सीहोर 9 नवम्बर (नि.सं.)। देवउठनी ग्यारस पर आज पूरे नगर में उत्साह का वातावरण रहा। आज ही बड़ी मात्रा में ग्यारस की पूजा अर्चना की गई। मंदिरों पर भी विशेष पूजा अर्चना की गई। मंदिरों पर भी विशेष पूजा अर्चना की गई। गन्ने बेचने वाले भी बड़ी संख्या में आये थे। शाम को पूजन के बाद देर रात तक आतिशबाजी चलती रही। घरों पर दीप मालाओं का प्रकाश भी देखा गया।
दीपावली का बड़ा धार्मिक उत्सव आज देवउठनी ग्यारस के साथ समाप्त हो गया। देवउठनी ग्यारस को लेकर कल से ही तैयारियाँ का दोर चल रहा था। ग्यारस के लिये एक बार फिर घर की थोड़ी बहुत साफ-सफाई, धुलाई की जाकर घर के ओटलों पर महिलाओं में ढिग-मांडने भी किये। सुन्दर मांडनों से घर आंगन भी सजाये।
देवउठनी ग्यारस पर गन्ने की बिक्री पूजन के लिये होती है। ईख के साथ ही ग्यारस की पूजन पूर्ण मानी जाती है। यही कारण है कि ग्यारस पर आज सुबह से ही ट्रालियों से भरकर गन्ना नगर में बिकने के लिये आया था। नगर में हर एक प्रमुख चौराहों पर गन्ने बिक रहे थे। यह बहुत अधिक महंगा 10 रुपये का एक तक बिक रहा था। जबकि शाम तक 2-2 रुपये तक में भी गन्ने खूब बिके।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन का बड़ा महत्व है। इस दिन देव उठ जाते हैं ऐसा माना जाता है। इस दिन से शादी विवाह के कार्यक्रम भी प्रारंभ हो जाती है। लौकिक रुप से ऐसा माना जाता है कि वर्षाकाल में अनेक बीमारियाँ फैलने का डर बना रहता है कई फल व हरी सब्जियाँ इस दौरान खाने के लिये वर्जित रहती है तथा इन्ही कारणों से सांस्कृतिक आयोजन भी रुके रहते हैं। वर्षा ऋतु समाप्ति पर देवउठनी ग्यारस से यह सब आयोजन प्रारंभ हो जाते हैं। आज की महत्वपूर्ण तिथि पर होने वाली पूजन के लिये नये ऋतुपुल, बोर, गन्ना, आंवला, फली, वार, बाजरा, अमरुद, भटे, मैथी, चने की भाजी खरीदकर लाई जाती है तथा इनकी विधिवत पूजन कर आज से इनका भोजन में उपयोग प्रारंभ किया जाता है। घर-घर आज ईख की पूजा के साथ ही तुलसी माता व सालिगराम जी के विवाह का कार्यक्रम भी सम्पन्न किया जाता है। आज देवउठनी ग्यारस की पूजन के साथ ही सारे धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो जायेंगे। वैवाहिक कार्यक्रम प्रारंभ हो जायेंगे। आज शाम को घरों-घर पूजन अर्चना के बाद दीप मालिकाओं से घर द्वार सजे हुए दिख रहे थे। आतिशबाजी की दुकानों से बिक्री भी खूब हुई। इनके मूल्य भी आज काफी कम थे। आज जमकर आतिशबाजी चली।