Monday, January 14, 2008

14 को नहीं 15 को है सक्रांति -पं. पृथ्वीबल्लभ दुबे

सीहोर 13 जनवरी (फुरसत)। जब सूर्य मकर राशि में क्रांति करते हैं तब से देवताओं का दिन तथा दैत्यों की रात्रि प्रारंभ होती है तभी से सूर्य उत्तरायण होते हैं तथा कर्क संक्रांति दक्षिणायन हो जाते हैं। सूर्य का किसी भी राशि में प्रवेश सूर्य की संक्रांति कहलाती है। सूर्य का संक्रमण काल त्रुटिकाल का हजारवां भाग होता है।
उसकी वास्तविक गणना ब्रह्मा के लिये भी कठिन है ऐसा वृहद योतिषसार का कथन है। इसलिये संक्रांति काल से 16 घड़ी पूर्व तथा 16 घड़ी पश्चात पुण्यकाल कहा जाता है। लेकिन इसी ग्रंथ का कथन है कि कर्क संक्रांति से 30 घड़ी अर्थात 12 घंटे पूर्व से तथा मकर संक्रांति के पश्चात 40 घड़ी अर्थात 16 घंटे तक का पुण्यकाल होता है। दिन में संक्रांति हो तो दिनभर पुण्यकाल होता है। रात्रि में संक्रांति हो तो समीप के दिनार्ध में स्नान दान करना चाहिए। अर्थात सूर्य की संक्रांति का पुण्यकाल सोलह घड़ी होता है। यदि पूर्व रात्रि में संक्रांति लगती है तो पूर्व दिन पुण्यकाल होगा और यदि आधी रात के बाद संक्रांति लगती है तो दूसरे दिन पुण्यकाल होगा।
मुहूर्त चिंतामणी में भी कहा गया संक्रांति काल से पूर्व व पश्चात 16-16 घड़ी पुण्यकाल होता है। मध्य से पूर्व (रात्रि के पूर्वार्ध) में संक्रांति हो तो पूर्व दिन के मध्यान्हनोत्तर में और रात्रि के उत्तरार्ध में संक्रांति हो तो अगले दिन के पूर्वाह्न में पुण्यकाल होता है। यदि ठीक मध्यरात्रि में संक्रांति हो तो पूर्व दिन के उत्तरार्ध व अग्रिम दिन के पूर्वार्ध्द दोनो दिन पुण्यकाल होता है।
गर्ग मतानुसार भी सायं संध्या के बाद और प्रात: संध्या से पूर्व मकर संक्रांति कभी भी हो तो अगले दिन के पूर्व भाग में पुण्यकाल होता है।
यह बात भी सभी को जान लेनी चाहिए कि संक्रांति पर्व का निर्धारण सूर्य की गति पर आधारित है जिसमें सूक्ष्म परिवर्तन संभव है। इस पर्व का निर्धारण ना तो चन्द्रमास से है जो हिन्दी पंचागो में प्रचलित है और ना ही अंग्रेजी केलेण्डर से इसलिये अंग्रेजी तारीख 14 जनवरी या 15 जनवरी का संक्रांति होना केवल सूर्य की गति के कारण है।
यह भी जान लें कि सन् 1950 अर्थात विक्रम संवत 2008 तक मकर संक्रांति 13 जनवरी की हुआ करती थी। शताब्दी पंचांग के अध्ययन से यह भी तथ्य सामने आता है कि प्रत्येक चौथे वर्ष में अर्थात लीपइयर में ही संक्रांति 14 जनवरी की हो जाती थी। सन् 1951 से लगातार संक्रांति 14 जनवरी को ही हो रही थी। तब से प्रत्येक लीप ईयर में संक्रांति 15 जनवरी की होती है। सन 2046 तक यह क्रम इस प्रकार ही चलेगा लेकिन 2047 से संक्रांति, 15 जनवरी की हो होगी यह सूक्ष्मतर परिवर्तन प्रत्येक शताब्दी में होता है और होगा। इस प्रकार प्रत्येक सौ वर्ष में संक्रांति एक दिन आगे हो जाती है। इस प्रकार अगर 2000 साल पीछे जाकर देखें तो 25 दिसम्बर में मकर संक्रांति होती होगी।
इस वर्ष संवत 2064 शाके 1929 सन 2008 में पौष शुक्ल 6 तदुपरांत 7 सप्तमी, सोमवार, उत्तराभाद्र नक्षत्र के बाद रेवती तत्कालिक, परिध के बाद शिव योग तत्कालिक, वणिज करण में स्थानीय समय से रात्रि अंत 6 बजकर 4 मिनिट यानि 15 जनवरी प्रात: 6:04 पर सूर्योदय से 34 मिनिट पूर्व मकर संक्रांति अर्की है। इस प्रकार 15 जनवरी को प्रात: 6.04 बजे से देवताओं का दिनोदय तथा दैत्यों का रात्रि उद्गम, दक्षिणायन, हेमंत ऋतु और धनु संक्रांति की निवृत्ति होगी।
सूर्य उत्तरायण, शिशिर ऋतु तथा मकर संक्रांति प्रवृत्त होगी। अत: दोपहर 12 बजकर 28 मिनिट तक विशेष पुण्यकाल तथा रात्रि 12 बजकर 04 मिनिट तक सामान्य पुण्यकाल रहेगा।

जेल से कैदी भागा, बमुश्किल पकड़ाया

सीहोर 12 जनवरी (फुरसत)। आज दोपहर बाद सीहोर उपजेल अस्पताल के सामने आया एक नया कैदी को जैसे ही जेल पहुँचा रहे थे वह अचानक हाथ छुड़ाकर भाग गया।
बेचारे सिपाही उसे क्या खाक पकड़ते यहाँ जनता बहुत तेजी से उसका पीछा किया और अस्पताल मार्ग से पीछे की दीवार को फांद रहे इस कैदी के पैर पकड़ लिया और अंतत: उसे पकड़ लिया गया। यहाँ काफी भीड़ एकत्र हो गई थी। काफी देर तक यहाँ लोगों ने इसकी फिर पिटाई होते हुए भी देखी।

शिवलिंग चोरी का आरोपी गिरफ्तार

सीहोर 12 जनवरी (फुरसत)। शाहगंज स्थित निर्माणाधीन मंदिर में रखा शिवलिंग चोरी करने वाले आरोपी को पुलिस ने तत्परता पूर्वक, कार्यवाही करते हुए गिरफ्तार कर शिवलिंग बरामद करने में सफलता प्राप्त कर ली है। जानकारी के अनुसार शाहगंज बकतरा आमरोड पर नई बस्ती स्थित रामकृष्ण शिवहरें के मकसन के समीप निर्माणाधीन मंदिर में रखा शिवलिंग गत शुक्रवार की सबुह कोई अज्ञात चोर चुरा ले गया ।
घटना की रिर्पोट पर शाहगंज थाना प्रभारी मनोज मिश्रा ने प्रकरण पंजीबद्ध कर तत्परतापूर्वक कार्यवाही करते हुए मुखविर की सूचना पर शाहगंज निवासी 20 वर्षीय जगदीश उर्फ चंटी आ. लक्ष्मीनारायण साहू को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने उक्त चोरी की वारदात करना स्वीकार किया और बताया कि शिवलिंग को उसने ग्राम पंचायत की शासकीय पानी टंकी में डाल दिया है । जिसकी निशांदेही पर पुलिस ने वहां से मूर्ति बरामद कर ली है।

सीहोर के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को मार मार कर भगाया था, क्या उन्हे श्रध्दांजली भी नहीं दोगे

सीहोर 12 जनवरी (आनन्द गाँधी)। जब पूरा देश अंग्रेजों का गुलाम था, सब तरफ अंग्रेजों का शासन था। उस समय 1857 को सीहोर में फौज के भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ 18 वी शताब्दी के महानतम भारतीय क्रांतिकारी महावीर कोठ और वलि शाह के नेतृत्व में सीहोर से अंग्रेजों को मार-मारकर भगा दिया था और उनके पूरे घर जला दिये थे। क्रांतिकारी महावीर कोठ के निर्देशन में क्रांतिकारियों ने पूरे सीहोर के चप्पे-चप्पे को स्वतंत्र कर दिया। जिसमें आष्टा भी सम्मिलित था। उस समय पूरा देश तो गुलाम था लेकिन सीहोर में स्वतंत्रता की खुशी मनाई जा रही थी।
क्रांतिकारी महावीर कोठ ने महावीर कौंसिल स्थापित की जिसके तहत सीहोर कोतवाली में थाना प्रभारी सहित औषधालय से लेकर हर विभाग की स्थापना की गई। महावीर कोठ के कुशल नेतृत्व और आत्मसम्मोहित कर देने वाली नेतृत्व क्षमता के कारण यहाँ 6 माह तक (6 अगस्त 1857 से 14 जनवरी 1858) एक तरह से रामराय की स्थापना रही। लेकिन 6 माह बाद 12 जनवरी 1858 को अंग्रेज अफसर जनरल ह्यूरोज (जिसने महारानी लक्ष्मी बाई झांसी से युध्द किया था) ने बहुत बड़ी सैना को लाकर सीहोर पर हमला कर दिया। भोपाल बेगम उसके साथ थी। अंतत: सारे क्रांतिकारी पकड़ा गये। अंग्रेज अफसर ह्यूरोज ने सबसे कहा कि यदि लिखित माफी मांग लो तो मैं छोड़ दूंगा। उसने डराने के लिये कुछ सैनिको को मार भी दिया लेकिन बहादुर क्रांतिकारियों ने जिनकी संख्या 356 थी ने माफी नहीं मांगी......।
और अंतत: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा काला दिन 14 जनवरी 1858 को सुबह से जनरल ह्यूरोज ने सारे 356 क्रांतिकारियों के सीने पर गोलियाँ चलवाना शुरु कर दी लेकिन इस भारत माता का कोई लाल अंग्रेजों के आगे नहीं झुका और भारत माता की स्वतंत्रता के लिये शहीद हो गया।
क्या हम 14 जनवरी को इन शहीदों की समाधियों पर जाकर श्रध्दांजली-पुष्पांजली भी नहीं चढ़ा सकते हैं.....क्या हम इतने खुदगर्ज हैं....। आईये फुरसत के आव्हान को स्वीकार कर कल सोमवार को दिनभर में कभी भी इन शहीदों को नमन करने, पुष्प चढ़ाने, उन्हे सलाम करने का अपना नैतिक कर्तव्य वहन कीजिये....। इस वीर गाथा के कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम आज उल्लेखित हैं।