Tuesday, October 14, 2008

कर एवं शुल्क का समय पर भुगतान कर नागरिक सहयोग करें-नगर पालिका

सीहोर 13 अक्टूबर (नि.सं.) । नगर पालिका परिषद द्वारा सीहोर से प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पालिका परिषद सीहोर 1 अप्रैल 2008 से 8 अगस्त 2008 के मध्य नागरिक सुविधाओं पर 4803159 रुपये तथा नगर पालिका कर्मचारियों का वेतन के रूप में लगभग 1.50 करोड रुपये व्यय किया है। जबकि नगर से विभिन्न मदों से कुल वसूली 29.00 लाख रुपये हुई है। वर्तमान परिस्थिति में नगर पालिका करो की वसूली में कमी के कारण दायित्वों के निर्वाचन करने में आर्थिक समस्याओं का सामना कर रही है।

      नगर पालिा को पेयजल पर प्रतिमाह 5 लाख रुपये, सड़क बत्ती पर प्रतिमाह 4 लाख तथा स्वच्छता साफ-सफाई कार्य पर लगभग 4 लाख रुपये का व्यय होता है और इस व्यय के विरूद्ध वसूली में कमी के कारण योजना के संचालन करने में व्यतक्रम का सामना करना पड़ता है।

      नगर पालिका को भुगतान होने वाले करों की वर्तमान वसूली लगभग 4.21 कर रुपये शेष है और आर्थिक समस्या वसूली कम होने के कारण नगर पालिका पेयजल योजना क्रियान्वयन करने के लिये आर्थिक समस्या का सामना करना पड़   रहा है।  नगर पालिका के द्वारा जनअपेक्षा अनुसार मूलभूत कार्यो के लिये उचित गुणवत्ता का कार्य एवं कार्यवाही करने का प्रयास किया जा रहा है किन्तु वर्तमान परिवेश में बिना आर्थिक व्यवस्था के कोई वस्तु उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण नागरिक सुविधा के कियान्वयन में नागरिक अपेक्षा उनकी अपेक्षा अनुसार नहीं हो   पाती है।

      नागरिकों से यह अपेक्षा और अपील है कि नगर पालिका के द्वारा किये जा रहे कार्य से साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था एवं अगि्शमन यंत्र व्यवस्था के लिये देय समेकित कर 150 रुपये वार्षिक राशि का प्रत्येक स्वामी एवं परिवार का मुखिया भुगतान करे नगर पालिका को सहयोग प्रदान करें। इसी प्रकार भवन भूमि पर देय सम्पत्तिकर शिक्षा उपकर एवं जलकर का भी भुगतान करने का कष्ट करें।

      नागरिकों के सहयोग के लिये नगर पालिका कर्मचारियों को चालू एवं बकाया करों की कुल राशि 4.21 करोड रुपये से प्रत्येक माह 50 लाख रऊपये वसूली का लक्ष्य राजस्व शाखा को दिया गया है।

      मुख्य नगर पालिका अधिकारी डी.एस. परिहार ने कहा कि नगर पालिका द्वारा कराये जा रहे कार्य गुणवत्ता के हो या सामग्री विश्लेषण अनुसार उपयोग हो स्थल पर रहने वाले नागरिक इस विषय पर सहयोग करने का कष्ट करें।

जात बाहर बंदर-बंदरियाँ बने परेशानी का सबब

सीहोर 13 अक्टूबर (घुमक्कड़)। जात से बाहर निकाले गये एक लाल मुंह की बंदरिया से जहाँ सीहोर का पूरा बस स्टेण्ड क्षेत्र लम्बे समय से परेशान है वहीं एक विशाल काला बंदर छावनी में परेशानी का कारण बना हुआ है। बंदरों ने एक तरह से आतंक मचा रखा है यह जहाँ दिखते हैं लोग भागने लगते हैं। बंदरियों ने कई बच्चों को घायल कर दिया है और काले बंदर ने आज बुजुर्ग महिला की पीठ में काटकर बड़ा घाव कर दिया है जिन्हे रेबीज महंगे टीके लगेंगे। वन विभाग ने आज तक इस तरफ सुध नहीं ली है। जबकि जात बंदर और बंदरियाँ यहाँ आतंक का पर्याय बनते जा रहे हैं।

      आज सुबह अपने ओटले पर बैठकर दातून कर रही हैं श्रीमति शारदा देवी शास्त्री मोदी स्कूल के सामने जयविलास ट्रेडर्स संचालक की माताजी के पीछे आकर एक बंदर बैठ गया। जब इसे भगाने के लिये प्रयास किया गया तो यह भागा ही नहीं बल्कि इसने आक्रामक मुद्रा बना ली। यह पहले तो स्थिर रहा और जब माताजी अपना दातून करने लगी तो अचानक इसने उन हमला बोल दिया। पीछे से पीठ पर बुरी तरह इसने काट खाया बमुश्किल इससे छुड़ाया जा सका। भीड़ एकत्र हुई तो बंदर भाग गया। श्रीमति शास्त्री की पीठ में बड़ा घाव हो गया जिस पर टांके आये हैं तथा चिकित्सक ने उन्हे रैबीज के 5 इंजेक्शन लगवाने की सलाह दी है।

      यहाँ छावनी में पिछले कुछ दिनों से दिख रहे इस बड़े काले बंदर ने आतंक मचा रखा है, किसी के भी मकान की छत पर पहुँचकर सामान फेंकना, उलटना, फैला देना इसकी आदत बन गई है और आज तक इसने हद ही कर दी जब जबरन आकर हमला कर दिया।

      उधर बस स्टेण्ड क्षेत्र में एक लाल मुँह की बंदरिया लम्बे समय से परेशानी का कारण बनी हुई है। यह बंदरिया विशेषकर बच्चों को देखकर उनके पास पहुँच जाती है। यदि किसी की गोदी में बच्चा भी हो तो उसे वह खींचने लगती है, जबरन बच्चे के पास पहुँचकर उसे खेंचना, अपने हिसाब से प्यार करने का प्रयास करना, उसे मारने लगना, बच्चे को फेंक देना इस बंदरियां की आदत बन गई है। बस स्टेण्ड क्षेत्र के कई बच्चे के इसके प्यार के शिकार हो चुके हैं। पूरे क्षेत्र में इसका आतंक सा छाया हुआ है।

      लम्बे समय से इसकी जानकारी वन विभाग को भी कई बार दी जा चुकी है लेकिन स्थानीय वन विभाग इन बंदर-बंदरियाँ के आतंक से आम जन को सुरक्षित करने के प्रयास नहीं कर रहा है। कई लोगों के घायल हो जाने के बावजूद अभी तक वन विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया है।

      नगर पालिका विभाग हो, पुलिस विभाग हो या फिर खुद जिला प्रशासन संभवत: किसी को भी इस समस्या से कोई लेन-देन नहीं है।

कमल छाप कांग्रेसियों को पहचानना होगा..?

      आष्टा 13 अक्टूबर (सुशील)। इस बार विधानसभा के होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस कुछ अधिक ही चिंता पाले हुए है लेकिन उसकी चिंता का कोई अंत नजर नहीं आ रहा है कांग्रेस को चिंता है की इस बार पिछली चार बार से विधानसभा के चुनाव से हार का जो सिलसिला चला आ रहा है उसे कैसे तोड़ा जाये ? जब कांग्रेस इसको लेकर बैठकर चिंतन करती है तो उसके सामने कांग्रेस के वे सैकड़ो चेहरे सामने आ जाते हैं जो दिन में कट्टर कांग्रेसी का चोला ओढ़े रहते हैं और रात होते ही वे भाजपाई हो जाते हैं ऐसे कमल छाप कांग्रेसियों के कारण ही कांग्रेस की आष्टा विधानसभा क्षेत्र के होने वाले विधानसभा चुनाव में लगभग 17-18 साल से पराजय का मुँह देखते आ रहे हैं। जब तक कांग्रेस ऐसे कमल छाप कांग्रेसियों के चेहरों को बेनकाव नहीं करेगी तब तक कांग्रेस को ऐसी ही पराजयों का सामना करना पड़ सकता है। 2003 में विधानसभा के सम्पन्न हुए चुनाव में कांग्रेस जमीन पर आ गई चुनाव में हार के बाद कांग्रेस साढ़े चार साल में खड़ी नहीं हो पाई। अभी भी जब कांग्रेस ने नये चेहरों को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और उन्होने जिले में कांग्रेस को खड़ा करने का प्रयास किया तो उन्हे जिले में कांग्रेस की गुटबाजी ने परेशान कर दिया। जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार ने चर्चा के दौरान कहा था कि उन्हे जिस उम्मीद से जिले की कमान सौंपी है सभी को साथ लेकर वे अबकी बार कांग्रेस को अच्छे परिणाम देंगे लेकिन परमार की अच्छी सोच पर कई कांग्रेसियों का अहं आड़े आ गया और एक बार फिर जिले में कांग्रेस का वही पुराना ढर्रा शुरु हो गया जैसा पहले चला करता था। कांग्रेस जो खुद ऊपर गुटों में बंटी है वो नीचे वालों को कैसे राय दे कि भैया सुधर जाओ। कांग्रेस में हो तो कांग्रेस की दिन में भी और रात में भी बात करो, लेकिन जो खुद गुड़ खता है और दूसरों को गुड़ खाने का मना करे यह कैसे संभव है।

      आष्टा में भाजपा के एक दावेदार का कांग्रेस समर्थक कई सरपंच जीत का भरोसा देकर कह रहे हैं कि आप चुनाव लड़ो...? जब कांग्रेस की मानसिकता के लोग ऐसा करेंगे तो कांग्रेस कहाँ से जीतेगी ? वहीं ऐसे नेताओं के चेहरों को भी अब कांग्रेस को पहचानना होगा जो कुर्सी बचाने के लिये कांग्रेस धर्म का पालन करने में मौन साधे हुए हैं ऐसे चेहरों को भी कांग्रेस के निष्ठावान नेताओं को उजागर करना होगा जो दिन रात भाजपा का चोला ओढ़े रहते हैं तथा ऐसे दल बदलु कांग्रेस के चेहरों को पहचानना होगा जो सत्ता बदलते ही अपना राजनीतिक धर्म भी बदल लेते हैं। वैसे कांग्रेस में कांग्रेस के लिये सब काम कठिन है लेकिन असंभव नहीं है केवल दृंढ निश्चय करना पड़ेगा। इस चुनाव में जिले में कांग्रेस जो विजय का सपना देख रही है वो लगता नहीं है कि सपना पूरा होगा क्योंकि पूरे जिले में कांग्रेस टुकड़ो-टुकड़ों में बंटी है। हर नेता का समर्थक कांग्रेस जिंदाबाद का नारा बाद में लगाता है पहले वो अपने नेता का जिंदाबाद का नारा बुलंद करता है जहाँ पार्टी की बाद में नेता की पहले जय जयकार होती हो वहाँ पार्टी के क्या हाल होंगे यह सीहोर जिले में देखा जा सकता है।

कुपोषण एवं जमीन आवंटन के विरोध में कांग्रेस ने दिया ज्ञापनसैकड़ों

सीहोर 13 अक्टूबर (नि.सं.)। प्रदेश के साथ-साथ संपूर्ण जिले में कुपोषण के शिकार हजारों बच्चों के असुरक्षित भविष्य उनके उपचार और पोषण आहार में लापरवाही कर भारी भ्रष्टाचार एवं सार्वजनिक उपयोग की बेशकीमती जमीन को भाजपा के समर्थक अंगो के नाम नियम विपरीत आवंटन के विरोध में आज 13 अक्टूबर को जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कैलाश परमार के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेसजनों ने प्रदेश के महामहिम राज्यपाल के नाम प्रेषित ज्ञापन अतिरिक्त कलेक्टर सीहोर को सौंपा।

      आज उक्त ज्ञापन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित कांग्रेस जनों को संबोधित करते हुये जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कैलाश परमार ने कहा कि प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ीसहोर जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश के छोटे-छोटी नौनिहालों के पालन पोषण में भारी भ्रष्टाचार कर उनको कुपोषित कर रही है सीहोर जिले में पूर्व में 6000 कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या दर्ज थी जिस पर महिला बाल विकास विभाग द्वारा 12 चरणों में संजीवनी अभियान चलाकर करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार किया और कुपोषण का कलंक नहीं मिटा पाये। कुपोषण से कई बच्चों की असमय ही मौत के मुंह में चले गये।

      वर्तमान में भी सीहोर जिले में 1000 के लगभग बच्चे कुपोषण के शिकार है। श्री परमार ने कहा कि कुपोषण किसी बीमारी का नाम नहीं है यह बच्चे भुखमरी के शिकार है इन्हें समय पर सरकार द्वारा विशेष पोषण आहार और उपचार नहीं दिया जाता है। जिससे बच्चे कुपोषित हो जाते है और असमय ही कालकल्वित हो जाते है। जब हमारी कांग्रेस सरकार म.प्र. में सत्तारूढ़ थी तब प्रदेश के मुखिया दिग्विजय सिंह ने विशेष अभियानों के तहत विशेष पोषण आहार एवं उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की थी जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आये थे। श्री परमार ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार के सारे शिखर तोड़ते हुये बच्चों तक भ्रष्टाचार से अछुता नहीं छोड़ा है। श्री परमार ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार ने नियम विरूद्ध सार्वजनिक उपयोग की जमीनों को अपने सहयोगी संगठन को कोड़ियों के दाम पर आवंटित कर दी है। इन सभी घटनाओं की जांच की मांग करते हुये म.प्र. के महामहिम राज्यपाल से निवेदन किया कि जांच कराकर दोषियों को दण्डित करने की कार्यवाही सुनिश्चित करें।

      इस अवसर पर कैलाश परमार, कमलेश कटारे, सुरेश साबू, राजाराम कसोटिया, मिर्जा बशीर बेग, अशोक श्रीवास्तव, मुंशीलाल राठौर, महेन्द्र सिंह अरोरा, दिनेश भैरवे, पवन राठौर, राजकुमार जायसवाल, मृदुलराज तोमर, प्रदीप प्रगति, गोपाल इंजिनियर, शैलेष राठौर, सुश्री रुकमणी रोहिला, श्रीमति ममता त्रिपाठी, श्रीमति गीता राठौर, श्रीमति कल्पना हर्णे, श्रीमति सविता राठोर, श्रीमति निर्मला राठौर, भूरा यादव, दिनेश मालवीय, राजाराम प्रजापति, जलज छोकर, नागेन्द्र शुक्ला, पुरुषोत्तम यादव, शंकर यादव, संजय सोनी, राजकुमार भारती, दिनेश सिलोदिया, राजकुमार कसोटिया, हरिश यादव, ब्रज मेवाडा, सुरेन्द्र राठौर, संजय पनिया, मनोज मीणा, सतेन्द्र बेदी आदि अनेक आष्टा एवं सीहोर के कांग्रेसजन उपस्थित थे।

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1 लाख 30 हजार लीटर डीजल आया फिर भी संकट क्यों है बरकरार

आष्टा 13 अक्टूबर (नि.सं.)। गेहूँ-चने की बुआई व खेती संबंधी अन्य कार्य जो ट्रेक्टर से होते हैं युध्द स्तर पर वह सभी कार्य चालू हो गये हैं और वहीं दूसरी और अचानक डीजल का कोटा कम कर दिये जाने से तथा तेल की मांग बढ़ने से क्षेत्र में किसान एक और जहाँ डीजल के लिये अपने खेती के कार्य छोड़कर दर-दर भटक रहा है वहीं रोजाना भरपूर डीजल पेट्रोल पंपों पर आने के बाद ना जाने क्यों संकट बरकरार बना हुआ है। आज भी आष्टा तहसील के 10 पेट्रोल पंपों पर लगभग 1 लाख 30 हजार लीटर से अधिक डीजल विभिन्न पेट्रोल पंपों पर उतरा उसके बाद भी कई पेट्रोल पंपों पर डीजल के लिये किसान प्लास्टिक की छोटी-बड़ी केन लेकर व ट्रेक्टरों की लाईन लगाकर घंटो इंतजार करता रहा। कहीं ऐसा तो नहीं की किसानों की बड़ी हुई मांग का पेट्रोल पंप मालिक फायदा उठा रहे हैं।

      सूत्र बताते हैं कि आष्टा तहसील में जिन किसानों को पेट्रोल पंपों पर डीजल नहीं मिल रहा है उन किसानों को निश्चित से अधिक रुपये देने पर क्षेत्र में कई स्थानों पर डीजल मिल जाता है आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ?

      आज इस संबंध में सहायक खाद्य अधिकारी श्री नकवी से फुरसत चर्चा की तो श्री नकवी ने बताया कि आष्टा क्षेत्र में लगभग 11 पेट्रोल पंप हैं जिनमें से एक पेट्रोल पंप रिलायंस का बंद है शेष सभी पेट्रोल पंपों पर आज लगभग 1 लाख 30 हजार लीटर डीजल आया और सभी पेट्रोल पंपों से किसानों को वितरित किया गया। इस प्रकार आज पेट्रोल पंपों पर लगभग 25 से 30 हजार लीटर पेट्रोल भी आया जो उपभोक्ताओं को वितरित किया जा रहा है।

      नकवी के अनुसार आज ताहिरी पेट्रोल पंप पर 9 हजार, जयभारत पेट्रोल पंप पर 6 हजार, मेजर दबे पर 18 हजार, अपना फिलिंग सेंटर पर 18 हजार, आईबीपी पर 4 हजार, बगड़ावदा फिलिंग सेंटर पर 30 हजार, जयबाबा पेट्रोल पंप जावर पर 9 हजार, खुशी सेल्स मेहतवाड़ा पर 18 हजार, मेहर फिलिंग सेंटर कोठरी पर 12 हजार, एचपी आटो इन्दौर रोड पर 18 हजार लीटर डीजल आज विभिन्न कम्पनियों का आया।

 

सादा पेट्रोल एक्सट्रा प्रीमियम बताकर बेचा जा रहा है...?

      आष्टा तहसील के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर 55 रुपये लीटर का सादा पेट्रोल तथा 59 रुपये लीटर का एक्सट्रा प्रीमियम पेट्रोल जो उपभोक्ता मांगता है वो दिया जा रहा है लेकिन आष्टा नगर के एक पेट्रोल पंप पर पिछले कई दिनों से उपभोक्ताओं को मांगने पर सादा पेट्रोल नहीं दिया जाता है तथा यहाँ उन्हे बंद है का कारण बताकर जबरन एक्सट्रा प्रीमियम पेट्रोल 59 रुपये लीटर में लेने को बाध्य किया जाता है।

      इस पेट्रोल पंप के बारे में कई बार स्थानीय प्रशासन, खाद्य अधिकारी यहाँ तक की जिस कम्पनी का पेट्रोल पंप है उसके अधिकारियों को नगर के कई उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि उक्त पेट्रोल पंप पर उपभोक्ताओं को बिना कारण के भी कारण बताकर सादा पेट्रोल नहीं दिया जाता है। उपभोक्ताओं की शिकायत पर स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। चर्चा यह है कि आष्टा में कुछ पेट्रोल पंपों पर सादे पेट्रोल को ही एक्सट्रा प्रीमियम बताकर दिया जाता है। इस संबंध में सहायत खाद्य अधिकारी का कहना है कि हमारे पास किसी की शिकायत नहीं आई आने पर कार्यवाही की जायेगी।

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