Friday, July 11, 2008

राकेश राय का कमरा किया बर्वाद, लठेतों ने की तोड़फोड़ पहली बार किसी अध्यक्ष के कमरे पर हुआ हमला, मुख्य नपा अधिकारी का कमरा भी बर्वाद कर गये

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। एक बार फिर यहाँ कुछ तत्वों ने नगर पालिका में भारी तोड़फोड़ करते हुए संभवत: पहली बार किसी अध्यक्ष के कमरे को कबाडख़ाने में बदलकर रख दिया। इतने लट्ठ चलाये कि यदि किसी मनुष्य पर पड़ जाते तो उसकी लाश बाहर निकलती। यह लट्ठ न सिर्फ अध्यक्ष के कमरे में अंधाधुंध चले बल्कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कमरे में भी चले। यहाँ लट्ठ से मार-मारकर ताला तोड़ दिया। अंदर जो हाल हुआ वो तस्वीरों से यादा अच्छा बयान होगा। एक और अधिकारी के कमरे को भी नहीं छोडा गया। मारने के वालों के बीच आने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। अध्यक्ष राकेश राय का मोबाइल हमेशा की तरह बंद रहा तब उनके करीबी लोग जो उनसे बात कर सकते हैं उन्हे सूचनाएं दी गई। मुख्य नगर पालिका अधिकारी को सूचना देर तक नहीं हो सकी। दिनभर नगर पालिका में असमंजस की स्थिति के साथ तनाव बना रहा। वहीं नगर पालिका के हल्कों में दिनभर चर्चा का वातावरण बना रहा। वो कौन-थे कोई बोलने को तैयार नहीं था।
वो कौन थे....जिसका घर टूटा जब वो ही बोलने को तैयार नहीं है तो फिर कोई दूसरा कैसे बोल सकता है। वो कौन थे जिन्होने लट्ठ चला चलाकर नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय के कमरे का कबाड़ा कर दिया उनका नाम लेने की हिम्मत अभी किसी में नहीं है संभवत: स्वयं अध्यक्ष भी उनके नाम पता चलने के बाद पुलिस में शिकायत करने की हौंसला न दिखा पायें तो फिर ऐसे में उनके नामों का मामला छोड़ ही दिया जाना चाहिये क्योंकि नगर पालिका के अधिकारी और कर्मचारी जिनकी रक्षा के करने के लिये कोई भी व्यक्ति सही समय उपस्थित होता। अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी वो नहीं आते तो फिर वो क्यों पंगा लें।
आज दोपहर अचानक कुछेक नेता किस्म के लोग (हम क्‍यों लिखे उनके नाम, वो कौन थे...बिल्कुल नहीं लिखेंगे वो पार्षद थे या नेता या आम आदमी हमें नहीं लिखना, क्योंकि जिसे दर्द है जब वो ही कुछ कहने को तैयार नहीं, पुलिस में नाम देने को तैयार नहीं तब हम तो सिर्फ घटना ही बता सकते हैं बता रहे हैं) यहाँ नगर पालिका में आये इनके साथ कुछ आम जन भी थे जिनके हाथ में भारी भरकम लट्ठ मौजूद थे। लट्ठों के साथ इनका आगमन किसी अशुभ संकेत की और इशारा कर रहा था। इन लोगों ने सीधे अध्यक्ष नगर पालिका राकेश राय के कक्ष की और रुख किया और वहाँ प्रवेश करने के साथ ही लट्ठ घुमाना शुरु कर दिये। बाहर लगा बाजार मूल्य से चार गुना मूल्य का एल्यूमिनियम का दरवाजा तोड़-फोड़ दिया गया। कांच चकनाचूर कर दिया गया। अंदर अध्यक्ष कक्ष की कुर्सियों को तोड़ा गया, उठाकर फेंका गया, लाईट लगी थी उसे तोड दिया गया।
सबकुछ बर्वाद करने के बाद फिर मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कक्ष में जब यह लोग गये तो वहाँ ताला लगा हुआ था। यहाँ के भृत्य ने ताला खोलने से इंकार किया तो लट्ठ धुमा दिया गया। ताले पर कुछ लट्ठ पडे तो ताला टूट गया फिर अंदर घुसकर अधिकारी का कक्ष भी उलट-पुलट कर दिया गया। कुर्सियाँ फेंक दी गई। इसके बाद पास ही एक अन्य अधिकारी के कक्ष में भी तोड़फोड़ की गई।
आक्रोश व्यक्त करने वालों का आक्राश किस पर था ? किसलिये था ? वह क्या चाहते थे ? यह समझ नहीं आया। तोड-फ़ोड़ करने वालों को कुछ लोग यहाँ 'आम जनता' का नाम दे रहे थे इससे यह अंदाज लगाया जा सकता है कि चूंकि जब नगर पालिका के संबंधित कक्षों में संबंधित लोग बैठते ही नहीं है तो फिर उनके कक्षों की उपयोगिता ही क्या है इसलिये उन्हे नष्ट कर दिया गया।
कारण जो भी हो लेकिन आज जैसे ही नगर पालिका में तोड़-फोड़ हुई तत्काल अध्यक्ष और मुख्य नगर पालिका अधिकारी को सूचित करने के प्रयास हुए दोनो को सूचना नहीं दी जा सकती तब अन्य संबंधित लोगों को बताया गया। इधर तोड़ फोड़ करने वाले चले गये और उधर दो घंटे तक कोई नगर पालिका नहीं आया।
2 घंटे बाद जब मामला शांत हो गया तब नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय यहाँ पहुँचे और स्थिति का जायजा लेकर कुछ बातचीत कर चले गये। इसके बाद कुछ कर्मचारी अधिकारी कोतवाली पहुँचे जहाँ दोनो कक्षों के बाहर बैठने वाले भृत्यों से शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन अज्ञात लोगों के खिलाफ।
नगर पालिका में तोड़ फोड़ करने वालों का नाम लेने की हिम्मत किसी में नहीं है। आखिरकार नगर के प्रथम नागरिक राकेश राय की कुर्सी को तोड़ देने वालों के खिलाफ उन्ही लोगों की जुबान खुलने में संकोच कर रही है ?

गालियाँ अगर परिजन सुन लेते तो बड़ा हादसा हो जाता
सीहोर। पालिका अध्यक्ष कक्ष में तोड़फोड़ कर रहे लोगों ने ऐसी-ऐसी गालियाँ बकीं, ऐसे अपशब्द बोले की यदि आज अध्यक्ष श्री राय के परिजन यह गालियाँ सुन लेते तो संभवत: कोई बहुत हादसा घटित होने से कोई रोक नहीं सकता था। गालियाँ जिसने भी सुनी उसने कान पर हाथ रख लिये...।

इज्जत से मतलब नहीं, खुशी में झूमने लगे ठेकेदार..........
सीहोर। नगर पालिका में कै से कोई नया काम निकले दिन रात यही देखने वाले ठेकेदारों की आज खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। नगर पालिका अध्यक्ष के कक्ष की लीपा-पोती मतलब पुट्टी-पुताई-रंगाई आदि के बिल कोई हृदयघात से ग्रसित व्यक्ति देख लो उसको एक और बार हृदय घात हो सकता है, इतने भारी भरकम बिल के साथ अध्यक्ष जी का कमरा सजाया गया था जिसमें बकायदा एक एल्यूमिनियम सेक्शन का दरवाजा भी लगा था, सबका बड़ा भारी बिल था। लेकिन आज यहाँ चले अंधाधुंध लट्ठों ने सबकुछ तोड़-फोड़ दिया। कुर्सियाँ तोड़ भी दी और गिरा भी दीं। अध्यक्ष के लिये आई नई कुर्सी की असल स्थिति क्या यह कहा नहीं जा सकता। कुल मिलाकर जो नुकसान हुआ है उसको देखकर यहाँ कुछ ठेकेदारों के मुँह में पानी आ गया है। उन्हे विश्वास है कि यह नया काम यहाँ जरुर निकलेगा उसे वह लेकर फिर भारी भरकम बिल बनायेंगे। ठेकेदारों को नगर पालिका की इजत से कोई मतलब नहीं है, उनकी तो आज टूट-फूट देखकर खुशी नहीं समा रही थी।

तुम्हारे नाम से रिपोर्ट लिखाओ और नाम बताओ वरना निलंबित
सीहोर। नगर पालिका अध्यक्ष और मुख्य नगर पालिका अधिकारी के कक्षों के बाहर एक-एक कर्मचारी नियुक्त रहता है। यह भृत्य पद पर हैं, आज हुई टूट-फूट की शिकायत इन दोनो के माध्यम से नगर पालिका ने कराई। पुलिस में दर्ज शिकायत में किसी अन्य अधिकारी कर्मचारी ने अपना नाम या गवाही नहीं लिखाई। जब दोनो भृत्यों को सहयोग नहीं मिलेगा तो वह कैसे आरोपियों को पहचानने की भूल कर सकते हैं। उन्होने आरोपियों को पहचानने से इंकार कर दिया तो इन पर कार्यवाही की मांग उठाई गई। कुछ अध्यक्ष ने कहा साहब इन्हे निलंबित किया जाये ? आश्चर्य है कि भृत्य के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने वाले यह लोग आखिर क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं। इनमें ताकत है तो यह खुद सामने क्यों नहीं आते।


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छुट्टी मनाने आये भगवान जगदीश मौसी के यहाँ से पुन: मंदिर पहुँचे

आष्टा 10 जुलाई (नि.प्र.)। 4 जुलाई को नगर के प्राचीन बांस बेड़े मंदिर से भगवान जगदीश की रथयात्रा निकली थी आकर्षक सुन्दर रथ में सवार होकर भगवान जगदीश इस दिन गाजे-बाजे भक्तों के साथ अपनी मौसी के घर दादाभाई मार्ग पहुँचे थे। भक्त भगवान का रथ खेंचकर मंदिर से मौसी श्रीमति निर्मला देवी भगवान शंकर शर्मा के निवास पर पहुँचे थे।
7 दिन मौसी के यहाँ रहकर छुट्टियाँ मनाकर आज भगवान जगदीश अपनी मौसी के यहाँ से गाजे-बाजे के साथ पुन: मंदिर पहुँचे। शर्मा परिवार के सदस्य पंडित गजेन्द्र शर्मा ने फुरसत ने बताया कि हर वर्ष जगन्नाथ पुरी में इस माह को दूज को विशाल जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकलती है देश के अनेकों स्थानों पर भी भगवान की रथयात्रा निकलती है 4 वर्ष पूर्व आष्टा में भी भगवान की रथयात्रा निकाले जाने की शुरुआत हुई थी यह रथयात्रा निकाले जाने का चौथ वर्ष था। आज एक सप्ताह की छुट्टी मनाकर भगवान को मौसी के घर से गाजे-बाजे के साथ भक्त पुन: मंदिर छोड़ने पहुँचे भगवान को मस्तक पर रखकर उन्हे छोड़ने भक्त पहुँचे। सात दिनों तक मौसी के यहाँ रोजाना विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आदि हुए आज ब्राह्मण भोज एवं अतिथि भोज का कार्यक्रम मौसी के यहाँ पर सम्पन्न हुआ।


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टेंकरों से जल प्रदाय बंद

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। वर्षा होने के कारण तथा शहर के जल स्त्रोत चालू हो जाने से किराये पर लगाये गये ट्रेक्टर टैंकर नगर पालिका सीहोर द्वारा 11 जुलाई से बंद कर दिये गये हैं। आम नागरिकों से अनुरोध है कि निकाय द्वारा नलों से प्राप्त जल को उबाल कर उपयोग करें।

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जब श्याम बरसते हैं तब मन शीतल हो जाता है-ऋचा

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। श्रीमद भागवत ध्यान शास्त्र है। श्रीमद भागवत में आदि से अंत तक परम सत्य स्वरुप परमात्मा का ध्यान किया गया है सत्य पर धीमहि व्याप्त जी भागवत महापुराण का आरंभ करते हुए कहते हैं हम उस परब्रह्म का ध्यान करते हैं तो सत्य स्वरुप है जगत की उत्पत्ति स्थिति और पालन में तीनों कार्य जिससे होते हैं।
ध्यान शब्द का अर्थ व्याकरण शास्त्र के अनुसार होता है चिंतन, चिंतन ही ध्यान है। संसार का चिंतन पतन का कारण है और परमात्मा का चिंतन जीवन का उध्दार करता है। उक्त उद्गार बाल विद्वान 14 वर्षीय ऋषभ देव जी ने व्यक्त किये। सीहोर कृ षि उपज मण्डी प्रांगण में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आगे ऋषभदेव जी ने कहा मन बहुत चंचल है यह ईश्वर में स्थित नहीं होता है। ऐसी स्थिति महर्षि पंतजलि ने अपने योगदर्शन में मन को परमात्मा में लगाने के दो उपाय बतलाये हैं। अभ्यास अर्थात बार-बार मन संसार में जाता है तो जितनी बार मन संसार में लगे उतनी बार परमात्मा में मन को संसार से खींचकर लगा दो।
वैराग्य इस लोक और परलोक के भोगों को प्राप्त करने की इच्छा मत करों ये दो उपाय करने से मन को परमात्मा में लगा सकता है पर ये दोनो उपाय अत्यंत कठिन है पर यदि स्वयं परमात्मा हमारे मन में तो न ही विशेष प्रयत्न करना पड़ेगा और न ही मन भटक सकेगा पर मन में ईश्वर को लाने का श्रीमद भागवत कथा ही उत्तम साधन है। अन्य शास्त्र मन को परमात्मा में लगाने का उपाय बतलाते हैं पर भगवान को स्वयं मन में लाने का समर्थ भागवत मे ही है। भागवत वेद समस्त अभिष्ठ पदार्थों को देने वाले हैं उनका परिपक्व फल है जो शुकदेव रुपी तोते की चोंच से आहत होकर इस पृथ्वी पर गिरा है अत: महर्षि व्यास का आवाहन है कि परम रसिक भक्तों इस रस का बार-बार पान करो, मोक्ष प्राप्त होने पर भी इसे मत त्यागों। जो लोग कहते हैं कि हमने रामायण, भागवत, धर्मग्रंथ सुन लिये अब सुनने की आवश्यकता क्या है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके लिये कहा कि उन्होने धर्मग्रंथों का असली रस नहीं पाया है इसलिये तो वे ऐसा कहते हैं अरे इसे तो जो एक बार सहीं ढंग से आस्वादन कर लें वह तो इसकी प्राप्ति के लिये तड़पने लगता है।
बाल विदुषी ऋचा गोस्वामी ने भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत स्वरुप का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान घनश्याम है घन कहते हैं मेघों को बादल जब जल से भरे होते हैं तब वे श्याम हो जाते हैं। श्याम मेघ जरुर बरसते हैं और संतप्त वातावरण को शीतलता प्रदान करते हैं। श्याम सुन्दर भी मेघों के समान श्याम होकर मानों आनंद रस को बरसाने के लिये आतुर हैं।
मण्डी व्यापारी संघ सीहोर अध्यक्ष अजय खण्डेलवाल, रमेश चन्द्र साहू, श्रीमति चंदा शर्मा, गेंदालाल रैकरवार, रानू व्यास, भागीरथ जांगड़े, पप्पू यादव ने व्यास गादी का पूजन किया। आज कथा में सीहोर के प्रसिध्द कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा एवं पं. कमला प्रसाद जी विशेष रुप से उपस्थित रहें।


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अमानक उर्वरक का विक्रय प्रतिबंधित

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। जांच में उर्वरक यूरिया एन.46 प्रतिशत का नमूना अमानक पाए जाने पर उसका य-विय, भण्डारण और स्थानान्तरण प्रतिबंधित किया गया है। इस सिलसिले में उप संचालक कृषि द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं।
उप संचालक कृषि श्री एन.एस. रघु ने बताया कि खरीफ वर्ष 2008-09 में गुण नियंत्रण के तहत परीक्षण एवं जांच उपरांत प्राप्त परिणाम के आधार पर विपणन संघ डबल लॉक केन्द्र आष्टा के एन.एफ.एल. कंपनी का लाटबैच मांक 32008 उर्वरक यूरिया एन.46 प्रतिशत मात्रा 8.508 टन जिसमें एन. 43.68 प्रतिशत पाया गया जो अमानक स्तर का है। इसके क्रय-विक्रय, भण्डारण और स्थानान्तरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।


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महिलाओं के लिये पांच दिवसीय खाद्य शिविर का आयोजन

सीहोर 10 जुलाई (नि.सं.)। उद्यमिता विकास केन्द्र द्वारा महिलाओं के लिए खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण 16 से 20 जुलाई तक आयोजित किया जा रहा है।
उद्यमिता विकास केन्द्र के जिला समन्वयक श्री तल्हा उस्मानी ने बताया कि पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षार्थियों को विभिन्न प्रकार के अचार निर्माण की विधि, जेम, जेली, मुरब्बा, हल्दी, मिर्ची, धनिया, पावडर निर्माण विधि, बड़ी - पापड़ी निर्माण, चाट मसाला, टमाटर सॉस, छोला मसाला, कश्मीरी एवं जीरामन मसाला, अनारदाना चूर्ण आदि विभिन्न प्रकार के खाद्य प्रसंस्करण के निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी दी जायगी साथ ही विभिन्न शासकीय योजनाओं की जानकारी दी जाएगी।
प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए इच्छुक युवतियांमहिलाएं 14 जुलाई, 08 के पूर्व उद्यमिता विकास केन्द्र में कार्यालयीन समय में अपने आवेदन जमा करा सकती हैं। प्रशिक्षणार्थियों की संख्या अधिक होने पर साक्षात्कार लिया जाएगा।
प्रशिक्षण के संबंध में अधिक जानकारी भोपाल नाका सीहोर स्थित उद्यमिता विकास केन्द्र से प्राप्त की जा सकती है अथवा जिला समन्वयक एवं कार्यम संयोजक श्री तल्हा उस्मानी के मोबाइल नम्बर 9826052586 या दूरभाष नम्बर 403413 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।


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