पार्षद चाहते हैं कि उन्हे टैंकर भरपूर चलाने को दिये जायें, अध्यक्ष इससे बच रहे...
सीहोर 19 मार्च (नि.सं.)। नगर में होली पर्व के ठीक दो दिन पूर्व अचानक नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय की अध्यक्षीय समिति के पार्षदों ने तरह-तरह के बहाने बनाकर उनसे पल्ला झाड़ने की बात कही है। इनका कहना है कि अध्यक्ष जी सुनते-समझते नहीं है पूरे नगर में पानी की त्राही-त्राही मची है। उधर अध्यक्ष का कहना है कि पार्षद चाहते हैं कि टैंकर चलें हम चाहते हैं कि टंकी में पानी भराकर सबको समान वितरण हो?
उल्लेखनीय है कि हर बार पानी की किल्लत आने के साथ ही पार्षदों को टैंकर चलाने का मौका भी भरपूर मिलता है। इन टैंकरों के बहाने कितने टैंकर कहाँ चलते हैं, कितने कहाँ डलते हैं ? कितने चलते भी हैं या नहीं सिर्फ कागजों पर दौड़ लगाते हैं ? की चर्चाएं बल्कि आरोप-प्रत्यारोप और जांच तक हर वर्ष होती है।
पूर्व में एक पार्षद ने इस मामले लंबी कमाई भी कर डाली थी। एक पार्षद ने एक जमाने में टैंकरों के नाम से लाख रुपये से अधिक के फर्जी बिल बनवाकर अपनी प्यास मिटाई थी। लेकिन अब इनकी प्यास फिर जाग गई है।
दो दिन पूर्व जिस सचेतक राहुल यादव ने जरा-से तिलक पार्क में काम कराकर 5 लाख रुपये से अधिक के बिल पास करवाये हैं और अध्यक्ष राकेश राय के साथ फोटो खिंचवाकर अखबारों में भेजे हैं आज उन्होने कहा है कि अध्यक्ष की दोमुही नीति से परेशान हैं और उनका पुतला जलायेंगे।
पार्षद चाहते क्या हैं ? यह समझ नहीं आ रहा है। क्या सिर्फ इन्हे टैंकर चलवाये जाने से ही मतलब है या फिर टैंकर विवाद से बचते हुए असल में समस्या का हल चाहते हैं। अध्यक्ष का इस मामले में कहना है वह किसी भी तरह टैंकरों के माध्यम से लाल टंकी को भरवाकर फिर जनता को समान रुप से जल वितरण कराना चाहते हैं। क्या पार्षद इसमें राजी हैं? या फिर कुछ और बात है ?
सीहोर 19 मार्च (नि.सं.)। नगर में होली पर्व के ठीक दो दिन पूर्व अचानक नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय की अध्यक्षीय समिति के पार्षदों ने तरह-तरह के बहाने बनाकर उनसे पल्ला झाड़ने की बात कही है। इनका कहना है कि अध्यक्ष जी सुनते-समझते नहीं है पूरे नगर में पानी की त्राही-त्राही मची है। उधर अध्यक्ष का कहना है कि पार्षद चाहते हैं कि टैंकर चलें हम चाहते हैं कि टंकी में पानी भराकर सबको समान वितरण हो?
उल्लेखनीय है कि हर बार पानी की किल्लत आने के साथ ही पार्षदों को टैंकर चलाने का मौका भी भरपूर मिलता है। इन टैंकरों के बहाने कितने टैंकर कहाँ चलते हैं, कितने कहाँ डलते हैं ? कितने चलते भी हैं या नहीं सिर्फ कागजों पर दौड़ लगाते हैं ? की चर्चाएं बल्कि आरोप-प्रत्यारोप और जांच तक हर वर्ष होती है।
पूर्व में एक पार्षद ने इस मामले लंबी कमाई भी कर डाली थी। एक पार्षद ने एक जमाने में टैंकरों के नाम से लाख रुपये से अधिक के फर्जी बिल बनवाकर अपनी प्यास मिटाई थी। लेकिन अब इनकी प्यास फिर जाग गई है।
दो दिन पूर्व जिस सचेतक राहुल यादव ने जरा-से तिलक पार्क में काम कराकर 5 लाख रुपये से अधिक के बिल पास करवाये हैं और अध्यक्ष राकेश राय के साथ फोटो खिंचवाकर अखबारों में भेजे हैं आज उन्होने कहा है कि अध्यक्ष की दोमुही नीति से परेशान हैं और उनका पुतला जलायेंगे।
पार्षद चाहते क्या हैं ? यह समझ नहीं आ रहा है। क्या सिर्फ इन्हे टैंकर चलवाये जाने से ही मतलब है या फिर टैंकर विवाद से बचते हुए असल में समस्या का हल चाहते हैं। अध्यक्ष का इस मामले में कहना है वह किसी भी तरह टैंकरों के माध्यम से लाल टंकी को भरवाकर फिर जनता को समान रुप से जल वितरण कराना चाहते हैं। क्या पार्षद इसमें राजी हैं? या फिर कुछ और बात है ?