जीतेंगे चाहे कोई भी सामने हो, लेकिन बार-बार भाजपा के विधायक का नाम लिया जाना कहीं न कहीं जनशक्ति के सहमे होने की और इंगित कर रहा है। क्योंकि जनशक्ति ने सिर्फ रमेश सक्सेना का नाम लिया और किसी अन्य भाजपा से संभावित उम्मीद्वार का नाम नहीं लिया। उधर उमाश्री ने भी सिर्फ वर्तमान उम्मीद्वार के खिलाफ बोला।
कुल मिलाकर जनशक्ति द्वारा अभी तक स्वयं के उम्मीद्वार की घोषणा नहीं किये जाने से भी उसकी घबराहट सामने आ रही है। संभव है अपने तीर छोड़ने के बाद जनशक्ति देखना चाहती हो कि वह भाजपा के पर निशाने पर लगे या नहीं और यही निशाने पर लग गये तो जनशक्ति अपना उम्मीदवार मैदान में सामने ले आयेगी। हर दिन राजनीतिक समीकरण बनते-बिगड़ते रहते हैं देखते हैं आगे क्या होता है और कौन-सी राजनीतिक बिसात बिछाई जाती है।
Saturday, October 4, 2008
साहब जानकारी नहीं, बस आप तो सेवा बताईये क्या पेश कर दूँ, कलेक्टर से भी नहीं डरता हूँ...सब भ्रष्ट हैं कहाँ नहीं है करप्शन
सीहोर 3 अक्टूबर (नि.सं.)। महिला बाल विकास विभाग शहरी परियोजना अधिकारी कार्यालय जहाँ से पूरे नगर की आंगनबाड़ी, मुख्यमंत्री की लाड़ली लक्ष्मी योजना का संचालन होता है। नगरीय क्षेत्र की आंगनबाड़ियों में क्या कुछ हो रहा है और यहाँ कितनी गड़बड़ी चल रही है इसकी जानकारी आज हर एक घर परिवार तक पहुँच चुकी है क्योंकि अधिकांश हितग्राही बच्चों को आंगनबाड़ी से न कुछ खाने मिलता है ना कोई सामग्री दी जाती है। वहीं लाड़ली लक्ष्मी योजना में शहर सबसे पीछे नजर आ रहा है।
ऐसे में यदि कभी शहरी विकास परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास विभाग से इस संबंध में कोई पूछताछ की जाती है, खाद्य सामग्री नहीं मिलने की बात बताई जाती है तो वहाँ से हमेशा एक ही जबाव दिया जाता है कि हम जो कर रहे हैं, सही कर रहे हैं, आपसे बने तो ऊपर शिकायत कर दो, कलेक्टर से कह दो, नीचे से लेकर ऊपर तक करप्शन है यदि हम भी इसमें शामिल हैं तो कौन-सी अनोखी बात हो गई।
आखिर शहर में जितनी आंगनबाड़ियाँ चल रही हैं उनमें कितनी खाद्य सामग्री भेजी जा रही है ? सर्वाधिक चर्चा में रहने वाली ब्रेड आखिर क्यों बच्चों न बंटकर मोहल्ले के घर-परिवार में जाती है ? बच्चों को मिलने वाले पोष्टिक खाद्य सामग्री चाहे वह दलिया हो या हो कुरकुरे-मुरमुरे वह चले कहाँ जाते हैं...? आखिर आंगनबाड़ियाँ कभी किसी के घर में तो कभी कहीं छुपकर क्यों लगाई जाती हैं...? क्यों कर आंगनबाड़ियों में बच्चों की संख्या कम रहती है...? आखिर कितनी खाद्य सामग्री बनवाई जा रही है...? कितनी मंगवाई जा रही है...? और कितनी बंट रही है....? आखिर आंगनबाड़ी में बंटने वाली पंजीरी कहा चली गई है...? और किसके मुँह में जाना चाहिये और कि सके मुँह में जा रही है? आंगनबाड़ी में बंटने वाला हलवा कौन-से घी से बनकर आ रहा है....? और आखिर क्या कारण है कि भोपाल के लोगों से बनवाकर इसे सीहोर बुलवाया जाता है और फिर बंटता है...? आखिर क्यों आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों द्वारा आंगनबाड़ी सहायिकाओं पर समय-समय पर दबाव बनाया जाता है और चौथ वसूली की जाती है...? लाड़ली लक्ष्मी योजना के फार्म आखिर क्यों उपलब्ध नहीं है...? क्या मुख्यमंत्री जी ने यह फार्म बांटने से मना कर दिया है....? क्यों पात्र हितग्राहियों को इस योजना का लाभ उठाने के लिये, इन फार्मों को खरीदने के लिये 5 से 50 रुपये तक अदा करना पड़ते हैं...?
ऐसे ही अनेकानेक सवालों का जबाव यदि आप महिला बाल विकास विभाग में पदस्थ परियोजना अधिकारी से पूछते हैं तो फिर वह सवाल के जबाव में बचते हुए या तो कहते हैं कि हमारे सांख्यिकी अधिकारी से आप बात कर लीजिये आपकी सारी समस्या हल हो जायेगी...? अथवा यहाँ से संदेश दिया जाता है कि साहब जानकारी नहीं आप तो ''सेवा'' बताईये क्या पेश कर दूं....।
और यदि इस ''सेवा'' की बात सुनकर कोई आम व्यक्ति नाराज होकर अधिकारियों से सही काम करने की बात कहे तो फिर सीधे यहाँ कहा जाता है कि आप चाहे जों करें, मुख्यमंत्री से कहें या कलेक्टर से कह दे, हमारा कुछ नहीं होगा...नीचे से लेकर ऊपर तक करप्शन है...सभी इसमें लिप्त हैं....आप भी जुड़ जाईये वरना जो बने कर लीजिये....।
शहर में स्थापित एक शासकिय कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का चरम इसी बात से इंगित हो जाता है कि यहाँ कोई जानकारी देने के नाम छोटा-सा बाबू भी यह कह देता कि साहब सेवा बताईये और मेवा खाईये। जिस विभाग से आने वाली पीढ़ी, जच्चा-बच्चे का स्वास्थ्य, कुपोषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे जुडे हैं, जिस विभाग से लाड़ली लक्ष्मी योजना जुड़ी है, उस विभाग में भ्रष्टाचार का यह आलम है।
ऐसे में यदि कभी शहरी विकास परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास विभाग से इस संबंध में कोई पूछताछ की जाती है, खाद्य सामग्री नहीं मिलने की बात बताई जाती है तो वहाँ से हमेशा एक ही जबाव दिया जाता है कि हम जो कर रहे हैं, सही कर रहे हैं, आपसे बने तो ऊपर शिकायत कर दो, कलेक्टर से कह दो, नीचे से लेकर ऊपर तक करप्शन है यदि हम भी इसमें शामिल हैं तो कौन-सी अनोखी बात हो गई।
आखिर शहर में जितनी आंगनबाड़ियाँ चल रही हैं उनमें कितनी खाद्य सामग्री भेजी जा रही है ? सर्वाधिक चर्चा में रहने वाली ब्रेड आखिर क्यों बच्चों न बंटकर मोहल्ले के घर-परिवार में जाती है ? बच्चों को मिलने वाले पोष्टिक खाद्य सामग्री चाहे वह दलिया हो या हो कुरकुरे-मुरमुरे वह चले कहाँ जाते हैं...? आखिर आंगनबाड़ियाँ कभी किसी के घर में तो कभी कहीं छुपकर क्यों लगाई जाती हैं...? क्यों कर आंगनबाड़ियों में बच्चों की संख्या कम रहती है...? आखिर कितनी खाद्य सामग्री बनवाई जा रही है...? कितनी मंगवाई जा रही है...? और कितनी बंट रही है....? आखिर आंगनबाड़ी में बंटने वाली पंजीरी कहा चली गई है...? और किसके मुँह में जाना चाहिये और कि सके मुँह में जा रही है? आंगनबाड़ी में बंटने वाला हलवा कौन-से घी से बनकर आ रहा है....? और आखिर क्या कारण है कि भोपाल के लोगों से बनवाकर इसे सीहोर बुलवाया जाता है और फिर बंटता है...? आखिर क्यों आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों द्वारा आंगनबाड़ी सहायिकाओं पर समय-समय पर दबाव बनाया जाता है और चौथ वसूली की जाती है...? लाड़ली लक्ष्मी योजना के फार्म आखिर क्यों उपलब्ध नहीं है...? क्या मुख्यमंत्री जी ने यह फार्म बांटने से मना कर दिया है....? क्यों पात्र हितग्राहियों को इस योजना का लाभ उठाने के लिये, इन फार्मों को खरीदने के लिये 5 से 50 रुपये तक अदा करना पड़ते हैं...?
ऐसे ही अनेकानेक सवालों का जबाव यदि आप महिला बाल विकास विभाग में पदस्थ परियोजना अधिकारी से पूछते हैं तो फिर वह सवाल के जबाव में बचते हुए या तो कहते हैं कि हमारे सांख्यिकी अधिकारी से आप बात कर लीजिये आपकी सारी समस्या हल हो जायेगी...? अथवा यहाँ से संदेश दिया जाता है कि साहब जानकारी नहीं आप तो ''सेवा'' बताईये क्या पेश कर दूं....।
और यदि इस ''सेवा'' की बात सुनकर कोई आम व्यक्ति नाराज होकर अधिकारियों से सही काम करने की बात कहे तो फिर सीधे यहाँ कहा जाता है कि आप चाहे जों करें, मुख्यमंत्री से कहें या कलेक्टर से कह दे, हमारा कुछ नहीं होगा...नीचे से लेकर ऊपर तक करप्शन है...सभी इसमें लिप्त हैं....आप भी जुड़ जाईये वरना जो बने कर लीजिये....।
शहर में स्थापित एक शासकिय कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का चरम इसी बात से इंगित हो जाता है कि यहाँ कोई जानकारी देने के नाम छोटा-सा बाबू भी यह कह देता कि साहब सेवा बताईये और मेवा खाईये। जिस विभाग से आने वाली पीढ़ी, जच्चा-बच्चे का स्वास्थ्य, कुपोषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे जुडे हैं, जिस विभाग से लाड़ली लक्ष्मी योजना जुड़ी है, उस विभाग में भ्रष्टाचार का यह आलम है।
मवेशी चराने की बात पर हत्या, तीन घायल
सीहोर 3 अक्टूबर (नि.सं.) अहमदपुर थाना क्षेत्र के ग्राम कऊखेड़ी में मवेशी भगाने की बात को लेकर हुई मारपीट में पिता-पुत्र सहित चार लोग घायल हो गये। जिन्हें उपचार हेतु श्यामपुर भर्ती पिता की बीती रात मौत हो गई।
कऊखेड़ी निवासी नारायण देशवाली उम्र 60 वर्ष एवं बाबूलाल का खेत पास-पास हैं। गुरुवार की शाम करीबन 4 बजे दिनेश व अवधेश की मवेशी नारायण सिंह के सोयाबीन के खेत में आ गई थी जिन्हें भगाने नारायण सिंह का पुत्र भैयालाल गया वही पास में बाबूलाल बगैरह भी अपने खेत पर थे भैयालाल को अवधेश, दिनेश मारपीट करने लगे जिसे बचाने नारायण सिंह अपने पुत्र मुकेश के साथ गया तभी मांगीलाल, प्रकाश, बाबूलाल सामने से रास्ते में रोककर मारपीट करने लगे। बीच बचाव करने आये अशोक के साथ भी इन लोगों ने मारपीट की घायल नारायण सिंह एवं उसके पुत्र भैया लाल को प्राथमिक उपचार हेतु श्यामपुर अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां पर नारायण सिंह की रात्रि में मौत हो गई।
कऊखेड़ी निवासी नारायण देशवाली उम्र 60 वर्ष एवं बाबूलाल का खेत पास-पास हैं। गुरुवार की शाम करीबन 4 बजे दिनेश व अवधेश की मवेशी नारायण सिंह के सोयाबीन के खेत में आ गई थी जिन्हें भगाने नारायण सिंह का पुत्र भैयालाल गया वही पास में बाबूलाल बगैरह भी अपने खेत पर थे भैयालाल को अवधेश, दिनेश मारपीट करने लगे जिसे बचाने नारायण सिंह अपने पुत्र मुकेश के साथ गया तभी मांगीलाल, प्रकाश, बाबूलाल सामने से रास्ते में रोककर मारपीट करने लगे। बीच बचाव करने आये अशोक के साथ भी इन लोगों ने मारपीट की घायल नारायण सिंह एवं उसके पुत्र भैया लाल को प्राथमिक उपचार हेतु श्यामपुर अस्पताल में दाखिल कराया गया जहां पर नारायण सिंह की रात्रि में मौत हो गई।
गाँधी जयंती पर बिका खूब मांस न कांग्रेस जागी ना भाजपा, पुलिस वाला ले गया रुपये
सीहोर 3 अक्टूबर (नि.सं.)। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती अहिंसा दिवस के रुप में भारत वर्ष में मनाया जाता है लेकिन सीहोर में इसका कोई असर देखने को नहीं मिलता। अहिंसा दिवस पर जहाँ पूरे भारत वर्ष में मांस व शराब बिक्रय प्रतिबंधित रहता है वहीं सीहोर में खुले आम मांस बिक्रय होता रहा । इतना ही नहीं एक पुलिस वाले ने तो यहाँ से खुले आम उगाई भी कर ली और छूट दे दी।
मछली बाजार में प्रतिदिन की भांति मांस का बिक्रय कल गाँधी जयंती अहिंसा दिवस पर भी जमकर हुआ। न इन्हे कोई टोकने वाला था ना रोकने वाला था। हालांकि यहाँ दुकानदारों को मालूम है कि इस दिन दुकान बंद रखना है लेकिन जब बंद कराने वालों से ही सांठगांठ हो जाये तो यह लोग दुकान क्याें बंद रखे। इसलिये उन्होने दुकान खोल ली, इन्हे सुरक्षा देते हुए एक पुलिस वाले ने आकर इनसे रुपये की उगाई भी की। इस प्रकार अहिंसा दिवस मांस विक्रय के साथ सीहोर में मनाया गया।
मछली बाजार में प्रतिदिन की भांति मांस का बिक्रय कल गाँधी जयंती अहिंसा दिवस पर भी जमकर हुआ। न इन्हे कोई टोकने वाला था ना रोकने वाला था। हालांकि यहाँ दुकानदारों को मालूम है कि इस दिन दुकान बंद रखना है लेकिन जब बंद कराने वालों से ही सांठगांठ हो जाये तो यह लोग दुकान क्याें बंद रखे। इसलिये उन्होने दुकान खोल ली, इन्हे सुरक्षा देते हुए एक पुलिस वाले ने आकर इनसे रुपये की उगाई भी की। इस प्रकार अहिंसा दिवस मांस विक्रय के साथ सीहोर में मनाया गया।
सड़क हादसे में 6 घायल
सीहोर 3 अक्टूबर (नि.सं.)जिले के तीन थाना क्षेत्रों में हुये-अलग-अलग सड़क हादसों में एक बालक सहित 06 लोग घायल हो गये। पुलिस ने सभी मामले दर्ज कर लिये है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नादानपुरा निवासी फरीद खाँ उम्र 40 वर्ष गुरुवार को दोपहर अपनी बाइक से भोपाल की तरफ जा रहा था तभी झरखेड़ा स्थित बस स्टेण्ड के समीप जीप क्रमांक एम.पी. 04 एच. 4658 के चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुये फरीद खां को टक्कर मारकर घायल कर दिया।
इसी प्रकार आज सुबह झरखेड़ा मोड़ के समीप अज्ञात वाहन चालक ने शंकर आ. रम्लू पंवार 45 साल निवासी संगम निजामाबाद को लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुये टक्कर मारकर घायल कर दिया। दोनों घायलों को उपचार हेतु हमीदिया अस्पताल भोपाल में भर्ती कराया गया है।
इधर सिद्दीकगंज थाना क्षेत्र में ग्राम देवनखेडी निवासी रतनसिंह के 4 वर्षीय पुऋ गुलशन को रोड क्रास करते समय ग्राम के हरनाथ अजा. ने लापरवाहीपूर्वक बैलगाड़ी चलाकर टक्कर मारकर पहिया पैर पर चढ़ा कर घायल कर दिया।
आष्टा थाना क्षेत्र में आष्टा शुजालपुर मार्ग पर हर्राजखेडी ज़ोड के समीप दो बाइक की टक्कर में तीन लोग घायल हो गये। जानकारी के अनुसार ग्राम हर्राजखेड़ी निवासी लखनलाल आज सुबह अपनी काकी रेशमबाई व बच्ची को आष्टा से लेकर अपनी बाइक से हर्राजखेडी ज़ा रहा था तभी जोड के समीप पीछे से आ रहे बाइक सवार चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर उसकी वाहन में टक्कर मार दी।
परिणामस्वरूप लखनलाल व रेशमबाई तथा बाइक सवार संजय जावरिया इस घटना में घायल हो गये।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नादानपुरा निवासी फरीद खाँ उम्र 40 वर्ष गुरुवार को दोपहर अपनी बाइक से भोपाल की तरफ जा रहा था तभी झरखेड़ा स्थित बस स्टेण्ड के समीप जीप क्रमांक एम.पी. 04 एच. 4658 के चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुये फरीद खां को टक्कर मारकर घायल कर दिया।
इसी प्रकार आज सुबह झरखेड़ा मोड़ के समीप अज्ञात वाहन चालक ने शंकर आ. रम्लू पंवार 45 साल निवासी संगम निजामाबाद को लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुये टक्कर मारकर घायल कर दिया। दोनों घायलों को उपचार हेतु हमीदिया अस्पताल भोपाल में भर्ती कराया गया है।
इधर सिद्दीकगंज थाना क्षेत्र में ग्राम देवनखेडी निवासी रतनसिंह के 4 वर्षीय पुऋ गुलशन को रोड क्रास करते समय ग्राम के हरनाथ अजा. ने लापरवाहीपूर्वक बैलगाड़ी चलाकर टक्कर मारकर पहिया पैर पर चढ़ा कर घायल कर दिया।
आष्टा थाना क्षेत्र में आष्टा शुजालपुर मार्ग पर हर्राजखेडी ज़ोड के समीप दो बाइक की टक्कर में तीन लोग घायल हो गये। जानकारी के अनुसार ग्राम हर्राजखेड़ी निवासी लखनलाल आज सुबह अपनी काकी रेशमबाई व बच्ची को आष्टा से लेकर अपनी बाइक से हर्राजखेडी ज़ा रहा था तभी जोड के समीप पीछे से आ रहे बाइक सवार चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर उसकी वाहन में टक्कर मार दी।
परिणामस्वरूप लखनलाल व रेशमबाई तथा बाइक सवार संजय जावरिया इस घटना में घायल हो गये।
जमकर बरसे बादल...
आष्टा 3 अक्टूबर (नि.प्र.) आष्टा क्षेत्र में बादल बरसने जैसे तो बन रहे है लेकिन बरस नहीं रहे किसानों की इच्छा है एक बार पूरे क्षेत्र में बरस जाये तो गेंहू-चने की बोवनी हो जाये। लेकिन कल इन्द्र देवता सिद्दीकगंज क्षेत्र में मेहरबान हो गये बताया जाता है कल भी देर रात तक सिद्दीकगंज क्षेत्र में पानी जमकर बरसा सड़कों पर बह निकला कल हुई बरसात से इस क्षेत्र में उन सभी खेतों में बोवनी की तैयारी किसानों ने शुरु कर दी है जहां पानी बरसा है बताते हे कि कल इतना पानी बरसा की रामपुरा डेम में आधा फिट पानी बढ़ गया है।
विधानसभा की मतदाता सूची का हुआ प्रकाशन, 2610 नाम काटे और 5 हजार नये नाम जोड़े
आष्टा 3 अक्टूबर (सुशील संचेती) लम्बी जांच के बाद तैयार हुई आष्टा विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 158 की मतदाता सूची का 30 सितम्बर को अंतिम प्रकाश कर दिया गया निर्वाचन आयोग के निर्देश पर कल आष्टा विधानसभा क्षेत्र के सभी 248 मतदान केन्द्रों पर तैयार की गई फोटो युक्त मतदाता सूची का प्रकाशन कर मतदाताओं ने निरीक्षण के लिए रखी गई है जहां पहुंचकर मतदाता अपने नाम देखकर अगर कोई त्रुटी हो तो आपत्ति दर्ज कर सकते है। आज आष्टा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची के हुए अंतिम प्रकाशन के अनुसार अब आष्टा विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख 75 हजार 696 मतदाता हो गये है। इसमें 99 हजार 279 पुरुष एवं 84 हजार 417 महिला मतदाता है। जबकि 30 जून 08 के पहले आष्टा विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 1 लाख 73 हजार 997 मतदाता थे इस प्रकार आष्टा विधानसभा क्षेत्र में 1699 मतदाताओं का इजाफा हुआ है। आज इस सम्बन्ध में सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी श्री बिहारी सिंह तहसीलदार आष्टा ने फुरसत को बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देश पर 30 जून से 15 जुलाई तक आष्टा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची का संक्षिप्त पुर्नरिक्षण कार्य किया गया था। 30 सितम्बर को सभी कार्यपूर्ण होने के बाद आष्टा विधान सभा क्षेत्र की मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन सभी मतदान केन्द्रों पर कर दिया गया है। अंतिम प्रकाशन के पहले 30 सितम्बर से 15 जुलाई के बीच हमारे पास नये नाम जोड़ने के लिए 6176 आवेदन आये थे जांच में 5634 आवेदन स्वीकृत कर इन नये नामों को मतदाता के रूप में जोडे गये शेष 542 आवेदन अस्वीकृत किये गये। इसी प्रकार 2611 आवेदन नाम काटे जाने के आवेदन प्राप्त हुए थे इसमें 2610 स्वीकृत किये गये थे एवं 1 आवेदन आस्वीकृत किया गया था। इसी प्रकार 647 आवेदन ऐसे मतदाताओं के प्राप्त हुए थे जो इधर से उधर चले गये थे उनके नाम एक जगह से हटाकर दूसरी जगह पर जोड़े गये। श्री बिहारी सिंह ने फुरसात को बताया कि आष्टा विधानसभा क्षेत्र के 1 लाख 75 हजार 969 मतदाओं मं से 1 लाख 66 हजार 738 मतदाताओं के फोटो मतदाता सूची में आ गये है शेष 8959 मतदाता ऐसे है जिनके कई प्रयास के बाद फोटो नहीं हो पाये है।
मतदान केन्द्र बढ़े :-आष्टा विधासभा क्षेत्र में पहले 190 मतदान केन्द्र थे अब मतदान केन्द्रों के सम्बंध में निर्वाचन आयोग के आये निर्देशों के बाद आष्टा विधान सभा क्षेत्र में 248 मतदान केन्द्र हो गये है 30 सितम्बर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी इसी हिसाब से कर सभी 248 मतदान केन्द्र हो गये है 30 सितम्बर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी इसी हिसाब से कर सभी 248 मतदान केन्द्रों पर निरीक्षण के लिए रखी गई है।
ग्रामों की स्थिति :-आष्टा तहसील में कुल 302 ग्राम है इसमें से 14 वनग्राम है 270 राजस्व ग्राम है तथा 18 ऐसे ग्राम है जिनके नाम तो है लेकिन इन ग्रामों में कोई रहता ही नहीं है इसलिए इन 18 ग्रामों को विरान ग्राम की श्रेणी में रखा गया है।
5 हजार पहली बार वोट डालेंगे :- इस बार होने वाले विधानसभा के चुनाव में 5092 ऐसे नये मतदाता मतदाता सूची में जुडे है जो पहली बार मतदान करेंगे। अंतिम प्रकाशन के पहले आष्टा क्षेत्र में 6176 नये मतदाताओं ने नाम जोड़ने के आवेदन किये थे जांच में इसमें से 542 आवेदन अस्वीकृत कर दिये थे शेष 5092 के नाम मतदाता के रूप में जोड दिये गये है।
मतदान केन्द्र बढ़े :-आष्टा विधासभा क्षेत्र में पहले 190 मतदान केन्द्र थे अब मतदान केन्द्रों के सम्बंध में निर्वाचन आयोग के आये निर्देशों के बाद आष्टा विधान सभा क्षेत्र में 248 मतदान केन्द्र हो गये है 30 सितम्बर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी इसी हिसाब से कर सभी 248 मतदान केन्द्र हो गये है 30 सितम्बर को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी इसी हिसाब से कर सभी 248 मतदान केन्द्रों पर निरीक्षण के लिए रखी गई है।
ग्रामों की स्थिति :-आष्टा तहसील में कुल 302 ग्राम है इसमें से 14 वनग्राम है 270 राजस्व ग्राम है तथा 18 ऐसे ग्राम है जिनके नाम तो है लेकिन इन ग्रामों में कोई रहता ही नहीं है इसलिए इन 18 ग्रामों को विरान ग्राम की श्रेणी में रखा गया है।
5 हजार पहली बार वोट डालेंगे :- इस बार होने वाले विधानसभा के चुनाव में 5092 ऐसे नये मतदाता मतदाता सूची में जुडे है जो पहली बार मतदान करेंगे। अंतिम प्रकाशन के पहले आष्टा क्षेत्र में 6176 नये मतदाताओं ने नाम जोड़ने के आवेदन किये थे जांच में इसमें से 542 आवेदन अस्वीकृत कर दिये थे शेष 5092 के नाम मतदाता के रूप में जोड दिये गये है।
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