Thursday, October 16, 2008

टेसू और झांझी की धूमधाम से हुई शादी,

सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.)। दशहरा पर जले रावण के साथ ही एक और लोक प्रथा को मनाते यहाँ छल्ला-बल्ला के गीत गाते 'मेरा टूसे यहीं अड़ा खाने को मांगे दहीबड़ा' बच्चों में उत्साह का संचार देखने को मिलता है। गंज व ग्वालटोली के बच्चों की टोलियाँ टेसू बनाकर नगर भर में घूमती हैं और कुछ बालिकाएं भी झांझियाँ बनाकर उसे सजा संवारकर निकल पड़ती हैं। कल टेसू रावण जिस लकड़ी से जलता है उसी लकड़ी को एकत्र करके बनाया जाता है । शरद पूर्णिमा के अवसर लडक़ों के टेसू और लड़कियों की झांझी का विवाह धूमधाम से सम्पन्न हुआ। बच्चों ने गोट मनाई और इस प्रकार 5 दिवसीय टेसू और झांझी का विवाह उत्सव सम्पन्न हो गया।

      मालवा की लोक संस्कृति और बुंदेलखण्ड में टेसू की परम्परा भी विद्यमान है। सीहोर चूंकि मालवा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और गंज में विशेषकर बुंदेलखंड का यादा प्रभाव है इसलिये यहाँ भी इस संस्कृति और परम्परा का चलन है। गंज क्षेत्र में इसका सर्वाधिक प्रचलन है। इस वर्ष भी टेसू और झांझी बनाने वाले बच्चों का उत्साह कम नहीं था बल्कि कुछ नये बच्चे भी इस बार नजर आये। बच्चे रावण जल जाने के बाद उसकी लकड़ियों और पिंचियों से आकर्षक टेसू बनाते हैं और सुन्दर सजाकर उस पर दीपक लगाते हैं। टेसू का मुँह भी बनाया जाता है। इसी प्रकार बालिकाएं भी एक मटकी को रखकर उसकी झांझी बनाती हैं। यह एक सुन्दर युवती मानी जाती है। 'लाल झण्डी हरी झण्डी, उसमें बैठी झेंझी रानी, क्या पल्लु झलकाये रही' के सुमधुर लोकगीत यहाँ प्रीति, रिंकी, सपना, भूरी, गुड़िया, रानू, आशा प्रजापति, बिट्टु, नीतू, भारती, रानी आदि बालिकाएं अपनी-अपनी झेंझी के साथ सुनाने में हिचकती नहीं बल्कि उत्साह से सुनाया करती हैं। यह बालिकाएं गंज के ग्वालटोली व अन्य क्षेत्रों में विगत पाँच दिनों लगातार निकलीं। अपने झेंझी रानी का मुखड़ा दिखाने के नाम पर यह अच्छे रुपये बटोरती रहीं। झेंझी की मुँह दिखाई दुल्हन की मुंह दिखाई से कम नहीं होती, और फिर बच्चों के इस    खेल में आम नागरिक भी सहयोगी हो जाते हैं और अपनी तरफ से इन बच्चियों को कुछ ना कुछ उपहार राशि दिया करते हैं।

      खासतौर से बालकों की आवाज अवश्य आकर्षण पैदा करती है, उनका उत्साह भी देखते ही बन रहा था। बालकों में भी दीपक बंशकार, राजेश बंशकार, राहुल राठौर, दीपक राठौर, आकाश जोगी, जितेन्द्र, रोहित, राजा, रुपेश, गोलू, योगेश, संतोष आदि अपने-अपने टेसू लेकर घूमते नजर आये। यह सभी विद्यार्थी हैं और कक्षा 4 से लेकर 8 तक के हैं। शाम 6-7 बजते ही यह टेसू लेकर उसमें दीपक जलाते और निकल पड़ते नगर भर में, रात 10 बजे तक पूरे नगर में अपने टेसू को घुमाकर लाते। इन्हे टेसू के गीत सुनाने में बड़ा आनन्द प्राप्त होता है। बाल मन गीत सुनाते जाते हैं लेकिन हंसी रुकने का नाम नहीं लेती।

      बच्चों के इस दल ने कल शरद पूर्णिमा तक घूमकर अच्छे रुपये एकत्र कर लिये थे। पूर्णिमा के बाद टेसू और झेंझी की शादी बालक और बालिकाओं के दल ने मिलकर किसी एक नियत स्थान पर कराई। इसमें भी पूरे मजे लेने के लिये इन्ही में से एक बालक पंडित भी बन जाता है जो उल्टे-सुल्टे मंत्र बोलकर सभी को हंसाता भी हैं ऊं अगड़ं-बगड़ं  स्वाहा, या ऐसे ही अन्य रोचक मंत्र यह पढ़ता है। इसे सब पोंगा पंडित कहकर चिढ़ाते हैं और यह शादी भी कराता है। दोनो दल के पास कतिना रुपया एकत्र होता है उस आधार पर शादी होती है। झेंझी और टेसू की शादी में बच्चे खर्च भी करते हैं। यह ढेर सारी मिठाईयाँ खरीदकर लाते हैं और सभी मिलकर खाते हैं। इसके बाद टेसू और झेंझी फोड़ दिये जाते हैं। इस शादी में इनके बालक बालिकाओं के माता-पिता भी उपस्थित हो जाते हैं, मोहल्ले के लोग भी आ जाते हैं और टेसू और झेंझी की शादी का मजा लेते हैं।

      बालिकाओं की भी अपनी एक अदा होती है, जब उनसे कभी कोई झेंझी दिखाने को कहता है तो वह कहती हैं कि यह बहुत शर्मिली है इसको देखने के लिये कम से कम 11 या 21 रुपये लगेंगे। छोटी-छोटी कन्याओं के मुख से यह बात सुनकर कई लोग रुपये देकर झेंझी देखते हैं वह सहज सरल ढंग से बात करती हैं और झेंझी के गीत भी सुनाती हैं 'अंगना में बोली कोयल, पिछवाड़े बोली मोर, चली है प्यारी झेंझी, हम सबसे मुखड़ा मोड़, पापा भी रोए मम्मी भी रोए, अंगना में खड़ा टेसू, आशा की लगी डोर, चली है प्यारी झेंझी हम सबसे मुखड़ा मोड़'। बालिकाओं ने झेंझी से संबंधित मधुर लोकगीत गड़बड़िया भी सुनाये जिनमें 'गड़बड़-गड़बड़ गाड़ी लो, शेर भाग्यो जाये, की बाई को गड़बड़ियो, शेर में लग्यो कोटा नाई के घरा जाये, की बाई की गड़बड़ियो, बाई ने दी नेरनी, सुताईया के घर जाये' इसी प्रकार बालकों ने 'भूरी बिल्लैया भूरे कान, भूरी के आ गये दो मेजबान, भूरी गई नल्ले में, पूछ पकड़ लई पिल्ले ने' के अलावा 'छोटी से गुड्डी पान खाना सीख गई, बटुए में पैसा नहीं हाथ मारना सीख गई'। और बच्चों के 'टेसू-टेसू यहीं खड़ा, खाने को मांगे दहीबड़ा, दहीबड़ा से पूछी बात, कितने लोग हमारे साथ, हाथी घोड़ा शेर सवार, छुन्नो की रोटी कोई न खाये, खाये खाये चुगरिया खाये, तुम्हारा दिया पुन हो जाये'

        ऐसे गीत गाते इन बालकों की हंसी रुक नहीं पाती। इसी प्रकार 'जैसे रेल चली भई रेल चली, सो डिब्बा छोड़ चली, एक डिब्बा आरम्पार, उसमें बैठे मियां साब, मियां साब की काली टोपी, काले हैं कल्याण जी भूरे हैं भगवान जी, सीता जी की गोद में, कूद पड़े हनुमान जी' गीत भी इन्होने सुनाया। नई उम्र नई पीढ़ी के इन बच्चों को अपनी संस्कृति के इतने पुराने लोक गीत अच्छे से याद है और वह परम्परा को जीवित रखे हुए हैं यही बड़ी बात है।

10 गंभीर कुपोषित बच्चे इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती

         आष्टा 15 अक्टूबर (नि.सं.)। आज महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रोजेक्ट मुस्कान योजना के तहत आष्टा सिविल अस्पताल में एक निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 618 बच्चों एवं 187 महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

      बारहवें बाल संजीवनी अभियान में चयनित ग्रेड 1, 2, 34 के बच्चे गर्भवती महिलाएं एवं किशोरी बालिकाओं का इस शिविर में स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। जांच के दौरान 10 गंभीर कुपोषित बच्चों के मिलने पर इन सभी बच्चों को इलाज के लिये पुर्नवास केन्द्र सिविल अस्पताल आष्टा में भर्ती किया गया। परियोजना अधिकारी श्रीमति इन्द्रायीणी खोड़े ने बताया कि शिविर में सेक्टर आष्टा मैना, आष्टा ग्रामीण, खाचरौद, सिध्दिकगंज के हितग्राहियों का परीक्षण किया गया। शिविर में निशुल्क दवाओं का परीक्षण कर डॉ.ए.के. जैन, डॉ.रंजना सिंह, डॉ.आर.सी. गुप्ता ने शिविर में आई महिलाओं व बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।

      शिविर प्रभारी श्रीमति अनीता नागौरी सहित श्रीमति कविता कावड़े, सुशीला खण्डेलवाल, रेखा व्यास, सागर मेवाड़ा, सुशीला अवलेशिया, श्री बाहेती सहित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं स्वास्थ्य विभाग की श्रीमति कांता शर्मा, पुष्पा सोनी, सुशीला सावलकर सहित स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिनस्थों का भी सहयोग प्राप्त हुआ।

नगर पालिका के दैनिक वेतन भोगियों का नियमितिकरण हुआ

      सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.)। दैनिक वेतन भोगियों के नियमितिकरण के संबंध में चुनाव आचार संहिता की घोषणा होने के पूर्व 13 अक्टूबर सायं उप सचिव एस.के.उपाध्याय मध्य प्रदेश शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा एक आदेश जारी कर दिया है जिसके तहत आदेश क्रमांक एफ 4-143200718-1 में कहा गया है कि नगरीय निकायों के दैनिक वेतन भोगी नियमितिकरण किये जाये। आदेश के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 16 कई 07 को विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं। सभी निकाय पात्रता प्राप्त कर्मचारियों के प्रस्ताव सक्षम प्राधिकारी स्तर जैसे परिषदएमआईसी  पीआईसी से पारित कर अनुमोदन हेतु विभाग को भेजे जावे। यह प्रक्रिया उन्ही निकायों में की जावेगी जिनका स्थापना व्यय 65 प्रतिशत से कम हो।

      पूर्व अध्यक्ष अशोक सिसोदिया के कार्यकाल में परिषद ने उपरोक्त संबंध में एक प्रस्ताव पारित कर दिया था।

श्री सत्तनारायण मंदिर में गरबे की धूम

      सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.)  । शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर विगत रात्रि 9 बजे सत्यनारायण मंदिर, अग्रसेन मार्ग, बड़ा बाजार, पर सीहोर की प्रसिद्ध गरबा दलों के बालक एवं बालिकाओं द्वारा मनमोहक गरबा नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई, जिसकी उपस्थित जन समुदाय ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। 

      अग्रवाल समाज के मीडिया प्रभारी प्रवक्ता मोहित गोयल ने जानकारी देते हुए कहा कि कार्यक्रम में जगदम्बा गु्रप, जय-दुर्गे ग्रुप एवं जय मां भवानी ग्रुप ने एकल एवं सामुहिक गरबा नृत्य प्रस्तुत किये।

      कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। इसके पश्चात सत्यनारायण जी एवं श्री महालक्ष्मी जी को भोग लगाकर आरती के पश्चात खीर की प्रसादी का वितरण किया गया।

      इस अवसर पर अग्रवाल समाज की ओर से अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल एवं भू.पू. नगर पालिका अध्यक्षा सुश्री रुकमणी रोहिला द्वारा समसत प्रतिभागी दलों को नगद राशि से पुरस्कृत किया गया।

      इस अवसर पर हरीश अग्रवाल, द्वारकाप्रसाद मित्तल, डा. कैलाश अग्रवाल, गोवर्धन, ओमप्रकाश रोहिला, गोविन्द मित्तल, विष्णु भरतिया, श्रीमति मालती अग्रवाल श्रीमति प्रेमा रूठिया सभी समाज के पुरुषों एवं महिलाओं व बच्चों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

एक दिन मुहिम चलाकर बंद झोलाछाप काट रहे चांदी

      आष्टा 15 अक्टूबर (नि.प्र.) क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप थमने का नाम ही नहीं ले रहा है हालत यह है कि सिविल अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बुखार पीड़ित आ रहे है। इनमें से अधिकांश मरीज मलेरिया से पीड़ित है। अस्पताल में डाक्टरों की कमी के चलते फर्जी डिग्री लेकर झोलाछाप नीम हकीम खबरा ए जान चांदी काट रह ेहै।

      सरकार अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिलने के कारण मरीजों को मजबूरी वश झोला छाप डाक्टरों की शरण लेना पड़ रही है। यह डाक्टर मरीजों को बेतरतीब इलाज कर न सिर्फ अपनी जेबे गर्म कर रहे, बल्कि मरीजों की जान से खिलवाड़ करने पर भी तुले है। बावजूद इसके जिले का स्वास्थ्य महकमा अभी तक इस गंभीर मुद्दे को लेकर कोई नेता कदम नहीं उठा पाया है।

बिना डिग्री कर रहे इलाज

      यूं तो शहर में डिस्पेंशरी खोले बैठे झोला छापों की संख्या अनगिनत है। गली-गली मोहल्लों में ये लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है। लेकिन इनमें से बहुत से डाक्टर ऐसे होंगे, जिनके पास किसी मान्यता प्राप्त संस्था से वैध मेडीकल डिग्री अथवा डिप्लोमा हो।

      यह कथित डाक्टर थोड़ी बहुत प्रेक्टिस के आधार पर गले में आला डालकर मरीजों का उपचार कर रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले तथा अनपढ़ ग्रामीण बिना जानकारी के ही इन नीम हकीमों की गिरफ्त में आ जाते है, जिससे न केवल उनके रुपए की बर्वादी होती है बल्कि उनकी जान पर भी बन आती है। आष्टा में इस प्रकार की घटनाऐं हो रही है। एक डाक्टर पर कार्यवाही कर मुहिम बंद तहसीलदार बिहारी सिंह ने एक नीम हकीम की डिस्पेंशरी को सील किया था, उसके बाद यह मुहिम नहीं चली, जबकि नगर में महिला विशेषज्ञ तक फर्जी डिग्री लेकर मरीजों की जिंदगी से खेल रही है।

अनाड़ी दादा की आज अंतिम यात्रा

      सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.)।  प्रसिध्द कवि व अपने जमाने के नमकीन व्यवसायी श्री रामलाल जी कौशल अनाड़ी का आज बीमारी केचलते देहावसान हो गया। आपकी अंतिम यात्रा नेहरु कालोनी पावर हाउस चौराहा निज निवास से प्रात: 10 बजे निकलेगी। विगत कुछ दिनों से अनाड़ी दादा बीमार चल रहे थे। जिनका स्वास्थ्य इस सप्ताह भर में लगातार गिरता गया। आज उन्हे भोपाल आईसीयू में भर्ती किया गया जहाँ उन्होने अंतिम सांस ली। कल गुरुवार को उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी। आप किशोर कौशल राजू नमकीन रतलामी स्वीट्स के पूय पिताजी थे। आज नगर के काव्य प्रेमियों व कवियों में यह खबर पहुँचते ही शोक की लहर फैल गई।

धुंआ उड़ाने पर 400 का जुर्माना

      आष्टा 15 अक्टूबर (नि.सं.)। 2 अक्टूबर से सार्वजनिक स्थानों, शासकिय कार्यालयों में धुम्रपान वर्जित कर दिया गया है। धुम्रपान वर्जित होने के बाद भी न्यायालय परिसर में देवकरण सिंह पुत्र श्याम सिंह इछावर निवासी धुम्रपान करता हुआ पाया गया तब पुलिस ने उसे पकडक़र तहसीलदार श्री बिहारी सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया। वहीं आज न्यायालय तहसील परिसर में सोहन सिंह पुत्र भगवत सिंह निवासी डाबरी धुम्रपान करता पाया गया इसे भी तहसीलदार के समक्ष पेश किया गया। यहाँ इन दोनो पर 200-200 रुपये का जुर्माना ठोंका गया। और इस प्रकार इन दोनो को धुंआ उड़ाना महंगा सौदा साबित हुआ। आष्टा तहसील में इस प्रकार के जुर्माने के यह पहले प्रकरण हैं।

तपेले में डेढ साल का बालक डूब गया

      जावर 15 अक्टूबर (नि.सं.)। आज ग्राम भाऊखेड़ा में एक डेढ़ वर्ष का बालक छोटू पुत्र महेश मालवीय घर के आंगन में खेलते-खेलते आंगन में रखे तपेले जिसमें पानी भरा था में मुँह के बल गिर पड़ा। जिससे उसकी उक्त पानी में डूबने से मृत्यु हो गई। पुलिस ने मर्ग कायम जांच प्रारंभ कर दी है।

रागिनी राष्ट्रीय गायन प्रतियोगिता में प्रथम आई


              सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.)। जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर में आयोजित भवभूति समारोह में रागिनी शर्मा ने श्लोक गायन प्रतियोगिता में भाग लेकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। अखिल भारतीय स्तर की यह प्रतियोगिता में संस्कृत ग्रंथों के प्रसिध्द लेखक आचार्य भवभूति की रचनाओं पर आधारित थी।

      रागिनी वर्तमान में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल में प्राक्शास्त्री कक्षा की छात्रा है। उक्त प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगियों में रागिनी सबसे छोटी उम्र की प्रतियोगी थी। रागिनी प्रेस फोटोग्राफर राजेन्द्र शर्मा बब्बल गुरु की पुत्री हैं।

काले तालाब से पानी की चोरी रोको

आष्टा 15 अक्टूबर (नि.प्र.)। स्थानीय प्रशासन अल्प वर्षा को लेकर चिंतित है गत दिवस एसडीएम ने नगर पालिका को पार्वती के पानी को सुरक्षित करने नदी किनारे चल रही सिंचाई रोकने मोटरे जप्त करने के निर्देश बैठक में दिये। भाजपा पार्षद रवि सोनी ने नगर पालिका के सीएमओ करुणेश दण्डोतिया को बताया कि नगर के काले तालाब में भी इस बार कम वर्षा के कारण तालाब में पानी कम भराया है। उक्त पानी को भी सुरक्षित किया जाये। रवि सोनी ने सीएमओ को बताया की तालाब से अवैध  रुप से पानी की चोरी कर सिंचाई की जा रही है उसे रोका जाये नहीं तो चंद दिनों में उक्त भरा पानी चोरी होकर तालाब खाली हो जायेगा। एसडीएम आष्टा को चोरी करने वालों के  खिलाफ सख्त रवैया अपनाना पड़ेगा तब भी पानी सुरक्षित रह पायेगा। इसी प्रकार खेड़ापति तालाब से पानी चोरी होने की शिकायत मिल रही है यहाँ भी निगाह घुमाने की अति आवश्यकता है।

 

जीवन को सार्थक करने के लिए संतो महापुरुषों का सानिध्य जरूरी: मधुबाला जी

आष्टा 15 अक्टूबर (नि.प्र.) अरिहंत सिद्धों ने पुरुषार्थ करके आठ कर्म पाकर कर लिए है। उनके कर्म ऐसे है जैसे जली हुई रस्सी, जिसे बच्चा भी समाप्त कर सकता है। जिन शासन को पाकर आत्मा को आत्मकल्याण के पथ पर बढ़कर अपने जीवन को सार्थक करना है। इसी पथ पर बढ़कर कई आत्मा ने अपने जीवन को सार्थक बनाया है। जिस प्रकार प्यास लगने पर प्यासा पानी के पास जाता है, उसी प्रकार हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए संतो-महापुरुषों के पास जाना     पड़ता है।

      उक्त उद्गार साध्वी श्री मधुबाला जी ने महावीर भवन स्थानक में रविवार को व्यक्त करते हुए कहा कि संतो-महापुरुषों की जिनवाणी व उनकी साधना से हमें पुरुषार्थ करने व अपने जीवन को सार्थक करने का रास्ता मिलता है तथा प्रभु मार्ग को स्वीकार करते है। शिष्य महापुरुषों से यही सीखता है कि हमें कपट न करके साधना-आराधना करके धर्म के पथ पर संघ के साथ चलना है और हमें शीघ्र आत्मकल्याण के लिए इस मार्ग पर चलना है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में गुरु का होना आवश्यक है। बिना गुरु के यह जीवन आगे नहीं बढ़ पाएगा और न ही विकास कर पाएगा। आपने कहा कि अब आचार्य उपाध्याय और साधु पुरुषार्थ करके अरिहंत पद की साधना करते है, अंतिम पद के तैंतीस अर्थात छ: गुण अब आठ और छ: गुण अर्थात चौदह गुणों का सार नवकार मंत्र है। इस नवकार मंत्र का स्मरण यदि एक बार भी सच्ची आराधना तथा मन से करें तो भी भव सागर को तारा जा सकता है। ज्योति से ज्योति विराजमान नवकार मंत्र श्वेत रंग से है। आत्म निर्मल है, सफेद है, जिसमें अंदर व बाहर एक समान दिखाई देता है। ज्ञान को ज्ञानियों ने आंख की उपमा दी है। यदि प्रकाश होगा, सूर्य उदय होगा तभी दिखाई देगा। इस प्रकार आत्मा को आत्मज्ञान की आराधना करके अपनी आत्मा को आगे पहुंचा सकता हैद्ध यह सम्यकज्ञान सुदर्शन रूपी आत्मा के पास होता है, तो वह आत्मा से मैलापन दूर करके स्वच्छ बनाने का प्रयास करता है। इसी लिए सिक्के के दो रूप होते है सम्यकज्ञान, सम्यकदर्शन। इसलिए आंख को खोलने का काम ज्ञान तथा उसे समझने का दर्शन करता है। ज्ञान और दर्शन से हमारी श्रद्धा मजबूत होती है और जब नवकार मंत्र की श्रद्धा होती है, तो वह उसी का आराधक बन जाता है और श्रद्धा नहीं रहती है तो

संसार में भटकता रहता है।

 

      ईष्या की आग के कारण मानव प्रवृत्ति से क्रूर बन जाता है: साध्वी सुनीता जी

      इस जगत में व्यवहार की जड, चैतन्य सभी को जलाकर नष्ट कर देती है। मानव मन मेंर् ईष्या की आग और काम की आग में मानव के समस्त सदगुणों को जलाकर नष्ट कर देती है।र् ईष्या की आगे के कारण मानव प्रवृत्ति से क्रूर बन जाता है।

      उक्त उदगार साध्वी सुनीता जी महाराज साहब ने व्यक्त करते हुए कहा कि वसुपाल राजा का एक विस्तार पूर्वक कथन सुनाया। आपने आगे कहा कि इस संसार में  दुर्गुणी व्यक्ति सर्प के समान होता है। सदगुणी व्यक्ति चंदन की महक के समान धर्म के पथ पर चलकर महकता है तथा दुर्गुणी व्यक्ति सर्प के समान बनकर कुछ भी नहीं कर पाता है।

      इस अवसर पर बच्चों के ज्ञान शिविर के दौरान कु. आकांक्षा रांका ने  गुरुणी साहब आए प्रवचन सुनाए, आष्टा नगरी में चौमासा रचाए। उक्त भवन को गाया, जिसे उपस्थित सभी श्रावक-श्राविकाओं ने काफी सराहा। शिविर में प्रथम कु. आकांक्षा रांका व द्वितीय शहजल रांका आए।

      छिंगावत परिवार की ओर से कु9 आकांक्षा रांका व सलोनी सोनी का सम्मान भी किया गया। रचना छिंगावत का वर्धमान स्थानकवासी श्राविका संघ ने स्वागत किया। इस अवसर पर समाज के श्रावक-श्राविकाओं के अलावा लिबड़ी, गुजरात, बदनावद, बागली, जावरा आदि के अनेक श्रावक-श्राविकाएं साध्वी श्री मधुबाला जी आदि ठाणा तीन के दर्शनार्थ पधारें एवं उनके प्रवचन सुनकर धर्मलाभ लिया।

अज्ञात कारणों से विवाहिता की मौत

      सीहोर 15 अक्टूबर (नि.सं.) जिला चिकित्सालय सीहोर में उपचार हेतु लाई जा रही एक विवाहिता की अज्ञात कारणों से मौत हो गई। वही पानी से भरे भगौने में डूबने से एक डेढ़ वर्षीय बालक की मौत हो गई।

      प्राप्त जानकारी के अनुसार आष्टा थाना क्षेत्र के ग्राम गोपालपुरा निवासी अखेसिंह की 30 वर्षीय पत्नी सुनीता को आज आष्टा चिकित्सालय से रेफर होने पर सीहोर चिकित्सालय में उपचार हेतु लाया जा रहा था जिसकी रास्ते में ही मौत हो गई।

      उधर जावर थाना क्षेत्र के ग्राम भाऊखेड़ा में रहने वाले महेश कुमार के देढ़ वर्षीय पुत्र छोटू की आज अपने घर में खेलते समय पानी के भरे भगौने में डूब जाने से मौत हो गई।