जावर 31 जनवरी (फुरसत)। यहाँ जिस अमर मोती मेमोरियल स्कूल में ध्वज वंदन के बाद उसे उतारा नहीं गया था आज उस संबंध में पुलिस ने कार्यवाही करते हुए यहाँ राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम के तहत मामला पंजीबध्द कर लिया है।
यहाँ अमरमोती मेमोरियल स्कूल में ध्वज वंदन हुआ था लेकिन सायं सूर्यास्त के पूर्व ध्वज को उतारा नहीं गया था। दूसरे दिन सुबह 27 जनवरी को करीब 10 बजे तक यह ध्वज लगा रहा और करीब इसी समय ये हवा में उड़कर नीचे भी गिर गया था। एक व्यक्ति ने उसे तत्काल उठाकर अपने पास सुरक्षित रख लिया था।
इसका पंचनामा भी पटवारी द्वारा बनवाया गया था। कल इस संबंध में कुछ लोगों मो. अतहर खां, भूपेन्द्र सिंह आदि के बयान भी हुए थे। आज पुलिस ने इस मामले में राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 (2) के तहत स्कूल संचालक गोपाल सिंह सिसोदिया के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
Saturday, February 2, 2008
घरेलु गैस भरते मारुति कार पकड़ी
आष्टा 31 जनवरी (फुरसत)। आज आष्टा नगर के किलेरामा के पास से खाद्य अधिकारी ने एक स्थान पर छापा मार कर यहां पर घरेलु गैस के सिलेन्डर से अवैध रूप से एक मारूति कार क्रमांक एमपी-09-व्ही-9014 में गैस भरते समय पकड़ा है। खाद्य अधिकारी ने उक्त स्थान से मारूति एक घरेलु गैस सिलेंडर एक नलकी को जप्त किया है । पुलिस ने बताया है कि उक्त मारूति खाद्य विभाग ने जप्त कर केवल हमारी सुरक्षा में ही है जो यहां पर खड़ी है ।
सहेली हो तो ऐसी, 17-17 हजार में खरीदे सोफे
सीहोर 31 जनवरी (फुरसत)। दोस्ती हो तो ऐसी.....नगर में इन दिनों कार्यरत दो महिला अधिकारियों के बीच अच्छी बन रही है। अच्छी क्या बहुत अच्छी बन रही है। हालांकि दोनो हैं तो अलग-अलग शासकिय कार्यालयों की अधिकारी लेकिन उनकी आपस घुलती बहुत है। अक्सर दोनो को एक साथ देखा जा सकता है। बातचीत करते या फिर बाजार करते हुए भी आप एक ही नजर आ जाती हैं आखिर इसमें बुराई ही क्या है...बाहर से आने वाले अधिकारियों की स्थानीय स्तर पर कभी किसी से उतनी नहीं पट पाती जितनी किन्ही शासकिय स्तर के ही अधिकारियों से बनती है। इन दोनो शासकिय महिलाओं की इसी दोस्ती के चर्चे अब शुरु होने लगे हैं। असल छोटे-से नगर में जब कभी भी किन्ही अधिकारियों की कोई नई गतिविधि शुरु होती है तो सहज ही नगर में चर्चा का विषय भी बन जाती है। इन दोनो महिला अधिकारियों की तो पसंद भी एक-सी है । असल में पसंद को लेकर एक और चर्चा यह है कि दोनो ने 17-18 हजार की राशि के दो सोफा सेट इन दिनों बनवाये हैं। दोनो ही बेशकीमति सोफा सेट इन दोनो ने एक साथ बनवाये हैं जो इनके घर की शोभा बढ़ायेंगे। भाई तुझे जो पसंद वही मेरी पसंद यही अंदाज तो दोनो को एक दूसरे के और करीब लाया होगा तभी तो इनकी दोस्ती की चर्चाएं जिले भर के अधिकारियों में होने लगी है वो कहते हैं कि भाई दोस्ती हो तो ऐसी।
डेढ़ लाख के पार हुए विधानसभा के मतदाता महिलाएं घट गई और पुरुष बढ़ गये ?
सीहोर 31 जनवरी (फुरसत) धीरे-धीरे सीहोर विधानसभा क्षेत्र की संख्या में अब डे ढ़ लाख से पार हो गई है। हाल ही नई मतदाता सूची के प्रकाशन होने के बाद यह तथ्य सामने आया है कि अब यहाँ कुल 1 लाख 50 हजार 192 मतदाता हो गये हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में सीहोर विधानसभा में 1 लाख 39 हजार 483 कुल मतदाता था जिनमें 78 हजार 188 पुरुष और 71 हजार 295 महिलाएं शामिल थीं। लेकिन इस बार नई सूची में करीब 32 महिलाएं घटकर सिर्फ 71हजार 263 ही शेष बची हैं। नई सूची में पुरुषों की संख्या 78 हजार 929 है कुल मिलाकर 1 लाख 50 हजार 192 मतदाताओं के साथ सीहोर विधानसभा में डेढ़ लाख का आकड़ा पार हो चुका है।
शहीद दिवस पर एक तरफ गाँधी का स्मरण हुआ दूसरी तरफ खुले आम बिकता रहा मांस
सीहोर। भले पूरे देश में कुछ विशेष तिथियों महावीर जयंती, गाँधी जी की पुण्यतिथि और शहीद दिवस पर मांस-मद्य का विक्रय बंद रहता हो लेकिन यहाँ सीहोर में कभी इसका पालन नहीं कराया जाता। पिछली बार जब बार-बार जिला प्रशासन को लोगों ने महावीर जयंती पर दुकाने बंद कराने को कहा था तो बमुश्किल बंद कराई गई थी। कल 30 जनवरी को खुले आम मांस बिकता रहा।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में सीहोर विधानसभा में 1 लाख 39 हजार 483 कुल मतदाता था जिनमें 78 हजार 188 पुरुष और 71 हजार 295 महिलाएं शामिल थीं। लेकिन इस बार नई सूची में करीब 32 महिलाएं घटकर सिर्फ 71हजार 263 ही शेष बची हैं। नई सूची में पुरुषों की संख्या 78 हजार 929 है कुल मिलाकर 1 लाख 50 हजार 192 मतदाताओं के साथ सीहोर विधानसभा में डेढ़ लाख का आकड़ा पार हो चुका है।
शहीद दिवस पर एक तरफ गाँधी का स्मरण हुआ दूसरी तरफ खुले आम बिकता रहा मांस
सीहोर। भले पूरे देश में कुछ विशेष तिथियों महावीर जयंती, गाँधी जी की पुण्यतिथि और शहीद दिवस पर मांस-मद्य का विक्रय बंद रहता हो लेकिन यहाँ सीहोर में कभी इसका पालन नहीं कराया जाता। पिछली बार जब बार-बार जिला प्रशासन को लोगों ने महावीर जयंती पर दुकाने बंद कराने को कहा था तो बमुश्किल बंद कराई गई थी। कल 30 जनवरी को खुले आम मांस बिकता रहा।
उन्नत उर्जा चूल्हे से अब मात्र 150 रु. महिने में बन सकता घर का भोजन
सीहोर 31 जनवरी (फुरसत)। इण्डियन इंस्टीटयूट आफ साइंस बैंगलोर भारत द्वारा बनाये गये उन्नत धुंआ रहित गैस चूल्हा जिसे बीपी एनर्जी इण्डिया लिमिटेड कम्पनी द्वारा बाजार में उतारा गया है ने सीहोर में आते ही धूम मचा दी है। तमिलनाडु व महाराष्ट्र में धूम मचाने के बाद यह स्टोव अब मध्य प्रदेश में आ गया है जहाँ बहुत तेजी से यह अपना स्थान बनाने में लगा है। नूतन के बत्ती वाले स्टोव की ही तर्ज पर यह आधुनिक धुंआ रहित चूल्हा कम्पनी द्वारा दी जाने वाली जलाऊ लकड़ी जो मात्र 4 रुपये किलो होती है से चलता है और नीचे लगे पंखे से इसकी आंच नीली पड़ने लगती है। मात्र 3 रुपये में एक घंटे तक यह सुविधा के अनुसार तेज-मद्दा करके चलाया जा सकता है। यहाँ अंतराष्ट्रीय कम्पनी आईटीसी के सोया चौपाल पर यह बिक रहा है।
एक तरफ जहाँ गैस की टंकी के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और वह 329 रुपये में किसी तरह मिल पा रही है वहीं अचानक भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाये गये धुंआ रहित चूल्हे ''उर्जा'' ने इसके खरीददारों को कुछ राहत दी है। उर्जा एक छोटा-सा चूल्हा है जिसमें बीच में लगी गोल जाली है इसमें कम्पनी द्वारा दी गई विशेष प्रकार की जलाऊ लकड़ी जो बिल्कुल गाय को खिलाई जाने वाली खली की तरह रहती है उसे डाल दिया जाता है। यह जलाऊ खली पूरा स्टोब भरने पर करीब 600 ग्राम भरा जाती है। फिर इस पर घासलेट की कुछ बूंदे डालकर माचिस से आग लगा दी जाती है। आग लगते ही यह मात्र 2-3 मिनिट में ही अच्छी तरह जलने लगता है।
इसी चूल्हे जाली के आने के लिये नीचे एक तरफ से पंखा भी लगाया गया है। यह छोटा-सा पंखा स्टोव में ही लगी एक ड्राय बैटरी से चलता है यह बेटरी मोबाइल सरीखे चार्जर से जितने घंटे चार्ज की जाती है उतने ही घंटे तक यह पंखा चला देती है। कुल मिलाकर चूल्हे में लगा पंखा चूल्हे में लगी बैटरी से चलता है और पंखा हवा तेजी से अंदर जाली के अंदर फेंकता है जिससे मात्र 5 मिनिट में ही आधुनिक चूल्हा बहुत अच्छी तरह जलने लगता है। पंखे को चलाने के लिये दो गति भी दी गई यदि पंखा तेज किया जाये तो आंच तेज रहती है और उस स्थिति में इस पर बड़ी तपेली या कुछ और भी रखकर पकाया जा सकता है। जबकि कम गति पर पंखा चलाने पर आंच भी धीमी उठती है और उस पर आराम से चाय, रोटी आदि बन सकती है।
इस प्रकार भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाये गये इस चूल्हे में जो जलाऊ खली डाली जाती है बस वही एक खर्चा है। लेकिन यह खली का 20 रुपये में 5 किलो का एक बोरा आ जाता है। जिसे कम्पनी से ही खरीदा जाता है। यहाँ पर्याप्त मात्रा में यह जलाऊ खली है। जिसे उपयोगक्ता को जितनी चाहिऐ वह खरीद सकता है। एक बार पूरी खली भरने पर करीब 6 सौ ग्राम भराती है और यह चूल्हा करीब 1 घंटे तक चलता है धीरे-धीरे इसकी लौ कम होती जाती है इस दौरान यदि खली और डालने की इच्छा हो तो बहुत धीरे-धीरे डाली जा सकती है। किसी 5 सदस्यीय घर के लिये सुबह का भोजन एक घंटे में बन जाता है और शाम का भी इतने ही समय में बनता है। इस प्रकार प्रतिदिन अधिकतम सवा किलो 5 रुपये की खली जलती है जो पूरे महिने में 150 रुपये से अधिक का खर्चा सामान्यत: नहीं बैठता।
हालांकि गैस की टंकी का उपयोग करने वालों की सहूलियत कुछ अधिक है लेकिन यदि बचत करने के उद्देश्य से इस देखा जाये तो यह एक अच्छी बचत का स्त्रोत बन सकता है। बीपी कम्पनी उर्जा चूल्हा ग्रामीण बड़ी संख्या में खरीदकर ले जा रहे हैं जिन्हे गैस की टंकी सामान्यत: मिल नहीं पाती और मिलती भी है तो सवा गुना दाम में मिलती है। शहर के भी कई लोगों ने यह चूल्हा खरीदा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह बहुत अच्छी लौ उठाता है तेज उठाता है और धुंआ नाम मात्र का भी नहीं रहता।
सबसे शानदार बात यह भी है कि जिन्हे चूल्हे की रोटी का स्वाद लगा होता है उन्हे इस चूल्हे की रोटी का स्वाद और भी अच्छा लगता है। एक स्थिति से न सिर्फ लकड़ी के चूल्हे की अपेक्षा बल्कि केरोसिन से भी यदि महिने भर रोज एक घंटा चूल्हा जलाया जाये तो 300 रुपये के आसपास खर्च बैठ ही जाता है इससे अच्छा तो यह बीपी का ''उर्जा'' चूल्हा ही माना जा सकता है। चूल्हे में लगी बैटरी को मात्र 5 घंटे एक साथ चार्ज कर देने पर सप्ताह भर तक यह अच्छी चलती है। रेग्यूलेटर से पंखे की गति तेज-धीमी भी हो जाती है। इसके अंदर कुछ ऐसी धातु का उपयोग भी किया गया है जिसके कारण खुद स्टोव कभी यादा गर्म नहीं होता। इसकी कीमत थोड़ी यादा ही 675 रुपये है। जिसके कारण इसे खरीदने में एक बारगी खूब सोच-विचार करना पड़ता है फिर इसमें जलने वाली उर्जा भी जहाँ से चूल्हा खरीदा जाता है वहीं से खरीदना पड़ती है। अभी यह चूल्हा चौपाल सागर आकर्षण का केन्द्र है।
एक तरफ जहाँ गैस की टंकी के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं और वह 329 रुपये में किसी तरह मिल पा रही है वहीं अचानक भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाये गये धुंआ रहित चूल्हे ''उर्जा'' ने इसके खरीददारों को कुछ राहत दी है। उर्जा एक छोटा-सा चूल्हा है जिसमें बीच में लगी गोल जाली है इसमें कम्पनी द्वारा दी गई विशेष प्रकार की जलाऊ लकड़ी जो बिल्कुल गाय को खिलाई जाने वाली खली की तरह रहती है उसे डाल दिया जाता है। यह जलाऊ खली पूरा स्टोब भरने पर करीब 600 ग्राम भरा जाती है। फिर इस पर घासलेट की कुछ बूंदे डालकर माचिस से आग लगा दी जाती है। आग लगते ही यह मात्र 2-3 मिनिट में ही अच्छी तरह जलने लगता है।
इसी चूल्हे जाली के आने के लिये नीचे एक तरफ से पंखा भी लगाया गया है। यह छोटा-सा पंखा स्टोव में ही लगी एक ड्राय बैटरी से चलता है यह बेटरी मोबाइल सरीखे चार्जर से जितने घंटे चार्ज की जाती है उतने ही घंटे तक यह पंखा चला देती है। कुल मिलाकर चूल्हे में लगा पंखा चूल्हे में लगी बैटरी से चलता है और पंखा हवा तेजी से अंदर जाली के अंदर फेंकता है जिससे मात्र 5 मिनिट में ही आधुनिक चूल्हा बहुत अच्छी तरह जलने लगता है। पंखे को चलाने के लिये दो गति भी दी गई यदि पंखा तेज किया जाये तो आंच तेज रहती है और उस स्थिति में इस पर बड़ी तपेली या कुछ और भी रखकर पकाया जा सकता है। जबकि कम गति पर पंखा चलाने पर आंच भी धीमी उठती है और उस पर आराम से चाय, रोटी आदि बन सकती है।
इस प्रकार भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाये गये इस चूल्हे में जो जलाऊ खली डाली जाती है बस वही एक खर्चा है। लेकिन यह खली का 20 रुपये में 5 किलो का एक बोरा आ जाता है। जिसे कम्पनी से ही खरीदा जाता है। यहाँ पर्याप्त मात्रा में यह जलाऊ खली है। जिसे उपयोगक्ता को जितनी चाहिऐ वह खरीद सकता है। एक बार पूरी खली भरने पर करीब 6 सौ ग्राम भराती है और यह चूल्हा करीब 1 घंटे तक चलता है धीरे-धीरे इसकी लौ कम होती जाती है इस दौरान यदि खली और डालने की इच्छा हो तो बहुत धीरे-धीरे डाली जा सकती है। किसी 5 सदस्यीय घर के लिये सुबह का भोजन एक घंटे में बन जाता है और शाम का भी इतने ही समय में बनता है। इस प्रकार प्रतिदिन अधिकतम सवा किलो 5 रुपये की खली जलती है जो पूरे महिने में 150 रुपये से अधिक का खर्चा सामान्यत: नहीं बैठता।
हालांकि गैस की टंकी का उपयोग करने वालों की सहूलियत कुछ अधिक है लेकिन यदि बचत करने के उद्देश्य से इस देखा जाये तो यह एक अच्छी बचत का स्त्रोत बन सकता है। बीपी कम्पनी उर्जा चूल्हा ग्रामीण बड़ी संख्या में खरीदकर ले जा रहे हैं जिन्हे गैस की टंकी सामान्यत: मिल नहीं पाती और मिलती भी है तो सवा गुना दाम में मिलती है। शहर के भी कई लोगों ने यह चूल्हा खरीदा है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह बहुत अच्छी लौ उठाता है तेज उठाता है और धुंआ नाम मात्र का भी नहीं रहता।
सबसे शानदार बात यह भी है कि जिन्हे चूल्हे की रोटी का स्वाद लगा होता है उन्हे इस चूल्हे की रोटी का स्वाद और भी अच्छा लगता है। एक स्थिति से न सिर्फ लकड़ी के चूल्हे की अपेक्षा बल्कि केरोसिन से भी यदि महिने भर रोज एक घंटा चूल्हा जलाया जाये तो 300 रुपये के आसपास खर्च बैठ ही जाता है इससे अच्छा तो यह बीपी का ''उर्जा'' चूल्हा ही माना जा सकता है। चूल्हे में लगी बैटरी को मात्र 5 घंटे एक साथ चार्ज कर देने पर सप्ताह भर तक यह अच्छी चलती है। रेग्यूलेटर से पंखे की गति तेज-धीमी भी हो जाती है। इसके अंदर कुछ ऐसी धातु का उपयोग भी किया गया है जिसके कारण खुद स्टोव कभी यादा गर्म नहीं होता। इसकी कीमत थोड़ी यादा ही 675 रुपये है। जिसके कारण इसे खरीदने में एक बारगी खूब सोच-विचार करना पड़ता है फिर इसमें जलने वाली उर्जा भी जहाँ से चूल्हा खरीदा जाता है वहीं से खरीदना पड़ती है। अभी यह चूल्हा चौपाल सागर आकर्षण का केन्द्र है।
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