बड़ा बाजार में गाड़ा तंबू, देव जुलूस का मार्ग किया अवरुध्द
सीहोर 8 सितम्बर (आनन्द भैया)। पूरे सीहोर की आस्था के केन्द्र नगर के लगभग तीन दर्जन से अधिक मंदिरों के डोल अपनी प्राचीन व पारम्परिक परम्परा के अनुसार इस वर्ष भी निकलेंगे। गुरुवार को डोल ग्यारस का बड़ा त्यौहार सीहोर में मनेगा और पूरी छावनी में इसका मेला लगेगा। लेकिन भाजपा के जन आधारविहीन नेता व पदाधिकारियों ने इसमें बाधा डालते हुए जुलूस के मार्ग पर मुख्यमंत्री के स्वागत का तंबू ठोंक दिया है। तंबू बीच सड़क में लगा दिया और भाजपा जिलाध्यक्ष ने इस संबंध में कहा है कि हमने जुलूस निकालने के लिये 10 फुट जगह छोड़ दी है। पूरे नगर में दर्जन भर से अधिक मैदानों को छोड़कर भाजपा को बड़ा बाजार ही क्यों रास आ रहा है यह बात कोई नहीं समझा सका।
धर्म की राजनीति करने वाली भाजपा और भाजपा के मुख्यमंत्री ने विगत साढ़े चार साल में मुख्यत: सीहोर से जितने बदले ले सकते थे जीभर कर लिये। शिवराज सिंह चौहान सिर्फ नगर पालिका चुनाव के दौरान भाजपा का प्रचार करने के लिये सीहोर आये थे और जब भाजपा हार गई तब से सीहोर में कोई सार्वजनिक सभा या रैली में वह नहीं आये, हमेशा बचते रहे, इस दौरान सीहोर की किसी भी समस्या, मांग तो दूर विकास के संबंध में भी उन्होने एक नहीं सुनी, हर दिन बुदनी में आकर बुदनी को सीहोर का जिला बना दिया, राघवेन्द्र सिंह जैसा कलेक्टर सीहोर में बैठाये रखा । जिनका भारी विरोध रहा और अव्यवस्थाएं बढ़ती रही, शिवराज मौन रहे, उनकी बला से सीहोर के सारे के सारे भाजपा नेता मुख्यमंत्री के नाम दुखी रहे लेकिन उन्हे सीहोर से मतलब कभी नहीं रहा और आज जब चुनाव होने वाले हैं एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीहोर के उसी बड़ा बाजार में भाषण देने आ रहे हैं, जहाँ से उन्हे मुँह की खानी पड़ी थी।
लेकिन इस बार भाजपा के स्थानीय नेता भी सीहोर की संस्कृति के विरुध्द, परम्परा पर कुठाराघात करते हुए बड़ा बाजार में अपना तंबू गाड़ने पर अमादा हो गये। यहाँ डोल ग्यारस के दिन सीहोर की परम्परा के अनुसार मेला भी भरायेगा और बड़ा बाजार से करीब तीन दर्जन से अधिक डोल इस बार नामदेव समाज का एक डोल बढ़ भी रहा है, निकलेंगे। इनके साथ बड़ी संख्या में भक्तजन रहेंगे और अखाड़े भी शामिल रहेंगे। लेकिन बड़ा बाजार में बीच सडक़ पर तंबू गाड़ने के लिये लोहे के पाईप खड़े कर दिये गये हैं।
इस संबंध में भाजपा जिलाध्यक्ष ललित नागौरी ने फुरसत से कहा कि हमने 10 फुट की जगह छोड़ दी है, इतनी जगह से आराम से निकल सकते हैं। जब उनसे पूछा कि क्या भाजपा पूरे जुलूस में विघ्न करने की अपेक्षा बाल विहार मैदान या अन्य स्थान पर सभा नहीं कर सकती हैं तो उन्होने इसका कारण बताया कि पानी गिरने की समस्या रहेगी, बाल बिहार में कीचड़ मचा है, रात पानी आ गया तो हम क्या करेंगे। फुरसत ने पूछा तो इसलिये क्या परम्परा में विघ्न डालेंगे। ललित नागौरी ने कहा कि मैं स्वयं एक धार्मिक व्यक्ति हूं हमारे सारे कार्यकर्ता उस दिन भगवान के डोल का स्वागत करेंगे। उन्होने कहा कि हमें मालूम है कि डोल शाम तक निकल जायेंगे इसके बाद हमारा कार्यक्रम होगा। मंच के संबंध में कहा कि हम तो तखत लगाकर मंच बनायेंगे, मंच छोटा रहेगा।
इनमें से कोई मैदान पसंद कर लो
ज्ञातव्य है कि बाल विहार मैदान में यदि आज तीन दिन पूर्व से ही पानी रोकने के तंबू गाड़ दिये जाते तो निश्चित ही गुरुवार की रात 11 बजे तक यहाँ जमीन सूखी ही मिलती। दूसरी बात यहाँ अभी भी कीचड़ नहीं है। इसके अलावा न सिर्फ बाल बिहार मैदान बल्कि क्या गंज का तिलक पार्क के सामने वाला मैदान, गंज के दशहरा मैदान दुर्गादास राठौर उद्यान जहाँ आडवाणी जी ने भाषण दिया था वहाँ, अथवा सुभाष स्कूल का मैदान, आवासीय स्कूल का मैदान, महाविद्यालय प्रांगण का मैदान, चर्च मैदान, मण्डी का कोई मैदान पर क्या भाजपा की सभा नहीं हो सकती ?
रात को 11-12 बजे जब मुख्यमंत्री आयेंगे तब क्या सीहोर की जनता को संबोधित करेंगे या भाजपा के सिर्फ कार्यकर्ता ही बचेंगे? स्पष्ट है कि भाजपा कार्यकर्ताओं के लिये बड़ा बाजार को घेर लिया गया है और डोल ग्यारस पर्व में विघ् खड़ा कर दिया गया है।
व्यापारी व नागरिक है नाराज
आज जैसे ही बड़ा बाजार में तंबू गड़ना प्रारंभ हुआ तब से ही सीहोर के व्यापारियों और नागरिकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है, लगातार फुरसत को फोन कर लोग अपना विरोध जता रहे हैं? अधिकांश की मान्यता है कि भगवान किसी मुख्यमंत्री के तंबू के नीचे से क्यों निकलेंगे। क्या भाजपा वालों को सभा करने के लिये दूसरा स्थान नहीं है।
हिन्दु के नाम पर चल रही हिन्दु उत्सव समिति क्या विरोध करने की शक्ति रखती है?
हिन्दुओं के नाम हिन्दु उत्सव समिति जिसके कार्यक्रम में आज ही भाजपा के मंत्री आये थे, क्या वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यक्रम स्थल को लेकर कोई बयान जारी कर पायेगी ? क्या वह खुलकर कहेगी कि डोल ग्यारस का जुलूस जिसे और भव्य बनाया जाना है उसकी भव्यता में ऐसे रोडे नहीं डालने दिये जायेंगे ? क्या वह मांग कर सकती है कि भाजपा कहीं और मंच बनाकर अपने मुख्यमंत्री के भाषण सुन ले। देखते हैं...।
डरते हैं कि मुख्यमंत्री नाराज हो जायेंगे इसलिये त्यौहार को
बिगाड़ने पर हैं अमादा
बड़ा बाजार व छावनी में चर्चा है कि भाजपा इन दिनों भीड़ एकत्र करने में सक्षम नहीं है, विश्वास सारंग जब पिछले दिनों रैली लेकर आये थे तो बड़ा बाजार भरना मुश्किल हो गया था, अब जब मुख्यमंत्री आ रहे हैं तो भी कुछ ऐसी ही स्थिति का आभास स्थानीय नेताओं को पहले से है। इसी भय के कारण बड़ा बाजार में जहाँ कम जनता भी भरी-भरी नजर आती है वहाँ सभा की जा रही है, क्योंकि किसी भी मैदान में यदि सभा हुई तो मैदान को भरना भाजपा के पदाधिकारियों के बूते की तो बात नहीं है और खुद की इजत बचाने के चक्कर में सीहोर की परम्परा और बड़े त्यौहार के बीच रोड़ा बनकर यह खड़े होने से भी बाज नहीं आ रहे। इस संबंध में भाजपा महामंत्री रमाकांत समाधिया ने फुरसत से कहा कि कृपया इस विषय पर हमारे वरिष्ठजनों से ही चर्चा की जाये। आज कुछ ऐसे मंदिरों के पुजारियों ने भी फुरसत से इस बड़ा बाजार के विघ्न के संबंध में बातचीत करते हुए कहा कि यह अच्छी बात नहीं है, जुलूस में दिक्कत आयेगी। पुजारी जन भी इस व्यवस्था से नाराज दिखे।
विधायक ने कहा कि जुलूस जहाँ से निकलता है वहीं से निकलेगा
सीहोर। लोकप्रिय विधायक रमेश सक्सेना ने आज इस संबंध में अपने प्रवक्ता के माध्यम से फुरसत से कहा कि यह सुनने में आ रहा है कि लोग यह अफवाह फैल रही है कि डोल ग्यारस का मार्ग बदला जायेगा। उन्होने कहा कि डोल हमारे पूयनीय हैं, मुख्यमंत्री भी डोल की पूजा करते हैं, इसलिये डोल निकलने के समय और उसके मार्ग में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा। धार्मिक जन आश्वस्त रहे। विधायक जी ने बड़ा बाजार में सभा स्थल क्यों रखा गया है? अथवा अन्य किसी विषय पर कोई वक्तव्य नहीं दिया।
ललित नागौरी ने कहा कि बाल बिहार मैदान में कीचड़ है...
सीहोर । बाल बिहार मैदान मे जहाँ कीचड़ होते हुए भी एक बार प्रभारी मंत्री रुस्तम सिंह का जनसमस्या निवारण शिविर विशेष तंबू के साथ लगवाया गया था, क्या अब ऐसी व्यवस्था बाल विहार में नहीं हो सकती ? क्या यहाँ मंगलवार से ही या इसके पहले से तंबू लग जाता तो यहाँ धरती नहीं सूख जाती ? और जिस बाल बिहार में कीचड़ बताया जा रहा है वहाँ सीहोर के नागरिक भी अवश्य जाकर देखें कि क्या वहाँ यादा कीचड़ है ? क्या सभा हो ही नहीं सकती ?
स्पष्ट है कि भीड़ जुटाने में असमर्थ भाजपा बड़ा बाजार में सभा करके परेशानी खड़ा करना चाहती है?
Wednesday, September 10, 2008
बड़े बनने में नहीं छोटा बनने में ही लाभ है-पं. प्रदीप मिश्रा
सीहोर 9 सितम्बर (नि.सं.)। भगवान के दर्शन का अर्थ सिर्फ यह नहीं है कि आप मंदिर में प्रतिमा देख आओ, मंदिर की दीवारें देख लो, कोई चित्र टंगा है उसे देख लो, चक्कर काट लो और समझो की हो गया अपना तो दर्शन, तो इसे दर्शन करना नहीं कहते। भगवान का दर्शन करना है तो पहले समर्पण करो और समर्पण करना है तो कम से कम जब दर्शन करने जाओ तो भगवान को साष्टांग प्रणाम तो करो, स्वयं को उन पर समर्पित कर दो तब जाकर आपका दर्शन पूर्ण होता है। बड़े बनने में लाभ नहीं है, छोटे बनने में सदा लाभ है, हम सब भगवान के बच्चे हैं, इसलिये इसी भाव में भगवान को परम पिता परमेश्वर के रुप में पूजा करना चाहिये।
उक्त उद्गार आज श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ के प्रथम दिन सीहोर नगर के प्रसिध्द कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने यहाँ बड़ा बाजार में श्रीमुन्नालाल भारुका अग्रवाल पंचायती भवन में दिये। अग्रवाल महिला मण्डल द्वारा लगातार कथा का यह 9 वाँ वर्ष है। हर वर्ष की तरह ही भाद्रपद की नवमी को आज कथा प्रारंभ हुई। पं.श्री मिश्रा ने कहा कि जिस तरह छोटा-सा बच्चा दिनभर अपनी माँ से चिपका रहता है, उसके साथ ही घूमता है, दिनभर माँ का नाम लेता है ठीक वैसे ही आप भी छोटे बन जाओ और दिनभर भगवान से जुडे रहो। उन्होने कहा कि घर में आई छोटी बहु को बड़ा लाभ रहता है जबकि बड़ी बहु तो हमेशा ताने मिलते हैं, इसलिये बड़े बनने में नहीं छोटे बनने में ही लाभ है।
मंदोदरी रावण की
पत्नि नहीं धर्मपत्नि थी
उपस्थित महिला श्रोताओं को पत्नि धर्म के संबंध में व्याख्या पूर्वक बड़े ही रोचक प्रसंग के साथ समझाते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि आप किसी भी रामायण में उठा कर देख लो मंदोदरी रावण की पत्नि है ऐसा कहीं उल्लेख नहीं मिलेगा यदि मिलेगा तो हर मंदोदरी को रावण की धर्मपत्नि के रुप में उल्लेख किया गया है। मंदोदरी रावण की पत्नि नहीं बल्कि धर्मपत्नि थी। उन्होने कहा कि पत्नि वो जो पति तो सिनेमा, होटल, बाजार मतलब पति को पतन की और ले जाये और धर्मपत्नि पति को मंदिर, संकीर्तन, संत दर्शन, भागवत कथा श्रवण ले जाये ताकि पति धर्म की और बढ़े इसे ही धर्मपत्नि कहा गया है। उन्होने बताया कि मंदोदरी ने हमेशा रावण को धर्म का मार्ग बताया न सिर्फ बताया बल्कि उसे धर्म मार्ग की और प्रशस्त भी किया।
जब रावण ने माता सीता के हाथ से बना भोजन किया
पं. श्री प्रदीप मिश्रा ने एक प्रसंग उल्लेखित करते हुए कहा कि अयोध्या में जब माता सीता आईं तो उन्होने वहाँ भोजन नहीं किया वह शांति पूर्वक बिना भोजन के ही रहीं, लेकिन जब सातवें दिन यह बात उनकी माता को पता चला तो उन्होने सीता से इसका कारण पूछा। तब सीता जी बोली कि मेरे पिता जनक ने कहा था कि जिस घर में अपने भानेज (भांजे) की हत्या की गई हो वहाँ भोजन नहीं करना चाहिये, यह बात जब राजा दशरथ को पता चली तो चिंतामग् हो गये, उन्हे स्मरण आया कि श्रवण कुमार ने मरते-मरते मुझसे कहा था कि मामाजी, मेरे पिता व आपकी बहन प्यासी हैं उन्हे पानी अवश्य पिला देना...। अब तो राजा दशरथ भी विचलित हो गये और उन्होने तत्काल गुरु विश्वामित्र के पास जाकर इस दोष से मुक्ति का उपाय पूछा। गुरु वशिष्ठ ने कहा कि यदि 1000 हजार ब्राह्मणों को भोजन करा दिया जाये तो इस दोष से निवृत्ति हो सकती है। राजा दशरथ को कुछ शांति मिली लेकिन यह बात सीता जी को बताई गई और कहा गया कि तब तो वह घर में भोजन करेंगी। तब फिर माता सीता ने कहा कि मेरे पिता जनक ने इसकी निवृत्ति कुछ अलग बताई है, उन्होने कहा कि उन्होने बताया था जिस ब्राह्मण ने कभी कहीं बाहर कोई दान न लिया हो और भोजन न किया हो ऐसे ही केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराने से इस पाप से निवृत्ति हो सकती है।
जब मंदोदरी ने रावण को
राम के घर अयोध्या भेजा
जब यह बात राजा दशरथ तब पहुँची तो पता चला कि ऐसा ब्राह्मण तो शायद पूरी पृथ्वी पर ढूंढना भी मुश्किल है, कोशिश भी की गई लेकिन असंभव रहा। तब उन्होने स्वयं राजा जनक से ही ऐसे किसी एक ब्राह्मण की जानकारी चाही, स्वयं राजा जनक ने कहा कि ऐसा ब्राह्मण वैसे तो पूरी पृथ्वी पर नहीं है लेकिन फिर भी संयोगवश सिर्फ रावण ही एक ब्राह्मण पुत्र है जिसने कभी किसी के यहाँ जाकर भोजन नहीं किया। तब महाराज रावण को राजा दशरथ ने निमंत्रण भेजा। यह निमंत्रण रानी मंदोदरी के हाथ लगा। उन्होने पढ़ा तो उन्होने पहले रावण को कहा कि महाराज आप एक ब्राह्मण है और आपका कर्तव्य है कि आप भी दक्षिणा लेकर भोजन ग्रहण किया करें। रावण ने कहा मेरे जैसे दशानन को कौन बुलायेगा तब मंदोदरी मौका देखकर उन्हे कहा कि आपके लिये यह निमंत्रण आया है कृपया यहाँ अवश्य जायें। रावण ने खुशी से धर्मपत्नि मंदोदरी के मार्ग प्रशस्त करने पर अयोध्या के लिये प्रस्थान किया। रावण यहाँ बिना अंहकार रुपी मुकुट लगाये एक ब्राह्मण के रुप में पहुँचा। दशरथ ने उनका अभिवादन किया पैर पढ़े। धर्मपत्नि मंदोदरी ने रावण को राम के घर भेज दिया था। यहाँ स्वयं रानी सीता ने उन्हे ससम्मान भोजन परोसा अंत में दक्षिणा के लिये ब्राह्मण श्रेष्ठ रावण से कहा कि तो रावण ने दक्षिणा में माता सीता से कहा कि यदि देना ही है तो फिर मुक्ति दे दीजिये। यह बात सुनते ही सीता ने कहा कि चूंकि मेरा विवाह हो चुका है इसलिये कुछ देने के पूर्व मुझे मेरे पति से पूछना आवश्यक है, इसलिये कृपया कुछ समय रुकें । जब माता सीता ने रामजी से पूछा कि वो तो मुक्ति मांग रहा है तो राम जी ने कहा कि दे दो। यदि भक्त मांग रहा है तो दे देना चाहिये। पर माता सीता ने कहा कि कैसे दे दूं यदि दिया तो मुझे उसे घर जाना पड़ेगा क्योंकि भक्ति के बिना मोक्ष संभव नहीं है और मेरा एक नाम भक्ति भी है। राम जी ने कहा कि वो भक्तराज हैं और उन्हे आप यह अवश्य दें। इस प्रकार सीता ने उन्हे मुक्ति दे दी।
राम जी ने भी रावण के पैर पड़े, और रामेश्वर तीर्थ बना
पं. प्रदीप मिश्रा ने बताया कि इस प्रकार धर्मपत्नि मंदोदरी के कारण रावण को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होने कहा कि ''अहंकार में तीनो गये, धन, वैभव और वंश, न मानो तो तीनो देखो रावण, कौरव और कंस''। उन्होने आगे बताया कि रामेश्वर तीर्थ की स्थापना के समय भी जब कोई पंडित सुलभ नहीं हुआ तो महापंडित रावण को बुलाया उन्होने रामेश्वर तीर्थ की स्थापना कराई। यहाँ अपने पिता का अनुशरण करते हुए मर्यादापुरुषोत्तम राम ने अपने भी ब्राह्मण रावण के पैर पढ़े। श्री मिश्रा ने कहा कि बच्चों को सिखाने के पहले आज के माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिये कि वह स्वयं संस्कारित हो, यदि वह किसी संत को प्रणाम करेंगे, किसी धर्म कार्य में लगेंगे, मंदिर रोज जायेंगे तो स्वयं ही बच्चा अनुशरण करेगा और यदि वह घर बैठकर टीवी देखेंगे बच्चे से कहेंगे कि बेटा भागवत सुन आ तो वह थोड़े ही जायेगा। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा।
और तोते ने कथा सुन ली
भागवत जी महात्म्य समझाते हुए पं.श्री मिश्रा ने कहा कि एक बार जब माता पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि कोई ऐसी कथा सुनाईये जिसे सुनकर मनुष्य अमर हो जाये। तब भोलेनाथ ने माता से कहा कि कथा दो प्रकार से सुनी जाती है एक में कथा सुनने वाला हूँ-हूँ का हुंकार भरता है और कथा सुनाने वाला सुनाता है व दूसरे में सामने बैठकर मुँह देखा करता है। माता ने कहा कि मैं तो मुँह रोज देखती हूं अभी हुंकार भरती रहूंगी आप कथा सुनाते रहना। कथा शुरु हुई, भागवत के दसवे स्कंध में जब श्रीकृष्ण जी का वर्णन आया तो माता पार्वती उसमें डूब गईं और सो गई खो गई। इधर यहीं एक तोते का अंडा रखा हुआ था जिसमें बैठा बच्चा भी कथा सुन रहा था । वह बाहर निकल आया था उसने देखा कि माता जी सो गई हैं और हुंकार नहीं भरेगी तो कथा अधूरी रह जायेगी इसलिये उसने हुंकार भरना शुरु कर दी शिव जी कथा सुनाते रहे। कथा तब पूरी हुई तो शिव जी ने कहा कि बोलो भागवत महारानी की जय, जब तोते ने जय भी कर दी। जय सुनकर माता पार्वती जाग गईं। शिवजी ने कहा कि कथा सुन ली तो माता घबरा गईं कि यदि कहा कि सो गई थी बहुत नाराज होंगे सो बोल दिया कि मैं 10 वे स्कंध में कृष्ण जी के प्रसंग के बाद खो गई थी। इस पर शिवजी का ध्यान गया कि फिर हुंकार कौन कर रहा था उन्होने देखा एक तोता पास ही बैठा उन्होने तत्काल उसे मारने के लिये दौड़े लेकिन तोता उड़कर भागने लगा, शिवजी ने पीछा कि या तो वह व्यास जी के आश्रम में उनकी पत्नि वटुका के पास तक गया उसी समय वटुका ने जंभाई ली और तोता उनके मुँह से पेट में गर्भ स्थान पर चला गया। अब व्यास पत्नि को मारने से पूर्व शिवजी ने व्यास जी कहा कि आप पत्नि हमारी दुश्मन है, व्यास जी ने समझाया कि चूंकि तोते ने अमरकथा सुन ली है इसलिये यदि आप मेरी पत्नि को मारेंगे भी तब भी वह तो अमर है। यह सुनकर शिवजी वापस लौट आये। 6 वर्ष तक गर्भ में छुपे रहने के बाद उक्त तोते का जन्म 5 वर्ष के बालक के रुप में हुआ। जिसका नाम शुकदेव जी महाराज पड़ा।
एक तो सोता और दूसरा सरोता
पं. मिश्रा ने कहा कि कथा में तीन तरह के श्रोता होते हैं एक तो सोता, मतलब जो सोता रहता है, दूसरा सरोता जो आयोजक से लेकर कथा स्थल तक और सबके पीछे ही पड़ा रहता है कहता है कि व्यवस्था ठीक नहीं है वो काटने का ही काम करता है और तीसरा होता श्रोता। उन्होने बताया कि जो कथा के पहले दिन आता है वह धर्म से आता है, कथा के मध्य में जो आता है वह कर्म से आता है और अंत में आता है वह शर्म से आता है।
भागवत जी की महिमा बताते हुए कहा कि जिस राजा परीक्षित का सर्प ने डंसा उसका भी मोक्ष हो गया। जबकि नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा कि शास्त्र कहता है जिसकी सांप के काटने से मृत्यु होती है उसे नर्क जाना होता है तब ब्रह्मा जी ने भी भागवत जी का महत्व बताया। आज कथा के पहले दिन बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी। कथा निर्धारित समय 2 से 5 बजे तक प्रतिदिन चलेगी।
उक्त उद्गार आज श्रीमद्भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ के प्रथम दिन सीहोर नगर के प्रसिध्द कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने यहाँ बड़ा बाजार में श्रीमुन्नालाल भारुका अग्रवाल पंचायती भवन में दिये। अग्रवाल महिला मण्डल द्वारा लगातार कथा का यह 9 वाँ वर्ष है। हर वर्ष की तरह ही भाद्रपद की नवमी को आज कथा प्रारंभ हुई। पं.श्री मिश्रा ने कहा कि जिस तरह छोटा-सा बच्चा दिनभर अपनी माँ से चिपका रहता है, उसके साथ ही घूमता है, दिनभर माँ का नाम लेता है ठीक वैसे ही आप भी छोटे बन जाओ और दिनभर भगवान से जुडे रहो। उन्होने कहा कि घर में आई छोटी बहु को बड़ा लाभ रहता है जबकि बड़ी बहु तो हमेशा ताने मिलते हैं, इसलिये बड़े बनने में नहीं छोटे बनने में ही लाभ है।
मंदोदरी रावण की
पत्नि नहीं धर्मपत्नि थी
उपस्थित महिला श्रोताओं को पत्नि धर्म के संबंध में व्याख्या पूर्वक बड़े ही रोचक प्रसंग के साथ समझाते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि आप किसी भी रामायण में उठा कर देख लो मंदोदरी रावण की पत्नि है ऐसा कहीं उल्लेख नहीं मिलेगा यदि मिलेगा तो हर मंदोदरी को रावण की धर्मपत्नि के रुप में उल्लेख किया गया है। मंदोदरी रावण की पत्नि नहीं बल्कि धर्मपत्नि थी। उन्होने कहा कि पत्नि वो जो पति तो सिनेमा, होटल, बाजार मतलब पति को पतन की और ले जाये और धर्मपत्नि पति को मंदिर, संकीर्तन, संत दर्शन, भागवत कथा श्रवण ले जाये ताकि पति धर्म की और बढ़े इसे ही धर्मपत्नि कहा गया है। उन्होने बताया कि मंदोदरी ने हमेशा रावण को धर्म का मार्ग बताया न सिर्फ बताया बल्कि उसे धर्म मार्ग की और प्रशस्त भी किया।
जब रावण ने माता सीता के हाथ से बना भोजन किया
पं. श्री प्रदीप मिश्रा ने एक प्रसंग उल्लेखित करते हुए कहा कि अयोध्या में जब माता सीता आईं तो उन्होने वहाँ भोजन नहीं किया वह शांति पूर्वक बिना भोजन के ही रहीं, लेकिन जब सातवें दिन यह बात उनकी माता को पता चला तो उन्होने सीता से इसका कारण पूछा। तब सीता जी बोली कि मेरे पिता जनक ने कहा था कि जिस घर में अपने भानेज (भांजे) की हत्या की गई हो वहाँ भोजन नहीं करना चाहिये, यह बात जब राजा दशरथ को पता चली तो चिंतामग् हो गये, उन्हे स्मरण आया कि श्रवण कुमार ने मरते-मरते मुझसे कहा था कि मामाजी, मेरे पिता व आपकी बहन प्यासी हैं उन्हे पानी अवश्य पिला देना...। अब तो राजा दशरथ भी विचलित हो गये और उन्होने तत्काल गुरु विश्वामित्र के पास जाकर इस दोष से मुक्ति का उपाय पूछा। गुरु वशिष्ठ ने कहा कि यदि 1000 हजार ब्राह्मणों को भोजन करा दिया जाये तो इस दोष से निवृत्ति हो सकती है। राजा दशरथ को कुछ शांति मिली लेकिन यह बात सीता जी को बताई गई और कहा गया कि तब तो वह घर में भोजन करेंगी। तब फिर माता सीता ने कहा कि मेरे पिता जनक ने इसकी निवृत्ति कुछ अलग बताई है, उन्होने कहा कि उन्होने बताया था जिस ब्राह्मण ने कभी कहीं बाहर कोई दान न लिया हो और भोजन न किया हो ऐसे ही केवल एक ब्राह्मण को भोजन कराने से इस पाप से निवृत्ति हो सकती है।
जब मंदोदरी ने रावण को
राम के घर अयोध्या भेजा
जब यह बात राजा दशरथ तब पहुँची तो पता चला कि ऐसा ब्राह्मण तो शायद पूरी पृथ्वी पर ढूंढना भी मुश्किल है, कोशिश भी की गई लेकिन असंभव रहा। तब उन्होने स्वयं राजा जनक से ही ऐसे किसी एक ब्राह्मण की जानकारी चाही, स्वयं राजा जनक ने कहा कि ऐसा ब्राह्मण वैसे तो पूरी पृथ्वी पर नहीं है लेकिन फिर भी संयोगवश सिर्फ रावण ही एक ब्राह्मण पुत्र है जिसने कभी किसी के यहाँ जाकर भोजन नहीं किया। तब महाराज रावण को राजा दशरथ ने निमंत्रण भेजा। यह निमंत्रण रानी मंदोदरी के हाथ लगा। उन्होने पढ़ा तो उन्होने पहले रावण को कहा कि महाराज आप एक ब्राह्मण है और आपका कर्तव्य है कि आप भी दक्षिणा लेकर भोजन ग्रहण किया करें। रावण ने कहा मेरे जैसे दशानन को कौन बुलायेगा तब मंदोदरी मौका देखकर उन्हे कहा कि आपके लिये यह निमंत्रण आया है कृपया यहाँ अवश्य जायें। रावण ने खुशी से धर्मपत्नि मंदोदरी के मार्ग प्रशस्त करने पर अयोध्या के लिये प्रस्थान किया। रावण यहाँ बिना अंहकार रुपी मुकुट लगाये एक ब्राह्मण के रुप में पहुँचा। दशरथ ने उनका अभिवादन किया पैर पढ़े। धर्मपत्नि मंदोदरी ने रावण को राम के घर भेज दिया था। यहाँ स्वयं रानी सीता ने उन्हे ससम्मान भोजन परोसा अंत में दक्षिणा के लिये ब्राह्मण श्रेष्ठ रावण से कहा कि तो रावण ने दक्षिणा में माता सीता से कहा कि यदि देना ही है तो फिर मुक्ति दे दीजिये। यह बात सुनते ही सीता ने कहा कि चूंकि मेरा विवाह हो चुका है इसलिये कुछ देने के पूर्व मुझे मेरे पति से पूछना आवश्यक है, इसलिये कृपया कुछ समय रुकें । जब माता सीता ने रामजी से पूछा कि वो तो मुक्ति मांग रहा है तो राम जी ने कहा कि दे दो। यदि भक्त मांग रहा है तो दे देना चाहिये। पर माता सीता ने कहा कि कैसे दे दूं यदि दिया तो मुझे उसे घर जाना पड़ेगा क्योंकि भक्ति के बिना मोक्ष संभव नहीं है और मेरा एक नाम भक्ति भी है। राम जी ने कहा कि वो भक्तराज हैं और उन्हे आप यह अवश्य दें। इस प्रकार सीता ने उन्हे मुक्ति दे दी।
राम जी ने भी रावण के पैर पड़े, और रामेश्वर तीर्थ बना
पं. प्रदीप मिश्रा ने बताया कि इस प्रकार धर्मपत्नि मंदोदरी के कारण रावण को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होने कहा कि ''अहंकार में तीनो गये, धन, वैभव और वंश, न मानो तो तीनो देखो रावण, कौरव और कंस''। उन्होने आगे बताया कि रामेश्वर तीर्थ की स्थापना के समय भी जब कोई पंडित सुलभ नहीं हुआ तो महापंडित रावण को बुलाया उन्होने रामेश्वर तीर्थ की स्थापना कराई। यहाँ अपने पिता का अनुशरण करते हुए मर्यादापुरुषोत्तम राम ने अपने भी ब्राह्मण रावण के पैर पढ़े। श्री मिश्रा ने कहा कि बच्चों को सिखाने के पहले आज के माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिये कि वह स्वयं संस्कारित हो, यदि वह किसी संत को प्रणाम करेंगे, किसी धर्म कार्य में लगेंगे, मंदिर रोज जायेंगे तो स्वयं ही बच्चा अनुशरण करेगा और यदि वह घर बैठकर टीवी देखेंगे बच्चे से कहेंगे कि बेटा भागवत सुन आ तो वह थोड़े ही जायेगा। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा।
और तोते ने कथा सुन ली
भागवत जी महात्म्य समझाते हुए पं.श्री मिश्रा ने कहा कि एक बार जब माता पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि कोई ऐसी कथा सुनाईये जिसे सुनकर मनुष्य अमर हो जाये। तब भोलेनाथ ने माता से कहा कि कथा दो प्रकार से सुनी जाती है एक में कथा सुनने वाला हूँ-हूँ का हुंकार भरता है और कथा सुनाने वाला सुनाता है व दूसरे में सामने बैठकर मुँह देखा करता है। माता ने कहा कि मैं तो मुँह रोज देखती हूं अभी हुंकार भरती रहूंगी आप कथा सुनाते रहना। कथा शुरु हुई, भागवत के दसवे स्कंध में जब श्रीकृष्ण जी का वर्णन आया तो माता पार्वती उसमें डूब गईं और सो गई खो गई। इधर यहीं एक तोते का अंडा रखा हुआ था जिसमें बैठा बच्चा भी कथा सुन रहा था । वह बाहर निकल आया था उसने देखा कि माता जी सो गई हैं और हुंकार नहीं भरेगी तो कथा अधूरी रह जायेगी इसलिये उसने हुंकार भरना शुरु कर दी शिव जी कथा सुनाते रहे। कथा तब पूरी हुई तो शिव जी ने कहा कि बोलो भागवत महारानी की जय, जब तोते ने जय भी कर दी। जय सुनकर माता पार्वती जाग गईं। शिवजी ने कहा कि कथा सुन ली तो माता घबरा गईं कि यदि कहा कि सो गई थी बहुत नाराज होंगे सो बोल दिया कि मैं 10 वे स्कंध में कृष्ण जी के प्रसंग के बाद खो गई थी। इस पर शिवजी का ध्यान गया कि फिर हुंकार कौन कर रहा था उन्होने देखा एक तोता पास ही बैठा उन्होने तत्काल उसे मारने के लिये दौड़े लेकिन तोता उड़कर भागने लगा, शिवजी ने पीछा कि या तो वह व्यास जी के आश्रम में उनकी पत्नि वटुका के पास तक गया उसी समय वटुका ने जंभाई ली और तोता उनके मुँह से पेट में गर्भ स्थान पर चला गया। अब व्यास पत्नि को मारने से पूर्व शिवजी ने व्यास जी कहा कि आप पत्नि हमारी दुश्मन है, व्यास जी ने समझाया कि चूंकि तोते ने अमरकथा सुन ली है इसलिये यदि आप मेरी पत्नि को मारेंगे भी तब भी वह तो अमर है। यह सुनकर शिवजी वापस लौट आये। 6 वर्ष तक गर्भ में छुपे रहने के बाद उक्त तोते का जन्म 5 वर्ष के बालक के रुप में हुआ। जिसका नाम शुकदेव जी महाराज पड़ा।
एक तो सोता और दूसरा सरोता
पं. मिश्रा ने कहा कि कथा में तीन तरह के श्रोता होते हैं एक तो सोता, मतलब जो सोता रहता है, दूसरा सरोता जो आयोजक से लेकर कथा स्थल तक और सबके पीछे ही पड़ा रहता है कहता है कि व्यवस्था ठीक नहीं है वो काटने का ही काम करता है और तीसरा होता श्रोता। उन्होने बताया कि जो कथा के पहले दिन आता है वह धर्म से आता है, कथा के मध्य में जो आता है वह कर्म से आता है और अंत में आता है वह शर्म से आता है।
भागवत जी की महिमा बताते हुए कहा कि जिस राजा परीक्षित का सर्प ने डंसा उसका भी मोक्ष हो गया। जबकि नारद जी ने ब्रह्मा जी से पूछा कि शास्त्र कहता है जिसकी सांप के काटने से मृत्यु होती है उसे नर्क जाना होता है तब ब्रह्मा जी ने भी भागवत जी का महत्व बताया। आज कथा के पहले दिन बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी। कथा निर्धारित समय 2 से 5 बजे तक प्रतिदिन चलेगी।
नाराज महिलाओं ने किया चक्काजाम, तब उनकी सुनी
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। आज भोपाल में प्रदेश के ग्राम-ग्राम में बने स्व-सहायता समूहों की महापंचायत थी जिसमें सदस्यों को आमंत्रित किया गया था। भोपाल जाने के लिये बड़ी संख्या में समूह की महिला सदस्य सुबह आष्टा जनपद पंचायत पहुँची लेकिन उनके जाने के लिये यहाँ कोई व्यवस्था जब नजर नहीं आई तो नाराज महिलाओं ने अलीपुर चौराहे पर इन्दौर-भोपाल रोड पर चक्काजाम क र दिया लगभग 100-150 महिलाएं रोड पर बैठ गई तब अधिकारियों के कानों में जूं रेंगी। खबर लगने के बाद अधिकारियों ने व्यवस्था की और चक्काजाम समाप्त कराया लगभग 15-20 मिनिट चक्काजाम रहा इस दौरान रोड के दोनो और अनेकों वाहनों की कतार लग गई।
वैसे पुलिस चक्काजाम होने से इंकार कर रही है। कह रही है कि वो तो भोपाल जाने वाली महिलाओं की भीड़ थी।
वैसे पुलिस चक्काजाम होने से इंकार कर रही है। कह रही है कि वो तो भोपाल जाने वाली महिलाओं की भीड़ थी।
सड़क दुर्घटना में आठ घायल
सीहोर 9 सितम्बर (नि.सं.)। जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में अलग अलग हुये सड़क दुर्घटना में एक युवक की मौत हो गई वही आठ अन्य घायल हो गये। जानकारी के अनुसार ग्राम जामगोद देवास निवासी चंदू घटिया अपने पिता कान्हा जी व बड़नगर निवासी भूरा के साथ बाईक से सीहोर से वापस अपने गांव आरहे थे तभी जावर थाना क्षेत्र में राजमार्ग स्थित फूडरा जोड़ के समीप बस क्रमांक एमपी-09-एफए-0106 के चालक ने तेज गति एवं लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुये इनकी बाईक में पीछे से टक्कर मार दी, परिणाम स्वरूप चंदू व उसका पिता कान्हा जी घायल हो गये। जिन्हे उपचार हेतु आष्टा अस्पताल लाया गया जहॉ पर चंदू की उपचार के दौरान मौत हो गई। इधर आष्टा थाना क्षेत्र में सोयाबीन चौपाल के पास टाटा सूमो क्रमांक एमपी-12-सी-4856 के चालक ने अनियंत्रित गति से वाहन चलाकर पलट दिया परिणाम स्वरूप इसमे सवार संगीता, चिंता बाई रामभरोसे घायल हो गये। इसी प्रकार मारूति एमपी-09-एचई-1521 के चालक ने हकीमाबाद टॉवर के समीप अनियंत्रित गति से वाहन चलाकर पलट दिया, परिणाम स्वरूप मारूति में सवार अलका बाई,विष्णु प्रसाद एवं गणेश घायल हो गये, जिन्हें प्राथमिक उपचार हेतु आष्टा अस्पताल दाखिल कराया गया।
सर्प दंश से विवाहिता की मौत
सीहोर 9 सितम्बर (नि.सं.)। बुधनी थाना क्षेत्र में सर्प दंश से एक विवाहिता की मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जॉच शुरू कर दी हैं।
जानकारी के अनुसार बुधनी निवासी 30 वर्षीय सरस्वती पत्नी नवे सिंह गोण्ड गत सोमवार की दोपहर को बोगदा के पास जंगल में गई हुई थी तभी उसे सर्प ने डस दिया। उसे उपचार हेतु बुधनी अस्पताल लाया गया,जहॉ पर उसकी मौत हो गयी।
दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। आष्टा पुलिस ने एक विविहिता की फरियाद पर उसके पति सहित 5 लोगों के विरूद्ध दहेज एक्ट तहत मामला दर्ज किया हैं। जानकारी के अनुसार ग्राम शौभाखेडी निवासी चैनसिंह भाटी के पुत्री कोमल बाई का विवाह वर्ष 1198 में ग्राम गोरा चिचली निवासी महेन्द्र उर्फ प्रकाश के साथ हुआ था। बताया जाता है कि विवाह के दो वर्ष बाद से कोमल बाई का पति उससे दहेज मे एक लाख रूपये एवं बाईक की मांग कर प्रताड़ित करने लगा। उसके इस कार्य में कोमल बाई का ससूर लक्ष्मण सिंह सास राजकुवर बाई, देवर मुकेश एवं देवरानी अनिता बाई द्वारा भी सहयोग किया जाता था। ससुराल पक्ष इस प्रताड़ना तंग आकर कोमल बाई अपने माईके आ गई और थाना आष्टा में पहॅुचकर अपनी फरियाद पुलिस को सुनाई। जिस पर पुलिस ने इन लोगों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही प्रारंभ कर दी हैं।
श्रमिक के साथ मारपीट
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। कल रात्री में एक घर पर लोहे की चद्दर चढ़ाने गये मजदूर के साथ मारपीट की घटना घटी। पुलिस ने बताया कि ग्राम काजीखेड़ी निवासी गेंदालाल मेवाड़ा अपने ग्राम के जीतमल के यहाँ चद्दर चढ़ाने गये थे। इसी दौरान उक्त मजदूर को जीतमल एवं उसके भाई किशोर ने मारपीट की बाद में उसके घर पर जाकर भी मारा। गेंदालाल की शिकायत पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
गुमठी में चोरी
आष्टा 9 सितम्बर (नि.सं.)। मण्डी गेट के सामने संजय कुमार जैन पुत्र माणक चंद जैन,निवासी भवानीपुरा आष्टा की गुमठी में से 16-17 अगस्त की रात्रि में अज्ञात चोरों ने गुमठी में रखे एक छोटी टीवी एवं डीवीडी कीमत लगभग ढाई हजार ले गये। आज शिकायत दर्ज कराई।
मण्डल कार्यालय में तोडफ़ोड़ करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज
आष्टा 9 सितम्बर (नि।सं।)। दो दिन पूर्व मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल आष्टा के कार्यालय पर विद्युत कटौती से नाराज मुस्लिम समाज के अनेकों युवकों ने रात्रि में विद्युत मण्डल कार्यालय पहुँचकर जो पथराव किया था इसमें विद्युत मण्डल कार्यालय की कई खिड़कियों के कांच टूट गये थे। उक्त घटना के बाद जे.ई. यशवंत जैन ने आष्टा थाने में लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस जांच के बाद आज खलील खां पुत्र मेहमूद खां निवासी लंगापुरा एवं डेढ़ सौ इनके साथियों के खिलाफ धारा 145, 427, 336 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
सर्प दंश से विवाहिता की मौत
सीहोर 9 सितम्बर (नि.सं.)। बुधनी थाना क्षेत्र में सर्प दंश से एक विवाहिता की मौत हो गई। सूचना पर पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जॉच शुरू कर दी हैं।
जानकारी के अनुसार बुधनी निवासी 30 वर्षीय सरस्वती पत्नी नवे सिंह गोण्ड गत सोमवार की दोपहर को बोगदा के पास जंगल में गई हुई थी तभी उसे सर्प ने डस दिया। उसे उपचार हेतु बुधनी अस्पताल लाया गया,जहॉ पर उसकी मौत हो गयी।
दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। आष्टा पुलिस ने एक विविहिता की फरियाद पर उसके पति सहित 5 लोगों के विरूद्ध दहेज एक्ट तहत मामला दर्ज किया हैं। जानकारी के अनुसार ग्राम शौभाखेडी निवासी चैनसिंह भाटी के पुत्री कोमल बाई का विवाह वर्ष 1198 में ग्राम गोरा चिचली निवासी महेन्द्र उर्फ प्रकाश के साथ हुआ था। बताया जाता है कि विवाह के दो वर्ष बाद से कोमल बाई का पति उससे दहेज मे एक लाख रूपये एवं बाईक की मांग कर प्रताड़ित करने लगा। उसके इस कार्य में कोमल बाई का ससूर लक्ष्मण सिंह सास राजकुवर बाई, देवर मुकेश एवं देवरानी अनिता बाई द्वारा भी सहयोग किया जाता था। ससुराल पक्ष इस प्रताड़ना तंग आकर कोमल बाई अपने माईके आ गई और थाना आष्टा में पहॅुचकर अपनी फरियाद पुलिस को सुनाई। जिस पर पुलिस ने इन लोगों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्यवाही प्रारंभ कर दी हैं।
श्रमिक के साथ मारपीट
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। कल रात्री में एक घर पर लोहे की चद्दर चढ़ाने गये मजदूर के साथ मारपीट की घटना घटी। पुलिस ने बताया कि ग्राम काजीखेड़ी निवासी गेंदालाल मेवाड़ा अपने ग्राम के जीतमल के यहाँ चद्दर चढ़ाने गये थे। इसी दौरान उक्त मजदूर को जीतमल एवं उसके भाई किशोर ने मारपीट की बाद में उसके घर पर जाकर भी मारा। गेंदालाल की शिकायत पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया है।
गुमठी में चोरी
आष्टा 9 सितम्बर (नि.सं.)। मण्डी गेट के सामने संजय कुमार जैन पुत्र माणक चंद जैन,निवासी भवानीपुरा आष्टा की गुमठी में से 16-17 अगस्त की रात्रि में अज्ञात चोरों ने गुमठी में रखे एक छोटी टीवी एवं डीवीडी कीमत लगभग ढाई हजार ले गये। आज शिकायत दर्ज कराई।
मण्डल कार्यालय में तोडफ़ोड़ करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज
आष्टा 9 सितम्बर (नि।सं।)। दो दिन पूर्व मध्य प्रदेश विद्युत मण्डल आष्टा के कार्यालय पर विद्युत कटौती से नाराज मुस्लिम समाज के अनेकों युवकों ने रात्रि में विद्युत मण्डल कार्यालय पहुँचकर जो पथराव किया था इसमें विद्युत मण्डल कार्यालय की कई खिड़कियों के कांच टूट गये थे। उक्त घटना के बाद जे.ई. यशवंत जैन ने आष्टा थाने में लिखित में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस जांच के बाद आज खलील खां पुत्र मेहमूद खां निवासी लंगापुरा एवं डेढ़ सौ इनके साथियों के खिलाफ धारा 145, 427, 336 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
गणेश मंदिर पर आज लड्डुओं से विशेष हवन
सीहोर 9 सितं.(नि.सं.)। प्राचीन गणेश मंदिर पर बुधवार को विशेष हवन किया जायेगा। प्राचीन नरसिंह मंदिर कस्बा प्रबंधन द्वारा यहाँ कल 1 हजार मोदक के लड्डुओं की आहूति छोड़ी जायेगी। यह हवन गणेश अथर्वशीर्ष के पाठ से होगा जिसमें दूर्वा और परमल (लाजा) की आहूति भी छोड़ी जायेगी। उजैन से विशेष ब्राह्मणजन भी कल पधार रहे हैं।
सोलंकी की आज अंतिम यात्रा
सीहोर 9 सिंत.। नगर पालिका में भृत्य के पद पर कार्यरत अशोक सोलंकी का आज दोनो कीडनी फेल हो जाने के कारण असामायिक निधन हो गया। आप नपा के क्वार्टर में रहते थे। बुधवार को इनकी अंतिम यात्रा निकलेगी।
जैन समाज ने मौन जुलूस निकाला
सीहोर 9 सितम्बर (नि.सं.)। दिगम्बर जैन समाज द्वारा बीना गंज में साध्वी आर्यिका गजमति जी, मंगलमति जी, श्रध्दामति जी के ऊपर कुछ विघ् संतोषी असामाजिक तत्वों द्वारा अण्डे फेंके गए थे इसके विरोध में जैन मंदिर चरखा लाईन से एक मौन जुलूस मुख्य बाजार से होता हुआ कलेक्टर कार्यालय सीहोर पहुँचा। जहाँ रायपाल महोदय के नाम ज्ञापित ज्ञापन दिया गया। इसमें उक्त घटना पर विरोध प्रकट करते हुए ऐसे असामाजिक तत्वों को शीघ्र गिरफ्तार करने का निवेदन किया गया। उक्त मौन जुलूस में बड़ी संख्या में पुरुष एवं महिलाएं एवं युवक शामिल थे जो कि बहुत तेज बरसते पानी में कलेक्टर कार्यालय पहुँचे तथा अपना विरोध प्रकट किया। उक्त मौन जुलूस में मुख्य रुप से समाज के पूर्व अध्यक्ष संरक्षक संतोष जैन, अध्यक्ष ललित जैन, सौभाग्यमल जैन, हरीश अग्रवाल, देवचंद, भैयालाल, ज्ञानमल जैन, मांगीलाल जैन, आनंद जैन, प्रकाश, श्रीपाल जैन कस्बा, रमेश जैन शुजालपुर वाले, मुकेश जैन, संजय, दीपक, रविन्द्र, पंकज, संदीप, धर्मेन्द्र, महिपाल, रविश, मुकेश कल्लु, सुनील जैन, जितेन्द्र, अतुल, अनिल, निर्मल जैन, रवि जैन, प्रशांत जैन, विशाल जैन बग्गी खाना, अखिलेश, ललित रानू, कपिल, राजेश, प्रदीप, नीरज, कमल, धीरज, धर्मेन्द्र, विजय, राहुल, प्रशांत आदि उपस्थित थे।
आष्टा 9 सितम्बर (नि.प्र.)। गुना जिले के बीनागंज कस्बे में शनिवार को आहार के पश्चात आगरा मुंबई मार्ग स्थित जैन धर्मशाला जा रही जैन साध्वियों पर उपद्रवी तत्वों ने अंडे फोडकर फै ककर बड़ा निंदनीय व दंडनीय कृत्य किया है। जैन समाज सहित प्रबुद्ध वर्ग ने उक्त घटना की तीखे शब्दों में निंदा करते हुए आरोपियों को गिरफतार करने की मांग की है। इस संबंध में एक विशाल जुलूस निकालकर तहसीलदार को ज्ञापन महामहिम राज्यपाल के नाम सौंपा। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका ऋ जुमति माताजी का ससंघ चातुर्मास बीनागंज कस्बे में चल रहा हैं। आर्यिका ससंघ शनिवार को आहार पश्चात जैन धर्मशाला जा रही थी कि एक बाईक पर आए तीन युवकों में से दो ने साध्वीगण पर अंडे फोड़कर भाग गए। जैन साध्वियों के साथ अशोभनीय कृत्य करने की श्री दिगम्बर जैन समाज के संरक्षक राजमल सेठी, अध्यक्ष पवन कुमार जैन, महामंत्री मुकेश बडजात्या, प्रवक्ता नरेन्द्र गंगवाल, सुरेन्द्र जैन, अशोक कासलीवाल, कैलाशचन्द्र जैन प्रदीप प्रगति सुजानमल जैन, श्री श्वेताम्बर जैन के वरिष्ठ सवाईमल बोहरा, लख्मीचंद पारख, पारसमल सिंधवी, चंदनमल बनबट, रवीन्द्र राकां, रमेशचन्द्र पारख, स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष लोकेन्द्र बनबट, श्राविका संघ अध्यक्ष श्रीमति साधना राकां, सुशील संचेती, नगीनचन्द्र जैन, प्रसन्न बनवट, आदि ने निंदा करते हुए शासन व गुना के जिला प्रशासन से मांग की कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर तत्काल गिरफ्तार करें।
जैन समाज में फूटा आक्रोश
शरारती तत्वों द्वारा अंडे फैकने की घटना से जैन समाज में आक्रोश फूटा और विशाल मौन जुलूस किला मंदिर से प्रारंभ हुआ जो बड़ा बाजार सिकंदर बाजार गंज मानस भवन रोड़ होते हुए तहसील कार्यालय पहुंचा। वहॉ महामहिम राज्यपाल डॉ.बलराम जाखड़ के नाम ज्ञापन वरिष्ठ समाजसेवी सवाईमल बोहरा, नपाध्यक्ष कैलाश परमार, जैन समाज अध्यक्ष पवन जैन आदि ने तहसीलदार बिहारी सिंह सौंपा। आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की गई। ज्ञापन का वाचन समाज के महामंत्री मुकेश बड़जात्या ने किया। अंत में आभार सचिव मनोज जैन सुपर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर श्वेताम्बर समाज के वरिष्ठ श्री सवाईमल बोहरा, एन.एस. अलेरिया, कैलाश परमार नपाध्यक्ष, उमेश शर्मा अध्यक्ष हिन्दु उत्सव समिति,भूपेन्द्र केसरी,हरिनारायण मालवीय, अशोक देशलेहरा, रवि सोनी, किशन भोजवानी, राकेश सुराणा राधेश्याम सोनी, कृपालसिंह पटाडा, अनिल झॅवर, संजय सोनी, बन्टू, संजय जैन, लोकेन्द्र धारवॉ, भूरू खॉ, प्रदीप प्रगति,छोटमल जैन, सुखानंद जैन दिलिप सेठी, अशोक कासलीवाल, सहित भारी संख्या में उपस्थित।
घटना अहिंसात्मक विचारों पर चोट
जैन साध्वियों के साथ हुए इस दर्ुव्यवहार की घटना की जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार,जिला भाजपा अध्यक्ष ललित नागौरी, जनपंद पंचायत अध्यक्ष श्रीमति प्रेमबाई ठाकुर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिलीप सोनी, सुरेश सुराणा,गोपाल दास राठी, फूलचंद वर्मा, संदीप जैन, सहित कई लोगों ने निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की घटना समस्त हिन्दु समाज के अहिंसात्मक विचारों पर चोंट है। किसी भी व्यक्ति को किसी की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार नही हैं।
पुलक चेतना मंच ने विरोध जताया पुलक जन चेतना मंच आष्टा ने घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि घटना समाज की आस्था पर कुठाराघात है। ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, ऐसे करम शासन प्रशासन उठावें। घटना पर नाराजगी व्यक्त की हैं।
जैन समाज में फूटा आक्रोश
शरारती तत्वों द्वारा अंडे फैकने की घटना से जैन समाज में आक्रोश फूटा और विशाल मौन जुलूस किला मंदिर से प्रारंभ हुआ जो बड़ा बाजार सिकंदर बाजार गंज मानस भवन रोड़ होते हुए तहसील कार्यालय पहुंचा। वहॉ महामहिम राज्यपाल डॉ.बलराम जाखड़ के नाम ज्ञापन वरिष्ठ समाजसेवी सवाईमल बोहरा, नपाध्यक्ष कैलाश परमार, जैन समाज अध्यक्ष पवन जैन आदि ने तहसीलदार बिहारी सिंह सौंपा। आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की गई। ज्ञापन का वाचन समाज के महामंत्री मुकेश बड़जात्या ने किया। अंत में आभार सचिव मनोज जैन सुपर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर श्वेताम्बर समाज के वरिष्ठ श्री सवाईमल बोहरा, एन.एस. अलेरिया, कैलाश परमार नपाध्यक्ष, उमेश शर्मा अध्यक्ष हिन्दु उत्सव समिति,भूपेन्द्र केसरी,हरिनारायण मालवीय, अशोक देशलेहरा, रवि सोनी, किशन भोजवानी, राकेश सुराणा राधेश्याम सोनी, कृपालसिंह पटाडा, अनिल झॅवर, संजय सोनी, बन्टू, संजय जैन, लोकेन्द्र धारवॉ, भूरू खॉ, प्रदीप प्रगति,छोटमल जैन, सुखानंद जैन दिलिप सेठी, अशोक कासलीवाल, सहित भारी संख्या में उपस्थित।
घटना अहिंसात्मक विचारों पर चोट
जैन साध्वियों के साथ हुए इस दर्ुव्यवहार की घटना की जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार,जिला भाजपा अध्यक्ष ललित नागौरी, जनपंद पंचायत अध्यक्ष श्रीमति प्रेमबाई ठाकुर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिलीप सोनी, सुरेश सुराणा,गोपाल दास राठी, फूलचंद वर्मा, संदीप जैन, सहित कई लोगों ने निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की घटना समस्त हिन्दु समाज के अहिंसात्मक विचारों पर चोंट है। किसी भी व्यक्ति को किसी की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार नही हैं।
पुलक चेतना मंच ने विरोध जताया पुलक जन चेतना मंच आष्टा ने घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा कि घटना समाज की आस्था पर कुठाराघात है। ऐसी अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, ऐसे करम शासन प्रशासन उठावें। घटना पर नाराजगी व्यक्त की हैं।
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