Monday, September 15, 2008
अनन्त चतुर्दशी का उत्साह : चुनावी वर्ष में भी स्वागत मंच कम बने 50 पैसे पोहा-चाय के साथ फ्री बंटी नुक्ती
इस वर्ष एक बार फिर वही चुनावी माहौल सामने आ गया है जब कई लोग मंच बनाते हैं। लेकिन प्रशासन की साजिश ने एक बार फिर हिन्दु त्यौहारों में कुठाराघात करने का प्रयास किया है। जानकारों का कहना है कि कुछ संगठनों को मंच बनाने के लिये स्वीकृति देने में आनाकानी की गई है। स्वागत मंच बनाने वालों को मंच नहीं बनाने देने की बात पहली बार सामने आई है।
इस मामले में एक संगठन ने तो विज्ञप्ति भी जारी की है। इस प्रकार स्वागत मंच बनाने की स्वीकृति नहीं देने के पीछे आखिर क्या कारण है यह समझ से परे है। इस बार स्वागत मंच कुछ कम बने हैं। रात 9 बजे तक कोतवाली चौराहा हिन्दु उत्सव समिति, बड़ा बाजार में बजरंग दल और सीहोर टाकीज चौराहा पर नगर पालिका परिषद सीहोर का मंच बन चुका है। इसके अलावा भी 4 मंच बने हुए हैं। कुछ नेताओं के मंच बनने की अपेक्षा इस बार की जा रही थी लेकिन ऐसे मंच कम ही नजर आये हैं। इसके पीछे क्या कारण यह समझ नहीं आया। संभवत: शासन की स्वीकृति देने में आनाकानी वाली बात भी हो सकती है।
देर रात 10.30 बजे यहाँ खजांची लाईन तिराहे छावनी पर जनता क्लब के गणेश मण्डप पर 50 पैसे में पोहा और 50 पैसे में ही चाय की व्यवस्था ने जनता को कुछ बांध सा लिया है। यहाँ पोहा और चाय की पर्याप्त व्यवस्था की गई जो 50 पैसे की नाम मात्र के शुल्क पर जनता को खिलाया और पिलाया जा रहा है।
अमर योति क्लब पं. गजाधर जोशी मार्ग चरखा लाईन छावनी सीहोर तिराहे पर क्लब का मंच बन चुका है, जिसकी मजबूती की जांच-परख कई-कई बार अनेक लोगों ने चढ़कर कर ली है ताकि मंच रातभर टिका रहे और इस पर कितने ही वजनदार लोग भले चढ़ जायें लेकिन यह डगमगाये नहीं। यहाँ सवा क्विंटल की नुक्ति का भोग देर रात 10 बजे के करीब गणेश जी महाराज को चढ़ाया गया इसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों से आई जनता के लिये नुक्ति का प्रसाद रात तक बांटा जायेगा। उधर गाँधी मार्ग पर इस बार आलसी क्लब का उत्साह कुछ कम होने के कारण यहाँ जो पिछले कुछ वर्षों से पुड़ी-सब्जी मिल रही थी वह इस बार नहीं बांटी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता रात 8-9 बजे बाद से ही मेन रोड पर घूमती-फिरती नजर आने लगी है।
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गणेश विसर्जन जुलूस धूमधाम से निकला
उक्त रंग-गुलाल को कार्यकर्ताओं ने जुलूस में उड़ाने के साथ-साथ मार्ग पर जो घर दिखे घरों पर भी आज गुलाल फेंकी गई जिससे नागरिकों ने कड़ा रोष व्यक्त करते हुए गंज में काफी खरी-खोटी सुनाई।
गंज में पड़ने वाले धार्मिक स्थल महावीर भवन को भी इन लोगों ने नहीं छोड़ा यहाँ भी गुलाल फेंकी गई वहीं आज जुलूस में पूर्णत: पुलिस व्यवस्था नदारत रही। बाद में पुलिस व्यवस्था दिखी। श्री गणेश विसर्जन जुलूस परदेशी पुरा से बुधवारा, गल चौराहा, चार बत्ती चौराहा, गाँधी चौक, बड़ा बाजार, सब्जी मण्डी होता हुआ पार्वती नदी पहुँचा।
रात्री में समाचार लिखे जाने तक चलित झांकियों का एवं गणेश झांकियों का चल समारोह शुरु होने की तैयारी में नजर आ रहा था।
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उत्साह के साथ गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन
सीहोर 14 सितम्बर (नि.सं.)। अनंत चतुर्दशी पर्व पर प्रतिमा विसर्जन को लेकर आज उत्साह दोपहर बाद से ही शुरु हो गया था जो देर रात तक चलता रहा। आज विभिन्न उत्सव समितियों व परिवारों ने सीवन नदी घांट पर पहुँचकर आरती पूजन कर गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया। नगर पालिका द्वारा घांटों की सफाई दो दिन पूर्व ही कर दी थी। इस बार विद्युत व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में की गई थी। नदी के अंदर टयूब पर तैर रहे अनेक लड़कों ने आज प्रतिमाओं को बीच नदी में ले जाकर छोड़ने का कार्य भी किया।
कोई आटो, कोई सिर पर तो कोई लाया मोटर साईकिल -कार पर
गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ के जयघोषों के साथ आज दोपहर से ही गणेश उत्सव समितियों के कार्यकर्ताओं ने जुलूस की तैयारियाँ प्रारंभ कर दी थी।
समिति कार्यकर्ता उत्साह पूर्वक गणेश जी को वाहन, ठेले, बैलगाड़ी, ट्रेक्टर-ट्राली पर बैठाकर नदी ले जा रहे थे। कुछ लोग माथे पर भी लेकर चल रहे थे। कुछ लोग दो पहिया वाहन स्कूटर, मोटर साईकिल कुछ आटो तो कुछ साईकिल पर गणेश जी का विसर्जन करने आये। आज विसर्जन के दौरान अनेक मंडपों पर बकायदा हवन पूजन हुआ। कई मण्डपों के बड़े जुलूस निकले जिन्होने बकायदा डीजे के साथ जुलूस निकाला।
हमें दे दो गणेश जी
इस बार भी नदी घांट पर गंगा आश्रम मांझी मोहल्ले के अनेकानेक किशोर बालक टायर के कुछ बड़े टयूब लेकर आये हुए थे और शाम से नदी में तैर रहे थे। एक पटिया उस पर रखकर बैठे हुए तैर रहे थे। यहाँ घांट पर जो भी प्रतिमा विसर्जन करने के लिये आता था उससे यह प्रतिमा मांग लेते थे। लाओ दे दो हमें...कहकर यह प्रतिमा लेने की होड क़रते थे फिर कुछ रुपये में तय करके प्रतिमा लेते और बकायदा उसकी प्रतिमा को हाथ में पकड़कर वह बीच नदी में ले जाते और धीरे से धारा में प्रवाहित कर देते।
यूँ उछल रही थी मानो कोई
और सामान हो...
आज महिला घांट पर देखने में आया कि छोटी प्रतिमाएं घांट पर खड़े होकर भक्तजन उछाल-उछाल कर नदी में प्रवाहित कर रहे थे। इन्हे समझाने वाला कोई हिन्दु नेता या धार्मिक व्यक्ति यहाँ नहीं मिल सका। जितनी प्रतिमाएं जल प्रवाहित नहीं की गई उससे यादा प्रतिमाएं यहाँ उछालकर नदी के बीच में फेंकी गई। एक को दूसरे भी इस नकल को बिना बिचारे करते रहे।
इस वर्ष पुलिस ने अच्छी चाक चौबंद व्यवस्था कर दी थी। नदी घांट से लेकर हर प्रमुख चौराहों पर पुलिस तैनात थी जिससे व्यवस्था बनी हुई थी फिर भी प्रमुख मार्गों पर बीच में यातायात रुक रहा था ।
एक मण्डप वाले नाचे दे दे चुम्मा और बिल्लो रानी के गानों पर
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नारियल के गोले से बनाई सुन्दर आकृतियॉ
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आज अंतिम यात्रा
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अनन्त चतुर्दशी जुलूस की छेड़ करने में लगा रहा प्रशासन
इसके बाद पुलिस ने अपना रोल गुपचुप रुप से दिखा दिया है। हर झांकी वाले को जाकर कह आये हैं कि झांकी जल्दी लेकर आना पड़ेगी जल्दी जुलूस निकालना वरना बाद में नहीं आने दी जायेगी। ऐसी छेड़ करने की आदत अब पुलिस की बन ही चुकी है। इधर सारे अखाड़े वालों को जबरन परेशान किया जा चुका है कि जल्दी से जल्दी निकालना। हालांकि यह बात सही है कि हर बार अखाड़ों के कारण झांकी प्रभावित होती हैं और सूर्योदय हो जाने के बाद तक आती रहती हैं इसलिये झांकी जल्दी निकलना चाहिये लेकिन प्रशासन की छेड़ का अंदाज कुछ अलग ही होता है।
हर बार की तरह ही इस बार भी अनंत चतुर्दशी झांकी व अखाड़ा चल समारोह को लेकर प्रशासन की नाराजी के खिलाफ कोई हिन्दु संगठन सामने आने को तैयार नहीं है।
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