Saturday, January 26, 2008

क्लिनिक में आग लगी हजारों का नुकसान

आष्टा 25 जनवरी (फुरसत)। नगर के कन्नौद मार्ग पर स्थित चिकित्सक श्रीमति मीनल विनीत सिंघी के क्लिनिक में सुबह-सुबह अचानक आसपास के लोगों ने धुंआ उठते देखा तब पड़ोसियों ने तुरंत आग बुझाने के ठोस प्रयास किये तथा आग की सूचना डाक्टर को दी।
जिस वक्त आग लगी उस वक्त सुबह का समय था। पड़ोसियों ने कडी मेहनत कर आग को बढ़ने से रोका। सूचना के बाद फायर ब्रिगेड भी घटना स्थल पर पहुँची तथा समय से पूर्व ही आग पर काबू पा लिया गया। फिर भी आग में क्लिनिक का फर्नीचर आदि जल गया। मोटे अनुमान के अनुसार आग से 20-30 हजार का नुकसान माना जा रहा है।

पुलिस हिरासत में कैसे हुई मौत

कोतवाली के अंदर एक आरोपी ने मात्र घंटे भर में फांसी लगाकर आत्महत्या की ? 2 घंटे तक चला पुलिस के खिलाफ चक्काजाम
सीहोर 25 जनवरी (फुरसत)। सुबह 10 बजे जिला चिकित्सालय में एक शव लेकर दो पुलिस वाले आये। उन्होने बताया कि यह मरा हुआ ही रेल्वे स्टेशन के पास से मिला है। समझा गया कि यह ठंड के मारे मर गया। बात फैल भी गई। पुलिस वाले कुछ भी नहीं बोल रहे थे और मौन थे। मृतक का ना तो नाम बताया जा रहा था ना ही पता। लेकिन शरीर में ठंड की अकड़ के चिन्ह कहीं भी परिलक्षित नहीं हो रहे थे। डाक्टर भी मौन थे। करीब दो घंटे बाद जब मृतक के परिजन सक्रिय हुए तो भंडा फूटा कि यह शव पुलिस कोतवाली के अंदर से लाया गया है जिसे पुलिस ने सुबह ही पकड़ा था और करीब एक घंटे बाद कोतवाली के अंदर से इसका शव मिला। शव परिच्छेदन केन्द्र तक मृतक के परिजन पहुँच गये। वह पुलिस पर आक्षेप लगाते रहे और अंतत: नियति यह रही कि 2 बजे से 4 बजे तक कोतवाली चौराहे पर पुलिस के खिलाफ चक्काजाम हुआ। मृतक के परिजनों का कहना था कि पुलिस ने मार दिया और पुलिस कह रही थी कि उसने कोतवाली के अंदर फांसी लगा ली? अंतत: विशेष जांच के आश्वासन के बाद मामला कुछ ठंडा हुआ। प्रश् उठ रहा है कि आखिर फंदे से लटकी हुई लाश का पंचनामा पुलिस ने क्यों नहीं बनवाया ? आखिर फोटो क्यों नहीं उतरवाये गये ? आखिर दो घंटे बाद कहानी क्यों पेश की गई ?
करीब साढ़े दस बजे के आसपास जिला चिकित्सालय में एक शव लाया गया था जिसे दो पुलिस वाले लेकर आये थे। बहुत शांति के साथ इस शव के संबंध में यह प्रचारित किया जा रहा था कि मृतक को पुलिस रेल्वे स्टेशन से लेकर आई है। दोनो पुलिस वाले आरक्षक थे और चिकित्सकों से बातचीत कर मामला निपटवाने में लगे थे। तभी एक पत्रकार को इसकी जानकारी मिली तो उसने अपने स्तर पर पूछताछ शुरु की। पूछताछ में उसे भी यही बताया गया कि शव रेल्वे स्टेशन से लाया गया है। बताने वालों द्वारा प्रयास किया गया यह समझा जाये कि मृत अवस्था में ही व्यक्ति मिला है। जब ऐसी जानकारी मिली तो रात पडी मौसम की सबसे अधिक ठंड के कारण तो कहीं यह व्यक्ति नहीं मर गया ऐसी चर्चा शुरु हो गई और ठंड से एक व्यक्ति की मृत्यु की जानकारी सब और फैलने लगी।
यहाँ एक चिकित्सक से जब पत्रकारों ने जानना चाहा कि शव में अकड़न बिल्कुल नहीं है फिर यह ठंड में मरा हुआ कैसे हो सकता है ? तो इस पर चिकित्सक ने आश्चर्यजनक जबाव दिया कि रात 2-3 बजे भी मरा होगा तो ठंड में उतनी अकड़ शरीर में नहीं आती। यहाँ एक चिकित्सक ने उसके शरीर के कपड़े भी जो उघड़ रहे थे उन्हे ठीक किया ताकि कोई शरीर यादा न देख सके।
इधर जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे-वैसे यह बात धीरे-धीरे फैल रही थी कि कोई व्यक्ति कोतवाली के अंदर मर गया है और उसका शव अस्पताल लाया गया है। पत्रकार यह समझ रहे थे कि एक व्यक्ति तो ठंड में मर ही चुका है यह दूसरा कोई व्यक्ति अब कोतवाली में भी मर गया है।
लेकिन समय बीतने के साथ जब करीब 12 बजे मृतक का शव परिच्छेदन केन्द्र पर ले जाया गया तो उनके परिजनों को सूचित किया गया। वहाँ परिजन भी पहँचे और बड़ी संख्या में पत्रकार व फोटो ग्राफर भी पहुँचे। यहाँ मृतक के परिजनों ने स्पष्ट कहा कि सुबह 8 बजे इसे घर से पुलिस ले गई और 10 बजे तक यह मर ही गया इतने कम समय में ऐसा क्या हुआ कि उसकी मौत हो गई ? मृतक का नाम हुकम चन्द्र रामगोपाल शाक्य बताया और उसे न्यायालय के किसी वारंट के कारण पकड़ा गया था जिसमें इसे राशि भरनी थी जो उसने नहीं भरी थी।
अब पुलिस की कहानी सामने आई- पुलिस ने कहा कि मृतक ने फांसी लगा ली। जब पूछा गया कि थाने के अंदर उसने कैसे फांसी लगा ली तो पुलिस ने इसका भी हाजिर जबाव दिया कि उसे लॉकअप में बंद कर दिया गया था, उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट था। उसने बाथरुम में जाकर कंबल से फांसी लगा ली। जब कंबल की मोटाई के संबंध में बातचीत हुई तो कहा गया कि कंबल बहुत पतली थी उसने कंबल चीरकर उसकी रस्सी बना ली और फिर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली और हमें तो उससे कोई मतलब ही नहीं था वह तो न्यायालय के कहने पर पकड़ा गया साधारण मुजरिम था उससे न तो पूछताछ करना थी और ना ही कोई अन्य जानकारी लेनी थी। हमें सिर्फ पकड़कर न्यायालय के समक्ष ले जाना था इसलिये उससे कोई मारपीट की संभावनाएं तक नहीं बनती।
लेकिन मृतक के परिजन यह कह रहे थे कि पुलिस रुपये मांग रही थी और वह भी 8 हजार रुपये में टूटक की बात कर रही थी ? मृतक के परिजनों के इस आरोप का पुलिस ने न तो खण्डन किया ना ही स्वीकारने जैसी कोई बात आई बल्कि पुलिस का कहना था कि उस पर न्यायालय ने जो जुर्माना लगाया था उसे जमा नहीं करने पर उसे पकड़ा गया था और बंद कर दिया था जहाँ उसने फांसी लगा ली। उधर शव परिच्छेदन डॉ तोमर द्वारा किया गया। और इधर करीब डेढ़ बजे तक आक्रोश फैल गया। मृतक के परिवार वालों का कहना था कि नन्हे-नन्हे उसके पाँच बच्चे हैं अब उनकी कौन देखभाल करेगा ? यहाँ कोतवाली चौराहे पर भारी भीड़ एकत्र हो गई और दो बजे तक इन्होने व्यवस्थित चक्काजाम शुरु कर दिया। जहाँ इंग्लिशपुरा मार्ग और गंज का मार्ग बंद कर दिया गया। बहुत बड़ी संख्या में पुलिस बल यहाँ उपस्थित था। बाहर से भी पुलिस बल बुलाया गया था। यहाँ मृतक का 5-6 वर्ष का नन्हा बालक पुलिस को अपशब्द बोलते हुए कह रहा था तुमने मेरे पिता को मार डाला....तुम्हे भगवान माफ नहीं करेगा.... तुम अत्याचारी हो....। यहाँ महिलाएं भी बड़ी संख्या में सड़क पर बैठ गई थी। करीब 4 बजे जाकर मामला जब थम सका जब एसडीएम श्री मिश्रा और एसडीओपी ने मिलकर यह आश्वासन दिया कि मामले की मजिस्ट्रियल जांच कराई जायेगी और दोषियों के विरुध्द कार्यवाही होगी। आंदोलन करने वालों ने मांग रखी की परिवार के एक सदस्य को सरकार नौकरी दे इस पर उन्हे समझा दिया गया। मृतक के परिजनाें को रेडक्रास से 10 हजार रुपये भी दिये गये।