Wednesday, June 25, 2008
आगे-आगे शहनाई और पीछे-पीछे चलता था आम, साफा बांधकर स्वागत करते थे आम बेचने का वाले का,
आज भी सीहोर के आम बेचने दहीयड़-दहीयड़ की आवाज लगाकर आम बेचते हैं, जबकि अब दहीयड ख़त्म हो चुका
(आनन्द गांधी)
सीहोर 24 जून । आज जब प्रदेश स्तरीय आम प्रदर्शनी सीहोर जिला मुख्यालय पर मंत्री श्री करण सिंह वर्मा के विशेष प्रयासों से लगी तो सहज ही आम की शौकीन सीहोर वासियों को पुरानी यादें ताजा हो आईं। फुरसत ने भी मौके को प्रांसगिक रुप से उपयोग करते हुए आज सीहोर के एक ऐतिहासिक घटनाक्रम प्रसिध्द दहीयड आम की बिक्री के तरीके को उठाया है। यूँ तो सीहोर में दहीयड़ का वह बोलवाला था कि किसी आम किसी क्षेत्र में न हुआ होगा, लेकिन दहीयड़ के अलावा करेला और बतेशिया, कालिया और बढ़ियाखेड़ी की आमन भी प्रसिध्द थी। सीहोर आमों को लेकर सदैव समृध्द रहा है। आज पढ़िये आमों की वह पुरानी यादें जो अब सिर्फ खासम-खास हो गई हैं।
साठ का दशक जब सीहोर में आम, ईमली और जामुन के पेड़ों की बहुतायत थी। आम और ईमली अनगिनत थे। तब आमों के अनेक बगीचे भी प्रसिध्द थे और इन बगीचों में उगने वालों आमों की किस्म भी प्रसिध्द थी। उसी जमाने में वर्तमान कलेक्ट्रेट के पीछे जो आम के पेड़ उनमें एक दहीयड़ आम का भी पेड था।
जब आम का मौसम आता था तो इस आम को नगर के प्रसिध्द फल विक्रेता जुम्मा खाँ (कूंजडा) लाकर उसकी पाल लगाते थे। नगर भर को मालूम रहता था कि आम दहीयड़ की पाल लग गई है और किस दिन पाल खुलेगी इसकी तारीख भी मालूम कर ली जाती थी। लोग उस तारीख का इंतजार करते थे जब जुम्मा खां की पाल खुले और उन्हे आम देखने, सूंघने और खाने को मिल सके।
जिस दिन पाल खुलती थी उस दिन बकायदा जुम्मा मियां गिनती के आम ठेले पर सजाते थे, फूलों से ठेला सजता था, उसके बाद आम पर बरक लगाई जाती थी, अगरबत्ती लगती थी। आम पूरा सजधज कर जब तैयार हो जाता था। तब शहर के शहनाई वादन करने वालों की बारी होती थी। शहनाई बजाने वाले प्रसिध्द दहीयड़ आम के आगे-आगे शहनाई बजाना शुरु कर देते थे। आम के आसपास भीड़ लगना शुरु हो जाती थी, फिर धीरे-धीरे जुम्मा मियां आम की सवारी ठेला गाड़ी आगे बढ़ाना शुरु करते थे, इधर चारों तरफ भीड़ जमा हो जाती थी, आगे-आगे शहनाई बजती थी और पीछे-पीछे आम चलते थे। इसी दौरान जुम्मा खां की कड़कती आवाज सबको और उत्साहित कर देती थी वह आवाज लगाते थे ''वाह रे दहीयड़ वाह, वाह रे दहीयड़ वाह''।
शहर के प्रसिध्द आम के बगीचों में एक बगीचा कासट जी का भी था और दूसरा मानक सेठ परिवार का भी था। इस संबंध में श्री नारायण कासट दहीयड़ के स्वाद की बात करते हुए आल्हादित होते हुए कहते हैं कि उसका मुकाबला मुश्किल है, दहीयड़ तो दहीयड़ ही था, वह नहीं रहा तब भी आज तक उसके नाम से लोग आम बेचकर कमा रहे हैं। श्री कासट के अनुसार दहीयड़ बहुत अच्छी खुशबूदार आम था लगता था जैसे रस क्या बल्कि किसी ने शहद भर दिया हो, पूरा आम दही की तरह भरा हुआ रहता था, जरा-रेशा नहीं था, लेकिन इस चूसने वाले आम में ईलायची की खुशबू और केशर का स्वाद आता था। यही कारण था कि इसकी प्रसिध्द बहुत अधिक थी।
हाँ तो बात चल रही थी कि आगे-आगे शहनाई और पीछे-पीछे दहीयड़ आम चलता था। फिर यह आम का ठेला सर्राफा बाजार के तिराहे चरखा लाईन पर आकर ठहर जाता था। उस जमाने में वहीं आम बिका करते थे।
यहाँ जब दहीयड़ की सवारी आकर रुकती थी तो जुम्मा खां का यहाँ पर फल बेचने वाले सारे फल विक्रेता स्वागत करते थे। बकायदा उन्हे साफा बांधकर स्वागत किया जाता था और फिर आम बिकना शुरु होते थे।
यहाँ जुम्मा खां का ठेला जब आकर रुकता तो खरीदने वालों की तो भीड़ लग जाती थी लेकिन जुम्मा खां अपने मर्जी से लोगों को आम देते थे। मसलन सिर्फ गिनती के पहचान वालों को आम दिये जाते थे, और वह उनके घर की सदस्य संख्या के हिसाब से, उन्हे या तो एक किलो, या तो दो किलो आम देते थे, इससे यादा आम नहीं दिये जाते थे। इसके बाद आवाज भी जोरदार लगती थी...जैसे 'यह चला 3 किलो वियाणी जी के यहाँ, वाह रे दहीयड़ वाह'। इस प्रकार कुल जमा 3 दिन में पूरी पाल के आम बिक जाते थे।
नगर के इस प्रसिध्द आम और फल विके्र ता ने क ई वर्षों तक इसी ढंग और परम्परा से आम बेचे फिर धीरे-धीरे यह परम्परा खत्म हो गई आज तो सीहोर में दहीयड़ का पेड़ ही नहीं बचा है। लेकिन इसके बावजूद आज भी जब कभी कोई फल विक्रेता उत्साह में आवाज लगाता है यही चिल्लाता आ गया दहीयड़....उसे क्या मालूम की दहीयड़ आम अब सीहोर में ही नहीं...आज की नई पीढ़ी दहीयड़ नाम सुनती तो है लेकिन समझ नहीं पाती कि आखिर दहीयड़ आम होता कौन-सा है।
उस जमाने दहीयड़ के अलावा दशहरा वाला बाग में उगने वाला 'बतेशिया' आम भी खासी चर्चाओ में रहता था, बतेशिया इसलिये नाम था क्योंकि यह बताशे की तरह छोटा और मीठा गट्ट था। इसी प्रकार एक अन्य आम 'कालिया' भी यही उगता था। यह भी मीठा आम था।
हां बढ़ियाखेड़ी में रफ्फू मियां का स्मरण किया जाना लाजमी है, असल में रफ्फू मियां पूर्व पार्षद के खेत में प्रसिध्द 'आमन' उगती थी, जिस पर हर आम की नजर रहती थी। 'आमन' इसे इसलिये कहते थे लगता था जैसे यह कोई आम की मादा नस्ल हो, लम्बी छरहरी पतली लेकिन ऐसी मीठी कि चूसने वाह-वाह कर उठे। इसलिये यह आमन कहलाती थी। रफ्फू मियां के खेत में ही 'रामकिला' किस्म की प्रसिध्द केरी भी उगती थी जो अचार के लिये नाम से बिकती थी। जब आम की बात चल ही रही है तो फिर 'सौंफिया आम' को कैसे भूला जा सकता है। कासट बगीचे में उगने वाले सौंफिया आम की मिठास तो थी लेकिन इसमें सौंफ जैसी खूशबू आती थी और यही उगता था 'सावनी' आम, नाम से पता चलता है कि यह आम श्रावण मास में फलता था, जब बरसात हो चुकती थी तब सावनी आता था तो इसका अचार डालने पर फिर पूरे साल नहीं बिगड़ता था।
वर्तमान में इछावर वाले सेठ रामकिशन धनराज फर्म पर संजय पालीवाल के खेत पर अवश्य करीब 30-32 प्रजाति के पेड़ मोजूद हैं, जहाँ करेला नाम का प्रसिध्द आम भी है जो सिर्फ यहीं है। यूँ तो रोहिला जी के खेत का आम चहुँ और प्रसिध्द है।
सीहोर में राय स्तरीय आम प्रदर्शनी का शुभारंभ किया मंत्री श्री वर्मा ने
कार्यक्रम की अध्यक्षता सीहोर विधायक रमेश सक्सेना ने की। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमति अनिता भण्डेरिया, भोपाल दुग्ध संघ के अध्यक्ष धरम सिंह वर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव पदेन आयुक्त श्रीमति रंजना चौधरी, ए.के. सिंह, सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण एसपी एस परिहार, कलेक्टर डीपी आहूजा सहित अन्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं किसान मौजूद थे।
85 किस्म के आम प्रदर्शित हुए
राय उद्यानिकी मिशन द्वारा आयोजित आम फल प्रदर्शनी में प्रदेश के कई जिलों में लाये गये करीब 85 किस्मों के आम प्रदर्शित किये गये। आम की इस प्रदर्शनी में प्रदेश भर के आम उत्पादक आये।
झाबुआ के प्रदीप राठौर का आम छा गया
अलीराजपुर झाबुआ के ग्राम कालीखेत निवासी प्रदीप राठौर विगत कई वर्षों से इस आम प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं। इन्होने बचपन से आम के पेड़ों के बीच जीवन जिया है। इनके यहाँ 25 से अधिक वेरायटी है। जिनमें केसर, राजापुरी, बादाम, दाड़म, करंजिया, लंगड़ा, चौसा, तोतापरी, हापुस अन्य हैं। 2006 में छिंदवाड़ा में श्री राठौर केसर आम प्रथम आया था। जबकि गत वर्ष इन्दौर वह द्वितीय नम्बर पर रहे थे। श्री राठौर ने फुरसत को बताया कि इस वर्ष 10-15 दिन देरी से यह प्रदर्शनी लगी है जिसके कारण कई किस्में तो यहाँ लाई ही नहीं जा सकी। श्री राठौर के द्वारा ही लाया गया सवा तीन किलो का बड़ा नूरजहाँ आम सर्वाधिक पसंद किया गया।
अनेक किस्म के आयें हैं आम....
हिमसागर
हिमसोना
स्वर्णरेखा
सिंदूर
विशेष आम में
आम्रपाली
नूरजहाँ
मल्लिका
इनके अलावा
दशहरी
लंगड़ा
लोरिया चोसा
चौसा
बाम्बे ग्रीन
सुन्दरजी
नीलम
तोतापरी
बंगलोरा
फजली
परी
देशी सिंदूरी
सिंदूरी
सफेदा
लखनवी
गोला हापुस
केसा
हापुस
गुलाब खास
जरदालू
दहियड़
बारहमासी
पापरी
चिमारसम
मिश्री
तेगुरिया
देशी
क्रेसी
सिन्दूरी
आम्रपाली
केशर
मालदा
अरका अनामिका
लालपरी
रानी रामन्का
बादाम
अमृत मेंगो
देशी रसीला
करेला
बादाम छोटा
बनारसी
वनराज
जायरी
राजापुरी
रूस
गधा मार
दाणम पक्का
रसदार
अचार
सिंदूरी देशी रसदार
घुंदिया देशी
रामकेला
कलमी
अचार आम
बादाम लम्बा
करजीया
बेनिसन
रत्ना
बाम्बे यलो
अवेहयात
पाईरी
सिरोली
कृष्ण भोग
सेब
काला पहाड़
रस भंडार
नवागत कलेक्टर श्री आहूजा से आष्टा को काफी उम्मीद है
आष्टा में सबसे पहले आपको पाले के बाद जो सर्वे हुआ सर्वे के बाद तहसील में आज जो सैकड़ों शिकायतें जांच का इंतजार कर रही हैं पाले के सर्वे कार्यों में आपको गहराई में जाना होगा हो सके तो आष्टा क्षेत्र में इसकी जांच भी हो तो पटवारी एवं पटवारियों के दलालों के चेहरे उजागर हो जायेंगे, जिन्होने पाले के सर्वे में छापा किया है। ऐसा नहीं है कुछ शिकायतों की आष्टा में जांच भी हुई है एवं कुछ पटवारियों पर इसकी गाज भी गिरी है। आष्टा विकास खण्ड की पंचायतों में क्या हा ेरहा है क्या चल रहा है आपकी पैनी नजरों को वहाँ तक भी पहुँचना होगा हाल ही में एक ग्राम पंचायत हकीमाबाद में ग्रामीणों की शिकायत के बाद जो उजागर हुआ है उससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंचायतों में वरिष्ठ अधिकारियों के आशीर्वाद की छांव में क्या-क्या हो रहा है। कुछ दिनों पूर्व ग्राम भामूरा के एक युवक ने पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत की थी उसकी जांच जब शुरु हुई तो कईयों के पैरों से जमीन खिसकने लगी तब समझौता एक्सप्रेस शुरु हुई और बंद कमरे में शिकायतकर्ता और प्रभावित होने वालों में समझौता हो गया, जांच दबकर रह गई। भामूरा की जांच तो होना ही चाहिये कि जो शिकायत हुई थी जांच भी हुई उसके क्या परिणाम निकले? इन दिनों क्षेत्र में सिंचाई विभाग के अन्तर्गत 4-5 बड़े डेम बन रहे हैं इन डेमों में गुणवत्ता का काफी अभाव है, इसकी शिकायत अरनिया जौहरी क्षेत्र के ग्रामीणों ने एवं युवा नेता देवेन्द्र ठाकुर ने एसडीएम आष्टा को भी की थी लेकिन एक जनप्रतिनिधि ठेकेदार के सामने ना जाने क्यों सुरक्षा कवच के रुप में बार-बार खड़े हो जाते हैं जब उक्त डेम में गड़बड़ नहीं है तो जनप्रतिनिधि महोदय क्यों सुरक्षा कवच के रुप में यह कहते नजर आते हैं कि नहीं सब कार्य ठीक-ठाक हो रहा है। इसी प्रकार आष्टा क्षेत्र की सार्वजनिक वितरण प्रणाली, शिक्षा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग महिला व बाल विकास, मंडी व अन्य विभागों की और भी अगर श्री आहूजा अपनी नजर घूमायें तो बहुत कुछ नजर आयेगा। निश्चित ही आपकी निगाह यहाँ पड़ेगी तो सुधार भी होगा और सुधार होने पर आम जन को राहत भी मिलेगी और योजनाओं को लाभ भी मिल सकेगा। कलेक्टर साहब अब बात है लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की, आपके पूर्व सीहोर में जितने भी जिलाधीश रहे (राघवेन्द्र सिंह को छोड़कर ) सभी ने जिले भर के पत्रकारों से सतत सम्पर्क बनाये रखा और उसका लाभ प्रशासन को कई मामलों में मिला। राघवेन्द्र सिंह का स्थानान्तरण भले ही एक सामान्य प्रक्रिया दर्शाई गई हो लेकिन उनका जाना उसी दिन तय हो गया था जब सीहोर में कलम को लटठ से दबाने का काला अध्याय लिखा गया था। नवागत जिलाधीश जी जिले में जो त्रैमासिक पत्रकारों की बैठकों का दौर थमा है उसे आप पुन: जीवित करेंगे ऐसी जिले की प्रेस को पूरी उम्मीद है। क्योंकि प्रशासन और प्रेम में जब तक जीवित सम्पर्क और संबंध नहीं होंगे, निश्चित ही अनेक जगह अवरुध्दता आयेगी। आष्टा क्षेत्र के सभी नागरिकों, पत्रकारों की और से नवागत कलेक्टर श्री आहूजा का स्वागत है, आष्टा को उनसे जो उम्मीदें हैं निश्चित वे जीवंत सम्पर्क स्थापित कर उम्मीदों को पूरा करेंगे।
महिला चिकित्सक ने सुविधा नहीं है कहा और प्रसव को आई महिला को भगाया
पहले भी इनकी शिकायत हुई- सिविल अस्पताल आष्टा में पदस्थ महिला चिकित्सक माधवी राय की यह कोई पहली शिकायत नहीं है इसके पहले भी एक बार एक डिलेवरी के प्रकरण में पैसे लिये थे शिकायत के बाद रुपये वापस किये थे लेकिन उस वक्त जो शिकायत डिलेवरी केस में रुपये लेने की वीएमओ आष्टा को की थी आज तक उस शिकायत में क्या कार्यवाही हुई किसी को पता नहीं है।
प्रतिक्रिया- कल रात्री में घटी उक्त घटना के बाद आज प्रात: बीएमओ रामचंद्र गुप्ता से जब प्रतिक्रिया चाही तो उन्होने स्वीकार किया कि ये रात्री में मेरे पास आये थे तथा इन्होने बताया कि माधवी राय यह कह रही है कि हमारे पास धागा सुविधा नहीं है तब मैने इन्हे बताया कि धागा ओटी में उपलब्ध है, धागा नहीं है यह कहकर प्रसूति के लिये आई महिला को अन्यंत्र भेजा गया यह तो गलत है, आपने बताया कि मैं इस पूरे मामले को देखता हूँ।
पाईप लाईन के बार-बार फूटने से अलीपुरवासी परेशान
फफक-फफक कर रो पड़े...(खबर ही तो है)
लेकिन एक महाशय तो जैसे किसी प्रेमिका का प्रेमी से वियोग हो गया हो वैसी हालत में पहुँच गये हैं....बेचारे हाय रे....हाय रे....करते-करते यही कहते हैं वो चले गये.....इन्होने एक बार नहीं कई बार उनसे बातचीत भी कर ली कि 'आपके बिना मैं कैसे रहूं, आप वापस आ जाओ' और तो और बात करते-करते यह एक बारगी फफक-फफक कर रो भी पड़े.....लोग इन्हे सांत्वना दे रहे हैं कि भैया ऐसा तो होता रहता है अब तुम नये वाले की तलाश करो.....उस तरफ ध्यान दो ।
शिवना के बेनर तले कवियों ने किया वर्षा मंगल का आयोजन
तत्पश्चात शिवना की ओर से कवि आमप्रकाश तिवारी ने मुख्य अतिथि का पुष्पहार से स्वागत किया । मां सरस्वती की वंदना ''पूजन अर्चन वंदन मां बिन कुमकुम बिन चंदन मां '' का युवा कवि जोरावर सिंह ने सस्वर पाठ कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। ओज कवि ओम प्रकाश तिवारी ने भारत मां की वंदना के कुछ मुक्तक पढ़े और साथ ही राष्ट्र भक्ति की कविता ''जिसके समीर से सांस चले जिसके अमृत से प्यास बुझे'' का सस्वर पाठ कर समां बांध दिया । कार्यक्रम का संचालन कर रहे युवा कवि पंकज सुबीर ने वर्षा के आगमन पर अपनी '' गाल गरज कर झूम कर बादल उठे हैं आ भी जाओ तुम तुम्हारी राह में मौसम बिछे हैं आ भी जाओ तुम'' का पाठ किया ।
जोरावर सिंह ने मंहगाई का कटाक्ष करते हुए अपनी रचना ''सुनो तुम आजादी के हाल सुनो तुम आजादी के हाल को'' पढ़ा जिसे खूब सराहा गया । शायर धर्मराज देशराज ने गजल ''दुनिया से यूं भी इश्क का रिश्ता निभाइये'' पढ़ी । गीतकार रमेश हठीला ने वर्षा की अगवानी में गीत ''कारो मेघा धीरे बरसो रे '' और गजल ''पहली बरसात का मजा लीजिये हुजूर भीग कर'' पढ़ कर वर्षा का सजीव चित्रण कर दिया ।
सुकवि हरीओम शर्मा दाऊ ने मुक्तक और क्षणिकाएं ''दिल से नहीं दिल पे नहीं दिल नहीं बोलता'' पढ़े । मुख्य अतिथि असगर ताज ने कई गजलों का पाठ किया न%म ''जब दूर से देखा तेरा आंचल उड़ता हुआ'' को काफी सराहा गया ।
वरिष्ठ साहित्यकार नारायण कासट नदीम ने कई मुक्तक पढ़े श्रोताओं के अनुरोध पर उन्होंने अपनी गजल ''दीप कोई जब जलाया जाएगा गीत मेरा गुनगुनाया जाएगा यूं सहज ही हार मानूंगा नहीं मौत से पंजा लड़ाया जाएगा'' का सस्वर पाठ किया । अंत में आभार हरीओम शर्मा दाऊ ने व्यक्त किया ।
रोगी कल्याण समिति ने लिये कुछ निर्णय
यह सभी निर्णय आज रविवार 22 जून को आयोजित जिला रोगी कल्याण समिति की साधारण सभा की बैठक में लिए गए। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा सीहोर जिला प्रभारी मंत्री रूस्तम सिंह ने की। बैठक में विधायक रमेश सक्सेना, प्रभारी कलेक्टर अरूण कुमार तोमर, पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सांसद प्रतिनिधि पुरूषोत्तम कुइया, समिति सदस्य प्रकाश व्यास, राजकुमार गुप्ता, राजेश राठौर, डॉ. कैलाश अग्रवाल, सीएमएचओ डॉ. ए. आर. मरावी, सिविल सर्जन डॉ. टी.एन. चतुर्वेदी, नगर पालिका सीएमओ धीरेन्द्र श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।
जिन्दगी बचाना महत्वपूर्ण
जिला चिकित्सा के ऑपरेशन थियेटर के लिए ऑर्थोपेडिक में ओ.टी. टेबिल, मशीन और पल्स मॉनीटर जैसे जरूरी उपकरण खरीदने के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रभारी मंत्री ने कहा कि एल.यू.एन. को सात दिवस में उपकरण प्रदाय करने के लिए कहा जाय और यदि उपकरण प्राप्त नहीं होते है तो एल.यू.एन. से कम रेट पर उपकरण य कर लिए जाये। उन्हाेंने कहा कि व्यक्ति की जान बचाना सबसे महत्वपूर्ण हैं।
दो एम्बूलेंस खरीदी जायेगी
बैठक में बताया गया कि विधायक रमेश सक्सेना ने विधायक निधि से जिला चिकित्सालय को दो एम्बूलेन्स य किए जाने की स्वीकृति दी है। इस आशय का पत्र जिला योजना कार्यालय से प्राप्त हो गया है। समिति द्वारा इस स्वीकृति एवं सहमति पर प्रसन्नता जाहिर की।
और चिकित्सा कैम्प शुरू हुआ
बैठक में बताया गया कि सीहोर गंज घनी आबादी वाला क्षेत्र है जहां गरीब जनता अधिक संख्या में निवास करती है। क्षेत्रवासियों द्वारा इस क्षेत्र में स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की मांग लगातार उठाई जाती रही है। इस बात के मद्देनजर समिति में यह निर्णय लिया गया कि गंज क्षेत्र में एक निरंतर चिकित्सा कैम्प की व्यवस्था कर दी जाय। इस निर्णय पर आज अमल भी कर लिया गया। नन्नूलाल राठौर ने अपनी पत्नी स्व.श्रीमती नारायणी बाई की स्मृति में कैम्प के लिए भवन उपलब्ध कराया गया जिसमें कैम्प की शुरूआत कर दी गई। प्रभारी मंत्री रूस्तम सिंह और विधायक रमेश सक्सेना द्वारा कैम्प का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर अतुल राठौर, अर्जुन राठौर, भोजू यादव, कमलेश राठौर सीएमएचओ डॉ. ए. आर. मरावी, सिविल सर्जन डॉ. टी.एन.चतुर्वेदी, डॉ. भरत आर्य आदि मौजूद थे।
मण्डी बीच चौराहे पर माता मंदिर से चोरी हुई, भैरो जी की आंख ले गये
यहाँ सुबह से ही भक्तों में आक्रोश व्याप्त हो गया। जब भैरो जी का घंटा चोरी नजर आया। नाराज इस बात की थी कि चोर ने भैरो की प्रतिमा पर से आंख भी खरोच कर निकालकर चुरा ली।
जब यहाँ इस संबंध में मण्डी थाना पुलिस को सूचित किया गया तो पुलिस घटना स्थल पर पहुँचने को तैयार नजर नहीं आई बल्कि अभी तक रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई है। सिर्फ आवेदन पर काम किया जा रहा है। मुख्य चौराहे पर खुले आम चोरी हो जाने से जहाँ रात्रि गश्त और मण्डी पुलिस की चौकसी की पोल खुल गई वहीं चोरी बाद पुलिस के रवैये से भक्तजन नाराज हैं।
आटो पार्टस का नकली माल बेचने वाले व्यापारियों के यहाँ माइको कं. का छापा
आष्टा 24 जून (नि.सं.)। देश की नामी आटो पार्टस बनाने वाली कम्पनी माइको के अधिकारियों को लगातार शिकायत मिल रही थी कि आष्टा में कई आटो पार्टस की दुकानों पर माइको कम्पनी के नकली सामान धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
प्राप्त शिकायतों के बाद आज माइको कम्पनी के ए.पी. पाण्डे एवं संजय घोष सहित कई अधिकारी आष्टा पहुँचे। इन्होने पुलिस को साथ लेकर लगभग 10 दुकानों पर धावा बोला। 10 में से लगभग 8 आटो पार्टस बेचने वाले वाली दुकानों पर माइको कम्पनी के कई पार्टस नकली पुलिस ने जप्त किये हैं। बाद में माइको कम्पनी के अधिकारियों की शिकायत पर आष्टा पुलिस ने 8 व्यापारी फर्म के खिलाफ कापी राईट एक्ट के अन्तर्गत प्रकरण दर्ज किये। टीआई श्री खान ने फुरसत को बताया कि माइको कम्पनी के आये अधिकारियों की शिकायत पर पुलिस ने शुभम आटो पार्टस, अदनान आटो पार्टस, फाईन आटो पार्टस, एनएन आटो पार्टस, सेंधव आटो पार्टस, किसान आटो पार्टस, बिसमिल्ला आटो पार्टस, मिलन आटो पार्टस के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर बिकने वाले नकली आटो पार्टस जप्त किये। स्मरण रहे देश की इस नामी कम्पनी के डीजल फिल्टर, प्लग, बाल्व, चैन बेल्ट आदि सामान नाम से बिकते हैं।