Thursday, January 31, 2008

सुरेश साबू मित्र मंडल द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान

सीहोर 30 जनवरी (फुरसत)। स्वतंत्रता संग्राम सेनानीगण हमारे राष्ट्र की अमूल्य धरोहर है । आज हम सभी का यहर् कत्तव्य है कि हम उनके द्वारा दिलायी गई आजादी को संभालकर रखें और जैसा सपना हमारे देश के महान सेनानियों ने रामराज को देखा था उसे साकार करने का ईमानदारी से प्रयास करें । गांधीजी, भगतसिंह, सुभाषचंद बोस, रामप्रसाद बिस्मिल, अश्फाक उल्ला खां जैसे असंख्य ज्ञात और अज्ञात महापुरूषों ने आजादी की नींव का पत्थर बनकर हमें दासता से मुक्ति दिलायी । ऐसे महान देशभक्तों का सपना अवश्व साकार होगा । ऐसा हम सभी को विश्वास है । उक्त उद्गार सुरेश साबू मित्र मंडल द्वारा आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि म।प्र। कांग्रेस विधायक दल के प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री सानसिंह वर्मा ने व्यक्त किये ।
श्री वर्मा ने युवाओं से आव्हान किया कि आज समाज और राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण हमारी संस्कृति से पाश्चात्य के भी उस पार जाने को है, इसे हमें दूर कर अपनी सांस्कृतिक सभ्यता की रक्षा करनी होगी । इस अवसर पर आल इंडिया हैंडीक्राफ्ट बोर्ड कपड़ा मंत्रालय नई दिल्ली के उपाध्यक्ष अक्षत कासट ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का देश के प्रति त्याग व समर्पण अतुलनीय है एवं वह सम्मान से भी परे है । यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि हमें आज भी भारत माता के सच्चे सपूतों का सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ है । इसके लिये मैं सुरेश साबू मित्र मंडल को बधाई एंव धन्यवाद देता हूं । कार्यक्रम में उपस्थित सीहोर के पूर्व विधायक शंकरलाल साबू ने उपस्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में सीहोर नगर के शहीदों का भी उल्लेख किया । जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार ने अपने संबोधन में कहा कि हमें स्वतंत्रता के इन सेनानियों से सीख लेना चाहिये कि हमें जो बोलेंगे अच्छा बोलेंगे जो करेंगे अच्छा करेंगे तथा अपनी कथनी और करनी में अंतर नही करेंगें। श्री परमार ने सुरेश साबू मित्र मंडल को उक्त आयोजन आयोजित करने पर बधाई दी । कार्यक्रम में देवास विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष मनोज रजानी, उज्‍जैन के कांग्रेस नेता मनीष शर्मा व कांग्रेस नेता सुरेश साबू मंचासीन थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित अतिथियों ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रावलित कर किया । अतिथियों को बेच युवक कांग्रेस अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, शैलेष अग्रवाल, राम मित्तल, राजेन्द्र शर्मा, दीपक शर्मा, अजय अग्रवाल, विनोद जैन, नीरज राठौर, आशीष गेहलोत, पार्षद ने लगाये । स्वागत भाषण कांग्रेस नेता प्रेमबंधु शर्मा ने दिया। सेनानी सम्मान कार्यक्रम पर पार्षद आशीष गेहलोत ने प्रकाश डाला। प्रारंभ में अतिथियों का पुष्पमाला से स्वागत सुरेश साबू, नंद गोपाल बियाणी, सुश्री रूकमणी रोहिला, रामनारायण ताम्रकार, मदन मोहन शर्मा, महेन्द्र सिंह अरोरा, हफीज चौधरी, दामोदर राय, अशोक श्रीवास्तव, संजय पालीवाल, प्रमोद मेहता, पंकज गुप्ता, पवन राठौर, राहुल यादव, दिनेश भैरवे, शंकर गुप्ता, मनोहर शर्मा, इरफान बेल्डर, समाजसेवी हरीश अग्रवाल, सुदेश राय, साकेत कासट, हरी सोनी, विनय पालीवाल, राजाराज कसोटिया, अखिलेश राठौर, विनीत राठौर, मनोज राठौर, मृदुल तोमर, सुनीलधाड़ी, सोनी शर्मा, पवन गुप्ता, लल्लू राठी, द्वारका मित्तल, सौभालसिंह भाटी, सोहेल मिर्जा, प्रकाश पोरवाल, जगदीश चौहान, जावर नगर पंचायत अध्यक्ष फूलसिंह मालवीय आदि ने किया । इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जाकेट, सम्मान पत्र, श्रीफल भेंट कर श्रीवर्मा ने उदय सिंह आर्य, पूरनसिंह आर्य, बेनी प्रसाद राठौर, गोपाल राठोर, केसरीमल गिरोठिया, विद्यासागर समाधिया, भगवान दास अग्रवाल, अभिमन्यु राठौर, मुंशीलाल राठौर, गेंदालाल सूर्यवंशी, शांतिलाल जैन, अमृतलाल शर्मा, चंद्रकिशोर व्यास, श्याम सुंदर सक्सेना, देवबगस वर्मा का सम्मान किया । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप चौहान ने किया एवं आभार राजेन्द्र शर्मा पूर्व पार्षद एवं अध्यक्ष सुरेश साबू मित्र मंडल न व्यक्त किया ।

जल प्रदाय नहीं होने से पेयजल के लिए भटकने लगे नगरवासी

सीहोर 30 जनवरी (फुरसत)। विगत पांच दिनों से पार्वती पेयजल योजना से सीहोर छावनी सहित अन्य क्षैत्रों में पेयजल आपूर्ति करने में नपा परिषद असफल सिद्ध हो रही है । पेयजल प्रदाय के लिए जब भी नागरिक परिषद के पेयजल प्रदाय के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते है तो पहले तो उनहें संतोष जनक उत्तर नही दिया जाता है और दिया भी जाता है तो यह कहकर पल्ला झाड़ लेते है कि इन्टैकवेल पर रात्रि में विद्युत कटौती होने से पेयजल टंकियां नही भरा पाती है । परिणाम स्वरूप नगर में पेयजल आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है । पांच दिनों से नल नही चलने से छावनी, कस्बा, इंग्लिशपुरा, गंगा आश्रम, आदि क्षैत्रों में पेयजल संकट की स्थिति अभी से बनने लगी है । नागरिक पेयजल के लिए की खाक छानने लगे है।

स्वप्न में देवताओं ने दिये दर्शन और 20 दिन में तैयार हो गया काल भैरव मंदिर

मंदिर बनवाने वाले विद्युत मण्डल के कार्यपालन यंत्री सीहोर श्री सक्सेना के साथ घटे हैं अनेक दैवीय चमत्कार
सीहोर में बना चमत्‍कारिक भैरव तंत्र पर भैरव
मंदिर
सीहोर 30 जनवरी (विशेष संवाददाता फुरसत)। देव भूमि भारतवर्ष में देव चमत्कार तो आये दिन होते ही रहते हैं लेकिन वर्तमान विद्युत मण्डल कार्यपालन यंत्री रविन्द्र जीत सक्सेना के भाग्य इस मामले कुछ यादा ही प्रबल हैं। इन्हे अक्सर जिस क्षेत्र में यह यादा दिन रह लेते हैं वहाँ के आसपास के जाग्रत देव स्थानों के स्वप् आते हैं और फिर यदि वह देव स्थान खण्डहर की स्थिति में है या व्यवस्थित नहीं बना है अथवा वहाँ किसी को जानकारी ही नहीं है यहाँ भी कोई स्थान है तो फिर अपने स्वप् में दिखे स्थान को श्री रविन्द्र जीत ढूंढना शुरु कर देते हैं और जब स्वप्न में दिखा देव स्थान इन्हे ढूंढते-ढूंढते मिल जाता है तो फिर वह वहीं एक मंदिर बनवा देते हैं। यहाँ करोली वाली माता मंदिर गंज 7 जनवरी 2008 के पूर्व कभी रवीन्द्र जीत सक्सेना ने देखा भी नहीं था लेकिन स्वप् में आये इस मंदिर के दृश्य जब उन्होने एक कागज में उतारे तो विद्युत मण्डल में ही काम करने वाले पं। कमला प्रसाद ने चित्र देखकर बता दिया यह तो करोली वाली माता मंदिर है......।
आज मात्र 20 दिन के अंदर ही 30 जनवरी बुधवार माघ कृष्ण पक्ष अष्टमी को यहाँ काल भैरव का तंत्रोक्त विधि से भैरव यंत्र पर बना एक मंदिर पूर्ण हो चुका है जहाँ उनकी स्थापना हो गई। किसी यंत्र पर स्थापित अपनी तरह का यह एक ही मंदिर है जिसको लेकर नगर भर के धार्मिक लोगों में उत्सुकता भी जाग्रत हो गई है।
नगर के प्रसिध्द अन्नपूर्णा देवी करोली वाली माता मंदिर गंज के प्रांगण में आज काल भैरव मंदिर की विधिवत स्थापना की गई। यहाँ बड़ी संख्या में दर्शनार्थी उपस्थित थे। शहर के प्रसिध्द पंडित पृथ्वी बल्लभ जी दुबे ने काल भैरव की स्थापना के लिये यज्ञ-हवन आदि विधि विधान से कराये। यहाँ बने भैरव मंदिर को बकायदा भैरव यंत्र पर ही बनाया गया है। भैरव यंत्र के स्वरुप में ही मंदिर की सरंचना कराई जाकर फिर बीच में कालभैरव की स्थापना की गई है। काल भैरव जी महाराज के इस मंदिर की स्थापना विद्युत मण्डल के कार्यपालन यंत्री रविन्द्र जीत सक्सेना ने स्वयं कराई है। उन्हे यह प्रेरणा एक स्वप् के आधार पर हुई थी।
इस संबंध में फुरसत से बातचीत करते हुए श्री रविन्द्र जीत सक्सेना पुत्र शंभुदयाल सक्सेना ने बताया कि मुझ पर दैवीय आशीर्वाद कुछ ऐसा है कि समय-समय पर मुझे स्वप् आते रहते हैं और कई देवी-देवताओं से स्वप् में बातचीत भी मेरी होती है। उन्होने बताया कि पूर्व में जब मैं बरेली में कार्यरत था तो वहाँ मुझे पेड़ के नीचे बनी छोटी-सी मढ़िया के दर्शन स्वप्न में होते थे जहाँ साक्षात देवी नजर आती थीं और वह मुझे आशीर्वाद देती थीं। कई बार मुझे दर्शन तो हुए लेकिन वह स्थान कहाँ पर स्थित यह मुझे नहीं पता चल पाया।
फुरसत को श्री रविन्द्र जीत ने बताया कि फिर एक बार एक ग्रामीण मेरे पास आया उसका काम तो कुछ नहीं था लेकिन जबरन ही उसके गांव जाने का सौभाग्य मिला और तब जाकर स्वप् में दिखने वाला वह दैवीय स्थान मुझे सामने ही नजर आ गया। मैने वहाँ अपने स्तर पर चार खंबे खड़ेकर छोटा-सा मंदिर बनाने की शुरुआत की लेकिन देखते ही देखते ही मंदिर अच्छा खासा बन गया। वहाँ देवी दुर्गा की स्थापना की गई है।
धार्मिक स्वभाव के श्री रविन्द्र जीत से जब फुरसत ने पूछा कि आपको करोली वाली माता के मंदिर पर यह मंदिर बनाने की प्रेरणा कैसे मिली ? तो उन्होने बताया कि विगत 7 जनवरी को मुझे रात स्वप् आया जिसमें आसपास लगे दो-तीन पेड़ और तीन भवन दिखाई दिये। मैं वहाँ खड़ा था तभी तीनों तरफ से बड़े-बड़े शरीर धारी संत मेरी तरफ बहुत प्रसन्न मुद्रा में आते दिखाई दिये। मैने उन्हे देखकर सोचा की यह तो संत हैं तभी एक चौथे ने हंसकर कहा कि यह संत नहीं साक्षात काल भैरव व शिव गण हैं। मैने सामने देखा तो स्वयं भोलेनाथ थे। हम सभी ने करोली माता मंदिर के प्रांगण में आकर यहाँ दर्शन किये। गहन अंधेरा होने पर वह सब मुझ पर हंस रहे थे मैने पूछा यहाँ रोशनी नहीं है तो किसी ने एक कहा कि नहीं है तू क्या कर रहा है....? उनके ऐसा कहने पर घबराकर मेरी नींद खुल गई।
फुरसत ने पूछा कि फिर क्या हुआ तो रविन्द्र सक्सेना ने बताया कि स्वप् में दिखे मंदिर के आधार पर उन्होने इस बार कागज पर एक नक्शा जैसा बनाया और अच्छी तरह नक्शा बन जाने पर जब उन्होने सबसे पहले विद्युत मण्डल में ही कार्यरत पंडित कमला प्रसाद को दिखाकर पूछा कि क्या ऐसा-ऐसा कोई मंदिर है तो उन्होने तत्काल करोली माता मंदिर का नाम बताया। मैने पूछा कि वहाँ विद्युत आपूर्ति है या नहीं ? तो पं. कमला प्रसाद ने बताया कि दो माह से काट दी गई हैं तब मैने तत्काल आदेश देकर विधिवत विद्युत चालू कराई और यदि उसका कोई भार लगता हो तो उसे स्वयं वहन किया। दूसरे दिन 8 जनवरी को जब मैं कमला प्रसाद जी के साथ मंदिर देखने आया तो दंग रह गया। स्वप् में दिखा वहीं स्थान मेरे सामने था। मैरे तीनों से आये देवों के पास जाकर उन्हे प्रणाम किया। काल भैरव जी जिस पेड से आये थे वहाँ जाकर देखा तो मुझे कुछ आभास और आदेश हुआ था उसी के आधार पर वहाँ मिट्टी देखी तो एक छोटा-सा टीला दिखा जो भैरव जी की उपस्थिति का संकेत मुझे कर गया। और उसके बाद मंदिर निर्माण कार्य मैने शुरु किया जो इस स्वरुप में बन गया है आज उसकी स्थापना भी हो गई। यहाँ काल भैरव मंदिर की स्थापना पूर्ण विधि-विधान के साथ कराई गई।