आष्टा 1 जनवरी (नि.सं.)। आज से 10-12 साल पहले मै देवास में मजदूरी करता था लेकिन आज उस व्यक्ति के आशीर्वाद से मै आज आष्टा में आपके सामने मदभागवत कथा सुना रहा हूं खजाना भरकर लाया हूं मै आष्टा में खजाना लुटाउंगा जो भी पंडाल में बैठा है उसकी जिंदगी संवर जाएगी, देवास में टेकरी मंदिर के नीचे एक कुष्ठ रोगी भीख मांगने के लिए बैठा रहते थे,मै मजदूरी के पैसों से उनक ो दूध पिलाने जाया करता था सब लोग मुंह पर कपड़ा रखकर निकलते थे, उनके पैर में दर्द होने पर मै अपनी टाबिल से बांधता था, पैर दबाता था,उससे उन्हें बहुत आंनद मिलता था,6 दिन सेवा की,सातवें दिन जब मै जाने लगा तो उन्होंने एक ऐसी आवाज लगाई,मैने मुड़कर देखा उन्होंने मुझे बुलाया, अपना हाथ खुद के सिर पर रखकर रो पडे पलटकर देखा तो उनकी आखों में इतना तेज था कि मै देख नही सका, वह सातवां दिन ही हे कि में आष्टा की धरती पर आज आपके सामने बैठा हॅ इसके बाद से मै खोज रहा हूं वह मुझे दुबारा नही मिले है।
उक्त उद्गार युवा संन्त सदगुरू श्री गाविन्द जाने ने श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। सर्व प्रथम संतश्री ने विधिवत पूजा अर्चना कर गोविन्द जी का आव्हान कर आसन ग्रहण किया।
नगर आगमन पर संतश्री की भव्य शोभायात्रा नगर के विभिन्न मार्गो से होती हुई कथा स्थल पर पहुंची, जहां पर वरिष्ठ समाजसेवी अनोखीलाल खंडेलवाल संरक्षक, विधायक रंजीत सिंह गुणवान, जिला भाजपा जिलाध्यक्ष ललित नागौरी, देवी सिंह परमार, मुकेश बड़जात्या, नरेंद्र गंगवाल तथा प्रकाश पोरवाल पत्रकार, तुलझाराम भोजवानी, राधेश्याम दलपति, कृपाल सिंह पटाड़ा, कैलाश दादू, समाज सेवी रामनारायण शर्मा प्राचार्य शास्त्री स्कूल, समिति अध्यक्ष गजेन्द्र टेलर, उपाध्यक्ष महेंद तलवारा,गोपी सेठी मनोज नागर, पर्वत लाल प्रहलाथिया, राजीव पंवार, बबली खंडेलवाल, संजीव दीक्षित, तथा समिति के सभी सदस्यों आदि ने भावभीनी स्वागत किया।
इस बार की व्यवस्थाएं पिछले वर्ष से भव्य रूप से आवश्यकता को देखते हुए की गई,न.पा.द्वारा सफाई पानी की पुलिस प्रशासन द्वारा हनुमंतसिंह राजपूत टीआई के मार्गदर्शन में भक्तों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
श्रीमद भागवत कथा भक्तो को भक्ति की गंगा में गोते लगवाने में संतश्री तथा उनकी भजन मण्डली गोविन्द जाने ने भक्तो से आव्हान किया कि आष्टा की पावन धरती पर इतने सारे श्रद्धालुओं को देखकर मै सबको साधुवाद देता हॅू आज नववर्ष की शुरूआत बहुत अच्छी हो रही है मध्य और अंत भी बहुत अच्छा होगा, व्यक्ति में दो तरह का आनंद लेने की प्रवृत्ति होनी है, एक विषयानंद दूसरा ब्रह्मानंद एक मौत का द्वार है तो दूसरा मोक्ष का द्वार, आत्म हत्या वही करता है,जिसे कोई रास्ता नही दिखता ब्रम्हानंद में इसका रास्ता मौजुद है,हम करोडो बार मर चुके है और मां की कोख से पैदा हो चुके है लेकिन विषयानंद में आज तक फंसे हुए है आत्मा को तीन प्रकार के कष्ट होते है,कर्ज का शरीर का और मानसिंक कष्ट, हिमालय में तप करते समय यदि साधक के पास शेर आ जाए या सांप उसके शरीर पर चढ़ जाए तो उसे कोई फर्क नही पड़ता क्योकि वह ब्रह्मानंद में है,हरिजन बन तो ऐसा बन, कि हरि सुमिरन की हद कर दे भजन कर तो ऐसा कर कि यमराज का खाता भी रद्ध कर दे, भजन करने वाले नौ द्वार की नगरीय में एक द्वार भी है जहां पर मौत नही पहुंच पाती,महापुरूषो की नींव कुईयों के आशीर्वाद से बनी है,इसीलिए आज हम उनका नाम लेते है, आशीर्वाद मांगों, जिससे आप बहुत अमीर हो जाएंगे।
आप एक मां का घर में तिरस्कार करते है, दूसरी मां को चुनरी ओढ़ाने मंदिर जाते है तो मां आपको क्या आशीर्वाद देगी। श्रीमद भागवत कथा आज प्रथम दिन था जो की आगामी 7 जनवरी तक दोपहर 12 से 4 बजे तक निर्विध्न जारी रहेगी, श्री गोविन्द जाने समिति के पदाधिकारियों ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे सहपरिवार कथा पंडाल में पधारकर भक्ति रस आ आनंद लेकर जीवन सफल बनाएं।