Saturday, August 30, 2008

सोता रहा खेल विभाग, खेल दिवस पर भी नहीं याद आई खिलाड़ियों की

सीहोर 29 अगस्त (नि.सं.)। ओलंपिक खेलों में भारत के खिलाड़ियों की स्थिति और हर बार स्वर्ण पदक से चूक जाने वाले का शासन भले ही देश के खिलाड़ियों के लिये अनेकानेक सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास करता रहे लेकिन जिन अधिकारियों को यह जिम्मा सौंपा जाता है वह इसे कभी गंभीरता से नहीं लेते। आज खेल दिवस पर खेल विभाग सोता रहा। उसने ना तो कोई कार्यक्रम किया ना ही उसे खिलाड़ियों की याद आती है। खिलाड़ी तो दूर खिलाड़ियों के नाम अपना घर चला रहे एक शासकिय कोच का चेहरा आज तक खिलाड़ियों को खेल मैदान पर देखने को नसीब नहीं हुआ है। आश्चर्य है यह व्यक्ति किस आधार पर शासकिय कोच बना हुआ है। साल भर स्कालरशिप बंटी नहीं यह समस्या तो खड़ी ही है बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत मल्टी जिम मशीन तक खेल विभाग लगवाने को तैयार नही है ? फिर कैसे निकलेंगे जिला स्तर से कोई राष्ट्रीय खिलाड़ी ? और देश का नाम कैसे रोशन होगा?
खेल भावना से परे सीहोर का खेल विभाग दूसरे ही तरह के खेल खेलने में लगा रहता है। खेल के नाम पर भ्रष्टाचार के किस्से तो सीहोर में भी मौजूद हैं लेकिन खेल विभाग की निष्क्रियता से स्थानीय खिलाड़ियों का मनोबल बहुत कमजोर हो रहा है। सीहोर एक ऐसा स्थान है जहाँ कुश्ती, फुटबाल, क्रिकेट, टेबल टेनिस ही नहीं चक दे इण्डिया कर देने वाली हॉकी टीम तक मौजूद हैं।
वर्षो वर्ष से अनवरत सीहोर को ही यह उपलब्धी है यहाँ के अधिकांश खिलाड़ी प्रदेश स्तरीय टीम में चुने जाते हैं और प्रदेश का नेतृत्व करते हैं। लेकिन इसके पीछे किसी खेल विभाग नामक शासन की निकम्मी संस्था का हाथ नहीं होता जो कभी खिलाड़ियों के लिये कुछ नहीं करती बल्कि इसके पीछे स्थानीय खेल संगठनों और निशुल्क सेवा देने वाले अनेक कोच का योगदान रहता है। यह कोच सदैव पूरी तत्परता से अपने खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में लगे नजर आते हैं। कोई रस्सी खेंच, कोई कुश्ती तो कोई अन्य खेल अपने दम पर अपने खिलाड़ियों को सिखाता, आगे बढ़ाता और राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर खिलवाता है। दादा शिवलाल का नाम तो सीहोर के हॉकी इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा है जिन्होने अपने वेतन से अधिकांश प्रशिक्षुओं को हॉकी से लेकर जूते-मोजे तक दिलवाये और उन्हे खेल खिलाकर आगे बढ़ाया।
खेर बात हो रही थी, खेल विभाग की। आज खेल दिवस पर स्थानीय खेल विभाग ने कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया।
ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा खेल विभाग के माध्यम से हर जिले के लिये एक निशुल्क कोच की व्यवस्था की गई है। जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अटैच इस कोच का काम होता है कि वह वर्ष भर नगर की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाये, उन्हे हर तरह की मदद दे, प्रशिक्षण दे और जो परेशानी आ रही है उसे दूर कराये। लेकिन सीहोर में दुर्भाग्य से जो कोच है वह मोटा वेतन तो खेल के नाम से पा रहा है लेकिन खिलाड़ियों को उसका चेहरा भी ठीक से याद नहीं है।
शासकिय कोच कभी चर्च मैदान या अन्य किसी खेल मैदान पर नजर हीं नहीं आते हैं। ऐसे कोच का क्या फायदा जिसे सिर्फ वेतन से मतलब हो। यदि ऐसा कोच रहेगा तो फिर शासन की योजना का क्या लाभ और साल भर में लाखों रुपये इसको वेतन के देकर रुपये बर्वादी ही हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि खेल विभाग से जुड़े एक अधिकारी का सिर्फ ऐसे मुर्गों को ढूंढने में लगे रहते हैं जिनको बंदूक का लायसेंस बनवाना हो। दिनभर लायसेंस का काम यह करते रहते हैं जबकि जो काम इन्हे सौंपा गया है वह यह नहीं करते। जिससे अपने उच्च अधिकारियों की आंखों के तारे भी यह बने हुए हैं। कोई इनसे कुछ नहीं कहता।
वर्ष 2008 तो पूरा खत्म होने को आ गया लेकिन स्थानीय खिलाड़ियों को अभी तक शासन की और से मिलने वाली स्कालरशिप ही नहीं दी गई है ? इस मद में आने वाली राशि सदैव संदेह के घेरे में रहती है किसको कितनी दी गई ? कितने पर हस्ताक्षर हुए ? क्या हुआ क्या नहीं यह संदेह में रहता है। ऐसे में इस वर्ष स्कालरशिप की राशि नहीं दी जाना खिलाड़ियों के लिये समस्या बनी हुई है।
आखिर क्यों नहीं आता स्वर्णपदक - आप स्वयं अंदाजा लगाये यदि कोई खिलाड़ी अपनी पढ़ाई को दांव पर लगाकर किसी खेल में आगे बढ़ रहा हो तो उसके शासन से मदद मिलना चाहिये, न सिर्फ स्कालरशिप समय पर मिल जाये बल्कि यदि कोच उसको हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराने लगे जैसा की शासन व्यवस्था भी करता है तो फिर क्या कहने? लेकिन अक्सर देखने में आता है कि जिन अधिकारियों द्वारा खेल विभाग का काम देखा जाता है वह ऐसे खिलाड़ी जो दो-तीन नेशनल खेल आते हैं उनकी तरफ ध्यान ही नहीं देते है? ऐसे में खिलाड़ी मजबूरी में खेल से ध्यान हटाकर पुन: पढाई की तरफ मुख मोड़ता हैं। जबकि जो खिलाड़ी आगे बढ़ रहा है उसको सहयोग देकर, प्रशिक्षण दिया जाये तो निश्चित ही ऐसे खिलाड़ी अपने देश का नाम रोशन कर सकें।
यहाँ तो सीहोर में स्थिति और भी विपरीत है। गर्मी के छुट्टियों में भी जो प्रशिक्षण शिविर लगते हैं वह नाम मात्र के ही होते हैं, ना खिलाड़ियों में उत्साह पैदा हो पाता है ना कोई व्यवस्था रहती हैं। आज जब ओलंपिक में एक मात्र स्वर्णपदक पर संतोष करके भारत रह गया है तब निश्चित ही खेल विभागों के रवैये की तरफ ध्यान जाता है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री जी ने एक मल्टीजिम मशीन की घोषणा की है जिसे चर्च मैदान में लगाया जायेगा विधायक जी के प्रयास से यह स्वीकृत तो हो गई है लेकिन आज 4 माह से अधिक समय हो जाने के बाद भी स्थानीय खेल विभाग ने यह मशीन सीहोर के लिये लाने के प्रयास तक नहीं किये हैं। खेल विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों के व्यवहार से जिले भर के खिलाड़ी रुष्ट और दुखी हैं।


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54 वीं राज्‍य स्तरीय शालेय खेल प्रति. शुरु

सीहोर 29 अगस्त (नि.सं.)। पांच दिवसीय 54 वीं राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिता आज से आवासीय खेल संस्थान के खेल मैदान पर शुरू हुई। विधायक रमेश सक्सेना ने प्रतियोगिता के विधिवत शुभारंभ की घोषणा की और प्रतियोगिता के ध्वज का आरोहण किया। ग्वालियर संभाग से आए किक्रेट के उदीयमान खिलाड़ी दीपक बरेठा द्वारा खिलाड़ियों को शपथ ग्रहण कराई गई। प्रतिभागी खिलाड़ियों द्वारा आकर्षक मार्च पास्ट किया गया। नूतन हायर सेकेण्ड्री की छात्राओं ने स्वागत गीत गाए।
उद्धाटन समारोह को संबोधित करते हुए विधायक रमेश सक्सेना ने कहा कि सीहोर ने अनेक खेल प्रतियोगिताओं की सफल मेजबानी की है और अब भी वह इस प्रतियोगिता के आयोजन के लिए तैयार है। उन्होंने प्रतियोगी खिलाड़ियों को नियमित अभ्यास की सीख देते हुए कहा कि अब तक किसी भी खेल में जो नामी खिलाड़ी रहे हैं उन्होंने नियमित अभ्यास से ही अपने खेल को नई ऊं चाईयां प्रदान की हैं। उन्होंने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचन्द का स्मरण करते हुए कहा कि वे हॉकी के अद्भुत खिलाड़ी थे जिन्होंने अंतर राष्ट्रीय स्तर पर भारत को गौरवान्वित होने का मौका दिया। विधायक श्री सक्सेना ने कहा कि एकता की भावना खेल के मैदान पर ही परिलक्षित होती है। उन्होंने सभी टीमों के मैनेजर और कोच का स्वागत किया। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग ले रहे खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके यशस्वी खिलाड़ी जीवन की कामना की। नपाध्यक्ष श्री अशोक सिसौदिया ने प्रतिभागी खिलाड़ियों का नगर पालिका की ओर से स्वागत किया और कहा कि नगर पालिका की ओर से खिलाड़ियों को हरसंभव सुविधाएं प्रदान की जायगी। उन्होंने खिलाड़ियों से अपेक्षा की कि वे नगर सहित जिले के नागरिकों को बेहतर खेल का मुजाहिरा कराएंगे।
इस मौके पर पुलिस अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि हाल के कुछ सालों से दुनियां में खेल एवं खिलाड़ियों का महत्व बढ़ा है। बीजिंग ओलम्पिक का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि चीन ने इस आयोजन के माध्यम से पूरे संसार में अपनी धाक जमाई। चीनी खिलाड़ियों ने अथक परिश्रम कर प्रतियोगिता में सर्वाधिक पदक हासिल कर जता दिया कि केवल अमेरिका ही ऐसा देश नहीं बचा है जो हर बार ओलम्पिक में सर्वाधिक पदक बटोरता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने भी पहले के बनिस्वत इस बार ओलम्पिक में अपनी बेहतर उपस्थिति दर्ज कराई है। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग ले रहे खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं दी। अनुशासित खिलाड़ी का महत्व बताया और आशा व्यक्त की कि यह प्रतियोगिता उदीयमान खिलाड़ियों को बेहतर अवसर प्रदान करने वाली साबित होगी।
संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ओ.पी.शर्मा ने कहा कि एक सफल खिलाडी बनने के लिए परिश्रम और नियमित अभ्यास का होना जरूरी है। उन्होने कहा कि अपने खेल के प्रति जुनून रखने वाला खिलाड़ी ही नाम कमाता है बशर्ते उसमें लगन और सगाी खेल भावना हो। उन्होंने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के व्यक्तित्व और उनके खेल की विशेषताओं का विश्लेषण करते हुए खिलाड़ियों से कहा कि वे अपने खेल कौशल को निखारते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाएं। इस अवसर पर सहायक संचालक लोक शिक्षण संजय शर्मा, आवासीय खेल संस्थान के प्राचार्य धर्मेन्द्र शर्मा, डी.पी.सी. डॉ. राजाराम परमार और सी.एम.ओ. देवेन्द्र सिंह परिहार सहित नगर के खेल प्रेमी नागरिक मौजूद थे।


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चोरी की नियत से घर में घुसा

आष्टा 29 अगस्त (नि.प्र.)। सिध्दिकगंज में एक व्यकित चोरी की नियत से घर में घुसा लेकिन सफल नहीं हो पाया। ग्राम की महिला सेवंता बाई पत्नि कैलाश गोस्वामी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई की ग्राम उमरघड़ भरतपुरा का भादर सिंह बंजारा कान के सोने के झुमके चुराने के उद्देश्य से घर में घुसा था जो सफल नहीं हो पाया। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है।

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संकुचित विचारधारा लड़ाई-झगड़े का कारण बनती है-मधुबाला जी

आष्टा 29 सितम्बर (नि.प्र.)। बड़े ही पुण्यों से तो यह छोटी-सी जिंदगी मिली है उसमें प्रेम, स्नेह, भाईचारा, शांति के साथ जीने वाला घर के साथ बहार भी लोकप्रिय हो जाता है। दूसरे के दुख को अपना दुख समझनेवाला सभी क्षेत्रों में प्रिय हो जाता है। संकुचित विचार धारा लड़ाई झगड़े का कारण बनता है। अगर तुम योगी ना बन सको तो कम से कम उपयोगी जरुर बनो कष्ट देने में कभी भी आनंद का अनुभव मत करो ।
उक्त उद्गार महावीर भवन स्थानक में विराजित पूय म.सा. श्री मधुबाला जी ने पर्यूषण पर्व के आज दूसरे दिन मानव जीवन की महत्वकांक्षा एवं लोकप्रियता विषय को सामने रखते हुए कहे। म.सा. ने कहा कि पावन से पावन बनना है तो धर्म आराधना करो। पर्यूषण पर्व के प्राण संवत्सरी है। जिसे बाहर लोकप्रिय बनना है उसे पहले अपने घर में प्रिय बनना होगा। प्रिय वो ही व्यक्ति बन सकता है जो धीर-वीर और गंभीर हो तथा उसका हृदय विशाल हो। घर-परिवार में होने वाली छोटी-छोटी बातों-विवादों को त्यागना होगा क्योंकि छोटी-छोटी बातें ही बड़े विवाद का कारण बन जाती है और खून के रिश्तों में दिवार खड़ी हो जाती है। देखते-सुनते हैं कि एक ही छत के नीचे सब रहते हैं लेकिन उसमें रहने वाले एक दूसरे से बात तक नहीं करते हैं। महाराज श्री ने इसके लिये अणु संदेश के 17 एवं 18 नम्बर पर आचार्य श्री उमेश मुनि जी ने जो बताया उसका उल्लेख किया एवं कुछ उदाहरण से समझाया की किस प्रकार विशाल हृदय रखने से विवाद खत्म होकर प्रेम की धारा बहती है।
इस अवसर पर श्री सुनीता जी ने कहा कि यह पर्व संदेश दे रहा है कि 2 घड़ी अर्थात 48 मिनिट के प्रवचन प्रभुवाणी सुनी और हर घड़ी याद रखो आपके भाग्य में जो लिखा है उसे कोई नहीं टाल सकता है। जिस प्रकार दीपावली आने पर पुराना अटाला बेचते हो और नया सामान लाते हो उसी प्रकार जीवन में पुराने अटाले रुपी जो क्रोध, मान, माया, लोभ, इन्द्री सुख है उसे बाहर निकालकर फेंको और जीवन में प्रेम, स्नेह, दया, धर्म, मैत्री, सहजता, सरलता को लाओ विनय का स्वीकार कर अहंकार का विसर्जन करो यही आज पर्यूषण पर्व का दूसरा दिन हम सभी को संदेश देता है।
आज नेमिनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर किले पर पधारे श्री कवरलाल रांका मुकेश जी, यतीन्द्र जी भंडारी एवं विनोद संघवी द्वारा पर्यूषण पर्व में धर्म आराधना करवाई जा रही है। 30 अगस्त को दोपहर 1 बजे से किला मंदिर से पौथाजी का वरघोड़ा प्रारंभ होगा।


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गिलखी, तुराई-लोकी के भाव पानी-पानी हुए

आष्टा 29 अगस्त (नि.प्र.)। 4 दिन पूर्व हरी सब्जियों के भाव आसमान छू गये थे, अचानक आष्टा सब्जी मंडी में हरी सब्जी की भरपूर आवक होने से तथा क्वालिटी भी अच्छे आने से भावों में काफी कमी आ गई है 4 दिन पूर्व जो गिलखी, तुराई 20 से 25 रुपये किलो पहुँच गई थी आज वो ही गिलखी, तुराई और लोकी 5 से 10 रुपये किलो के भाव हो गई।
नगर में सर्वत्र गिलखी, तुराई और लौकी के ठेले ही ठेले नजर आ रहे हैं वहीं भिण्डी भी जो 20 रुपये किलो भी वो आज 8 से 10 रुपये किलो हो गये। वहीं अच्छी बरसात होने से इस बार मक्का की फसल भी अच्छी है।
भुट्टे बाजार में भरपूर मात्रा में आ रहे है जो भुट्टे 5-6 दिन पूर्व 10 से 12 रुपये किलो बिक रहे थे आज वो ही भुट्टे आष्टा में 5 से 6 रुपये किलो हो गये। मांग की तुलना में हरी सब्जियों एवं भुट्टे की भरपूर आवक के कारण आष्टा में सब्जियों के भाव पानी में पानी-पानी हो गये हैं लम्बे समय बाद उपभोक्ताओं को हरी सब्जी सस्ते दाम पर मिलने से थाली का स्वाद बढ़ गया है।


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बक्फ बोर्ड से नहीं मिला स्टे

आष्टा 29 अगस्त (नि.प्र.)। कृषि उपज मंडी कमेटी आष्टा के अधिवक्ता राजमल धारवां ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर फुरसत को बताया कि वक्फ बोर्ड भोपाल तथा अनीस खां पिता बन्ने खां ने जो मंडी कमेटी आष्टा के विरुध्द गोप शाह बाबा की मजार की भूमि को वक्फ की बताकर भोपाल को बक्फ अभिकरण के न्यायालय में एक वाद पेश कर अतिक्रमण कर्ताओं को बे कब्जा करने से रोकने हेतु दावा पेश कर स्टे चाहने का आवेदन दिया था वह आवेदन निरस्त कर दिया गया है।
अब मंडी कमेटी उक्त अतिक्रमण कर्ताओं को हटाने हेतु प्रतिबंधित नहीं है। अधिवक्ता श्री धारवां ने मंडी की और से इस प्रकरण में भोपाल जाकर पैरवी की थी।
स्मरण रहे आष्टा में उक्त मामला पिछले कई दिनों से स्थानीय, जिला मंडी प्रशासन के लिये परेशानी का कारण बना हुआ है स्टे नहीं मिलने से अब राहत की उम्मीद जागी है।


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जन्मोत्सव के दिन चढ़ावे में आया प्रसाद कहाँ गया ?

सीहोर 29 अगस्त (घुमक्कड़)। पिछले दिनों नगर में रामानुज मण्डल सीहोर के तत्वाधान में हुई श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव आयोजन की चर्चाएं बड़ी जोरों पर रहीं और सबसे भी यादा चर्चाएं उसके प्रसाद को लेकर रहीं। हर दिन कुछ विशेष प्रसाद के आकर्षण की बात थी और शुरुआत हुई शुध्द घी की नुक्ती से। लेकिन जब श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कथा के चौथे दिन हुआ तो उस दिन कथा 1 बजे से रात 8 बजे बहुत यादा लम्बी खिंच गई। बहुत बड़ी संख्या में यहाँ महिलाएं जन्मोत्सव का प्रसाद अपने सामर्थ्य के अनुरुप लेकर आई थीं। इस दिन 56 भोग का आयोजन किया गया था । इसलिये अलग-अलग तरह के व्यंजन लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार लेकर आये थे। बड़ी मात्रा में आये प्रसाद को लेकर यहाँ विश्वास व्यक्त किया जा रहा था कि हो सकता प्रसाद या तो आज ही बंट जाये या फिर दूसरे दिन बंट जायेगा। समिति वालों ने भी उस दिन प्रसाद की विशेष व्यवस्था की थी। जन्मोत्सव के दिन युवा नेता अक्षत कासट की तरफ से खर्च का वहन किया गया था। बडी मात्रा में प्रसाद तो बंटा लेकिन भगवान के समक्ष जो बहुत बड़ी मात्रा में प्रसाद 56 भोग के नाम से चढ़ावा आया था वह अंतिम समय तक नहीं बांटा जा सका।
भक्तों का उत्साह तब भी कम नहीं हुआ उन्हे विश्वास था कि दूसरे दिन इसमें कुछ तो मिलेगा ही लेकिन दूसरे दिन भी जब प्रसाद नहीं मिला तो फिर कुछ प्रसादी भगत तो उखड़ने लगे....। लेकिन करते क्या ? और किससे कुछ कहते। अब तो कथा भी समाप्त हो गई और पाण्डाल भी उठ गये हैं लेकिन अभी तक चर्चा यह बनी हुई है कि उस दिन जो चढ़ावे में प्रसाद आया था आखिर वो बड़ी मात्रा में आया प्रसाद गया कहाँ ? ज्ञातव्य है कि प्रतिदिन 11000 रुपये की विशाल राशि का प्रसाद किसी एक भक्त द्वारा यहाँ समिति के माध्यम से वितरित कराया गया था जिसमें कभी नुक्ती, कभी बालूशाही, कभी मावे के पेड़े और कभी कुछ अन्य प्रसाद वितरित हुआ। इस प्रसाद को लेकर तो प्रारंभ से ही चर्चाएं सरगर्म थीं। लेकिन 56 भोग की चर्चाएं अभी तक सरगर्म हैं....। हर दूसरे जुबान यह प्रश्‍न है कि भैया वो प्रसाद कहाँ गया ?


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गणेश मंदिर पर लगेगा मेला, तिथियाँ घोषित

सीहोर 29 अगस्त (नि.सं.)। प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर गणेश जन्म उत्सव आचार्य पं. पृथ्वी बल्लभ एवं पं. हेमंत बल्लभ दुबे के प्रबंधन में दस दिवसीय मेला के आयोजन के साथ मनाया जायेगा। यहाँ मेला कार्यक्रम की रुपरेखा बना ली गई है।
जिसके तहत 3 सितम्बर को गणेश चतुर्थी बुधवार दिन में 12 बजे जन्म महाआरती एवं मेला प्रारंभ होगा। इस दिन पुरुष ही उपस्थित रहें। 4 सितम्बर को ऋषि पंचमी गुरुवार (महिलाओं के लिये), 5 सितम्बर षष्टी शुक्रवार को सामुहिक सभी के लिये मेला रहेगा। जबकि 14 सितम्बर चतुर्दशी रविवार तक सामुहिक सभी के लिये रात्रि 9 बजे आरती के पश्चात मेला समापन होगा। पं. श्री दुबे ने सभी श्रध्दालुओं से कहा कि भगवान के आकर्षक श्रृंगार के दर्शन कर लाभ उठायें। महिलाओं को दर्शन सभी दिन उपलब्ध रहेंगे। विशेष श्रृंगार के दर्शन अनंत चतुर्दशी 14 सितम्बर तक निरन्तर उपलब्ध रहेंगे।


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दिल्ली से टीम के आने की खबर के बाद अस्पताल लगने लगा है कि ये है अस्पताल

आष्टा 29 अगस्त (नि.प्र.)। जगह-जगह पान के पीक, वरामदे में कुत्तों का विचरण, बंद पड़े पंखे, जंग लगे स्ट्रेचर-ट्राली, गंदे तकिये, चद्दर, यत्र-तत्र बिखरी पड़ी उपयोग की गई सूई घावों पर से उतारी पट्टियाँ साफ-सफाई के अभाव में उड़ती बदबू, जगह-जगह से गिरती छतें, उखड़ी बिजली की लाईन, प्रांगण में बहता पानी की टंकी का पानी यह सब देखकर कोई भी सिविल अस्पजाल को यह नहीं कह सकता था कि यह अस्पताल है।
जहाँ मरीज ठीक होने आता है लेकिन भला हो भारत सरकार का जिसने केन्द्र के सहयोग से चलने वाली विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति तथा योजनाओं के लिये भेजी राशि को कहाँ पर कितना उपयोग दुरुपयोग हुआ को देखने आने के लिये दिल्ली से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भेजने का निर्णय लिया जब से भोपाल के एअर कंडीशन कमरों में बैठे स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को यह सूचना मिली की दिल्ली से टीम आयेगी और अस्पतालों में पहुँचेगी वे भागते-फिर रहे हैं इसी कड़ी में गत दिवस आला अफसर एअर कंडीशन कमरों से बाहर निकले और अस्पताल-अस्पताल भागते फिर रहे हैं। आष्टा भी श्रीमति अलका उपाध्याय, श्री वीएस ओहरी, डॉ.श्री मरावी आष्टा अस्पताल पहुँचे और जब अस्पताल को देखा तो बिगड़ी साफ-सफाई इलाज के लिये बरामदे में बैठी अनेकों महिलाओं, पर्ची की जगह कागज की स्लिप व अन्य समस्याओं को देखकर दंग रह गये।
उक्त दिल्ली का दल आष्टा पहुँचे इसके पहले सबकुछ ठीक-ठाक करने के निर्देश बीएमओ को दिये कई मामलों में तो उन्हे कड़वा भी सुनना पड़ा लेकिन उसके बाद से अचानक जो सुधार कार्य, रंग-रोगन, साफ-सफाई आदि का कार्य शुरु हुआ तो अब सिविल अस्पताल देखने में लग रहा है कि क्या ये वो ही आष्टा का सिविल अस्पताल है जो आज के पहले दिखता था।
सूत्र बताते हैं कि साफ-सफाई व अन्य व्यवस्थाओं के साथ अस्पताल में दिन रात आय-व्यय के लेखा भी व्यवस्थित किये जा रहे हैं क्योंकि उक्त टीम खास तोर आष्टा में यहीं तो देखने आ रही है कि केन्द्र ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में कितना भेजा कितना उपयोग किया ? कहाँ-कहाँ उपयोग किया, कहीं दुरुपयोग तो नहीं किया तथा जो लक्ष्य दिया था उसे पूरा किया कि नहीं। अब भले ही 1 से 6 सितम्बर के बीच दिल्ली का उक्त दल आष्टा आये तो बहुत ही अच्छा और अगर नहीं आये तो आष्टा की जनता उक्त टीम को जरुर धन्यवाद देगी क्योंकि जो कार्य वर्षों से आष्टा तो क्या सीहोर के अधिकारी आष्टा अस्पताल को सुधारने में नहीं कर पाये थे वो कार्य केवल टीम के आने की सूचना पर ही हो गया है।


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एक गाय मरी, जब नगर पालिका जागी

आष्टा 29 अगस्त (नि.सं.)। नगर में हमेशा शांति समिति की होने वाली बैठकों में नगर में यत्र-तत्र घूम रहे अवारा पशुओं के विचरण का मुद्दा उठता है उसके बाद रस्म अदायगी के तौर पर एक-दो दिन अवारा मवेशियों को पकड़ने का अभियान चलाकर नगर पालिका सो जाती है।
कल रात्रि में कन्नौद रोड पर एक गाय की मृत्यु एक वाहन द्वारा टक्कर मारे जाने से हो गई। इन्दौर रोड के लोगों ने काफी प्रयास से उसका इलाज कराया लेकिन उसकी मौत को नहीं रोक सके। तब आज सुबह नेता प्रतिपक्ष रवि सोनी ने नगर में अवारा घूम रहे मवेशियों को लेकर आक्रोश व्यक्त किया तब जाकर नगर पालिका द्वारा आज अवारा मवेशियों को पकड़ने का आव्हान चलाया। खबर है कि आज दिनभर चले इस अभियान में लगभग 50 अवारा मवेशियों को विभिन्न क्षेत्रों से घिरवाकर कांजी हाउस में रोका गया है। काश ! यह अभियान शांति समिति की कुछ दिनों पूर्व हुई बैठक के बाद ही चला दिया जाता है तो एक गाय को मौत के मुह में जाने से रोका जा सकता था।


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संस्था के पूर्व कर्मचारी द्वारा ब्लेक मेल करने की थाने में शिकायत

आष्टा 29 अगस्त (नि.प्र.)। मंथन समाजसेवा समिति के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा जब उसे संस्था ने संस्था के खिलाफ कार्य करते पाया तो उसे लगभग 6 माह पूर्व संस्था से हटा दिया।
संस्था द्वारा हटाये गये कर्मचारी कृपाल सिंह मेवाड़ा को यह नागवार लगा और उसने उसी संस्था को ब्लेक मेल करने के प्रयास कर दिये जिसमें उसे रोजगार दिया था। जब अति हो गई तो संस्था के प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर स्वप्निल व्यौहार ने कल आष्टा थाने में उक्त कर्मचारी के खिलाफ संस्था को ब्लेक मेल करने तथ इसके तहत 1 लाख रुपये नहीं देने पर झूठी शिकायत कर फंसाने की धमकी देने, संस्था के अन्य कर्मचारियों को तरह-तरह से धमकाने की लिखित में आष्टा पुलिस को शिकायत कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है।
त्यौहार ने उक्त शिकायत कलेक्टर सीहोर व अन्य अधिकारियों को भी भेजी है। इस संबंध में आष्टा पुलिस ने फुरसत को बताया कि मंथन संस्था की और से हटाये गये कर्मचारी कृपाल सिंह मेवाड़ा निवासी उमर सिंगी द्वारा ब्लेक मेल करने 1 लाख मांगने तथा धमकाने की शिकायत प्राप्त हुई है जो जांच में है।


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