सीहोर 7 फरवरी (फुरसत)। अनेकता मे एकता इस देश की पहचान है परंतु पिछले कुछ वर्षो से वह लोग जो राजनीति में अपनी पहचान खोने लगते है वह कुछ ऐसे असंवैधानिक कदम उठाते है जिससे न सिर्फ लोगो की भावनाएं आहत होती है। बल्कि इस देश की एकता एवं अखण्डता को भी मुहं चिढ़ाने का कार्य साबित होते है ।
इसके पूर्व की कई उदाहरण खालिस्तान, कश्मीर, आसाम, नागालैण्डज्ञ को प्रदेश के कुछ व्यक्तियों ने आंतक का सहारा लेकर देश को तोड़ने की कोशिश की जो अभी तक जारी है । इसी तरह से अब कुछ प्रदेश के ऐसे व्यक्ति जो राजनीति लाभ उठाने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार से ऐसा माहौल बनाते है ।
जिससे आशांति फैले एवं भय आंतक का माहौल पैदा हो इसी क ड़ी में आसाम, बिहार, मे हमने मानवता को खत्म होते देखा है । मानवता को नंगा नाच होते देखा है। कभी-कभी यह प्रश् प्रश् ही बन जाता है कि क्या हम वाकई में आजाद है।
कहां है सरकार, कहां है प्रशासन, कहां है मानवता, क्या ऐसे कार्य करने वालो को हमारे संविधान में विशेष छूट दी गई है। क्या दूसरे प्रदेश का व्यक्ति किसी अन्य प्रदेश में आकर नही रह सकता है क्या वह दूसरे प्रदेश में गुलाम हो जाता है। या आतंक फैलाने वाले यह भूल जाते है कि हमारे प्रदेश का नागरिक भी किसी अन्य प्रदेश में रहता है । उसके साथ भी कही ऐसा हो तो उसका क्या असर होगा । हम यह सवाल हमारे महाराष्ट्रयन भाई बहनों से करते है कि ऐसे कृत्य की आलोचना करने के लिये एवं राज ठाकरे जैसे व्यक्तियों के खिलाफ आवाज उठाकर एवं सच्चे भारतीय होने का परिचय दे ओर भारतीय एकता को बनाऐं रखे ।
Saturday, February 9, 2008
आखिर बंद बैंक के अंदर हो क्या रहा है
सीहोर। कल एक राष्ट्रीय कृत अंतराष्ट्रीय बैंक की शटर लगी हुई थी, शाम का समय था और गुपचुप रुप से बैंक के अंदर पूरी बैंक को एक पार्टी का स्वरुप दे दिया गया था जहाँ एक कर्मचारी का जन्मदिन मनाया गया।
डॉ मुखर्जी मार्ग मेन रोड पर स्थित एक अंतराष्ट्रीय बैंक में जहाँ प्रतिदिन हजारों लाखों रुपये का आदान-प्रदान होता है संस्था के कुछ नियम-कायदे-कानून बैंक नियमावली में उल्लेखित रहते हैं। कल एक बैंक में शाम के समय बैंक बंद कर दी गई और बाहर शटर लगाकर चौकीदार प्रतिदिन की भांति बैठा रहा। बाहर से लग रहा था कि बैंक बंद हो चुकी है।
लेकिन अंदर हो रही थी पार्टी। अंदर एक कर्मचारी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा था। वह सारे प्रयोग जन्मदिन पर हो रहे थे जो आजकल फैशन बन गये हैं। बधाईयां दी जा रही थी। काफी देर तक यहाँ जन्मदिन मनता रहा और अंदर से आवाजें आती रहीं।
अनजान लोग बाहर सोचते रहे कि आखिर बंद बैंक के अंदर हो क्या रहा है ? इस प्रकार अंतराष्ट्रीय बैंक के अंदर जहाँ लाखों रुपये रखे होते हैं जन्मदिन पार्टी मन रही थी....।
डॉ मुखर्जी मार्ग मेन रोड पर स्थित एक अंतराष्ट्रीय बैंक में जहाँ प्रतिदिन हजारों लाखों रुपये का आदान-प्रदान होता है संस्था के कुछ नियम-कायदे-कानून बैंक नियमावली में उल्लेखित रहते हैं। कल एक बैंक में शाम के समय बैंक बंद कर दी गई और बाहर शटर लगाकर चौकीदार प्रतिदिन की भांति बैठा रहा। बाहर से लग रहा था कि बैंक बंद हो चुकी है।
लेकिन अंदर हो रही थी पार्टी। अंदर एक कर्मचारी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा था। वह सारे प्रयोग जन्मदिन पर हो रहे थे जो आजकल फैशन बन गये हैं। बधाईयां दी जा रही थी। काफी देर तक यहाँ जन्मदिन मनता रहा और अंदर से आवाजें आती रहीं।
अनजान लोग बाहर सोचते रहे कि आखिर बंद बैंक के अंदर हो क्या रहा है ? इस प्रकार अंतराष्ट्रीय बैंक के अंदर जहाँ लाखों रुपये रखे होते हैं जन्मदिन पार्टी मन रही थी....।
ऐसा पैसा बर्बाद करने से क्या फायदा
आष्टा 7 फरवरी (फुरसत)। आष्टा नगर पालिका द्वारा विकास के अनेको कार्य कर आष्टा का विकास किया और किया जा रहा है । लेकिन देखने में आ रहा है कि नगर में कई ऐसे कार्य किये जा रहे है । जिसके होने से समस्या का हल होने के बदलो में समस्याओं की वृद्धि हो रही है । ऐसे कार्यो को करने और उस पर पैसा खर्च करने से क्या फायदा हो रहा है। नगर पालिका को इस और ध्यान देना चाहिये । नगर में कई जगह पार्षदों के कहने पर नालियों का निर्माण कर हजारों रुपये खर्च किये जा रहे है । लेकिन उन नालियों के बनने से समस्याएं हल होने के बदले बढ़ रही है। नगर में कही जगह क्रासिंग बनाये गये लेकिन वे ऐसे बनाये है बिना नक्शे नाप -तौल एवं ढाल के नालियों का निर्माण हो रहा है। जिसमें पानी बहने की जगह उल्टा वही जमा हो रहा है। पूरे नगर में एक व्यवस्थित प्लान बनाकर न.पा. को नालियों का निर्माण कराने की योजना बनाने की आवश्यकता है। हर कही हर किसी के कहने पर न.पा. निर्माण कराकर लाखो हजारो खर्च कर देती है जबकि उससे फायदा कु छ होता नही है तो ऐसा पैसा बर्बाद करने से क्या फायदा जरा इस और गौर करना चाहिये।
व्यवस्थाओं का जायजा लेने कलेक्टर आष्टा पहुँचे
आष्टा। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आष्टा विकासखण्ड में मुख्यमंत्री कन्या योजना का 232 जोड़ो के विवाह कार्यक्रम की तैयारियाँ एवं की जा रही व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिये आज अवकाश से लौटे जिलाधीश राघवेन्द्र सिंह जिला पंचायत के सीईओ अरुण तोमर, एसडीएम श्रीमति भावना बालिम्बे आज आष्टा पहुँचे तथा जनपद पंचायत में अधिकारियों की बैठक ली। तथा उक्त विवाह समारोह के लिये अभी तक क्या-क्या व्यवस्था की हैं उसकी जानकारी ली। वर-वधु जिस प्रांगण में परिणय सूत्र में बंधेगे उस स्थल का भी कलेक्टर ने निरीक्षण तथा स्थानीय अधिकारियों को निर्देश भी दिये। स्मरण रहे सीहोर जिले में आष्टा विकास खण्ड में सबसे अधिक जोड़े मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अन्तर्गत बसंत पंचमी के दिन परिणय सूत्र में बधेंगे। इन 232 जोड़ों में लगभग 14 जोड़े मुस्लिम समाज के भी हैं जिनका एक ही पंडाल में निकाह भी सम्पन्न होगा।
नगर पालिका इंजीनियर उस सड़क का भुगतान होने देंगे या
सीहोर 7 फरवरी (फुरसत)। एक वार्ड पार्षद की लगातार मांग को लेकर अंतत: उसे एक सड़क बनाने का ठेका दे ही दिया गया। भूखे को और क्या चाहिऐ दो रोटी। कुछ यही बात इन पार्षद महोदय की भी रही। इधर वर्कआर्डर मिला और उधर काम का उतावला शुरु हो गया। असल में लम्बे समय से यह पार्षद महोदय सिर्फ दूसरे पार्षदों को काम करते हुए देखते रहते थे और मन मसोस कर अध्यक्ष जी के चक्कर लगाया करते थे। लेकिन इन्हे काम नहीं मिलता था। दूसरे पार्षदों के ठेकेदार इनकी निगाह में गले-गले हुए जा रहे थे और यह सूखते जा रहे थे। छोटी मोटी नाली की पुलिया भी इनके मोहल्ले में नहीं बन रही थी। बमुश्किल जब इन पार्षद महोदय को किसी तरह एक सड़क निर्माण का ठेका मिला तो वह रातमरात सड़क बनाकर इतिहास रचना चाहने लगे।
इधर ठेका मिलते ही दूसरे दिन उन्होने सड़क निर्माण शुरु कर दिया और तीसरे दिन तक पूरी सड़क बनकर तैयार भी हो गई अब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। 50 हजार की सड़क के लाखों रुपये मिलने वाले थे। वह खुशी-खुशी भुगतान के लिये अपने मित्र पार्षदों से रणनीति समझने पहुँचे फिर नगर पालिका आये और संबंधित अधिकारियों से बातचीत की। लेकिन यह बात बिगड़ गई।
हुआ यूँ कि जो सड़क आनन-फानन में बन गई थी उसको बनते हुए नगर पालिका के किसी भी इंजीनियर ने जाकर भी नहीं देखा था तो फिर वह किस आधार पर साईन कर देते। माना की चहुँ और गड़बड़झाला है लेकिन कम से कम अधिकारी अपना काम कुछ तो करे...ऐसे ही नगर पालिका के अधिकारियों ने भी इनसे हाथ झटक लिया और स्पष्ट कहा कि हमारे सामने जब सड़क बनी ही नहीं तो फिर कैसे सड़क के निर्माण संबंधी टीप लिखे और अपनी स्वीकृति दें। आखिर नियम-कायदे-कानून भी कोई चीज है।
अब नियम-कायदे तो सभी को पता होते हैं लेकिन चलता कौन है....? लेकिन जब नगर पालिका की बात हो रही हो तो कहा जाता है कि यहाँ बहुत कुछ संभव है। अब सडक़ बनाऊ पार्षद इस चिंता में हैं कि आखिर उनका भुगतान कब होगा ?
इधर ठेका मिलते ही दूसरे दिन उन्होने सड़क निर्माण शुरु कर दिया और तीसरे दिन तक पूरी सड़क बनकर तैयार भी हो गई अब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। 50 हजार की सड़क के लाखों रुपये मिलने वाले थे। वह खुशी-खुशी भुगतान के लिये अपने मित्र पार्षदों से रणनीति समझने पहुँचे फिर नगर पालिका आये और संबंधित अधिकारियों से बातचीत की। लेकिन यह बात बिगड़ गई।
हुआ यूँ कि जो सड़क आनन-फानन में बन गई थी उसको बनते हुए नगर पालिका के किसी भी इंजीनियर ने जाकर भी नहीं देखा था तो फिर वह किस आधार पर साईन कर देते। माना की चहुँ और गड़बड़झाला है लेकिन कम से कम अधिकारी अपना काम कुछ तो करे...ऐसे ही नगर पालिका के अधिकारियों ने भी इनसे हाथ झटक लिया और स्पष्ट कहा कि हमारे सामने जब सड़क बनी ही नहीं तो फिर कैसे सड़क के निर्माण संबंधी टीप लिखे और अपनी स्वीकृति दें। आखिर नियम-कायदे-कानून भी कोई चीज है।
अब नियम-कायदे तो सभी को पता होते हैं लेकिन चलता कौन है....? लेकिन जब नगर पालिका की बात हो रही हो तो कहा जाता है कि यहाँ बहुत कुछ संभव है। अब सडक़ बनाऊ पार्षद इस चिंता में हैं कि आखिर उनका भुगतान कब होगा ?
विद्युत व्यवस्था नहीं सुधरी तो अधिकारियों के घर पर ढोल और बर्तन बजायेंगे कांग्रेसी
युवक कांग्रेस ने बिजली घर घेरा
सीहोर 7 फरवरी (फुरसत)। जिले में बिजली की घोषित और अघोषित कटोती बंद करने की मांग को लेकर गुरुवार को युवा कांग्रेस और भाराछांस ने बिजलीघर का घेराव कर ज्ञापन सौंपा इससे पहले म.प्र. म.क्षे.वि.वि.कं. और भाजपा सरकार की मनमानी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी के साथ सीहोर टाकीज चौराहे से बिजली घर तक रैली निकाली गई।
बिजली की घोषित और अघोषित कटोती बंद करने की मांग को लेकर आज युवा कांग्रेस और भाराछासं ने अपने पूर्व घोषित जन हितैषी आंदोलन के तहत सीहोर टाकीज चौराहे से बिजली घर तक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन विद्युत मण्डल के कार्यपालन यंत्री श्री श्रीवास्तव को सौंपा। इस अवसर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार सहित युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, भाराछासं जिलाध्यक्ष पंकज गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य जफरलाला, कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह अरोरा मिंदी, राधावल्लभ गुप्ता, पार्षद राहुलज यादव, हफीज चौधरी, आशीष गेहलोत, दिनेश भैरवे, अनिल मिश्रा, इरफान बेल्डर, अशफाक खान, जिला कांग्रेस प्रतिनिधि प्रदीप प्रगति, धर्मेन्द्र यादव, महेन्द्र ठाकुर, रामदयाल परमार, अजहर सईद, बाबूलाल परमार, जनपद सदस्य महेन्द्र सिंह कलीम पठान, घनश्याम यादव, भाराछासं प्रदेश सचिव राजीव गुजराती, मृदुल राज तोमर, मो. आरीफ, जलज छोकर, ममता त्रिपाठी, राहुल उपाध्याय, संजय राय, अरुण राय, नरेश राय, सुशील कचनेरिया, संदीप सिंह, विजय राय, दीपू राजपूत, प्रताप पंवार, आनंद निगोदिया, राहुल ठाकुर, अभिषेक त्यागी, नकुल, रशीद मंसूरी, मो. शाकीर, सतीश बनवैया, मो. अैया, महेश दुबे राजेश मेवज्ञड़ा आदि उपस्थित रहे।
सौपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि सीहोर जिले में बिजली की घोषित और अघोषित कटौती की जा रही है जिससे आम नागरिक किसान व्यापारी अत्यंत परेशान है वर्तमान में विभिन्न कक्षाओं और कालेज की परीक्षाएं नजदीक हैं ऐसे में बिजली की कटौती के कारण विद्यार्थियों के अध्ययन में बाधा उत्पन्न हो रही है। अब जनहित में यह आवश्यक है कि बिजली की घोषित और अघोषित कटौती को तत्काल रोके। युवक कांग्रेस एवं भाराछासं ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सीहोर जिले में बिजली की कटौत रोकी जाये। उन्होने आरोप भी लगाया है कि मुख्यमंत्री सिर्फ धन कमाने में लगे हुए हैं और जनता बिजली कटौती से परेशान है। कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह अरोरा मिंदी ने कहा कि बिजली अधिकारी अपनी मनमानी से बाज नहीं आये तो अधिकारियों को भी सोने नहीं दिया जायेगा।
युवक कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने कहा कि जनहित में यह आंदोलन था आगे बिजली व्यवस्था नहीं सुधरी तो बिजली अधिकारियों के घर के सामने बर्तन और ढोल बजाये जायेंगे। अंत में अधीक्षण यंत्री रविन्द्र जीत सिंह श्रीवास्तव ने युवा कांग्रेस को आश्वस्त किया है कि बिजली कटौती सुबह 7 से 9 और दोपहर में 2 से 4 की जा रही है अब विद्यार्थियों के हित में सुबह का समय 8 से 10 किया जायेगा तथा बिजली कटौती शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम करने या बंद करने के संबंधी वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
बिजली की घोषित और अघोषित कटोती बंद करने की मांग को लेकर आज युवा कांग्रेस और भाराछासं ने अपने पूर्व घोषित जन हितैषी आंदोलन के तहत सीहोर टाकीज चौराहे से बिजली घर तक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित एक ज्ञापन विद्युत मण्डल के कार्यपालन यंत्री श्री श्रीवास्तव को सौंपा। इस अवसर पर जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश परमार सहित युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, भाराछासं जिलाध्यक्ष पंकज गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य जफरलाला, कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह अरोरा मिंदी, राधावल्लभ गुप्ता, पार्षद राहुलज यादव, हफीज चौधरी, आशीष गेहलोत, दिनेश भैरवे, अनिल मिश्रा, इरफान बेल्डर, अशफाक खान, जिला कांग्रेस प्रतिनिधि प्रदीप प्रगति, धर्मेन्द्र यादव, महेन्द्र ठाकुर, रामदयाल परमार, अजहर सईद, बाबूलाल परमार, जनपद सदस्य महेन्द्र सिंह कलीम पठान, घनश्याम यादव, भाराछासं प्रदेश सचिव राजीव गुजराती, मृदुल राज तोमर, मो. आरीफ, जलज छोकर, ममता त्रिपाठी, राहुल उपाध्याय, संजय राय, अरुण राय, नरेश राय, सुशील कचनेरिया, संदीप सिंह, विजय राय, दीपू राजपूत, प्रताप पंवार, आनंद निगोदिया, राहुल ठाकुर, अभिषेक त्यागी, नकुल, रशीद मंसूरी, मो. शाकीर, सतीश बनवैया, मो. अैया, महेश दुबे राजेश मेवज्ञड़ा आदि उपस्थित रहे।
सौपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि सीहोर जिले में बिजली की घोषित और अघोषित कटौती की जा रही है जिससे आम नागरिक किसान व्यापारी अत्यंत परेशान है वर्तमान में विभिन्न कक्षाओं और कालेज की परीक्षाएं नजदीक हैं ऐसे में बिजली की कटौती के कारण विद्यार्थियों के अध्ययन में बाधा उत्पन्न हो रही है। अब जनहित में यह आवश्यक है कि बिजली की घोषित और अघोषित कटौती को तत्काल रोके। युवक कांग्रेस एवं भाराछासं ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सीहोर जिले में बिजली की कटौत रोकी जाये। उन्होने आरोप भी लगाया है कि मुख्यमंत्री सिर्फ धन कमाने में लगे हुए हैं और जनता बिजली कटौती से परेशान है। कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह अरोरा मिंदी ने कहा कि बिजली अधिकारी अपनी मनमानी से बाज नहीं आये तो अधिकारियों को भी सोने नहीं दिया जायेगा।
युवक कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने कहा कि जनहित में यह आंदोलन था आगे बिजली व्यवस्था नहीं सुधरी तो बिजली अधिकारियों के घर के सामने बर्तन और ढोल बजाये जायेंगे। अंत में अधीक्षण यंत्री रविन्द्र जीत सिंह श्रीवास्तव ने युवा कांग्रेस को आश्वस्त किया है कि बिजली कटौती सुबह 7 से 9 और दोपहर में 2 से 4 की जा रही है अब विद्यार्थियों के हित में सुबह का समय 8 से 10 किया जायेगा तथा बिजली कटौती शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम करने या बंद करने के संबंधी वरिष्ठ अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
गरीबों का निवाला छीन हो रही लालगेहूँ की कालाबाजारी
सीहोर 7 फरवरी (फुरसत)। मुख्यमंत्री के गृह जिले में अव्वल तो सरे आम लाल गेहूँ बिक रहा है और उस पर कोई रोक या व्यवस्था नहीं की गई है। बल्कि साल भर से हजारों क्विंटल लाल गेहूँ की कालाबाजारी करते हुए उसे सामान्य गेहूँ बनाकर बेचा जा रहा है। गरीबों का हक छीना जा रहा है। जिला खाद्य अधिकारी की मिली भगत का परिणाम है कि उपभोक्ता सेवा केन्द्र के दुकानदार गेहूँ उठाकर सीधे भरी भराई गाड़िया या बेलगाड़ी गल्ला व्यापारी को बेच देते हैं। निश्चित ही इस पूरे मामले की जांच ऊपर के अधिकारियों से कराकर यहाँ खाद्य विभाग की मिली भगत से हो रहे गोरखधंधो की गहन जांच-पड़ताल की जाना चाहिऐ। हालांकि जिलाधीश के कथित फोन से समस्या निवारण के नाटकीय घटनाक्रम में अनेकानेक शिकायतें उपभोक्ता विभाग और उपभोक्ता भंडारों के खिलाफ हो चुकी हैं लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब स्थानीय प्रशासन तो खाद्य विभाग के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करेगा निश्चित ही ऊपर के अधिकारी ही आकर पोलपट्टी पकड़ सकते हैं। लेकिन क्या भाजपा के शासन ऐसी कार्यवाहियों की अपेक्षा की जा सकती है?
उल्लेखनीय है कि इसी सप्ताह गल्ला मण्डी के एक व्यापारी के यहाँ से नायब तहसीलदार नरेन्द्र सिंह ठाकुर ने छापा मारकर करीब 434 क्विंटल गेहूँ उपभोक्ता भण्डार का पकड़ा था । इतनी बड़ी मात्रा में जब एक दुकानदार से लाल गेहूँ पकड़ाया है तो निश्चित ही यह बात स्पष्ट हो गई कि विगत वर्ष भर से ये खेल चल रहा होगा और निश्चित ही सिर्फ इस एक ही दुकानदार के यहाँ नहीं बल्कि अनेक स्थानों चक्कियों पर भी खुले आम गेहूँ बिक रहा होगा।
जिले में उपभोक्ता अधिकारी की मिली भगत से लम्बे समय से उपभोक्ता भण्डार केन्द्रों पर गड़बड़ झाला चल रहा है। अनेक दुकानों पर घांसलेट आता तो पूरा है लेकिन समय से पूर्व ही खत्म हो जाता है। इन्ही दुकानों पर जितना गेहूँ आता है उतने उपभोक्ता यहाँ गेहूँ लेने ही नहीं आते और क्या सौ प्रतिशत अनाज बिक जाता है नहीं बिकता तो फिर कहाँ जाता है ? क्योंकि बहुत बडी संख्या में लाल गेहूँ उपभोक्ता लेते ही नहीं है तो फिर उसका यह दुकानदार क्या करते है ? इसी प्रकार चावल से लेकर शक्कर भी कुछ किराना व्यापारियों द्वारा खुले आम खुले रुप से बेची जाती है। यह क्रम अनवरत जारी है।
विगत साल भर से सीहोर में लाल गेहूँ हजारों क्विंटल आया लेकिन कितना सही हाथों तक गया यह जांच का ही विषय है ? साल भर से यह गेहूँ की कट्टियाँ नगर भर की विभिन्न चक्कियों पर सीधे पिसने पहुँच जाती हैं और वहाँ फिर गेहूँ का आटा बनकर बिकता है।
नगर भर में जितना भी गेहूँ बिक रहा है उसमें या तो सीधे सीधे लाल आटा रहता हैं या फिर लाल गेहूँ और सादे गेहूँ का मिला हुआ आटा रहता है। निश्चित रुप से गल्ला मण्डी से जिस एक व्यापारी के यहाँ से बड़ी मात्रा में लाल गेहूँ मिला है तो क्या इतना ही गेहूँ यहाँ बिका होगा ।
फुरसत सूत्रों का कहना है कि दो ऐसे व्यापारी है जिनके घरों के गोदामों पर आये दिन लाल गेहूँ की बैलगाड़ियाँ उतरती देखी जाती हैं जहाँ दो सौ-ढाई सौ बोरियां आये दिन रखी रहती हैं।
उचित मूल्य दुकान संचालकों का इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है हालांकि जिला खाद्य अधिकारी का वरद हस्त और उस पर जिला प्रशासन की मौन स्वीकृति इस पूरे घटनाक्रम को अमली जामा पहनाती है और आराम से उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली खाद्य सामग्री सरे आम अन्य दुकानों पर महंगे दामों पर मिलती हैं।
न सिर्फ खाद्य सामग्री पर बल्कि गैस की टंकियों पर भी खाद्य विभाग का हाथ ढिल्ला ही रहता है जिसके चलते आये दिन गैस उपभोक्ताओं को तो टंकी मिलती नहीं उन्हे लम्बी-लम्बी लाईनों में लगना पड़ता है लेकिन जो ऊंचे दाम देकर टंकी लेना जानता है उसे आराम से टंकी मिल जाती है इतना ही नहीं बल्कि नगर में सरे आम गैस से कई वाहन इसी मेहरबानी से चल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इसी सप्ताह गल्ला मण्डी के एक व्यापारी के यहाँ से नायब तहसीलदार नरेन्द्र सिंह ठाकुर ने छापा मारकर करीब 434 क्विंटल गेहूँ उपभोक्ता भण्डार का पकड़ा था । इतनी बड़ी मात्रा में जब एक दुकानदार से लाल गेहूँ पकड़ाया है तो निश्चित ही यह बात स्पष्ट हो गई कि विगत वर्ष भर से ये खेल चल रहा होगा और निश्चित ही सिर्फ इस एक ही दुकानदार के यहाँ नहीं बल्कि अनेक स्थानों चक्कियों पर भी खुले आम गेहूँ बिक रहा होगा।
जिले में उपभोक्ता अधिकारी की मिली भगत से लम्बे समय से उपभोक्ता भण्डार केन्द्रों पर गड़बड़ झाला चल रहा है। अनेक दुकानों पर घांसलेट आता तो पूरा है लेकिन समय से पूर्व ही खत्म हो जाता है। इन्ही दुकानों पर जितना गेहूँ आता है उतने उपभोक्ता यहाँ गेहूँ लेने ही नहीं आते और क्या सौ प्रतिशत अनाज बिक जाता है नहीं बिकता तो फिर कहाँ जाता है ? क्योंकि बहुत बडी संख्या में लाल गेहूँ उपभोक्ता लेते ही नहीं है तो फिर उसका यह दुकानदार क्या करते है ? इसी प्रकार चावल से लेकर शक्कर भी कुछ किराना व्यापारियों द्वारा खुले आम खुले रुप से बेची जाती है। यह क्रम अनवरत जारी है।
विगत साल भर से सीहोर में लाल गेहूँ हजारों क्विंटल आया लेकिन कितना सही हाथों तक गया यह जांच का ही विषय है ? साल भर से यह गेहूँ की कट्टियाँ नगर भर की विभिन्न चक्कियों पर सीधे पिसने पहुँच जाती हैं और वहाँ फिर गेहूँ का आटा बनकर बिकता है।
नगर भर में जितना भी गेहूँ बिक रहा है उसमें या तो सीधे सीधे लाल आटा रहता हैं या फिर लाल गेहूँ और सादे गेहूँ का मिला हुआ आटा रहता है। निश्चित रुप से गल्ला मण्डी से जिस एक व्यापारी के यहाँ से बड़ी मात्रा में लाल गेहूँ मिला है तो क्या इतना ही गेहूँ यहाँ बिका होगा ।
फुरसत सूत्रों का कहना है कि दो ऐसे व्यापारी है जिनके घरों के गोदामों पर आये दिन लाल गेहूँ की बैलगाड़ियाँ उतरती देखी जाती हैं जहाँ दो सौ-ढाई सौ बोरियां आये दिन रखी रहती हैं।
उचित मूल्य दुकान संचालकों का इस पूरे मामले में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है हालांकि जिला खाद्य अधिकारी का वरद हस्त और उस पर जिला प्रशासन की मौन स्वीकृति इस पूरे घटनाक्रम को अमली जामा पहनाती है और आराम से उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा दी जाने वाली खाद्य सामग्री सरे आम अन्य दुकानों पर महंगे दामों पर मिलती हैं।
न सिर्फ खाद्य सामग्री पर बल्कि गैस की टंकियों पर भी खाद्य विभाग का हाथ ढिल्ला ही रहता है जिसके चलते आये दिन गैस उपभोक्ताओं को तो टंकी मिलती नहीं उन्हे लम्बी-लम्बी लाईनों में लगना पड़ता है लेकिन जो ऊंचे दाम देकर टंकी लेना जानता है उसे आराम से टंकी मिल जाती है इतना ही नहीं बल्कि नगर में सरे आम गैस से कई वाहन इसी मेहरबानी से चल रहे हैं।
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