आष्टा 1 फरवरी (फुरसत)। सुभाष नगर मे रहने वाले पटवारी प्रहलाद सिंह के निवास से मध्य रात्रि में कल दरबाजे का कुंदा खोलकर अज्ञात चोरों ने प्रवेश कर लिया। चोरों ने अंदर घुसकर एक पेटी पर हाथ साफ कर दिया जिसमें चाँदी के हार, पायजेब, बच्चों की अंक सूची, हाथघड़ी, कपड़े आदि थे कुल मिलाकर 5 हजार रुपये से अधिक कर नुकसान प्रहलाद सिंह का हुआ है।
उधर पुराने बस स्टेण्ड पर स्थित जमील खां निवासी जुम्मापुरा की दुकान स्थित है इस दुकान की पिछली खिड़की तोड़कर अज्ञात चोरों ने प्रवेश किया और तांबे का 10 हजार रुपये कीमति तार चुरा कर ले गये। पुलिस ने दोनो ही चोरी के मामले में प्रकरण दर्ज कर लिया है।
Sunday, February 3, 2008
पं. प्रदीप मिश्रा की कथा चल रही गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर
सीहोर 1 फरवरी (फुरसत)। नगर के सुप्रसिध्द कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा अब आगामी 1 फरवरी से 7 फरवरी 08 तक गोवर्धन मथुरा धाम में अपने मुखार बिंद से श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ की अमृत वर्षा करेंगे।
पं. प्रदीप मिश्रा इसके पूर्व भी देश भर के कई प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्रीमद् भागवत कथा का वाचन कर सीहोर नगर का नाम गोरान्वित कर चुके हैं। गोवर्धन, मथुरा के श्याम भवन परिक्रमा मार्ग जतीपुरा में प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक एवं अपरान्ह 3 से सायं 6 बजे तक भागवत ज्ञान गंगा से श्रध्दालु भक्तों को अमृतपान करायेंगे।
पं. प्रदीप मिश्रा इसके पूर्व भी देश भर के कई प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्रीमद् भागवत कथा का वाचन कर सीहोर नगर का नाम गोरान्वित कर चुके हैं। गोवर्धन, मथुरा के श्याम भवन परिक्रमा मार्ग जतीपुरा में प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक एवं अपरान्ह 3 से सायं 6 बजे तक भागवत ज्ञान गंगा से श्रध्दालु भक्तों को अमृतपान करायेंगे।
ग्रामीण रोजगार योजना के प्रचार-प्रसार के ठेको में उठ रही है शंका की ऊंगली
आष्टा 1 फरवरी (सुशील संचेती)। पूत के लक्षण पालने में ही नजर आने लगते हैं मतलब उक्त कहावत का यह है कि जन्म लेने वाला बच्चा जब पालने में रहता है और वो कैसी-कैसी बाल क्रिया करता है उससे उसके अभिभावक यह अंदाजा लगा लेते हैं कि यह बड़ा होगा तो कैसा होगा ? उक्त कहावत लगता है आगामी 1 अप्रैल से सीहोर जिले में गरीबों के लिये प्रारंभ हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के शुभारंभ होने के पहले इसके प्रचार-प्रसार हेतु जिस एजेंसी को आष्टा तहसील के प्रत्येक ग्राम में उक्त योजना का प्रचार-प्रसार की निविदा स्वीकृत की उसको लेकर जो शिकवा-शिकायत तथ्यों के साथ की गई है उससे लगता है कि उक्त योजना का जो बालकाल है जिसका पहला ठेका दिया है वो यह दर्शाता है कि जब इसके शुभारंभ के पहले इस योजना में जो कुछ हुआ है या यूँ कहे कि किसी को लाभ पहुँचाने के लिये किया गया है ? तो निश्चित ही इस योजना का क्या भविष्य होगा यह सोचकर ही डर लगता है। शासन की एक महती योजना प्रारंभ होने के पहले ही अनेक गड़बड़ियों का शिकार हो गई....।
असल में जो शिकायत तथ्यों के साथ जिलाधीश सीहोर को एक शिकायतकर्ता ने की है उसमें स्पष्ट खुला आरोप लगाया है कि जनपद पंचायत आष्टा द्वारा जिस डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को प्रचार-प्रसार का लगभग 8 लाख का ठेका दिया है वो लगता है कि एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कार्य किया है। आष्टा जनपद पंचायत में इन दिनों क्या-क्या हो रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। इसका उदाहरण है जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत डूका भमूरा जहाँ पर शिकायतकर्ता ने जो शिकायत पिछले दिनों की पहले तो यहाँ के अधिकारियों ने उक्त शिकायत को दबाने के काफी प्रयास किये लेकिन जब शिकायतकर्ता ने अपनी दमदारी नहीं छोड़ी तो जांच के लियं पंचायत तक जाना पड़ा जहाँ पर ग्रामीणों ने खुलकर कई मुद्दों पर शिकायतों के पक्ष में बयान दिये। यह तो केवल एक पंचायत का उदाहरण है शेष पंचायतों में हुए निर्माण कार्य, विभिन्न दी जाने वाले पेंशन, इंदिरा आवास व अन्य योजनाओं की अगर जांच हो तो अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह सकती है लेकिन कोई जांच करे ऐसी उम्मीद कम ही है क्योंकि ऐसा करने में बात खुद जांच करने वालों तक और उनके अधिकारियों तक आ जायेगी?
1 अप्रैल से जिले में प्रारंभ हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण योजना के प्रचार-प्रसार के लिये जिय डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी इछावर को कार्य दिया है शिकायतकर्ता ने खुला आरोप लगाया है कि उक्त कार्य के लिये इस एजेंसी के अलावा युवा विकास मण्डल, अपवार्ड सोसायटी, रुरल वर्ल्ड हेल्थ एवं मंथन स्वयं सेवी संस्था ने भी निविदाएं डाली थी। अम्बेडकर के अलावा अन्य संस्थाओं के विभिन्न कार्यों के लिये काफी कम दाम होने के बाद भी अम्बेडकर वेलफेयर की निविदा स्वीकृत की गई है। बताया जाता है कि जब शिकायतकर्ता ने जनपद पंचायत आष्टा में शिकायत की तो उससे कहा गया कि जिला पंचायत द्वारा मांगे गये मार्गदर्शन में मीडिया प्लान को आधार बनाकर उक्त निविदा स्वीकृत की गई है जबकि शिकायत कर्ता का कहना है कि यह प्रक्रिया के विरुध्द है। अगर ऐसा ही करना था तो मिडिया प्लान के अनुरुप वित्तिय आफर मंगवाये जाना था तथ्यों के साथ शिकायत करने वाले शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि जब हमने इसके बारे में जानने का प्रयास करते तो हमें बताया जाता कि हमने जिला पंचायत को भेज दिया है जैसे ही कोई निर्णय होगा बतायेंगे। बार-बार इसी प्रक्रिया से गुजरने के बाद हमें 7 जनवरी 08 को बताया गया कि डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को उक्त कार्य दिया गया जबकि शिकायत कर्ता का आरोप है कि उक्त सोसायटी को इसके पहले ही 26 दिसम्बर 07 को कार्य दे दिया गया था यहाँ गंभीरता से लेने एवं जांच का विषय है।
इसकी सत्य प्रति भी शिकायतकर्ता ने शिकायत के साथ लगाई है जब उक्त कार्य की स्वीकृति 7 जनवरी 08 को हुई है तो उसे कार्य इसके पहले 26 दिसम्बर को कैसे दे दिया। वहीं शिकायतकर्ता ने एक और गंभीर आरोप लगाया है कि इस संस्था का प्रमुख है वो इछावर तहसील के ग्राम खजूरिया में शिक्षाकर्मी के रुप में पदस्थ है और वो 2 माह से आष्टा क्षेत्र में ही नजर आ रहा है इसने कईयों को अपना परिचय एक पत्रकार के रुप में देता है । यह भी जांच का विषय है कि अगर वो एक शिक्षाकर्मी है जो यह सब छुपाया क्यों गया तथा वो किस समाचार-पत्र का संवाददाता है।
शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 26 दिसम्बर 07 को पत्र क्रमांक क्षएनआरईजीएस07 आदेश में उल्लेख था कि 7 दिन के अंदर 10 प्रतिशत राशि जमा की जाये। चार दिन बाद ही 1 जनवरी 08 को फिर पत्र के माध्यम से डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी रामनगर तहसील इछावर को सूचना दी गई कि आपकी राशि नहीं आई है। लेकिन अगले ही 2 जनवरी 08 को गुपचुप अनुबंध भी नियम विरुध्द कर लिया गया जबकि राशि संबंधित संस्था ने जमा नहीं की थी।
बिना राशि के अनुबंध जब हो ही नहीं सकता तब भी उसे अनुबंध पत्र दे दिया गया और हाथ बचाने के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये। मतलब स्पष्ट है कि कहीं कुछ दाल में काला है। मामला यहीं नहीं थमा बल्कि 16 जनवरी तक भी एक सूचना पत्र जारी कर कागजी खानापूर्ति की गई लेकिन 16 जनवरी तक 10 प्रतिशत राशि जमा नहीं हुई। मतलब स्पष्ट है कि सभी अधिकारियाें की मिली भगत से ही यह कार्य दिया गया है। किसी खास व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिये ऐसा किया जा रहा है।
पूरे ब्लाक में प्रति कार्यक्रम 1.85 पैसे में कठपुतली का प्रदर्शन, पूरे ब्लाक के हर गांव में मुनादी करने पर 10.25 रुपये, आमसभा की जानकारी देने पर 1.20 पैसे देना तय है लेकिन क्या पूरे 272 ग्रामों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रचार-प्रसार किया जायेगा ? जब प्रारंभ में ही इतनी लम्बी-चौड़ी पोल है तो फिर आगे क्या होगा ? करीब 8 लाख रुपये का यह कार्य है क्या वाकई हर गांव में जाकर उपरोक्त कार्य होगा ? क्या संबंधित अधिकारी वाकई इस पर नजर रखेंगे ?
प्रतिक्रिया- शिकायतकर्ता की उक्त शिकायत पर जनपद पंचायत आष्टा के सी.ई.ओ. श्री आर.एस. वर्मा ने इस पूरी शिकायत की प्रतिक्रिया में बताया कि जो भी निविदाएं आई थी उसको खोलने के बाद जिले में भेज दिया गया था वहाँ से नियमानुसार पात्र डॉ अंबेडकर वेलफेयर सोसायटी की उक्त निविदा स्वीकृत की गई है। उक्त कार्य में पूरी पारदर्शिता अपनाकर नियमानुसार ही उक्त कार्य दिया गया है। शिकायतकर्ता की शिकायत सही नहीं है। जब उनसे पूछा की ऐसा बताया गया है कि संस्था का प्रमुख इछावर ब्लाक में शिक्षाकर्मी है तब श्री वर्मा ने कहा ऐसा मालूम नहीं है अगर ऐसा है तो इसकी जांच करवा लेता हूँ श्री वर्मा ने बताया कि 2 वर्ष के उक्त कार्य के रेट की तुलना में इसी संस्था को पात्र पाया गया था- आर.एस.वर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आष्टा । इस संबंध में फुरसत ने डा. अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी के प्रमुख से भी सम्पर्क कर उनका पक्ष लेने के भी प्रयास किये लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।
असल में जो शिकायत तथ्यों के साथ जिलाधीश सीहोर को एक शिकायतकर्ता ने की है उसमें स्पष्ट खुला आरोप लगाया है कि जनपद पंचायत आष्टा द्वारा जिस डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को प्रचार-प्रसार का लगभग 8 लाख का ठेका दिया है वो लगता है कि एक व्यक्ति विशेष को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कार्य किया है। आष्टा जनपद पंचायत में इन दिनों क्या-क्या हो रहा है यह किसी से छुपा नहीं है। इसका उदाहरण है जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत डूका भमूरा जहाँ पर शिकायतकर्ता ने जो शिकायत पिछले दिनों की पहले तो यहाँ के अधिकारियों ने उक्त शिकायत को दबाने के काफी प्रयास किये लेकिन जब शिकायतकर्ता ने अपनी दमदारी नहीं छोड़ी तो जांच के लियं पंचायत तक जाना पड़ा जहाँ पर ग्रामीणों ने खुलकर कई मुद्दों पर शिकायतों के पक्ष में बयान दिये। यह तो केवल एक पंचायत का उदाहरण है शेष पंचायतों में हुए निर्माण कार्य, विभिन्न दी जाने वाले पेंशन, इंदिरा आवास व अन्य योजनाओं की अगर जांच हो तो अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह सकती है लेकिन कोई जांच करे ऐसी उम्मीद कम ही है क्योंकि ऐसा करने में बात खुद जांच करने वालों तक और उनके अधिकारियों तक आ जायेगी?
1 अप्रैल से जिले में प्रारंभ हो रही राष्ट्रीय ग्रामीण योजना के प्रचार-प्रसार के लिये जिय डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी इछावर को कार्य दिया है शिकायतकर्ता ने खुला आरोप लगाया है कि उक्त कार्य के लिये इस एजेंसी के अलावा युवा विकास मण्डल, अपवार्ड सोसायटी, रुरल वर्ल्ड हेल्थ एवं मंथन स्वयं सेवी संस्था ने भी निविदाएं डाली थी। अम्बेडकर के अलावा अन्य संस्थाओं के विभिन्न कार्यों के लिये काफी कम दाम होने के बाद भी अम्बेडकर वेलफेयर की निविदा स्वीकृत की गई है। बताया जाता है कि जब शिकायतकर्ता ने जनपद पंचायत आष्टा में शिकायत की तो उससे कहा गया कि जिला पंचायत द्वारा मांगे गये मार्गदर्शन में मीडिया प्लान को आधार बनाकर उक्त निविदा स्वीकृत की गई है जबकि शिकायत कर्ता का कहना है कि यह प्रक्रिया के विरुध्द है। अगर ऐसा ही करना था तो मिडिया प्लान के अनुरुप वित्तिय आफर मंगवाये जाना था तथ्यों के साथ शिकायत करने वाले शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह सामाजिक कार्यकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा कि जब हमने इसके बारे में जानने का प्रयास करते तो हमें बताया जाता कि हमने जिला पंचायत को भेज दिया है जैसे ही कोई निर्णय होगा बतायेंगे। बार-बार इसी प्रक्रिया से गुजरने के बाद हमें 7 जनवरी 08 को बताया गया कि डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी को उक्त कार्य दिया गया जबकि शिकायत कर्ता का आरोप है कि उक्त सोसायटी को इसके पहले ही 26 दिसम्बर 07 को कार्य दे दिया गया था यहाँ गंभीरता से लेने एवं जांच का विषय है।
इसकी सत्य प्रति भी शिकायतकर्ता ने शिकायत के साथ लगाई है जब उक्त कार्य की स्वीकृति 7 जनवरी 08 को हुई है तो उसे कार्य इसके पहले 26 दिसम्बर को कैसे दे दिया। वहीं शिकायतकर्ता ने एक और गंभीर आरोप लगाया है कि इस संस्था का प्रमुख है वो इछावर तहसील के ग्राम खजूरिया में शिक्षाकर्मी के रुप में पदस्थ है और वो 2 माह से आष्टा क्षेत्र में ही नजर आ रहा है इसने कईयों को अपना परिचय एक पत्रकार के रुप में देता है । यह भी जांच का विषय है कि अगर वो एक शिक्षाकर्मी है जो यह सब छुपाया क्यों गया तथा वो किस समाचार-पत्र का संवाददाता है।
शिकायत कर्ता राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 26 दिसम्बर 07 को पत्र क्रमांक क्षएनआरईजीएस07 आदेश में उल्लेख था कि 7 दिन के अंदर 10 प्रतिशत राशि जमा की जाये। चार दिन बाद ही 1 जनवरी 08 को फिर पत्र के माध्यम से डॉ अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी रामनगर तहसील इछावर को सूचना दी गई कि आपकी राशि नहीं आई है। लेकिन अगले ही 2 जनवरी 08 को गुपचुप अनुबंध भी नियम विरुध्द कर लिया गया जबकि राशि संबंधित संस्था ने जमा नहीं की थी।
बिना राशि के अनुबंध जब हो ही नहीं सकता तब भी उसे अनुबंध पत्र दे दिया गया और हाथ बचाने के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये। मतलब स्पष्ट है कि कहीं कुछ दाल में काला है। मामला यहीं नहीं थमा बल्कि 16 जनवरी तक भी एक सूचना पत्र जारी कर कागजी खानापूर्ति की गई लेकिन 16 जनवरी तक 10 प्रतिशत राशि जमा नहीं हुई। मतलब स्पष्ट है कि सभी अधिकारियाें की मिली भगत से ही यह कार्य दिया गया है। किसी खास व्यक्ति को लाभ पहुँचाने के लिये ऐसा किया जा रहा है।
पूरे ब्लाक में प्रति कार्यक्रम 1.85 पैसे में कठपुतली का प्रदर्शन, पूरे ब्लाक के हर गांव में मुनादी करने पर 10.25 रुपये, आमसभा की जानकारी देने पर 1.20 पैसे देना तय है लेकिन क्या पूरे 272 ग्रामों में इस महत्वाकांक्षी परियोजना का प्रचार-प्रसार किया जायेगा ? जब प्रारंभ में ही इतनी लम्बी-चौड़ी पोल है तो फिर आगे क्या होगा ? करीब 8 लाख रुपये का यह कार्य है क्या वाकई हर गांव में जाकर उपरोक्त कार्य होगा ? क्या संबंधित अधिकारी वाकई इस पर नजर रखेंगे ?
प्रतिक्रिया- शिकायतकर्ता की उक्त शिकायत पर जनपद पंचायत आष्टा के सी.ई.ओ. श्री आर.एस. वर्मा ने इस पूरी शिकायत की प्रतिक्रिया में बताया कि जो भी निविदाएं आई थी उसको खोलने के बाद जिले में भेज दिया गया था वहाँ से नियमानुसार पात्र डॉ अंबेडकर वेलफेयर सोसायटी की उक्त निविदा स्वीकृत की गई है। उक्त कार्य में पूरी पारदर्शिता अपनाकर नियमानुसार ही उक्त कार्य दिया गया है। शिकायतकर्ता की शिकायत सही नहीं है। जब उनसे पूछा की ऐसा बताया गया है कि संस्था का प्रमुख इछावर ब्लाक में शिक्षाकर्मी है तब श्री वर्मा ने कहा ऐसा मालूम नहीं है अगर ऐसा है तो इसकी जांच करवा लेता हूँ श्री वर्मा ने बताया कि 2 वर्ष के उक्त कार्य के रेट की तुलना में इसी संस्था को पात्र पाया गया था- आर.एस.वर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत आष्टा । इस संबंध में फुरसत ने डा. अम्बेडकर वेलफेयर सोसायटी के प्रमुख से भी सम्पर्क कर उनका पक्ष लेने के भी प्रयास किये लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।
लाख रु.खर्च कर नचवाया...और 20 लोगों ने देखा
जनता के रुपयों की ऐसे हो रही बर्वादी, बिना
प्रचार-प्रसार के कर डाला मंचीय कार्यक्रम
प्रचार-प्रसार के कर डाला मंचीय कार्यक्रम
सीहोर 1 फरवरी (फुरसत)। प्रदेश में मनाये जा रहे भारत पर्व के अवसर पर सीहोर में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें देश के मशहूर संतूर वादक ओम प्रकाश चौरसिया के निर्देशन में मधुकली वृन्द भोपाल कलाकारों ने संगीत रूपक मुक्ति का महायज्ञ की शानदार प्रस्तुति दी । प्रसिद्ध विद्याधर आमटे ने बांसूरी वादन प्रस्तुत किया । बड़ा बाजार में मंच बनाकर हजारों रुपये खर्च किये गये। कलाकारों को करीब 40-50 हजार रुपये दिये गये लेकिन 8 कुर्सियाँ मंच के सामने लगाकर 20-25 दर्शकों ने ही इसे देखा....। इस प्रकार बिना प्रचार-प्रसार किये इस कार्यक्रम को करके जनता के रुपये एक तरह से बर्वाद कर दिये गये। बड़ा बाजार में गणतंत्र दिवस की संध्या पर भारत पर्व के उपलक्ष्य में संगीत रूपक मुक्ति का महायज्ञ मंचित किया गया जिसमें मधुकली वृन्द भोपाल के कलाकारों ने 1857 से 1947 की आजादी की संघर्ष गाथा को संगीत और अभिनय की जुबानी प्रस्तुत किया । ओम प्रकाश चौरसिया के निर्देशन, संगीत, आकल्पन और प्रस्तुति के इस रूपक में कवि डा. रामबल्लभ आचार्य के वृन्दगान भारत प्यारा देश हमारा की कलाकारों ने अनूठी प्रस्तुति देकर कोरियोग्राफर मनोज नायर के परिश्रम को साकार कर दिखाया । मंच एवं पार्श्व गानवृन्द में जिन कलाकारों ने सहभागिता की उनमें संदीपा पारे, हिमानी सक्सेना, चित्रा जाम्बोलकर, एकता गोस्वामी, रूपक मंडलोई, देवना चौरसिया, स्मिता नायर, पूनम सोनी, नोशाबा सईद खां, रूपल गुप्ता, हर्षिता शर्मा, गोपाल लेले, लोकेन्द्र सिंह, गौरव शर्मा, सुदीप सोहनी, अंशुमान साकल्ले, अंकित लालवानी, विजय पटेल, उमेश धर्मेश, आतिक सईद खां, चिराग सोलंकी, और गोदान शामिल थे । संगीत रूपक में वाद्य वृन्द संयोजन उमेश धर्मेश ने किया । प्रकाश व्यवस्था तरूण पाण्डे, वाचक स्वर विवेक मृदूल, रंगभूषा संदीपा पारे, वेशभूषा स्मिता नायर तथा कोरियोग्राफी निदेशक मनोज नायर थे । कार्यक्रम में उद्धोषक के रूप में विनय उपाध्याय मोजूद थे । मुक्ति का महायज्ञ रूपक के बाद बांसूरी वादन के लिए मशहूर विद्याधर आमटे ने भी बांसूरी की स्वर लहरियां बिखेरकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । कार्यक्रम में ए.डी.एम. श्रीमति भावना वालिम्बे उपस्थित थीं। आये कलाकार मुट्ठा भर के रुपये ले गये और यहाँ उनका अभिनय किसी ने देखा ही नहीं।
केन्द्र से सब्जी उगाने के लिये आये ढाई करोड़ मुख्यमंत्री के गांवों में ठूंसे जायेंगे, कांग्रेसी हाथ मलते रह जायेंगे....
सीहोर 1 फरवरी (फुरसत)। जिले भर में उद्यानिकी के विकास के लिये ढाई करोड़ से भी अधिक राशि की कार्ययोजना जो राय सरकार ने अनुमोदित कर स्वीकृति के लिये केन्द्र सरकार को भेजी गई थी उसे केन्द्र सरकार ने स्वीकृत कर दिया गया है। कार्ययोजना स्वीकृति के बाद जिले भर में करीब तीन सौ से भी अधिक हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी क्षेत्र का विकास कार्य को अमली जामा पहनाया जा सकेगा। जिसके तहत करीब आठ नर्सरियों की स्थापना, जैविक खेती के लिये 210 हेक्टेयर क्षेत्र में आर्गनिक फारमिंग, 93 हेक्टेयर क्षेत्र में पुष्प व मसाला उत्पादन 200 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्जी को प्राथमिकता दी जायेगी। इसके लिये अभी तक 134 गांवों का चयन किया जा चुका है। जिनमें उद्यानिकी विकास के लिये केन्द्र से आये 2 करोड़, 55 लाख 78 हजार 400 रुपये की वृहद धनराशि खर्च की जावेगी। लेकिन जानबूझकर यह महती योजना नर्वदा किनारे के लिये गये हैं। जो मुख्यमंत्री के क्षेत्र के हैं और यहाँ पूर्व से ही किसानों की व उद्यानिकी की स्थिति बढ़िया है। देखते हैं कांग्रेसी नर्वदा की अपेक्षा जिले की सबसे बड़ी नदी पार्वती या नदियों को लेकर जाग्रत होते हैं या नहीं ?
जिला जनसम्पर्क कार्यालय से प्रसारित समाचार के अनुसार जिला उद्यानिकी के कर्ताधर्ता जिलाधीश की अध्यक्षता में गत दिवस संपन्न एक बैठक में उद्यानिकी विकास की वर्ष 2007-08 की कार्ययोजना का अनुमोदन किया गया । बैठक में जिलाधीश ने उद्यानिकी विकास के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता को लेकर बातचीत करते हुए अपनी राय थोपी की नर्वदा किनारे पर्याप्त पानी है। फिर उद्यानिकी के कार्यो को तत्काल प्रारंभ करने और प्रस्तावित कार्ययोजना का जनपद पंचायतों की कृषि स्थायी समिति से तत्काल अनुमोदन कराने के निर्देश दिए। कृषक भ्रमण प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त किसानों का चयन करने के भी उन्होंने निर्देश दिए। जिलाधीश ने उद्यानिकी विकास के लिए सबसे जरूरी तत्व पानी पर विशेष जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में जहां पहले से ही पानी उपलब्ध है वहां उद्यानिकी कार्यो को प्राथमिकता दी जाये। उन्होंने सुझाव दिया कि पानी की सुलभता को देखते हुए कार्ययोजना में नर्मदा किनारे के ग्रामों का चयन उपयुक्त हो सकता है। अप्रत्यक्ष रुप से उन्होने स्पष्ट ही कह दिया कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में नर्वदा बहती है इसलिये सब समझ जाईये कि वहीं पानी पर्याप्त है और कार्य तत्काल प्रारंभ हो जिससे मुख्यमंत्री का क्षेत्र हरा-भरा-समृध्द हो जाये ताकि वह हम पर व हमारे कार्यों से प्रसन्न हो सकें।
सहायक संचालक उद्यानिकी ने जिलाधीश को बताया कि प्रस्तावित कार्ययोजना के तहत जिले में 34 क्लस्टर के कुल 130 ग्रामों का चयन किया गया है। कृषकों के चयन का कार्य जारी है । सब्जी बीज इन्फास्ट्रक्चर के तहत 80 हेक्टेयर मसाला विकास और 13 हेक्टेयर क्षैत्र में पुष्प विकास के कार्य किए जायेगे । प्रस्तावित कार्ययोजना में पुराने बगीचों में उत्पादकता बढ़ाने के मद्देनजर 25 हेक्टेयर क्षैत्र को शामिल किया गया है । इसी तरह रोपण सामग्री उत्पादन के लिए पांच-पांच सौ वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस और नेट हाउस बनाए जायेगे । दो हेक्टेयर में मल्ंचिग का कार्य किया जायेगा । एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन का कार्य 20 हेक्टेयर में किया जायेगा । जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 200 हेक्टेयर में सब्जी और 10 हेक्टेयर में मिर्च का उत्पादन किया जायगा। प्रस्तावित कार्ययोजना में 20 वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और 10 जल स्त्रोंतों का उत्पादन किया जायेगा । प्रस्तावित कार्ययोजना में 20 वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और 10 जल स्त्रोंतो का सृजन शामिल किया गया । जिले से 400 किसानों के चयन का कार्य शुरू कर दिया गया है । किसानों का चयन कर उन्हें राज्य के भीतर और राज्य के बाहर प्रशिक्षण के लिए भेजा जायगा ।
इस प्रकार केन्द्र से मंजूर हुई इस महत्वपूर्ण योजना के लिये करोड़ो रुपये में प्राप्त धनराशि एक तरह से सिर्फ मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र जिसे नर्वदा का किनारा कहकर योजना में सम्मिलित किया गया है वही हरा-भरा होगा। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में वैसे ही कल-कारखानों से लेकर करीब एक अरब रुपये (1,00,00,00,000) तक के तरह-तरह के निर्माण कार्यों की स्वीकृति पूर्व में ही हो चुकी है। नर्वदा के किनारे होने तथा पानी खूब होने से यहाँ के किसान पहले ही समृध्द और सम्पन्न हैं। यहाँ पर्याप्त पैदावार है सभी और खुशहाली है।
ऐसे में केन् द्र से आई योजनाओं का भी इस प्रकार यहाँ उपयोग किया जा रहा है। जिसको लेकर कोई बोलने या विरोध करने वाला नहीं है। देखते हैं क्या कांग्रेस इस मामले में कुछ करेगी ?
जिला जनसम्पर्क कार्यालय से प्रसारित समाचार के अनुसार जिला उद्यानिकी के कर्ताधर्ता जिलाधीश की अध्यक्षता में गत दिवस संपन्न एक बैठक में उद्यानिकी विकास की वर्ष 2007-08 की कार्ययोजना का अनुमोदन किया गया । बैठक में जिलाधीश ने उद्यानिकी विकास के लिए पानी की पर्याप्त उपलब्धता को लेकर बातचीत करते हुए अपनी राय थोपी की नर्वदा किनारे पर्याप्त पानी है। फिर उद्यानिकी के कार्यो को तत्काल प्रारंभ करने और प्रस्तावित कार्ययोजना का जनपद पंचायतों की कृषि स्थायी समिति से तत्काल अनुमोदन कराने के निर्देश दिए। कृषक भ्रमण प्रशिक्षण के लिए उपयुक्त किसानों का चयन करने के भी उन्होंने निर्देश दिए। जिलाधीश ने उद्यानिकी विकास के लिए सबसे जरूरी तत्व पानी पर विशेष जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में जहां पहले से ही पानी उपलब्ध है वहां उद्यानिकी कार्यो को प्राथमिकता दी जाये। उन्होंने सुझाव दिया कि पानी की सुलभता को देखते हुए कार्ययोजना में नर्मदा किनारे के ग्रामों का चयन उपयुक्त हो सकता है। अप्रत्यक्ष रुप से उन्होने स्पष्ट ही कह दिया कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में नर्वदा बहती है इसलिये सब समझ जाईये कि वहीं पानी पर्याप्त है और कार्य तत्काल प्रारंभ हो जिससे मुख्यमंत्री का क्षेत्र हरा-भरा-समृध्द हो जाये ताकि वह हम पर व हमारे कार्यों से प्रसन्न हो सकें।
सहायक संचालक उद्यानिकी ने जिलाधीश को बताया कि प्रस्तावित कार्ययोजना के तहत जिले में 34 क्लस्टर के कुल 130 ग्रामों का चयन किया गया है। कृषकों के चयन का कार्य जारी है । सब्जी बीज इन्फास्ट्रक्चर के तहत 80 हेक्टेयर मसाला विकास और 13 हेक्टेयर क्षैत्र में पुष्प विकास के कार्य किए जायेगे । प्रस्तावित कार्ययोजना में पुराने बगीचों में उत्पादकता बढ़ाने के मद्देनजर 25 हेक्टेयर क्षैत्र को शामिल किया गया है । इसी तरह रोपण सामग्री उत्पादन के लिए पांच-पांच सौ वर्ग मीटर में ग्रीन हाउस और नेट हाउस बनाए जायेगे । दो हेक्टेयर में मल्ंचिग का कार्य किया जायेगा । एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन का कार्य 20 हेक्टेयर में किया जायेगा । जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 200 हेक्टेयर में सब्जी और 10 हेक्टेयर में मिर्च का उत्पादन किया जायगा। प्रस्तावित कार्ययोजना में 20 वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और 10 जल स्त्रोंतों का उत्पादन किया जायेगा । प्रस्तावित कार्ययोजना में 20 वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण और 10 जल स्त्रोंतो का सृजन शामिल किया गया । जिले से 400 किसानों के चयन का कार्य शुरू कर दिया गया है । किसानों का चयन कर उन्हें राज्य के भीतर और राज्य के बाहर प्रशिक्षण के लिए भेजा जायगा ।
इस प्रकार केन्द्र से मंजूर हुई इस महत्वपूर्ण योजना के लिये करोड़ो रुपये में प्राप्त धनराशि एक तरह से सिर्फ मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र जिसे नर्वदा का किनारा कहकर योजना में सम्मिलित किया गया है वही हरा-भरा होगा। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में वैसे ही कल-कारखानों से लेकर करीब एक अरब रुपये (1,00,00,00,000) तक के तरह-तरह के निर्माण कार्यों की स्वीकृति पूर्व में ही हो चुकी है। नर्वदा के किनारे होने तथा पानी खूब होने से यहाँ के किसान पहले ही समृध्द और सम्पन्न हैं। यहाँ पर्याप्त पैदावार है सभी और खुशहाली है।
ऐसे में केन् द्र से आई योजनाओं का भी इस प्रकार यहाँ उपयोग किया जा रहा है। जिसको लेकर कोई बोलने या विरोध करने वाला नहीं है। देखते हैं क्या कांग्रेस इस मामले में कुछ करेगी ?
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