Monday, November 10, 2008

चुनाव में लगे कर्मचारी आयोग के अधीन कर्तव्य में कोताही पड़ेगी महंगी

सीहोर 8 नवम्बर (नि.सं.)। चुनाव के काम में लगने वाला पूरा प्रशासनिक और पुलिस अमला अब भारत निर्वाचन आयोग के अधीन हो गया है। इसके चलते डयूटी में कोई कोताही तो महंगी पड़ेगी ही, इनमें से किसी की निष्पक्षता को लेकर कोई सवाल उठा तो भी दोषी कर्मचारी आयोग की सीधी कार्रवाई का पात्र हो जाएगा।   

      कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डी.पी.आहूजा ने निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों के हवाले से बताया है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी कर्मचारियों को बाकायदा चेता दिया है कि वे अपना व्यवहार निष्पक्ष रखें और वह दिखना भी चाहिए। इस अधिनियम की धारा 28(क) के मुताबिक चुनाव संचालन में डयूटी पर तैनात किए गए सभी अधिकारी, कर्मचारी और राज्य सरकार द्वारा पदस्थ पुलिस अमला चुनाव नतीजों के ऐलान तक भारत निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्ति पर रहेगा। इसके चलते ये कर्मचारी-अफसर आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के दायरे में आ गए हैं। अब इनमें से कोई कोताही कर जाए तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आयोग सीधे कर सकेगा। इस सिलसिले में साफ किया गया है कि चुनाव डयूटी को जिम्मेदाराना तरीके से निभाना सरकारी कर्मचारी का कानूनी फर्ज है और इसमें कोई कोताही उसे सजा का हकदार बना देगी। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आहूजा ने चुनावी डयूटी में लगे अफसरों और कर्मचारियों को आगाह किया गया है कि वे किसी पक्ष के लिए काम न करने लगें और न ही उसे वोट देने के लिए किसी मतदाता पर अपना प्रभाव जमाएं। उन्हें किसी के लिए चुनाव एजेंट हरगिज नहीं बनना है। 

      कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री आहूजा ने कहा है कि जहाँ तक सरकारी कर्मचारियों की बात है तो उनका चुनाव में पूरी तरह निष्पक्ष रहना जरूरी होगा। उन्हें कोई ऐसा काम नहीं करना है जिससे इस कसौटी पर खरी उतरने में नाकामी हाथ लगे या वे शक के दायरे में आ जांय। इस बारे में साफ किया गया है कि कर्मचारी न तो चुनाव प्रचार या अभियान में भाग लें और न ही किसी राजनैतिक दल या उम्मीदवार की कोई मदद करें। उन्हें सचेत रहना  है कि सरकार द्वारा उन्हें दिए गए किसी अधिकार और हैसियत का कोई दल या उम्मीदवार फायदा न उठा सके। किसी उम्मीदवार के हक में चुनाव के लिए काम करना मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों का भी उल्लंघन होगा। श्री आहूजा ने केन्द्र अथवा राज्य के मंत्रियों को लेकर सारे सरकारी कर्मचारियों को आगाह कर दिया है कि जब भी कोई मंत्री या उम्मीदवार जिले में दौरे पर आएं और सर्किट हाऊस या रेस्ट हाऊस में ठहरें तो बहुत जरूरी होने पर ही सामान्य तरीके से मिला जा सकता है अकारण नहीं।

      यदि वे किसी निजी आवास गृह में ठहरें तो वहाँ उनकी आवाजाही के वक्त किसी अफसर को जाने की जरूरत नहीं है। यदि मंत्री सरकारी काम से किसी अफसर या कर्मचारी को सर्किट हाऊस या रेस्ट हाऊस बुलाएं तो ही जाएं, निजी आवास पर हरगिज नहीं। चुनाव से जुड़े कर्मचारियों पर इस बारे में चुनाव आयोग के निर्देश लागू होंगे।

मंत्री को निजी मकान में गार्ड नहीं

      आयोग ने यह साफ कर दिया है कि यदि मंत्री अपने दौरे के दौरान जिला मुख्यालय स्थित सर्किट हाऊस में ठहरें तो ही उनके लिए हमेशा की तरह गार्ड लगेगा। यदि मंत्री निजी आवास पर ठहरें या फिर गाँवों के दौरे पर वहाँ रेस्ट हाऊस में ठहरें तो वहाँ गार्ड का इंतजाम नहीं किया जाएगा। इस बारे में साफ किया गया है कि मंत्रियों की खुद की सुरक्षा के लिए उनके साथ बाडीगार्ड रहता ही है। फिर भी, यदि किसी खास वजह से पुलिस अधीक्षक इनकी अतिरिक्त, सुरक्षा जरूरी समझे तो सादे कपड़ो में एक या दो सिपाही लगाए जा सकेंगे।


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