Sunday, November 30, 2008

भाजपा 54, कांग्रेस और जनशक्ति 42 हजार वोट का दावा, अपने-अपने कयास लगाने में जुटे पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता

सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। मतदान  समाप्ति के बाद अब भाजपा, कांग्रेस और जनशक्ति अपने-अपने दावे करने से भी नहीं चूक रही हैं। मजे की बात तो यह है कि तीनों ही हार मानने को तैयार नहीं है तीनों ही खुद की जीत तय मान रहे हैं, बस भाजपा है कि वह सर्वाधिक मतों से विजयश्री का वरण करने के दावे कर रही है और कांग्रेस-जनशक्ति कुछ आधारपूर्ण बातें करते हुए कह रहे हैं कि हमारी जीत 10-12 हजार वोटों से होगी। इन पार्टी वालों ने हर एक गांव, शहर ही नहीं बल्कि हर एक मोहल्ला, गांव की भी हर एक गली और घर से लेकर नुक्कड़, पान की दुकान का चौराहा, तिराहा से लेकर जाति वाद आदि सारी तरह के आंकड़े लगा डाले हैं। इतना बारीकी से अध्ययन किया गया है कि उनके आंकड़े टस से मस होने को तैयार नहीं हैं।

      पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी, चुनाव के संचालकों की हालत तो यह है कि वह हर एक गली मोहल्ले की स्थिति वह बता रहे हैं कौन वहाँ से जीतेगा, कौन तीसरे नम्बर पर रहेगा। यह खुलकर यह कहने से भी नहीं चूक रहे हैं कि कौन-सा गांव या कौन सा मतदान केन्द्र वह हारेंगे। इस प्रकार इन पार्टी के प्रमुख गणितज्ञों संचालकों ने इतना गहनता से अध्ययन कर डाला है कि इनकी बात हर कोई मानने को बाध्य है। जो गांव भाजपा कह रही है कि वह हाथ से निकल गये हैं वहीं गांव कांग्रेस कह रही हैं कि वहाँ पंजा ही पंजा चला है, और जहाँ नगाड़ा कह रहा है कि हमे मिले हैं वही बात पंजा कह रहा है कि वहाँ नगाड़ा चला है कुल मिलाकर हर पार्टी इतना व्यवस्थित आंकलन कर चुकी है कि एक दूसरे की बातें भी एक-दूसरे से बहुत कुछ मिल रही है। शहरी क्षेत्र के हर एक मतदान केन्द्र की स्थिति पार्टी के प्रत्याशियों सहित उनके संचालकों ने तय कर ली है उन्हे कहाँ कितने वोट मिलेंगे सब हिसाब किताब कर लिया है। बढ़ियाखेड़ी को लेकर हर एक की जुबान पर है कि वहाँ सिर्फ पंजा ही पंजा चला है जबकि गंज को लेकर सब कह रहे हैं कि फूल मुरझा गया और नगाड़ा बहुत तेज बजा है जबकि पंजे को भी बहुत वोट मिला है।

      भाजपा के विशेषज्ञों का कहना है कि हमें 54 से 58 हजार तक वोट मिल सकते हैं, इसके पीछे वह कारण भी बताते हैं एक तो पूरे विधानसभा क्षेत्र में असमंजस की स्थित के कारण पारम्परिक मतदाताओं ने तो वोट दिया लेकिन शिवराज सिंह चौहान को जो वोट मिला है वह भी एक बड़ा कारण है।

      इसके अलावा उनका एक नया गणित और है उनका कहना है कि पिछले चुनाव में हमें 51 हजार वोट मिले थे इस बार कम से कम 3 हजार वोट तो मुस्लिमों के ही मिलेंगे और जसपाल के आने से जो बढ़त हुई होगी वह भी है इसके अलावा पहली बार है कि शिवराज सिंह चौहान की लहर भी तो चल रही है जाने इस लहर का लाभ कितना मिल जाये। कुल मिलाकर भाजपा के धुरंधर अपनी जीत तय   मान रहे हैं।

      इधर कांग्रेस के लेपटाप चलते-चलते ही गणित बताये दे रहे हैं कि उनको 42 से 45 हजार वोट मिलना एकदम तय है और इसे कोई डिगा नहीं सकता। सामान्य रुप से यह एक गणित देते हैं कि जब पिछली विधान सभा चुनाव में हमें इतने वोट मिले थे तो वह कांग्रेस के ही थे इसलिये 42 हजार मिलना तो तय ही है। फिर अखलेश राय के निजी वोट भी जोड़े जायें, भाजपा के सत्ता विरोधी वोट और रमेश सक्सेना विरोध वोट जोड़े जायें, तो आंकड़ा किसी तरह आराम से 42 से 45 हजार तक पार जा सकता है। इनका मानना है कि कांग्रेस की जीत 10 से 12 वोटों से होना तय है बस मशीने खुलने की देरी है। अगर इनकी मान ली जाये तो यह चाहते हैं कि जीतने के बाद की तैयारियाँ शुरु कर देना चाहिये, मिठाई हो या फिर अन्य कार्यक्रम सबकी तैयारी शुरु हो जाना चाहिये।

      इधर जनशक्ति के होनहार वीरवान कार्यकर्ताओं के अपने हिसाब किताब हैं। इनका केलकुलेटर भी मिनटों में हिसाब-किताब लगाने में जुटा है। जनशक्ति के के लकुलेटरो का कहना है कि जिस तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम समय में भारी उलट-फेर हुई है और अनेक ग्रामों में जनशक्ति के पक्ष में शत प्रतिशत मतदान हुआ है उसका आधार मानकर चलें तो कम से कम 5-6 हजार मतों की बढ़त के साथ जनशक्ति का सीहोर में जोरदार भव्य प्रवेश होगा फिर शहरी मतदाताओं के असीम आशीर्वाद, कार्यकर्ताओं की लगन-मेहनत और निष्ठा के दम पर सीहोर से भी कम से कम 5-6 हजार मतों की बढ़त मिलेगी और जनशक्ति की महाविजय करीब 10 से 12 हजार मतों से होगी। जनशक्ति भी खुद की झोली में 42 वोट मान रही हैं और बाकी बचे 60 हजार वोट समान दृष्टि भाव से     कांग्रेस और भाजपा को आधे-आधे देने की कह रही है।

हर जगह बंट गई मिठाई... मतदाता अचरज में

सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। ऐसा पहली बार हुआ है कि नगर में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ हो और आज जब मतदान समाप्त हो चुका है तब भी नगर में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। नगाड़े के आसपास नगाड़ा बजने, कमल के आसपास कमल खिलने और पंजे के आसपास पंजा ही पंजा छा जाने की बातें चल रही हैं। यही हाल नगर के मध्य का है, हर तरफ कयास हैं, जो जिस पार्टी का है उसे पूरा विश्वास है कि उसकी की पार्टी बहुमत के साथ विजय हो चुकी है बस पेटी खुलने की देरी है। तीन-तीन प्रत्याशियों के द्वंद के बीच भी ऐसा नहीं हुआ कि मतदान के बाद यह स्थिति स्पष्ट हो जाती कि कौन जीतेगा ? तीनों ही प्रत्याशियों की जीत लोग मान रहे हैं हालांकि तीनों तो कभी नहीं जीत सकते लेकिन जो भी हो हर तरफ उल्लास और उमंग है।

      कल भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनशक्ति पार्टी तीनों ही पार्टी के कार्यालयों में शाम मतदान होने के बाद जिस तरह से मतदान केन्द्रों से लौटे लोगों की भीड़ लगना शुरु हुई थी उससे यहाँ का वातावरण ही अलग बनता जा रहा था। हर मतदान केन्द्र से आने वाला व्यक्ति खुशी चेहरे पर लेकर आ रहा था और यह कह रहा था कि अपनी जीत सुनिश्चित है, हमारा केन्द्र अपन जीत चुके हैं, कुछ इतना भर कहते थे कि दूसरे नम्बर पर रहेंगे लेकिन उसके बाद भी वह खुशी बताते थे। ऐसी स्थिति एक पार्टी नहीं बल्कि तीनों ही प्रमुख पार्टियों के कार्यालयों में थी। और यहाँ खुशी लगातार बढ़ते-बढ़ते इतनी बढ़ गई थी कुछ तो जीतने की खुशी में मिठाई का वितरण भी करने से नहीं चूक रहे थे।

      इधर भाजपा कार्यालय में जहाँ सबके लिये पोहा और चाय की व्यवस्था कराई गई वहीं कांग्रेस और जनशक्ति कार्यालय में सब आने वालों को चाय पिलाई गई। हर तरफ मिठाई भी बंट गई और खुशी भी जाहिर की जा रही है।

      सबको विश्वास है कि दूसरे की जमानत जप्त हो जायेगी और हमारी विजय सुनिश्चित है। इसी विश्वास को और पक्का करने के लिये वह खुद ही मिठाई खरीदते और खाते तथा खिलाते रहे।

      लेकिन इन सब खुशी के माहौल में वह आम मतदाता मौन होकर अभी भी तमाशा देखता रहा जिसने आज तक अपना मौन नहीं तोड़ा है। वह किसी से कुछ नहीं कहना चाहता है। वह यह सोचता रहा कि आश्चर्य है यह लोग खुशी कैसे मना रहे हैं जब पेटियाँ खुली ही नहीं है इसके पहले ही यह अंदाजा लगा ले रहे हैं।

      देखते हैं अब पेटियाँ खुलने के बाद मशीनें क्या प्रतिफल प्रकट करती हैं और किसके सिर जीत का सेहरा बांधती हैं।

छावनी से सरेआम बच्चे का हुआ अपहरण, मोटर साईकिल पर बैठाकर मुँह हाथ से दबाकर ले गये

      सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। एक 6 वर्षीय बालक को जैसे ही उसके स्कूल के वाहन ने उसके घर के मोड़ पर उतारा। उसी समय दो युवक मोटर साईकिल पर आ गये और बालक को उन्होने उठा लिया। मोटर साईकिल पर बैठाकर उसके मुँह पर हाथ रखा और वाहन ले भागे। काफी देर तक उसे इधर-उधर ले जाते रहे फिर अंतत: एक बोरे की तलाश में यह युवक नगर में ही रुके  तब किस तरह नन्हा बालक उक्त अपहरण कर्ताओं के चंगुल से निकल आया यह एक चमत्कार से कम नहीं है। फिल्मी अंदाज में हुए इस अपहरण काण्ड को पुलिस ने जांच में ले लिया है और सरगर्मी से दोनो अपराधी युवकों की तलाश जारी है। मामला मतदान के दो दिन पूर्व का है लेकिन अभी तक उसे छुपाया जा रहा था।

      सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अनिल अग्रवाल उर्फ भूरा कोली जिनकी दुकान मोदी मांगलिक भवन के सामने हैं के नेहरु कालोनी स्थित निवास के पास उक्त घटना घटी। सीहोर शहर में अपराधियों के बुलंद हौंसलों की दाद देना पड़ेगी जो उन्होने सरे आम इस घटनाक्रम को अंजाम दे दिया और उन्हे किसी की परवाह भी नहीं रही। श्री कोली का नन्हा बालक उम्र करीब 6 वर्ष जब स्कूल से लौटा तो हर दिन की तरह उसे आटो वाले ने घर वाली गली के बाहर ही सड़क पर छोड़ दिया। गली के नुक्कड़ पर बालक हर दिन की तरह उतरा और उसके स्कूल का वाहन चला गया। इसी दौरान दो युवक जो मोटर साईकिल पर बैठे थे वह आये और उसे उठाकर ले गये। मोटर साईकिल पर पीछे बैठा युवक ने लड़के को बैठाकर उसके मुँह पर हाथ रख लिया और आगे बैठे युवक ने वाहन बहुत फुर्ती से दौड़ा दिया।

      यहाँ किसी को समझ नहीं आ सका कि बालक का अपहरण हो गया है। इसे पहले भोपाल नाके ले गये, लेकिन अपहरण करने वालों को अचानक लगा कि कुछ गड़बड़ हो सकती है तब उन्होने वाहन भोपाल की तरफ ले जाने की जगह उसे वह मछली पुल तक ले आये। तब तक पीछे बैठा बालक शांति से बैठा रहा और उसके मुँह पर हाथ रखे युवकों ने हाथ दबाकर उसे पकड़े रखा। इसके बाद मछली पुल पर आये युवकों ने यहाँ कहीं से बोरा खरीदने की जुगत बैठाने का प्रयास किया। बोरा लेने के लिये वाहन चलाने वाला युवक उतर गया और वह बोरा ले चला गया। पीछे बैठा युवक मोटर साईकिल पर सवार रहा और बालक को बैठाये पकड़े रखा। इसी दौरान उक्त युवक को संभवत: सिर में खुजली मची जिससे उसने एक हाथ ढीला करके सिर खुजाया। इसी दौरान जो नन्हा बालक उसके साथ बैठा था उसने पकड़ ढीली होने पर मोटर साईकिल से कूदते हुए उतर गया और दौड़ते हुए उसने आवाज लगा दी बचाओ-बचाओ।

      बस बालक का इतना करना काफी था अचानक इस घटनाक्रम घबराये अपहरणकर्ता यहाँ से मोटर साईकिल से लेकर बहुत फुर्ती के साथ भाग निकले। बालक कुछ लोगों के सहारे अपने घर का आ गया। इसके बाद पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने बयान भी ले लिये और जांच भी शुरु कर दी गई। देखते हैं यूँ सरेआम अपहरण करने वाले पुलिस के हाथों में आते हैं या नहीं।

 

 

 सड़क हादसों में चार लोग घायल

      सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.) जिले के थाना दोराहा एवं कोतवाली क्षेतान्तर्गत हुये अलग अलग सड़क हादसों में चार लोग घायल हो गये। पुलिस ने सभी मामले कायम कर लिये हैं।

      प्राप्त जानकारी के अनुसार दोराहा क्षेन्तान्तर्गत भंवर कालोनी राजगढ़ एवं नरसिंहगढ़ निवासी मोहित साहू बाइक क्रमांक एमपी-39- एमबी-4732 से भोपाल से आज सुबह नरसिंहगढ़ आ रहे थे कि जैसे ही इनकी बाइक सोनकच्छ जोड़ पर पहुंची तो जोड़ तरफ से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-04-जीए-9990 के चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर इनकी बाइक में पीछे से टककर मार दी। परिणामस्वरूप मोहित साहू को गंभीर चोट होने के सुदुती अस्पताल भोपाल में दाखिल कराया गया तथा सौरभ की प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी हो गई।

      इधर कोतवाली थाना क्षेत्रान्तर्गत गत दिवस करीब आठ बजे राकेश पाण्डेय निवासी इंदौर अपनी सेट्रो कार क्रमांक एमपी-09-एचबी-8844 से इदौर से भोपाल जा रहा था कि इंदौर भोपाल रोड़ जहागीरापुरा जोड़ के समीप सामने से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-09-एन-2472 के चालक ने वाहन को तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक चलाते हुये इनकी कार में सामने से टक्कर मार दी। परिणामस्वरूप कार में राकेश पाण्डेय को चोट आने से उसे इदौर रिफर किया गया। वही दीवान बाग कस्बा सीहोर निवासी शहरूख बेग आ.जहूर बेग 13 साल आज दोपहर शुगर फेक्ट्री चौराहा सायकल से जा रहा था कि सामने से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-09-केसी-7548 के चालक ने वाहन को तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक चलाते हुये इसकी सायकल में टक्कर मारकर शहरूख को घायल कर दिया जिसे साधारण चोट आई।

अधिक मतदान से लग रही गणित, भाजपा और कांग्रेस दोनो इससे खुश

आष्टा 29 नवम्बर (नि.प्र.)। विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के बाद अब भाजपा-कांग्रेस व अन्य दलों के प्रत्याशी नेता और कार्यकर्ता जीत हार के गणित लगाने में जुटे हैं। सम्पन्न हुए विधानसभा के चुनाव के बाद जीत किसी भी एक ही प्रत्याशी की होगी लेकिन अभी तो आष्टा में भाजपा-कांग्रेस दोनो ही पार्टी के नेता और प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं वहीं प्रसपा और बसपा के पास ना जाने कौन सा जादू का गणित है कि वे भी कह रहे हैं हमें जीत मिलेगी। इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा अधिक मतदान हुआ है।

      अधिक मतदान के कारण भाजपा यह मानकर चल रही है कि जब भी अधिक मतदान होता है जीत हमारी ही होती है। वहीं कांग्रेस का मत है कि अधिक मतदान का कारण यह है कि भाजपा के प्रति क्षेत्र के मतदाताओं में जो आक्रोश था तथा विधायक रघुनाथ मालवीय के कार्यकाल में क्षेत्र की जनता जिस प्रकार परेशान हुई उसकी नाराजी के कारण मतदाताओं ने जमकर मतदान किया और यही कांग्रेस की जीत का कारण है। प्रसपा अपने वोट बैंक के  कारण खुश है कि उसने जो एक मुश्त भारी मतदान किया वो हमारी खुशी का कारण है वहीं प्रसपा का मानना है कि उसे सभी को तो सहयोग मिला है। खासकर के इस बार मुस्लिम मतदाताओं ने जो की कांग्रेस का स्थाई वोट बैंक माना जाता है ने कांग्रेस से नाता तोड़ा है और बसपा से नाता जोड़ा है यही हमारी खुशी का कारण है। जीत के दावे के पीछे सभी दल अपनी-अपनी दलील दे रहे हैं लेकि न मतदाताओं ने किसके भाग्य में आष्टा की कुर्सी लिखी है यह तो स्पष्ट 8 दिसम्बर को होगा जब ईवीएम खुलेगी और जीत का जिन्न बाहर निकलेगा। जीते कोई भी लेकिन एक बात स्पष्ट लगी कि इस बार मतदाताओं ने मतदान के प्रति जमकर उत्साह दिखाया यही कारण रहा कि आष्टा में 77.5 प्रतिशत मतदान हुआ है।

 

 

 

सड़क हादसे में तीन घायल

      सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.) जिले के आष्टा थाना अन्तर्गत घटित दो सड़क हादसों में तीन लोग घायल हो गये। पुलिस ने मामला कायम कर लिये हैं।

      जानकारी के अनुसार ग्राम उमरसिंगी निवासी 30 वर्षीय अचल सिंह आष्टा से अपने गांव 28 नवम्बर की शाम बाइक क्रमांक एमपी-04-एनसी-1981 से जा रहा था तभी राजमार्ग स्थित बिसमिल्ला ढाबा के समीप सामने से आ रहे बाइक क्रमांक राजेन्द्र निवासी मूण्डला अचल सिंह की बाइक में टक्कर मार दी।

      परिणाम स्वरूप अचलसिंह को गंभीर अवस्था में उपचार हेतु भोपाल भेजा गया वही राजेन्द्र एवं उनके साथी दिलीप को साधारण चोटे आई।

 

सड़क हादसों में चार लोग घायल

      सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.) जिले के थाना दोराहा एवं कोतवाली क्षेतान्तर्गत हुये अलग अलग सड़क हादसों में चार लोग घायल हो गये। पुलिस ने सभी मामले कायम कर लिये हैं।

      प्राप्त जानकारी के अनुसार दोराहा क्षेन्तान्तर्गत भंवर कालोनी राजगढ़ एवं नरसिंहगढ़ निवासी मोहित साहू बाइक क्रमांक एमपी-39- एमबी-4732 से भोपाल से आज सुबह नरसिंहगढ़ आ रहे थे कि जैसे ही इनकी बाइक सोनकच्छ जोड़ पर पहुंची तो जोड़ तरफ से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-04-जीए-9990 के चालक ने तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर इनकी बाइक में पीछे से टककर मार दी। परिणामस्वरूप मोहित साहू को गंभीर चोट होने के सुदुती अस्पताल भोपाल में दाखिल कराया गया तथा सौरभ की प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी हो गई।

      इधर कोतवाली थाना क्षेत्रान्तर्गत गत दिवस करीब आठ बजे राकेश पाण्डेय निवासी इंदौर अपनी सेट्रो कार क्रमांक एमपी-09-एचबी-8844 से इदौर से भोपाल जा रहा था कि इंदौर भोपाल रोड़ जहागीरापुरा जोड़ के समीप सामने से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-09-एन-2472 के चालक ने वाहन को तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक चलाते हुये इनकी कार में सामने से टक्कर मार दी। परिणामस्वरूप कार में राकेश पाण्डेय को चोट आने से उसे इदौर रिफर किया गया। वही दीवान बाग कस्बा सीहोर निवासी शहरूख बेग आ.जहूर बेग 13 साल आज दोपहर शुगर फेक्ट्री चौराहा सायकल से जा रहा था कि सामने से आ रहे ट्रक क्रमांक एमपी-09-केसी-7548 के चालक ने वाहन को तेजगति एवं लापरवाहीपूर्वक चलाते हुये इसकी सायकल में टक्कर मारकर शहरूख को घायल कर दिया जिसे साधारण चोट आई। 

पन्नानाथ ने पकड़ा कबर बिजु

सीहोर 29 दिसम्बर (नि.सं.)। छावनी क्षेत्र व बीच नगर में बहुतायत में कबरबिजु हो गये हैं लगभग हर मोहल्ले में इनकी संख्या में एक दर्जन के लगभग है। छावनी की हर गली में इन्हे रात खेलते-उत्पाच मचाते देखा जा रहा है। पिछले कई दिनों से पटेल पेट्रोल  संचालक शैलेष पटेल के निवास में भी कबर बिजुओं ने अपना निवास बना लिया था तब इन्हे पकड़ने के लिये विशेषज्ञ सपेरे पन्नानाथ को बुलाया गया। कबरबिजु को पकड़ने के लिये विशेष प्रकार के फंदे बनाये जाते हैं वह फंदे पन्ना ने बनाकर डाल दिये लेकिन जब उसमें कबर बिजु नहीं फंसे तो फिर पन्नानाथ ने अपनी फुर्ती दिखाकर एक कबरबिजु को पकड़ ही लिया। उसे एक बाल्टी में बंद कर दिया। इसकी पूंछ के सहारे पकड़कर उसे लटकाकर फोटो भी खिंचाया। पटेल परिवार ने पन्नानाथ को धन्यवाद दिया।

 

 

खटिया और फुग्गे पर हुई हंसी-ठिठोली

      सीहोर 29 नवम्बर (नि.सं.)। कल मतदान केन्द्रों पर सर्वाधिक हंसी ठिठोली के लिये दो उम्मीद्वारों के चुनाव चिन्ह काम आ रहे थे। 11 नवम्बर पर खटिया का चुनाव चिन्ह था और 13 नम्बर पर फुग्गा था बीच में अंगुठी फंसी हुई थी। धीमी गति के मतदान के कारण चूंकि मतदान केन्द्रों पर लम्बी-लम्बी लाईनें लगी थीं इसलिये मतदाता आपस में बातचीत करके ही समय निकाल रहे थे। उन्हे घंटो खड़े रहना पड़ रहा था। वातावरण भी खुश मिजाज था और हर तरफ उत्साह बना हुआ था। ऐसे में अधिकांश जगह देखा गया कि जब कोई मतदाता किसी से पूछता था कि क्यों भाई किसे दोगे ? तो वह कभी तो खटिया का नाम लेकर मजाक करता था तो कभी फुग्गा कह देता था। जब खटिया वाला खटिया कहता तो पूछने वाला उसे जबाव में कह देता कि हम तो फुग्गे पर देंगे। इस प्रकार खटिया और पुग्गे को लेकर खूब हंसी ठिठोली हुई। सुनने वाले भी हंसते और बोलने वाले भी हंसते।