सीहोर 27 सितम्बर (आनन्द भैया)। नगर पालिका की आगामी दिनों में नगर विकास के प्रति क्या सोच है ? नगर पालिका की व्यवस्थाएं आगामी दिनों में और कैसे सुधर सकती है ऐसे अनेकानेक प्रश्नों को लेकर आज फुरसत ने दमदार निर्भिक मुख्य नगर पालिका अधिकारी डी.एस. परिहार से खास बातचीत की। इस बातचीत का पूरा ब्यौरा आज फुरसत अपने पाठकों के समक्ष रखने का प्रयास कर रहा है।
दिन का दूसरा पहर, घड़ी करीब 4.30 बजा रही थी। हमने बिना पूर्व सूचना के मुख्य नगर पालिका अधिकारी डीएस परिहार से मिलने का मन बनाया और कार्यालयीन समय में उनके कामकाज को देखने की इच्छा जताई। हम निकल पड़े शहरी विकास परियोजना कार्यालय की तरफ। हमारी जानकारी के मुताबिक मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री परिहार डूडा कार्यालय में शासकिय कामकाज में जुटे हुए थे और हम भी उसी कमरे में जा बैठे। उन्होने पहले तो आने का कारण पूछा और जब उपयुक्त बातें जानने की बात हमने उनसे कही तो उन्होने कहा कि आप थोड़ा इंतजार कर लें मैं आवश्यक कार्य निपटा लूँ फिर अपन बैठेंगे। आपसे इस विषय में विस्तार से बात की जायेगी।
ठीक 5 बजे कार्यालयीन समय समाप्त होते ही हम श्री परिहार के साथ चर्चा के लिये उनके निवास पर पहुँचे और सहज और सरल अंदाज में उनसे पहला सवाल पूछा...। आप आखिर नगर पालिका की नौकरी में क्यों आये ?
सवाल खत्म हुआ ही था कि श्री परिहार ने नगर पालिका की नौकरी में आने की वजह जनसेवा बताई। उन्होने बताया कि नगर पालिका में नौकरी करके कई लोगों के सुखदुख की अनुभूति को महसूस किया जा सकता है साथ ही पीड़ित मानवता की समस्या का समाधान करने के लिये नगर पालिका से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। श्री परिहार ने बताया कि छात्र जीवन से ही एनसीसी जैसी संस्थाओं में सक्रिय भूमिका निभाता आया हूँ इस दौरान कई बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिये भी काम किया है। तभी से जनसेवा के प्रति रुचि जाग्रत होना शुरु हो गई और शिक्षा के बाद इस ध्येय को पूरा करने के लिये नगर पालिका की नौकरी में आ गया।
शहर में जल समस्या काफी गंभीर है इस दिशा में आपकी सोच और कार्य योजना क्या है ?
सवाल के जबाव में श्री परिहार ने बड़ी सहजता के साथ कहा कि जल समस्या सीहोर में वाकई एक बड़ा संकट है। जिसको दूर करने के लिये हम प्रयासों में जुटे हुए हैं। लेकिन इस काम में सीहोर वासियों की सहभागिता भी जरुरी है। उन्होने कहा कि अल्पवर्षा के चलते शहर में जल संकट एक गंभीर रुप लेगा इसका अनुमान हमें है। इस संकट से निपटने के लिये मैं जैसे ही सीहोर आया वैसे ही सबसे पहले जल प्रबंधन की और ध्यान दिया। यहाँ हर बार 15 अक्टूबर के आसपास काहिरी बंधान बांधा जाता है लेकिन हमने समय के पूर्व ही अगस्त माह में इसे बांध दिया है। हमारा यह निर्णय सही भी रहा है। वर्षा की स्थिति दिख ही रही है। यदि देरी हो जाती तो काहिरी में पानी भराना मुश्किल हो सकता था। साथ ही उन्होने जल संकट से निपटने के लिये प्राचीन जल स्त्रोतों के उचित संग्रहण, रख-रखाव, पानी के अपव्यय को रोकने की बात भी प्रमुखता से कही और इस काम में आम जनता की सहभागिता को भी जरुरी बताया।
व्यवस्थित प्रशासन में आपका बड़ा विश्वास नजर आता है ? लेकिन वर्तमान नगर पालिका की व्यवस्थाओं को लेकर आप कितने खुश या नाखुश हैं ?
इस प्रश् के उत्तर में वह बोले की अक्सर मुझे यहाँ पर एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति नजर आई। पहले तो मैं इस बात के लिये प्रयासरत हूँ कि नगर पालिका में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी अपने कर्तव्य और अधिकारों के प्रति सचेत रहें। यदि यह लोग इस दिशा में थोड़ा-सा भी सोचना शुरु कर देंगे तो व्यवस्थित प्रशासन की समस्या खुद-व खुद हल हो जायेगी। हालांकि आपको भी जैसा की मालूम है कि मैने पूर्व में भी कई सालों तक सीहोर नगर पालिका का कामकाज देखा है उस वक्त भी मैने व्यवस्थाओं को सुधारने के लिये कर्मचारियों को पाबंद किया था। एक बार फिर मैने सीहोर नगर पालिका का कार्यभार ग्रहण करने के बाद कार्यरत कर्मचारी और अधिकारियाें को उनके कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की बात कही। साथ ही नगर पालिका में पुन: अनुशासन स्थापित किया है।
सीहोर नगर पालिका में कई सीएमओ आये और चले गये, लेकिन शहर के लोग आपको नहीं भूल पाये ? आप जिस तरह से हर काम में नियमों की कैंची चलाते हैं और आपके इस कठोर स्वभाव के कारण नगर पालिका के ठेकेदार ही नहीं अब तो अध्यक्ष भी परेशान रहते हैं ?
इस सवाल के जबाव में कुछ सोचते हुए श्री परिहार ने बेवाक तरीके से कहना शुर किया कि हर जगह नीति-अनीति, अनुशासन-कुशासन, झूठ-सच आमने-सामने रहते हैं। उन्होने बताया कि जिस तरह जीवन जीने के नियमों में धार्मिक ग्रंथ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं उसी तरह मेरा सोच यही रहता है कि हर काम सामाजिक जीवन जीने से भी संविधान में बंधकर जिया जाये । मैं नियमों की कैंची नहीं चलाता हूँ लेकिन जहाँ काम गलत हो रहा है उसे नियमों के दायरे करने का आदि हूँ। अब भले ही मेरे इस कार्यपध्दति से ठेकेदार परेशान हों या अध्यक्ष, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होने बताया कि सीहोर नगर पालिका में मैने पूर्व के 15 सालों का रिकार्ड देखा है जिसमें काफी अनियमितता पूर्वक तरीके से काम किये गये हैं। मैं इन सभी कामों की नये सिरे से जांच में भी जुटा हुआ हूँ। मेरा प्रयास है कि ऐसी अनियमितताएं मेरे कार्यकाल में ना हों।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी के बंगले में खड़े दो बंदूकधारी सुरक्षा कर्मियों को संबंध में भी फुरसत ने प्रश्न पूछा कि आखिर इनकी आपको क्या जरुरत पड़ गई ?
इस पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री परिहार ने कहा कि मैं नीति और नियमों के अंदर ही रहकर काम करना चाहता हूँ लेकिन पिछले कुछ दिनों से सीहोर नगर पालिका से जुड़े लोगों की यह आदत सी हो गई है कि वह चाहते हैं हम नियमों के विरुध्द जाकर काम करें...अनियमितता पूर्वक उनके अनुसार काम कर दें, इसके लिये वह सारे हथकंडे भी अपनाते हैं...इस तरह की असुविधाओं से बचने के लिये मैं अक्सर उन लोगों को मना कर देता हूँ और जिस वजह से नियम विरुध्द काम करवाने वाले लोग मेरे प्रति आक्रोशित हो जाते हैं ऐसे लोगों से बचने के लिये ही मैने निजी तौर पर दो बंदूक धारी सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया है। क्योंकि पिछले दिनों मेरे साथ कुछ लोगों ने अभद्र व्यवहार करने की कोशिश की थी। श्री परिहार ने बताया कि सीहोर नगर पालिका में कार्यरत कुछ लोगों का ध्यान आय की तरफ बिल्कुल नहीं है टेक्स के रुप में 6 करोड़ रुपये की वसूली शेष है लेकिन मात्र 29 लाख रुपये हमारे पास आया है।
आखिर सवाल के रुप में हमने पूछा कि आपका भविष्य में शहर को लेकर क्या सोच है ?
उनका कहना था कि नागरिकों की आवश्यकताएं पूरी हो। शहर का यातायात सुगम हो। लोगों को अपनी नाक नहीं पकड़ना पड़े, शहर में इतनी अच्छी सफाई व्यवस्था हो, और सड़कों पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था इन कामों को करने के लिये इस दिशा में मेरे द्वारा समय-समय पर कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है। यह काम मेरा आगे भी जारी रहेगा।
हमारी यह बात यहीं खत्म हो गई थी लेकिन श्री परिहार ने कहा कि मैं नपा में कार्यरत मेरे कर्मचारियों के लिये जीपीएफ की राशि को सुरक्षित करने के लिये भरसक प्रयास कर रहा हूँ। यदि कर्मचारी सुव्यवस्थित जीवन जियेगा तो वह अपनी संस्था के प्रति उतना ही ईमानदार और कर्मठशील बनेगा। उन्होने कहा कि मेरा यह प्रयास भी है कि नपा द्वारा मायनिंग के रुप में दिया जाने वाला कर आयकर विभाग, वाणिय विभाग को दिया जाने वाले कर की देनदारी नहीं हो और इसे समय पर ही विभागों को सौंप दिया जाना चाहिये।
Sunday, September 28, 2008
डीजल नहीं होने पर मना किया तो कर्मचारी को मारा
आष्टा 27 सितम्बर । आज शाम को जावर जोड़ के पास स्थित खुशी सेल्स एण्ड सर्विस पेट्रोल पंप पर तैनात कर्मचारी मोहन सिंह को कुण्डियाधागा ग्राम के दो लोगों ने इसलिये मारापीटा की पेट्रोल पंप पर एक ट्रेक्टर लेकर वह दोनो डीजल लेने आये थे डीजल नहीं होने के कारण कर्मचारी ने डीजल का मना कर दिया था।
इस बात पर विवाद हुआ तब इन लोगों ने कर्मचारी के साथ मारपीट कर दी। रात जावर पुलिस भी पेट्रोल पर पहुँच गई।
इस बात पर विवाद हुआ तब इन लोगों ने कर्मचारी के साथ मारपीट कर दी। रात जावर पुलिस भी पेट्रोल पर पहुँच गई।
प्रेरणा महिला मंडल ने की जल संरक्षण की अनोखी मुहिम
सीहोर 27 सितं.(नि.सं.)। जल संरक्षण एवं जल संवर्धन को लेकर प्रेरणा महिला मण्डल ने अनूठा प्रयास करते हुए आज विभिन्न महिला संगठनों का सहयोग लिया और एक प्रेरणास्पद रैली निकाली तथा जल संरक्षण को लेकर कुछ महत्वपूर्ण मांगों का एक ज्ञापन कलेक्ट्रेट में श्रीमति भावना बालिम्बे को सौंपा।
आज निकले विशाल जनजाग्रति रैली में नगर के अधिकांश महिला संगठनों की उपस्थिति प्रेरणा महिला मण्डल के नेतृत्व में दिखी। जिसमें अग्रवाल महिला मण्डल, संगीतिका महिला मण्डल, माहेश्वरी, गुजराती, सोनी, दिगम्बरजैन समाज, श्वेताम्बर जैन समाज की महिला प्रमुखों सहित लायनेस, इनरव्हील क्लब भी सम्मिलित हुए। महाराष्ट्रीयन समाज, ब्राह्मण समाज महिला मण्डल भी शामिल हुआ। महिलाओं ने आज पुरजोर तरीके से जल संरक्षण के संबंध में नारे भी लगाये। जल की महिमा अपरंपार, जल नहीं तो हाहाकार जैसे नारे भी लगे। इन्होने अपने ज्ञापन में जल संरक्षण के महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। संगठन की अध्यक्षा श्रीमति कांता गट्टानी ने स्काउट-गाइड के बच्चों सहित सभी महिला संगठनों का आभार व्यक्त किया। आज प्रमुख रुप से अंजना हुरकट, श्रीमति प्रतिभा झंवर, रेणु शास्त्री, उमा पालीवाल, हेमा अग्रवाल, नीलमणि जैन, नीलम शर्मा, कल्पणा हर्णे, रमा सोनी आदि महिलाएं उपस्थित थीं।
आज निकले विशाल जनजाग्रति रैली में नगर के अधिकांश महिला संगठनों की उपस्थिति प्रेरणा महिला मण्डल के नेतृत्व में दिखी। जिसमें अग्रवाल महिला मण्डल, संगीतिका महिला मण्डल, माहेश्वरी, गुजराती, सोनी, दिगम्बरजैन समाज, श्वेताम्बर जैन समाज की महिला प्रमुखों सहित लायनेस, इनरव्हील क्लब भी सम्मिलित हुए। महाराष्ट्रीयन समाज, ब्राह्मण समाज महिला मण्डल भी शामिल हुआ। महिलाओं ने आज पुरजोर तरीके से जल संरक्षण के संबंध में नारे भी लगाये। जल की महिमा अपरंपार, जल नहीं तो हाहाकार जैसे नारे भी लगे। इन्होने अपने ज्ञापन में जल संरक्षण के महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। संगठन की अध्यक्षा श्रीमति कांता गट्टानी ने स्काउट-गाइड के बच्चों सहित सभी महिला संगठनों का आभार व्यक्त किया। आज प्रमुख रुप से अंजना हुरकट, श्रीमति प्रतिभा झंवर, रेणु शास्त्री, उमा पालीवाल, हेमा अग्रवाल, नीलमणि जैन, नीलम शर्मा, कल्पणा हर्णे, रमा सोनी आदि महिलाएं उपस्थित थीं।
संसार में सब कुछ पाकर भी कुछ हाथ नहीं लगेगा मुनि विजय सागर जी
आष्टा 27 सितम्बर (नि.प्र.)। संसार इतना विचित्र है कि यहां सब कुछ पाकर भी कुछ हाथ नहीं लगेगा, जीतकर भी हार की सीढियाबन जाएगी विश्व का साम्राज्य भी व्यक्ति को मिल जाए तो भी कुछ और पाने की लालसा रहेगी। लालसा लोभ का कारण है। व्यक्ति की दिनों दिन आकांक्षा बढ़ती ही जा रही है।
यह बातें मुनि विजय सागर जी ने ग्राम धामंदा में श्री राम मंदिर परिसर में प्रवचन के दौरान कही। आपने कहा कि आज समाज साधु से धन दिलवाने की बात करते है कि हमें धर्मशाला बनवाना है, लेकिन धर्मशाला तो नाम रहता है उसे धन कमाने का साधन बनाते है। उसमें शौचालय,बाथरूम कमरे बनाकर धर्मशाला को कर्मशाला बनाकर विवाह शाला, भोगशाला आदि कर देते है। आज व्यक्ति की आकांक्षा तीन लोक की संपत्ति मिलने पर भी पूर्ण नहीं होती है। आकांक्षा को आपने झूठी आवश्यकता बताते हुए उसे सपना बताया। सपना कभी भी परिपूर्णा नहीं होता। सपने की जड़े न तो धरती पर होती है और न ही पाताल में। आवश्यकता शरीर स ेजुड़ी होती है, जबकि आकांक्षा मन से और शरीर की आवश्यकता भोजन है। पेट रोटी मांगता है, लेकिन मन कहता है केवल रोटी से काम नहीं चलेगा नरम-गरम के साथ नमकीन-मीठा भी होना चाहिए। भगवान महावीर कहते है कि आकांक्षा ही दु:ख का कारण है। आकांक्षा व्यक्ति को न जाने क्या-क्या कराती है। यह आकांक्षा व्यक्ति को कुछ देती नहीं लेकिन जो उसके पास उससे छीन लेती है। उम्मीदों के सहारे व्यक्ति जीवन भर दौड़ता रहता है और एक समय आता है कि वह जिंदगी से विदा हो जाता है। जो तुम्हारे पास है, उसका आनन्द लो।
प्रारंभ में मंगलचरण पंडित निर्मल कुमार ने किया तथा संचालन पवन जैन ने किया। इस अवसर पर ग्राम के अनेक जन उपस्थित थे।
हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।
यह बातें मुनि विजय सागर जी ने ग्राम धामंदा में श्री राम मंदिर परिसर में प्रवचन के दौरान कही। आपने कहा कि आज समाज साधु से धन दिलवाने की बात करते है कि हमें धर्मशाला बनवाना है, लेकिन धर्मशाला तो नाम रहता है उसे धन कमाने का साधन बनाते है। उसमें शौचालय,बाथरूम कमरे बनाकर धर्मशाला को कर्मशाला बनाकर विवाह शाला, भोगशाला आदि कर देते है। आज व्यक्ति की आकांक्षा तीन लोक की संपत्ति मिलने पर भी पूर्ण नहीं होती है। आकांक्षा को आपने झूठी आवश्यकता बताते हुए उसे सपना बताया। सपना कभी भी परिपूर्णा नहीं होता। सपने की जड़े न तो धरती पर होती है और न ही पाताल में। आवश्यकता शरीर स ेजुड़ी होती है, जबकि आकांक्षा मन से और शरीर की आवश्यकता भोजन है। पेट रोटी मांगता है, लेकिन मन कहता है केवल रोटी से काम नहीं चलेगा नरम-गरम के साथ नमकीन-मीठा भी होना चाहिए। भगवान महावीर कहते है कि आकांक्षा ही दु:ख का कारण है। आकांक्षा व्यक्ति को न जाने क्या-क्या कराती है। यह आकांक्षा व्यक्ति को कुछ देती नहीं लेकिन जो उसके पास उससे छीन लेती है। उम्मीदों के सहारे व्यक्ति जीवन भर दौड़ता रहता है और एक समय आता है कि वह जिंदगी से विदा हो जाता है। जो तुम्हारे पास है, उसका आनन्द लो।
प्रारंभ में मंगलचरण पंडित निर्मल कुमार ने किया तथा संचालन पवन जैन ने किया। इस अवसर पर ग्राम के अनेक जन उपस्थित थे।
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जमीन के पुराने विवाद में मारपीट
आष्टा 27 सितम्बर (नि.सं.)। कल शाम को लगभग 6 बजे जावर थाने के तहत आने वाले ग्राम भंवरीकला में जमीन के एक पुराने विवाद को लेकर चल रही रंजिश के चलते ग्राम के कई लोगों ने एक व्यक्ति के साथ मारपीट की। आज फरियादी रंजीत सिंह पुत्र चैनसिंह उम्र 60 वर्ष ने अपने ही ग्राम के उदय सिंह, अनार सिंह, रमेश, अनार सिंह की पत्नि, मेहरबान सिंह पत्नि, सजन, हरनाथ, मोहन, इंदर आदि के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच प्रारंभ की।
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