सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। मतदान समाप्ति के बाद अब भाजपा, कांग्रेस और जनशक्ति अपने-अपने दावे करने से भी नहीं चूक रही हैं। मजे की बात तो यह है कि तीनों ही हार मानने को तैयार नहीं है तीनों ही खुद की जीत तय मान रहे हैं, बस भाजपा है कि वह सर्वाधिक मतों से विजयश्री का वरण करने के दावे कर रही है और कांग्रेस-जनशक्ति कुछ आधारपूर्ण बातें करते हुए कह रहे हैं कि हमारी जीत 10-12 हजार वोटों से होगी। इन पार्टी वालों ने हर एक गांव, शहर ही नहीं बल्कि हर एक मोहल्ला, गांव की भी हर एक गली और घर से लेकर नुक्कड़, पान की दुकान का चौराहा, तिराहा से लेकर जाति वाद आदि सारी तरह के आंकड़े लगा डाले हैं। इतना बारीकी से अध्ययन किया गया है कि उनके आंकड़े टस से मस होने को तैयार नहीं हैं।
पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी, चुनाव के संचालकों की हालत तो यह है कि वह हर एक गली मोहल्ले की स्थिति वह बता रहे हैं कौन वहाँ से जीतेगा, कौन तीसरे नम्बर पर रहेगा। यह खुलकर यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि कौन-सा गांव या कौन सा मतदान केन्द्र वह हारेंगे। इस प्रकार इन पार्टी के प्रमुख गणितज्ञों संचालकों ने इतना गहनता से अध्ययन कर डाला है कि इनकी बात हर कोई मानने को बाध्य है। जो गांव भाजपा कह रही है कि वह हाथ से निकल गये हैं वहीं गांव कांग्रेस कह रही हैं कि वहाँ पंजा ही पंजा चला है, और जहाँ नगाड़ा कह रहा है कि हमे मिले हैं वही बात पंजा कह रहा है कि वहाँ नगाड़ा चला है कुल मिलाकर हर पार्टी इतना व्यवस्थित आंकलन कर चुकी है कि एक दूसरे की बातें भी एक-दूसरे से बहुत कुछ मिल रही है। शहरी क्षेत्र के हर एक मतदान केन्द्र की स्थिति पार्टी के प्रत्याशियों सहित उनके संचालकों ने तय कर ली है उन्हे कहाँ कितने वोट मिलेंगे सब हिसाब किताब कर लिया है। बढ़ियाखेड़ी को लेकर हर एक की जुबान पर है कि वहाँ सिर्फ पंजा ही पंजा चला है जबकि गंज को लेकर सब कह रहे हैं कि फूल मुरझा गया और नगाड़ा बहुत तेज बजा है जबकि पंजे को भी बहुत वोट मिला है।
भाजपा के विशेषज्ञों का कहना है कि हमें 54 से 58 हजार तक वोट मिल सकते हैं, इसके पीछे वह कारण भी बताते हैं एक तो पूरे विधानसभा क्षेत्र में असमंजस की स्थित के कारण पारम्परिक मतदाताओं ने तो वोट दिया लेकिन शिवराज सिंह चौहान को जो वोट मिला है वह भी एक बड़ा कारण है।
इसके अलावा उनका एक नया गणित और है उनका कहना है कि पिछले चुनाव में हमें 51 हजार वोट मिले थे इस बार कम से कम 3 हजार वोट तो मुस्लिमों के ही मिलेंगे और जसपाल के आने से जो बढ़त हुई होगी वह भी है इसके अलावा पहली बार है कि शिवराज सिंह चौहान की लहर भी तो चल रही है जाने इस लहर का लाभ कितना मिल जाये। कुल मिलाकर भाजपा के धुरंधर अपनी जीत तय मान रहे हैं।
इधर कांग्रेस के लेपटाप चलते-चलते ही गणित बताये दे रहे हैं कि उनको 42 से 45 हजार वोट मिलना एकदम तय है और इसे कोई डिगा नहीं सकता। सामान्य रुप से यह एक गणित देते हैं कि जब पिछली विधान सभा चुनाव में हमें इतने वोट मिले थे तो वह कांग्रेस के ही थे इसलिये 42 हजार मिलना तो तय ही है। फिर अखलेश राय के निजी वोट भी जोड़े जायें, भाजपा के सत्ता विरोधी वोट और रमेश सक्सेना विरोध वोट जोड़े जायें, तो आंकड़ा किसी तरह आराम से 42 से 45 हजार तक पार जा सकता है। इनका मानना है कि कांग्रेस की जीत 10 से 12 वोटों से होना तय है बस मशीने खुलने की देरी है। अगर इनकी मान ली जाये तो यह चाहते हैं कि जीतने के बाद की तैयारियाँ शुरु कर देना चाहिये, मिठाई हो या फिर अन्य कार्यक्रम सबकी तैयारी शुरु हो जाना चाहिये।