सीहोर 9 नवम्बर (नि.सं.)। वर्ष 2003 में जहाँ पूरा प्रदेश बंटाढार को दूर से ही नमस्कार करने के लिये एक साथ खड़ा हो गया था। कांग्रेस की भारी विरोध की लहर थी, वहीं आष्टा में भी एक नये भाजपा प्रत्याशी के रुप में रुगनाथ मालवीय सामने थे।
कांग्रेस के मंझे हुए खिलाड़ी अजीत सिंह की तैयारियाँ युध्द स्तर पर चल रही थी। लेकिन कांग्रेस का जो गच्चा मिलने जा रहा था वह फूल सिंह रुपी कांटे के रुप में था। गांव-गांव में फूल सिंह ने कांग्रेस के लिये इतने कांटे उगा दिये थे कि जिन पर चलना कांग्रेस के लिये मुश्किल ही नहीं असंभव हो चुका था। 1 लाख 34 हजार 512 मत पूरे आष्टा विधानसभा क्षेत्र में गिरे थे जिनमें से मात्र 38.28 प्रतिशत मत भाजपा को मिले थे। मतलब 51503 मत भाजपा की झोली में गये थे। जबकि कांग्रेस को ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी भाजपा से 10652 मत ही कम मिले थे कुल 40851 जबकि कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी समस्या उसके वोट काटने वाली बहुजन समाज वादी पार्टी थी और फूल सिंह चौहान जैसा बहुजन समाज का नेता सामने था। बसपा ने भारी उलटफेर करते हुए कांग्रेस से मात्र 6 हजार कम मत प्राप्त किये थे। फूल सिंह चौहान को 34 हजार 395 मत प्राप्त हुए थे।
इस प्रकार कांग्रेस और बसपा दोनो को मिलाकर 75 हजार 246 मत प्राप्त हुए थे जो भाजपा से डेढ़ गुना अधिक थे। इस मामले कहा जाता है कि बसपा जो मत प्राप्त करती है वह अक्सर कांग्रेस को ही नुकसान पहुँचाती है।
गत विधानसभा चुनाव वर्ष 2003 में जहाँ उमाश्री भारती पूरे विधानसभा क्षेत्र में चुनाव का प्रचार करने भी पहुँच रही थीं वहीं यदि चुनाव परिणामों के दौरान जिन 14 चरणों में मत पेटियाँ खुली उन पर निगाह डाले तो यह बात सामने आती है की कई बसपा कांग्रेस से आगे रही और भाजपा को भी उसने पछाड़ दिया मतलब कुछ क्षेत्र बसपा और फूल सिंह के गढ़ थे। इसी प्रकार कुछ क्षेत्रों से कांग्रेस ने सर्वाधिक मत प्राप्त किये थे तथैव कहीं - कहीं अजीत सिंह का भी अच्छा दबदबा बना हुआ था। इस बार वर्ष 2008 में एक बार फिर चुनाव के समीकरण नये सिरे से बन रहे हैं जहाँ चतुष्कोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। जहाँ भाजपा, कांग्रेस व बसपा के उम्मीद्वार तो सामने हैं ही वहीं भाजपा के बागी वर्तमान विधायक रुगनाथ मालवीय भी संभावित उम्मीद्वार हैं। इस प्रकार 4 प्रभावी उम्मीद्वार सामने रहने की उम्मीद है।
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