Saturday, December 27, 2008

क्यों भैंसों का श्राप ले रहे हो... पशु चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्था से परेशान पशुपालक

सीहोर 26 दिसम्बर (नि.सं.)। पशु चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक भी निजी प्रेक्टिस कर स्वयं को धन्य करने में लगे हुए हैं और जब कभी शासकिय स्तर पर इन्हे पशुओं की सेवा करने का सौभाग्य मिलता है तो यह उसे टाल जाते हैं। जबकि शासकिय दवाओं को अपने बेग में भरकर ले जाते हैं और फिर निजी प्रेक्टिस में इसका उपयोग कर लेते हैं। कई पशुओं को बीमारी की अवस्था में देखते रहते हैं लेकिन इलाज करने से बचते हैं। यदि पशु पालक यादा बात करें तो कह देते हैं कि मेरा स्थानान्तरण हो चुका है इसलिये मैं पशु नहीं देखूंगा।

      पशु चिकित्सालय इन दिनो पशुवत व्यवहार के कारण परेशानी का कारण बन गया है। मूक पशुओं के प्रति संवेदनहीन एक पशु चिकित्सक के व्यवहार ने यहाँ लम्बे समय से पशु पालकों को परेशानी में डाल रखा है। यहाँ आने वाले मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्र के पशु पालकों के पशुओं का इलाज तो होता ही नहीं है या तो उन्हे चिकित्सक का अभाव बता दिया जाता है, या कम्पाउण्डर नहीं होने की बात कही जाती है।

      पशु चिकित्सालय में यूँ तो भारी मात्रा में दवाईयाँ प्रशासन उपलब्ध कराता है लेकिन जब कभी किसी मूक पशु के इलाज के लिये दवाई की जरुरत पड़ती है तो यहाँ उसे उपलब्ध ही नहीं होती है आखिर लाखों रुपये की दवाईयाँ बिना लगे ही कैसे गायब हो जाती है यह एक जांच का विषय है।

      एक बाबू हैं कि बस गुटका चबाते हुए बैठे रहते हैं और काम करने के नाम अलसाते हैं। यहाँ आने वाली दवाईयाँ इनके बेग में चुपचाप रखा जाती है और फिर सेटिंग से यहाँ से दवाई की चोरी हो जाती है।

      बड़ी संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का इलाज करने यह निजी प्रेक्टिस करने शासकिय दवाओं के साथ जाते हैं और वहाँ शासकिय दवाओं को लगाकर ग्रामीण पशु पालकों से भारी भरकम रुपये वसूलते हैं।

      इन्ही यह अदा भी है कि जब कभी कोई पशु पालक यहाँ इलाज कराने आता है तो उसे बजाये चिकित्सालय से दवाएं उपलब्ध कराने के सीधे बाहर की दवाएं लिख देते हैं जिससे पशु पालकों को परेशानी होती है।

      पशु चिकित्सा विभाग के एक उच्चस्थ अधिकारी को खाने-पीने का जरा यादा ही शोक फरमाया हुआ है, इनका शोक कैसे पूरा हो ? इसके लिये एक जुगाड़ बनाई गई है। जुगाड़ यह है कि यहाँ पशु चिकित्सालय में दवाओं की चोरी की खुल्ली छूट दी गई है जिससे होने वाली कमाई के रुपयों से आये दिन मुर्गा-पार्टी का आयोजन होता है। इनके खाने-पीने की आदत पशुओं को भारी पड़ रही है। पशुओं के हिस्से का माल इनके पेट में जा रहा है।

      पशु चिकित्सालय में एक स्थानीय छुटभैया भाजपाई नेता भी अपने एक मित्र के साथ डटे ही रहते हैं...यूँ तो लोग अक्सर मनुष्यों के चिकित्सालय में बैठना पसंद करते हैं लेकिन इन छुटभैया नेता को जाने कौन-सा आनन्द मिलता है जो यह पशु चिकित्सालय में आने वाले पशुओं को गौर से देखकर उठाते हैं। इनकी भी उपस्थिति यहाँ परेशानी पैदा करती है, यहाँ किसी ना किसी प्रकार जुगाड़ बैठे-बैठे देखते हैं जिससे दबाव बनाकर कु छ जेब खर्च निकाल सकें।

      स्थिति तो यह बन गई है कि पिछले दिनों एक भैंस पशु पालक यहाँ आया तो था काफी देर तक परेशान होता रहा किसी ने उसकी सहायता नहीं की, उसकी भैंस के थन खराब हो गये थे, उसमें कीड़े पड़ गये थे, उसकी पेशाब में कीड़े भी पड़ गये थे जिसकी सफाई तो हो गई लेकिन उचित मार्गदर्शन, इंजेक्शन बाटल यहाँ नहीं दिया गया। हैरान परेशान पशु पालक यहाँ सबसे यही कह रहा है कि भैया क्यों भैंसो का श्राप ले रहे हो।

      पशुओं को भर्ती की व्यवस्था नहीं होने के कारण भी यहाँ एक बड़ी समस्या खड़ी हुई है जिला पशु चिकित्सालय होने के बावजूद यहाँ कोई व्यवस्था नहीं है। पशु कल्याण समिति के होते हुए यहाँ समस्याएं व्याप्त हैं।

...जब नदी किनारे अधिकारी ने पत्रकार को कर दिया पानी-पानी

सीहोर 26 दिसम्बर (नि.सं.)। सीवन नदी की सफाई के साथ ही वह पत्रकार भी सक्रिय हो गये थे और नदी के कीचड़ के साथ अपने पाप भी धोने की तैयारी में जुट गये थे जो अपनी नई-नई आदतों से कभी कभार चर्चा में आ जाते हैं। सीवन के किनारों ने कईयों को पार लगाया है, घर बैठे मक्खी मारने वाले लोग इसी सीवन से निकले कीचड़ में स्वयं को कमल बनाने में सफल हुए हैं....सीवन के इन्ही किनारों ने कईयों के बुझे हुए दीप जलाये हैं... सीवन के किनारों ने कईयों की कला को प्रखर किया है और ऊँचाईयाँ दी है....चंदा की किरणों में गोते लगाने का दुस्साहस भी सीवन के किनारे चलने वाली ठंडी हवाओं ने ही दिया....। जब-जब सीवन की सफाई हुई तब-तब नगर के कई लोगों की प्रशासनिक दूरियाँ नजदीकियों में बदली है।

      लेकिन लम्बे समय से ना तो यहाँ कोई सीवन के प्रति सोच रखने वाला आया और ना ही इस बहाने अधिकारियों से करीबी बनने का कोई सेतु बन सका। यह दीगर बात है कि सीवन के घांट पर ऐसे लोग अकेले में ही जाकर टहल आते हैं और कई बार उन पुरानी यादों में खो जाते हैं जब सीवन सफाई अभियान के साथ ही उनकी प्रशासनिक अधिकारियों से करीबी बनी थी....और बड़े अधिकारी से होने वाली गुप्तगु को देखने वाले कई छोटे अधिकारियों की निगाह में वह कुछ खास हो गये थे...कैसे उनकी चल पड़ी थी...हर अधिकारी उन्हे सम्मान से देखता था...हर तरफ वही मियां सूरमा बने हुए थे...।

      अब हाल ही में जब सीवन सफाई का अभियान फिर साहब की उपस्थिति में प्रारंभ हुआ तो कईयों के मुँह पानी आ गया.....वह वापस ख्वाब देखने लगे जैसे-जैसे सीवन का कीचड़ हटेगा वैसे-वैसे उनकी नजदीकियाँ साहब से बनने लगेगी।

      इसी क्रम में सबसे पहले मचले एक पत्रकार ने पहले ही दिन साहब के सामने सीवन सफाई को प्रदेश भर में ख्याति दिलाने का छोटा-सा लालच देते हुए कैमरा आगे कर दिया और उनसे पूछा कि सीवन नदी की सफाई के विषय में आप क्या कहना चाहते हैं ? यह प्रेरणा आपको कैसे मिली ? आदि आदि। लेकिन यह क्या........?

      साहब तो एकदम अलग ही अंदाज में नजर आये....उन्होने सीधे कह दिया कि हटाईये यह कै मरा, चलिये दूर हटिये, मैं कोई नेता नहीं हूँ। जो हो रहा देख लीजिये....। उफ् यह क्या हो गया.... पत्रकार साहब बड़े मायूस हो गये। नजदीकियों के वह स्वप्न चूर-चूर हो गये...साहब की वाणी ने उन्हे दिन में ही तारे दिखा दिये। 

      दूसरे नम्बर पर एक नये-नये पत्रकार साहब ने दाव लगाया....। काफी सोच-विचारकर इन्होने साहब को घापे में लेने के लिये, और अधिकारियों पर रंगदारी दिखाने के लिये एक ऐसा स्थान चुना जहाँ मामला जम ही जाये। यह साहब के पास पहुँचे पहले तो खडे रहे और अपनी जबरिया फीकी मुस्कुराहट बिखेरते रहे...बातों ही बातों में हाँ-हूँ के बाद यह एकदम पास पहुँचकर अपनी एक कथित महत्वपूर्ण राय देने के अंदाज में साहब के कान में अंदर अपना मुँह घुसाने लगे....और अपनी एक राय भी दे बैठे।

      लेकिन यह क्या....इन्हे भी सीधे साहब ने दो टका जबाव दे दिया...मिस्टर अपनी राय अपने पास रखें, हमें जब जरुरत होगी मांग लेंगे... अभी हम जो कर रहे हैं वह होने दीजिये...हमें किसी की राय-मशविरा की जरुरत नहीं है....। हाय-हाय जालिम यह साहब ने क्या कर डाला...दूसरों के दिलों पर साँप लौटाने गये थे लेकिन खुद ही जख्मी होकर आ गये हैं। अब सीवन सफाई अभियान के साथ ही घटित उपरोक्त घटनाओं ने नगर में चर्चाओं को जन्म दे दिया है...। लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं...कोई कह रहा है लो निकल गया कीचड...तो कोई कह रहा है उन्हे तो कर दिया पानी-पानी....।

इल्ली से फसलों के बचाने के उपाय

सीहोर 26 दिसंबर (नि.सं.)। कृषि विभाग द्वारा फसल को इल्लियों से बचाने के उपाय बताए गए हैं। इसके अलावा विभाग द्वारा प्रत्येक विकास खंड को छ: छ: सौ लीटर कीटनाशक दवा टाइजोफार मुहैया कराई गई है। दवा पर पांच सौ रूपये प्रति हैक्टेयर के मान से अनुदान दिया गया है।

      कृषि विभाग ने चना, मूंग, उडद, मिर्च, टमाटर आदि फसलों को इल्लियों द्वारा पहुंचाई जाने वाली हानि से बचाव के उपाय बताए हैं। साथ ही छ: छ: सौ लीटर कीटनाशक दवा ट्राइजोफास हर विकास खंड को मुहैया कराई है जिस पर पांच सौ रूपये प्रति हैक्टेयर अनुदान दिया जा रहा है। यह कीटनाशी दवा एस.ए.डी. ओ.के कार्यालय में उपलब्ध है।

जैविक तरीके से कीट नियंत्रण

      उप संचालक कृषि एन.एस.रघु ने फसलों को इल्‍ली से बचाने के जैविक उपाय बताए हैं। उन्होंने बताया है कि खेत में अंग्रेजी के अक्षर टी के आकार की लकड़ियां 10 - 12 स्थानों पर प्रति एक ड़ गाढ़ देने से इन लकड़ियों पर पक्षी बैठेंगे और इल्लियों को चुन कर नष्ट करेंगे। प्रारंभिक अवस्था की इल्लियों को 0.03 प्रतिशत नीम तेल ढाई लीटर की मात्रा प्रति हेक्टर की मान से छिड़काव कर नष्ट किया जा सकता है।

किसानों के अनुभव और कारगर नुस्खे

      खेती किसानी में किसानों के अनुभवों के आधार पर कुछ आजमाइश किए गए नुस्खों का उपयोग करने से भी कीटों के नियंत्रण में कारगर लाभ मिला है। आजमाए नुस्खों में गोमूत्र को बाटल या बड़े कांच के बर्तन में भरकर धूप में रख दे। जितना अधिक दिन पुराना गोमूत्र रहेगा, उतना अधिक कारगर होगा। डेढ़ सौ से दो सौ मिलीलीटर गौमूत्र 15 लीटर स्प्रे पंप में मिलाकर 10-12 पंप स्प्रे प्रति एकड करने से यह सभी प्रकार के कीटों को नियंत्रित करता है। पन्द्रह से बीस किलो नीम पत्तियां कोमल डालियों सहित 200 लीटर पानी में भिगोकर छांव में रखें तथा पानी पीला होने तक गलने दे। इसे नीम पत्ती का काढा कहते है। जिसे छानकर एक एकड क्षेत्र में स्प्रे किया जाना फायदेमंद होता है। नीम पत्तियों के स्थान पर करंज (संजी) आयपोमया (बेशरम), सीताफल, आंकडा (अकऊआ) की पत्तियों का भी उपयोग किया जा सकता है।

      आधा किलो लहसून और आधा किलो हरी मिर्च बारीक पीसकर पानी में घोल बनाकर उसे छानकर 200 लीटर पानी में मिलाकर इसमें 100 ग्राम साबुन पावडर (टिरजेन्ट पावडर) मिलाने के बाद उसे एक एकड फसल पर छिडकाव करें, इससे सभी प्रकार के कीट नियंत्रित होंगे। किसान भाई आधा किलो तम्बाकू सूखी पत्ती 2-3 लीटर पानी में उबालकर काढा बना ले। काढे को छानकर एक स्प्रे पम्प की टंकी में लगभग 30 मिलीलीटर काढा मिलाकर स्प्रे करने पर सभी कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। यह सभी कीटों को नियंत्रित करेगा।

      किसान भाई मिट्टी के धडे में मही (छाछ) भरकर 20-25 दिन तक जमीन में गाढ दे या भूसा में ढंक कर रख दे और अधिक समय तक रखे तो अ%छा है बाद में इसे निकालकर 2 - 2.50 लीटर इस सडे हुए मठे को प्रति 15 लीटर पम्प में मिलाकर छिड़क दे। कितनी भी बडी इगी होगी तत्काल नियंत्रित होगी। इसका प्रयोग इगी मारने हेतु सभी फसलों पर किया जा सकता है। 

आपके विश्वास पर खरा उतरुं गा-गुणवान

      जावर 26 दिसम्बर (नि.प्र.)। तहसील क्षेत्र में जो विकास की गति चल रही है उसे आगे भी जारी रखा जायेगा। आप लोगों ने मुझ पर जो विश्वास किया है उस पर मैं खरा उतरुंगा। कार्यकर्ताओं के लिये मेरे दरवाजे चौबीस घंटे खुले हैं जो गांव सड़क बनने से छूट गये हैं उन्हे भी शीघ्र पक्की सड़क से जुड़वाऊंगा। साथ ही सिंचाई की योजनाएं चालू करवाऊंगा अधूरे कार्यों का पूरा करवाऊंगा।

      यह बात क्षेत्रीय विधायक रणजीत सिंह गुणवान ने ग्राम गुजारी में कृषि विभाग के माध्यम से 23 लाख रुपये की लागत से बनने वाली तलाई के भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद उपस्थित ग्रामीणों के बीच कही। (इसके पश्चात गुणवान के ग्राम अतरालिया जावर) पहुँचने पर ग्रामीणों से ढोल-ढमाके व आतिशबाजी चलाकर स्वागत किया। बाद में स्कूल प्रांगण में स्वागत समारोह आयोजित किया गया। जहाँ पर सरपंच नाथू सिंह द्वारा गुणवान व सहकारी नेता देवी सिंह परमार का साफा बांधकर स्वागत किया व ग्राम में स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने एवं गांव तक सड़क बनवाने का मांग पत्र सौंपा। वहीं पीटीए अध्यक्ष जसपाल सिंह ने माध्यमिक शाला को उन्नयन कर हाईस्कूल का दर्जा दिलवाने व अन्य सुविधाएं बढ़ाने की मांग की। इस पर गुणवान ने स्कूल की बाउण्ड्री वाल बनवाने के लिये दो लाख रुपये देने की घोषणा की व हाईस्कूल प्राथमिकता के आधार पर खुलवाने का आश्वासन दिया । गांव में पानी की गंभीर समस्या है इसे हल करवाने के लिये महिलाओं ने गुणवान से मांग की। इस मौके पर ग्राम के मांगीलाल फूल सिंह, विजय सिंह, मनोहर सिंह जसपाल सिंह, कृपाल सिंह, सजन सिंह, राजेन्द्र सिंह, देवकरण, ज्ञान सिंह, सवाई सिंह सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सोबाल सिंह ने व आभार विजेन्द्र सिंह ने व्यक्त किया। 

पार्वती तो लबालव भरा गई अब न.पा. की जिम्मेदारी बढ़ी

आष्टा 26 दिसम्बर (नि.प्र.)। रामपूरा डेम से आष्टा के लिए न.पा. की मांग पर छोड़ा गया पानी पुरी तहर से आष्टा पहुंच चुका है पार्वती लबालब भरा गई है। अब उक्त कीमती पानी को सहेजना न.पा. की जिम्मेदारी क्षेत्र में आ गया है। वैसे न.पा. ने शहरों में से जो पानी वह रहा था उसे रोकने के लिए कार्य कराकर बहते पानी को रोक दिया है।

      नदी किनारे के खेतों में जो सिंचाई चौरी छीपे हो रही थी उसे भी रोकने के प्रयास तो किये है लेकिन ठोस प्रयासों की अभी भी जरूरत है। सी.एम.ओ. करूणेश दण्डोतिया ने बताया की नदी से पानी चौरी के कार्य में लगी लगभग 29 जल मोटरे जप्त की है कुछ स्थानों पर विद्युत कनेक्शन भी कटवाये है, लेकिन दुरस्थ क्षेत्रों में अभी भी रात के अंधेरे में पानी की सिंचाई की जा रही है। सी.एम.ओ. आष्टा ने बताया कि न.पा. का गश्ती दल नदी किनारे सघन जांच में लगा हुआ है जो पानी वर्तमान में पार्वती में है उसे नागरिकों को एक दिन छोड़कर 30 से 40 मिनिट दिया जा रहा है।

      सी.एम.ओ ने नगर के नागरिकों से भी जनहित में अपील की है कि कृपया वे पानी को सहेजे व्यर्थ पानी को ना बहावे जितना उपयोग में आये उतना ही पानी उपयोग में ले क्योंकि इस वर्ष अल्प वर्षा के कारण जल संकट की स्थिति बनी है इस स्थिति से हमें और आपको मिल जुलक र सहयोग से निपटना है। न.पा. का भरपूर प्रयास है की जनता को पानी उपलब्ध कराये।

 

 

सड़क हादसे में दो घायल

      सीहोर 26 दिसम्बर (नि.सं.)। जिले के थाना आष्टा अन्तर्गत सेंट्रो कार एवं ट्रक की टक्कर में दो लोग घायल हो गये। पुलिस ने प्रकरण कायम कर लिया है।  आष्टा थाना क्षेत्र के राजमार्ग पर स्थित ग्राम चिन्नौटा जोड़ के समीप आज सुबह नौ बजे इन्दौर से भोपाल की ओर सेंट्रो कार क्रमांक एमपी-04-सीबी-9502 से प्रवीण आ. मंगलसिंह मंडलोई 28 साल निवासी महेश गार्ड लाईन इन्दौर अपने साथी सुनील राजौरे के साथ भोपाल जा रहा था कि सामने से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-09-एचआर-0390 के चालक ने वाहन को तेजगति एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुये इनकी कार में टक्कर मार दी। परिणामस्वरूप प्रवीण एवं सुनील को चोट आने से इलाज हेतु अस्पताल आष्टा भेजा गया।