Thursday, August 14, 2008

तुम खूब कमाते हो....हमें भी दो (विशेष टिप्पणी)

सीहोर (आनन्द) कल 15 अगस्त है, सबके लिये बहुत बड़ा दिन...बच्चों के लिये छुट्टी का दिन और अखबारों के लिये विज्ञापन का दिन। मालूम है बड़े अखबार के ठेकेदारों को कितना-कितना लक्ष्य मिला है 15 अगस्त के लिये, आपको नहीं मालूम। एक बड़ा अखबार 2 लाख रुपये के विज्ञापन छापेगा, उसे ऊपर से आदेश आये हैं, दूसरे को 2.50 लाख का लक्ष्य मिला है उसने 1.75 लाख का लक्ष्य पूरा भी कर लिया है, वह पुलिस वालों पर दबाव बना रहा है कि तुम चाहे जितने अपराध करवाते हो, हम तुमसे कुछ नहीं कहते, तुम्हारे खिलाफ कभी कुछ नही छापते....इसका हमको लाभ मिलना चाहिये, अब हर थाने से हमको विज्ञापन दिलवाओ, हमारा लक्ष्य पूरा करवाना ही पड़ेगा, वरना हम तुम्हारे खिलाफ समाचार छापेंगे कि तुम्हारी पुलिस कितनी भ्रष्टाचारी है, और हां फिर हम तुम्हारे द्वारा जो लूट, डकैती, चोरी में चोरों को कैसे छोड़ दिया जाता है, हर दिन चोरी की घटनाएं होती हैं और तुम जो रिपोर्ट दर्ज नहीं करते, तुम हर दिन जो थाने में रुपये ऐंठते हो, रिपोर्ट लिखने के रुपये लेते हो...हाँ याद आया वो जो तुम सारे पुलिस वाले सट्टा खिलवाया करते हो....जुंए के अड्डो को संरक्षण देते हो...यातायात व्यवस्था जानबूझकर बिगड़वाते हो और बड़े वाहनों से रुपये लेकर उन्हे छोड़ देते हो.... हमारे पास तुम्हारे सारे काले चिट्ठे मौजूद हैं लेकिन हम छापते नहीं है इसलिये चुपचाप 50 हजार रुपये के विज्ञापन दे दो वरना तुम्हारे लिये टेढ़ी अंगुली करना पड़ेगी।
एक अन्य अखबार वाले ने खाद्य विभाग पर दबाव बनाया है, इनका कहना है कि पूरे नगर से तुम लोग कमा रहे हो...भ्रष्टाचार मचा रखा है, हम कभी कुछ नहीं कहते, सदैव तुम्हारी रक्षा करते हैं, हम चाहे तो तुमको निपटा दें...क्या मालूम नहीं पूरे नगर में गैस की टंकी से वाहन चल रहे हैं...हर होटल पर घरेलू गैस की टंकी का उपयोग हो रहा है....हर पेट्रोल पंप से तुम्हारे रुपये बंधे हुए हैं और इसलिये पेट्रोल में घांसलेट मिलाकर बेचा जा रहा है, तुम खाद्य विभाग वालों के कारण ही घांसलेट की गड़बड़ी जारी है लेकिन हम हैं कि हर बार तुम्हे छोड़ देते हैं इसलिये अब अपनी खैर मनाना हो तो चुपचाप विज्ञापन दो, यदि ऊपर से नहीं तो नीचे से दिलवाओ, मतलब सीधे-सीधे नहीं दे सकते तो किसी और दिलवा दो, हमें तो कम से 30-40 हजार तुमसे चाहिये। कैसे भी दिलवाओ, वरना हम जो कभी तुम्हारे खिलाफ जनता के पक्ष में खबर नहीं छापते अब रुपये नहीं दोगे तो हम बड़े ईमानदार बनकर तुम्हारे खिलाफ छापने लगेंगे। चुपचाप रुपये भिजवा देना, तुम भी तो खूब कमाते हो तो हमें भी दो।
प्रशासनिक अधिकारी इस बार दबाव में नहीं रहे तो क्या हुआ, अखबार के ठेके दार किसी से कम पढ़ते हैं क्या ? रोगी कल्याण समिति, नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, सिंचाई विभाग जहाँ करोड़ो के निर्माण कार्य हुए हैं, कभी किसी के खिलाफ ऐसे अखबारों में कोई खबर छपी है कभी नहीं, क्यों नहीं छपती भाई... इसीलिये कि अब मौका आये तो हमें भी इस भ्रष्टाचार में से हिस्सा दो, वरना तुम्हारी खैर नहीं। जो विज्ञापन नहीं देगा उसके खिलाफ खबर छपेगी...जो देगा उसको छोड़ दिया जायेगा।
कल 15 अगस्त है, यह बड़े अखबार चाहते हैं कि सब लोग स्वतंत्रता पूर्वक अपना कार्य करते रहें, सबको हर कार्य की स्वतंत्रता हो लेकिन स्वतंत्रता चाहिये तो हिस्सा देना पड़ेगा। कम से कम 15 लाख रुपये के विज्ञापनों का खेल होगा....वह सिर्फ इस बात के लिये की अब आगामी दिनों में किसी भी शासकिय कार्यालय में चाहे कितना ही बड़ा भ्रष्टाचार क्यों ना हो जाये लेकिन किसी के खिलाफ कोई खबर अलग से यह सारे अखबार नहीं छापेंगे।
रोगी कल्याण समिति में लाखों के गड़बड़ झाले हो गये...पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की इसमें मिली भगत रही....लेकिन अखबारों ने नहीं छपा आखिर क्यों? कल नगर पालिका ने लोक निर्माण विभाग की सड़क पर जबरन लाख रुपये बर्वाद करके गायत्री शक्ति पीठ के पास सड़क किनारे सीमेंटीकरण कराया यह जमीन नगर पालिका सीमा में नहीं है...लेकिन किसी अखबार में नहीं छपा आखिर क्यों ? खाद्य विभाग के कारण नगर के बच्चों का जीवन दहशत में है गैस की टंकियों से चलने वाले वाहनों में बच्चे स्कूल जा रहे हैं लेकिन इसका विरोध नहीं होता आखिर क्यों ? सिंचाई विभाग ने करोड़ो रुपये के काम कागजों पर निपटा दिये कभी कोई खबर अखबारों में पढ़ने को नहीं मिली....वन विभाग के कुछ लोग खुद मिलकर लड़की कटवा रहे हैं...लोक निर्माण विभाग भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा केन्द्र बना हुआ है...शिक्षा विभाग ने पिछले 5 साल में घोटालों का नया इतिहास रचा है, इतने घोटाले हुए हैं कि गिनना मुश्किल है...आबकारी विभाग के खिलाफ तो किसी को कोई लिखना ही नहीं है...सारा मामला विज्ञापन का है। जिला पंचायत विभाग की बात ही छोड़ दो, यहाँ से गांव-गांव तक भ्रष्टाचार करने के तरीके और प्रशिक्षण आम ग्रामीणों को मिल चुका है लेकिन कोई खबर नहीं छपती।
छपती हैं तो सिर्फ शासकिय योजनाओं की जानकारी! वर्षा की स्थिति ! पानी गिरा-हरियाली छाई के फोटो ! किसी को खुश करने के लिये उसका इंटरव्यू ! अथवा धरना, प्रदर्शन, आंदोलन, स्वागत की जानकारी...दिनभर की आपराधिक खबरों के साथ बलात्कार की खबर (शायद इससे भी समाज को दिशा देना चाहते हैं यह अखबार) ? लेकिन कभी नहीं छपता किसी विभाग के खिलाफ ? सब छापने से बचते हैं आखिर क्यों ? हमें भी सिखाते हैं तुम भी मत छापों....? वरना विज्ञापन कैसे मिलेंगे...तुम्हारा घाटा पूरा कैसे होगा...सबको लेकर चलो, तुम्हारे अकेले छापने से क्या होगा....तुम्‍हारे इतना छापने पर किसी ने क्‍या तुम्‍हे ईनाम दे दिया.... हम जो करते हैं तुम भी करो...............


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