युवक ने गुस्से में समोसे-दूध सब सड़क पर फेंक दुकान में ताला डाला
सीहोर 28 फरवरी (फुरसत रोचक खबर)। आज अचानक जिला खाद्य अधिकारी की नींद खुली तो वह कच्चा चारा ढूंढने के लिये नगर में घूमने पहुँचा। सबसे पहले उन्हे नजर आया नगर के प्रतिष्ठित मनकामेश्वर महादेव मंदिर बावडी क़े पुजारी जी के पुत्र द्वारा बेरोजगारी से तंग हाल होकर तीन दिन पहले खोली गई एक छोटी-सी होटल। बस यहाँ खाद्य विभाग ने मामला नया-नया समझकर कुछ रौबदारी जमा दी। हालांकि इसके अलावा नाम धरने के लिये एक-दो आटो और अन्य दुकानों पर विभाग पहुँचा लेकिन जहाँ पहुँचना था, जिन बड़े-बड़े होटलों में एक साथ 4-5 व इससे अधिक टंकियाँ चल रही हैं वहाँ यह नहीं पहुँचा।
बेरोगजारी की मार झेल रहे एक युवक निखिल शुक्ला ने तीन दिन पहले ही अपनी एक छोटी-सी दुकान बावड़ी वाले महादेव मंदिर की दुकानों में खोली थी। अभी वह समझ भी नहीं पाया है कि होटल व्यवसाय में कैसे क्या होता है। इसके पूर्व ही आज अचानक खाद्य विभाग आ टपका। खाद्य विभाग की अधिकारी ने इस नरम चारे को अपना शिकार बनाया और उसके यहाँ चल रहे दो भरे गैस सिलेण्डर जप्त कर लिये। इस कार्यवाही के विरोध में यहाँ लोगों का हुजूम लग गया। सामने ही बैंक के अधिकारियों कर्मचारियों ने आकर खाद्य विभाग को समझाया कि यह इसका पहला कसूर है इसे आप समझा दो, बमुश्किल हेरान परेशान इस बेरोजगार ने किसी तरह रोजगार शुरु किया है अभी इसे परेशान नहीं किया जाना चाहिये। लेकिन खाद्य विभाग माना ही नहीं।
जब खाद्य विभाग नहीं माना, तो आक्रोशित दुकानदार ने उसकी दुकान का सारा इस सरकार और व्यवस्था पर नाराज होते हुए फेंकना शुरु कर दिया। उसने दूध सबके सामने सड़क पर लाकर ढोल दिया, फिर समोसे सड़क फेंक दिये। उसका आक्रोश देखकर लोग स्तब्ध थे, और व्यवस्था को कोस रहे थे। हालांकि इसकी दुकान पर व्यवसायिक टंकी भी मौजूद थी लेकिन उसका भी खाद्य विभाग ने ध्यान नहीं रखा। आज इस बेरोजगार ने व्यवस्था से कुपित होकर अपनी दुकान ही बंद कर दी। उसका आशय यूं तो हमेशा के लिये दुकान बंद कर देने का ही है लेकिन लोग उसे समझाने का प्रयास भी करते देखे गये। इस प्रकार नींद के खुमार से जागे खाद्य विभाग ने जो कुछ किया उससे यह चर्चा फैली रही कि आखिर उन स्थानों या उन दुकानों पर खाद्य विभाग क्यों नहीं जा रहा जहाँ खुले आम गैस की टंकियाँ चलाई जा रही हैं। आखिर क्या कारण है कि बडे पुराने होटलों पर यह नहीं जाते। हालांकि आज बस स्टेण्ड की एक दुकान पर खाद्य विभाग ने टंकी पकड़ी लेकिन कुछ अन्य दुकानें जानबूझकर छोड़ दी गईं। नाम धरने को एक आटो पकड़ लिया। यहाँ भी सबका कहना था कि भईया यदि कार्यवाही करनी ही तो फिर ईमानदारी से तो करो, यह क्या तरीका है। sehore fursat
बेरोगजारी की मार झेल रहे एक युवक निखिल शुक्ला ने तीन दिन पहले ही अपनी एक छोटी-सी दुकान बावड़ी वाले महादेव मंदिर की दुकानों में खोली थी। अभी वह समझ भी नहीं पाया है कि होटल व्यवसाय में कैसे क्या होता है। इसके पूर्व ही आज अचानक खाद्य विभाग आ टपका। खाद्य विभाग की अधिकारी ने इस नरम चारे को अपना शिकार बनाया और उसके यहाँ चल रहे दो भरे गैस सिलेण्डर जप्त कर लिये। इस कार्यवाही के विरोध में यहाँ लोगों का हुजूम लग गया। सामने ही बैंक के अधिकारियों कर्मचारियों ने आकर खाद्य विभाग को समझाया कि यह इसका पहला कसूर है इसे आप समझा दो, बमुश्किल हेरान परेशान इस बेरोजगार ने किसी तरह रोजगार शुरु किया है अभी इसे परेशान नहीं किया जाना चाहिये। लेकिन खाद्य विभाग माना ही नहीं।
जब खाद्य विभाग नहीं माना, तो आक्रोशित दुकानदार ने उसकी दुकान का सारा इस सरकार और व्यवस्था पर नाराज होते हुए फेंकना शुरु कर दिया। उसने दूध सबके सामने सड़क पर लाकर ढोल दिया, फिर समोसे सड़क फेंक दिये। उसका आक्रोश देखकर लोग स्तब्ध थे, और व्यवस्था को कोस रहे थे। हालांकि इसकी दुकान पर व्यवसायिक टंकी भी मौजूद थी लेकिन उसका भी खाद्य विभाग ने ध्यान नहीं रखा। आज इस बेरोजगार ने व्यवस्था से कुपित होकर अपनी दुकान ही बंद कर दी। उसका आशय यूं तो हमेशा के लिये दुकान बंद कर देने का ही है लेकिन लोग उसे समझाने का प्रयास भी करते देखे गये। इस प्रकार नींद के खुमार से जागे खाद्य विभाग ने जो कुछ किया उससे यह चर्चा फैली रही कि आखिर उन स्थानों या उन दुकानों पर खाद्य विभाग क्यों नहीं जा रहा जहाँ खुले आम गैस की टंकियाँ चलाई जा रही हैं। आखिर क्या कारण है कि बडे पुराने होटलों पर यह नहीं जाते। हालांकि आज बस स्टेण्ड की एक दुकान पर खाद्य विभाग ने टंकी पकड़ी लेकिन कुछ अन्य दुकानें जानबूझकर छोड़ दी गईं। नाम धरने को एक आटो पकड़ लिया। यहाँ भी सबका कहना था कि भईया यदि कार्यवाही करनी ही तो फिर ईमानदारी से तो करो, यह क्या तरीका है। sehore fursat