सीहोर 31 मई (नि.सं.)। नगर पालिका में जल वितरण व्यवस्था संभालने के नाम पर जिन लोगों ने व्यवस्था अपने हाथ में ले रखी है वह अब अपनी मनमर्जी से चाहे जो कर रहे हैं और लम्बे-चौड़े बिल बना रहे हैं। यहाँ तो हद तब हो गई जब कुछ पार्षदों के करीबी लोगों को जल वितरण व्यवस्था के नाम पर रख लिया गया है इसकी जानकारी पता चली। इन लोगों ने क्या वाकई जल वितरण व्यवस्था संभाल रखी है ? तो नगर पालिका के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी क्या कर रहे हैं ? और नये लोगों का वेतन भी भारी भरकम निकलने लगा है। क्या परिषद की मंजूरी के बिना ही यह कर दिया गया। इन बातों की चर्चाएं नगर पालिका के गलियारों में धूम मचाये हुए हैं।
नगर पालिका में जल वितरण व्यवस्था को लेकर जिन दो दर्जन युवकों को रख लिया गया है ? वह किस पार्षद के करीबी हैं और किसकी मर्जी से रखे गये हैं और इसका सूत्राधार कौन है इसको लेकर चर्चाएं सरगर्म हैं। तरह-तरह की बातें यहाँ होती हैं लेकिन अफवाहें भी फैल जाती हैं लेकिन जिन दो दर्जन लोगों को रखा गया है क्या वह वाकई में जल वितरण व्यवस्था में लगे हुए हैं तो फिर हर टैंकर पर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को भी तो लगा रखा है और फिर क्या ऐसी व्यवस्था की जाने की आवश्यकता थी ? यदि थी तो क्या परिषद से इसकी स्वीकृति ली गई है अथवा नहीं। क्योंकि अब जब करीब इन दो दर्जन जल वितरण व्यवस्था में लगे हुए बेरोजगारों के वेतन निकलने की जानकारी सामने आई है तब पता चला कि हजारों रुपये इनके वेतन में ही लग गये हैं जबकि इनमें एक दो लोग भी नगर पालिका कर्मचारियों के सामने से नहीं निकले हैं ? मतलब यह लोग हैं कहाँ यह पता ही नहीं चल रहा है ? तो आखिर यह लोग करीब दो दर्जन लोग हैं कहाँ ? इनका देखने के लिये अब नगर पालिका के कुछ जिम्मेदार लोग सक्रिय अवश्य हुए हैं लेकिन क्या इनका भुगतान किया जायेगा? मजे की बात यह रही कि नगर पालिका परिषद और अध्यक्ष को ठीक तरह से विश्वास में लिया ही नहीं गया और तीसरा पक्ष अपने लोगों को उपकृत करके स्वयं नेता बना जा रहा है ? देखते हैं क्या यह मामला परिषद दमदारी से उठाती है ? क्या भाजपा के कथित 13 पार्षद जो आये दिन फालतू के कारणों को मुद्दा बनाये हुए हैं वह इन गंभीर मामलों की तरफ ध्यान देते हैं या नहीं।
Sunday, June 1, 2008
जितने बोर हुए हैं उतनी ही अलग-अलग दरों पर मोटर डली? आखिर क्या है राज पालिका ने कर दिया कमाल, एक काम के लिये हजार तरह के दाम
सीहोर 31 मई (नि.सं.)। नगर पालिका ने हाल ही में ढेर सारे बोर कराये हैं कुछ ठेकेदारों को इससे अच्छा खासा लाभ हो गया है। एक पार्षदों की पैनल को भी अच्छी खासी मोटी कमाई इस प्रकार हो गई है जिसकी चर्चाएं चौराहों पर हैं। पिछले दिनों यह पार्षद खूब उचक रहे थे जिन्हे काम देकर ठण्डा कर दिया गया है।
लेकिन अब आश्चर्य की बात है कि नगर पालिका जैसी संस्था में जहाँ हर कार्य के लिये एक निश्चित दर निर्धारित की जाकर निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं वहां इस बार ऐसा क्या हो गया कि जितने बोर हैं उतनी किस्म की मोटरें डलवाई गई हैं और वह भी अलग-अलग ठेकेदारों ने डाली है, अलग-अलग कम्पनी का अलग-अलग मूल्य पर यह लगी हैं। इस मामले की भी जांच की आवश्यकता है।
नगर पालिका में पिछले दिनों पेयजल संकट से बचने के नाम पर अंधाधुंध बोर खनन का कार्य हुआ। संभवत: गफलत में ऐसा भी हो गया कि अधिकांश बोर नदी किनारे बसे कस्बे में हो गये वह भी 8 इंची। किसी ने अपनी महबूबा को खुश कर लिया तो किसी ने अपने बेगम साहिब की इच्छा पूरी कर दी। खैर जो भी हुआ हो बोर तो खुदे ही हैं। इनमें केसिंग भी डला है। केसिंग डला है तो पूरा ही डला होगा वरना पानी कैसे बाहर निकलेगा।
इन बोरों में मोटरे भी डली हैं। बस इन्ही मोटरों को लेकर चर्चाएं सरगर्म हैं कि आखिर यह अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा क्यों डाली गई हैं। मतलब अनेक ठेकेदारों ने इसका कार्य किया है। आखिर जब मोटर डलना एक ही काम है तो फिर इसे अलग-अलग ठेकेदारों से क्यों कराया गया है। किसी एक ही ठेकेदार से इसे पूर्ण रुपेण क्यों नहीं कराया गया ? आखिर एक ही मूल्य तय क्यों नहीं किये गये ? इस कारण कुछ नलकूपों में जो मोटरें डाली गई हैं उनका मूल्य बहुत अधिक है जबकि कुछ का मूल्य उससे मिलता-जुलता नहीं है। आखिर ऐसा क्यों ? जिला प्रशासन के एसडीएम साहब ने नगर पालिका की व्यवस्था को देखने का जिम्मा स्वयं ही उठा लिया था और इस संबंध में सारे कार्य भी स्वयं की देखरेख में वह कराने पर उतारु थे ऐसे में अब इस तरह के घटनाक्रम पर ऊं गली किस पर उठाई जाये ? आखिर क्या मोटरों को लेकर कुछ व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हुई है क्या ? उसकी जांच की जाना चाहिये ? क्या एसडीएम साहब को इसकी जानकारी नहीं है ? तो क्यों नहीं है और यदि वह जानते हैं तो फिर यह काम करने कौन-सा तरीका है ? इससे मामला संदिग्ध बनता है। नगर पालिका अध्यक्ष और परिषद सहित भाजपाई पार्षद और 13 पार्षदों की पैनल जो आये दिन आंदोलन पर उतारु है वह भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। सबकी राजी मर्जी से यह सब कार्य हो रहे हैं। नगर पालिका का मोटर काण्ड बहुत अधिक चर्चाओं में है।
लेकिन अब आश्चर्य की बात है कि नगर पालिका जैसी संस्था में जहाँ हर कार्य के लिये एक निश्चित दर निर्धारित की जाकर निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं वहां इस बार ऐसा क्या हो गया कि जितने बोर हैं उतनी किस्म की मोटरें डलवाई गई हैं और वह भी अलग-अलग ठेकेदारों ने डाली है, अलग-अलग कम्पनी का अलग-अलग मूल्य पर यह लगी हैं। इस मामले की भी जांच की आवश्यकता है।
नगर पालिका में पिछले दिनों पेयजल संकट से बचने के नाम पर अंधाधुंध बोर खनन का कार्य हुआ। संभवत: गफलत में ऐसा भी हो गया कि अधिकांश बोर नदी किनारे बसे कस्बे में हो गये वह भी 8 इंची। किसी ने अपनी महबूबा को खुश कर लिया तो किसी ने अपने बेगम साहिब की इच्छा पूरी कर दी। खैर जो भी हुआ हो बोर तो खुदे ही हैं। इनमें केसिंग भी डला है। केसिंग डला है तो पूरा ही डला होगा वरना पानी कैसे बाहर निकलेगा।
इन बोरों में मोटरे भी डली हैं। बस इन्ही मोटरों को लेकर चर्चाएं सरगर्म हैं कि आखिर यह अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा क्यों डाली गई हैं। मतलब अनेक ठेकेदारों ने इसका कार्य किया है। आखिर जब मोटर डलना एक ही काम है तो फिर इसे अलग-अलग ठेकेदारों से क्यों कराया गया है। किसी एक ही ठेकेदार से इसे पूर्ण रुपेण क्यों नहीं कराया गया ? आखिर एक ही मूल्य तय क्यों नहीं किये गये ? इस कारण कुछ नलकूपों में जो मोटरें डाली गई हैं उनका मूल्य बहुत अधिक है जबकि कुछ का मूल्य उससे मिलता-जुलता नहीं है। आखिर ऐसा क्यों ? जिला प्रशासन के एसडीएम साहब ने नगर पालिका की व्यवस्था को देखने का जिम्मा स्वयं ही उठा लिया था और इस संबंध में सारे कार्य भी स्वयं की देखरेख में वह कराने पर उतारु थे ऐसे में अब इस तरह के घटनाक्रम पर ऊं गली किस पर उठाई जाये ? आखिर क्या मोटरों को लेकर कुछ व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हुई है क्या ? उसकी जांच की जाना चाहिये ? क्या एसडीएम साहब को इसकी जानकारी नहीं है ? तो क्यों नहीं है और यदि वह जानते हैं तो फिर यह काम करने कौन-सा तरीका है ? इससे मामला संदिग्ध बनता है। नगर पालिका अध्यक्ष और परिषद सहित भाजपाई पार्षद और 13 पार्षदों की पैनल जो आये दिन आंदोलन पर उतारु है वह भी कुछ कहने को तैयार नहीं है। सबकी राजी मर्जी से यह सब कार्य हो रहे हैं। नगर पालिका का मोटर काण्ड बहुत अधिक चर्चाओं में है।
ट्रक बस की भिंडत युवक की मौत एक घायल
आष्टा 31 मई (नि.प्र.)। आष्टा थाना क्षैत्र में आज सुबह राजमार्ग स्थित अमलाहा के समीप बस एवं आयसर ट्रक की भिंडत में बस में सवार एक युवक की मौत हो गई तथा एक अन्य व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया । बस क्रमांक एमपी-41-ई-0209 यात्रियों को लेकर आज सुबह इंदौर की और जा रही थी तभी राजमार्ग स्थित अमलाहा के समीप इन्दौर तरफ से आ रहे आयसर ट्रक क्रमांक एमपी-41-जी-0511 के चालक ने लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हुये बस में टक्कर मार दी । परिणाम स्वरूप बस में सवार पियूस कुमार आ. मालचन्द्र उम्र 22 साल निवासी इन्दौर की दुर्घटना स्थल पर मृत्यु हो गई तथा बसंत कुमार रजक गंभीर रूप से घायल हो गया ।
डम्पर ने दस वर्षीय बालिका को कुचला
इछावर 31 मई (नि.प्र.)। इछावर थाना क्षैत्र के ग्राम दीबड़िया में शुक्रवार की रात डम्फर की चपेट में आने से एक बालिका की दर्दनाक मौत हो गई वही अन्य हादसें में एक युवक की मौत हो गई तथा एक अन्य घायल हो गया । प्राप्त जानकारी के अनुसार इछावर थाना क्षैत्र के ग्राम दीबड़िया में रहने वाले सानंसिह अजा. की 10 वर्षीय पुत्री अलका शुक्रवार की रात गांव स्थित दुकान पर फोटो लेने गई थी जो दुकान के सामने रोड किनारे खड़ी थी तभी डम्फर क्रमांक एमपी-07-जी-2993 के चालक ने तेजगति व लापवाही पूर्वक वाहन चलाकर अलका को डम्फर की चपेट में ले लिया । परिणाम स्वरूप उसकी मौत हो गई तथा ड्रायवर डम्फर छोड़कर फरार हो गया ।
मोटर साईकिल फिसली दो के हाथ पैर घिसे
मैना 31 मई(नि.सं.)। आज शाम को साढे पाच बजे सेवदा से तिलावत के बीच मोटर साईकिल सवार सुनील एवं जीवन की मोटर साईकिल क्रमांक एम.पी.37 3052 बोंदी जोड़ पर तेजगति के कारण फिसल गई। जिसमें इन दोनो के हाथ पैर में फेक्चर पाया गया। मैना चौकी प्रभारी श्री मालवीय ने बताया कि सुनील नरसिंह खेड़ा का निवासी है एवं जीवन खामखेड़ा बैजनाथ का निवासी है।
किस-किसने सुनी पायल की झंकार...
सीहोर 31 मई (नि.सं.)। हाल ही में एक चर्चित युवती जो एक महानगर की थी, को पुलिस ने सीहोर में 3-4 युवकों के साथ पकड़ा था। लेकिन इस युवती को जानने वाले सीहोर में पुराने हैं। उजैन की तर्ज पर सीहोर में भी कुछ इलेक्ट्रानिक मीडिया को बदनाम करने में जुटे तत्वों के मोबाइल में इस युवती के फोटो व अशील फिल्में पहले से मौजूद थीं और वह इसका भाव 2 हजार रुपये एक नाईट बताया करते थे, अब जब यह पकड़ा गई है तो निश्चित ही इनके मोबाइल में रखे युवती के फोटो यादा चर्चा में आ गये हैं। युवती के साथ पुलिस ने क्या कार्यवाही की इसकी जानकारी नहीं है।
रोकस का तुगलकी निर्णय क्या पिछले गेट बंद करने से अस्पताल सुरक्षित हो जायेगा
आष्टा 31 मई (नि.प्र.)। गत दिवस आष्टा सिविल अस्पताल की रोगी कल्याण समिति की बैठक एसडीएम जी.व्ही.रश्मि की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में रोकस ने जो निर्णय लिये गये उसमें एक निर्णय यह लिया गया कि अस्पताल के पीछले हिस्से के सभी गेट सुरक्षा की दृष्टि से बंद किये जायेगे । जिसने भी उक्त निर्णय के बारे में सुना पढ़ा समिति के सदस्यों की सोच पर हंसा और उक्त निर्णय को तुगल की निर्णय बताया ।
रोकस ने जो निर्णय लिया क्या वास्तव में पीछले गेट बंद करने से आष्टा का सिविल अस्पताल सुरक्षित हो जायेगा । इस निर्णय के पहले के अस्पताल में आसामाजिक तत्वों की गतिविधियों एवं अस्पताल में होने वाले विवादों के बाद एसडीएम के निर्देश पर 24 घंटे अस्पताल में एक सैनिक की नियुक्ति की गई लेकिन उक्त नियुक्ति के बाद अस्पताल मे आज भी हाथापाई हो रही है।
गत दिवस तो अस्पताल के आईसीयू वार्ड से इन्वेटर की बैटरी चोरी हो गई जब सैनिक की नियुक्ति के बाद भी मारपीट और चौरी हो सकती है तो गेट बंद करने से क्या ग्यारण्टी है कि अस्पताल सुरक्षित रहेगा । असल में सुरक्षा की दृष्टि तो एक बहाना है इस निर्णय के पीछे अस्पताल के डाक्टरों की गुटबाजी, कमीशन बाजी की आड़ में रोकस को गलत जानकारी देकर गलत निर्णय कराया गया है । अस्पताल के पीछले गेट एवं रेन्ज के सामने बने गेट से ही मरीजों का आना जाना डाक्टरों एवं स्टाफ का आना जाना रहता है । यह रास्ते इन सभी के लिए सुविधा जनक माने जाते है । वर्षो से ये रास्ते चालु है आखिर क्यों इन सब रास्तों को बंद कराने में कुछ लोग तुले है । एसडीएम आष्टा को कारणों की गहराई में जाना चाहिये ताकि इसके पीछे छुपे चेहरे और कारण उजागर हो सके, पीछले दिनों रेन्ज के सामने वाला गेट बंद करने को लेकर जमकर विवाद हो चुका है। अब अगर नया निर्णय अमल में लाया जाता है तो विरोध के स्वर निश्चित मुखर होगें।
रोकस ने जो निर्णय लिया क्या वास्तव में पीछले गेट बंद करने से आष्टा का सिविल अस्पताल सुरक्षित हो जायेगा । इस निर्णय के पहले के अस्पताल में आसामाजिक तत्वों की गतिविधियों एवं अस्पताल में होने वाले विवादों के बाद एसडीएम के निर्देश पर 24 घंटे अस्पताल में एक सैनिक की नियुक्ति की गई लेकिन उक्त नियुक्ति के बाद अस्पताल मे आज भी हाथापाई हो रही है।
गत दिवस तो अस्पताल के आईसीयू वार्ड से इन्वेटर की बैटरी चोरी हो गई जब सैनिक की नियुक्ति के बाद भी मारपीट और चौरी हो सकती है तो गेट बंद करने से क्या ग्यारण्टी है कि अस्पताल सुरक्षित रहेगा । असल में सुरक्षा की दृष्टि तो एक बहाना है इस निर्णय के पीछे अस्पताल के डाक्टरों की गुटबाजी, कमीशन बाजी की आड़ में रोकस को गलत जानकारी देकर गलत निर्णय कराया गया है । अस्पताल के पीछले गेट एवं रेन्ज के सामने बने गेट से ही मरीजों का आना जाना डाक्टरों एवं स्टाफ का आना जाना रहता है । यह रास्ते इन सभी के लिए सुविधा जनक माने जाते है । वर्षो से ये रास्ते चालु है आखिर क्यों इन सब रास्तों को बंद कराने में कुछ लोग तुले है । एसडीएम आष्टा को कारणों की गहराई में जाना चाहिये ताकि इसके पीछे छुपे चेहरे और कारण उजागर हो सके, पीछले दिनों रेन्ज के सामने वाला गेट बंद करने को लेकर जमकर विवाद हो चुका है। अब अगर नया निर्णय अमल में लाया जाता है तो विरोध के स्वर निश्चित मुखर होगें।
प्रसिद्ध बजरंग अखाड़ा समिति का नवगठन संपन्न
सीहोर 31 मई (नि.सं.)। बड़ियाखेड़ी बजरंग अखाड़ा समिति बड़ियाखेड़ी सीहोर के महामंत्री नरेन्द्र सीठा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि बजरंग अखाड़ा समिति बड़ियाखेड़ी सीहोर का नवीन गठन किया गया है । जिसमें सर्वसम्मति से अध्यक्ष गजेन्द्र राय, उपाध्यक्ष मोहन शर्मा, महामंत्री नरेन्द्र सीठा, मंत्री महेश, ब्रजशर्मा कोषाध्यक्ष, सुभाष गुप्ता सदस्य चन्द्रशेखर सदस्य चुने गये है ।
नरेन्द्र सीठा ने आगे जानकारी दी है कि अखाड़ा को सहायक पंजीयक फर्म्स एवं संस्थाएं भोपाल में पंजीकृत भी करवा लिया गया है। अक्त नवीन गठन पर सभी ने बधाईयां प्रेषित करी है । ज्ञात रहे कि बड़ियाखेड़ी बजरंग अखाड़ा समिति बड़ियाखेड़ी सीहोर जो कि सीवन नदी के तट पर प्राचीन समय से है वहां पर व्यायाम के साथ-साथ योग प्रशिक्षण एवं क्रिया भी नि:शुल्क करवाई जा रही है । आम जनता से अपील की जाती है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में अखाड़ा में आकर व्यायाम का लाभ ले साथ ही योग का लाभ ले ।
नरेन्द्र सीठा ने आगे जानकारी दी है कि अखाड़ा को सहायक पंजीयक फर्म्स एवं संस्थाएं भोपाल में पंजीकृत भी करवा लिया गया है। अक्त नवीन गठन पर सभी ने बधाईयां प्रेषित करी है । ज्ञात रहे कि बड़ियाखेड़ी बजरंग अखाड़ा समिति बड़ियाखेड़ी सीहोर जो कि सीवन नदी के तट पर प्राचीन समय से है वहां पर व्यायाम के साथ-साथ योग प्रशिक्षण एवं क्रिया भी नि:शुल्क करवाई जा रही है । आम जनता से अपील की जाती है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में अखाड़ा में आकर व्यायाम का लाभ ले साथ ही योग का लाभ ले ।
युवक का शव मिला
सीहोर 31 मई (नि.सं.)। जावर थाना अर्न्तगत आने वाले ग्राम बीलपन में एक 40 वर्षीय युवक का शव मृत अवस्था में घर में पड़ा मिला । पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है । प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम बीलपन निवासी 40 वर्षीय हरिशंकर आ. रामजी अजा. अज्ञात कारणों के चलते मृत अवस्था में घर में पड़ा मिला । पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
रात को सोया सुबह मरा पाया
मेहतवाड़ा 31 मई (नि.प्र.)। जावर थाने के अन्तर्गत आने वाले ग्राम मेहतवाड़ा के पास बीलपान में रहने वाने हरि शंकर पुत्र रामाजी जाति चमार उम्र 30 वर्ष कल रात को सोये थे। सुबह जब यह काफी देर तक नहीं उठे और सोये रहे तो परिजनों ने उठाया । जब नहीं उठे तो ग्राम के पटेल रतन सिंह व चौकीदार रामशरण को बुलाया। तब इन्होने देखा तो हरि शंकर मृत पाया गया। पुलिस को सूचना भेजी तब थाना प्रभारी बी.के.उपाध्याय, मेहतवाड़ा चौकी प्रभारी रामसंजीवन शर्मा घटना पहुँचे तथा लाश का पंचनामा बनाकर उसे पोस्ट मार्टम के लिये आष्टा भेजा गया। जावर पुलिस ने मर्ग कायम जांच प्रारंभ कर दी।
Subscribe to:
Posts (Atom)