Monday, August 11, 2008
सैकड़ो परीक्षार्थी ढूंढते रहे परीक्षा केन्द्र, फोटोग्राफरों के यहाँ भीड़ लगी रही, सैकड़ो परीक्षा नहीं दे पाये, मण्डल ने बला टाली
आज मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल द्वारा आयोजित परीक्षाओं को लेकर पूरे जिले में सुबह से ही अभ्यार्थियों की अफरा-तफरी का माहौल देखने में आया। ऊपर से मेघ बरस रहे थे इन्द्र देवता परीक्षा ले रहे थे। जोरदार बारिश सीहोर में हो रही थी और ऐसे में ही परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्रों पर पहुँचना था। बरसते पानी में परीक्षाओं के आयोजन का यह प्रयास मण्डल ने किया था निश्चित ही कुछ सोच-समझकर किया होगा।
दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से लेकर दूसरी तहसीलों तक से अपने-अपने संसाधनों अथवा किराये वाहनों के माध्यम से किसी भी तरह परीक्षा केन्द्र तक पहुँचने का प्रयास करते अभ्यार्थियों का हुजूम नगर में सुबह नजर आ रहा था। हर तरफ सरपट दौड़ते वाहन नजर आये। बाहर से आये परीक्षार्थियों व उनके परिजनाें द्वारा संबंधित परीक्षा केन्द्रों का पता पूछने का क्रम जारी था। इस तरह दिन की शुरुआत हुई।
उधर परीक्षा केन्द्रों पर आज लगभग 50-60 प्रतिशत अभ्यार्थी चूंकि उनके पास असली रोल नम्बर नहीं आ पाये थे इसलिये अपनी व्यवस्था करते हुए वह इंटरनेट के माध्यम से अपने रोल नम्बर निकालकर ले गये थे। अब समस्या यह आई कि जिन अभ्यार्थियों के पास इंटरनेट के रोल नम्बर थे उन्हे अचानक एन वक्त पर परीक्षा केन्द्र वालों ने अमान्य कर दिय। सारे अभ्यार्थी स्तब्ध रह गये। तब उन्हे यह बताया कि रोल नम्बर पर यदि असली फोटो लगाया जायेगा तो उन्हे प्रवेश दिया जा सकता है।
एन परीक्षा चालू होने के कुछ मिनिट पहले इस नई समस्या से सारे अभ्यार्थी जूझने को मजबूर हो गये। मजबूरन वह ऊपर से बरसते पानी में सीहोर नगर में घूमते रहे कि कोई ऐसा फोटो ग्राफर मिल जाये जो उन्हे तत्काल फोटो खींच दे। ऐसे में कुछेक फोटो ग्राफरों ने अच्छी चांदी कमाई। दाम तो बढ़ाकर लिये ही बल्कि अनगिनत फोटो भी खींचे। फोटोग्राफरों के लिये आज व्यावसायिक परीक्षा मण्डल ने अच्छा व्यावसाय पैदा करने वाला सिध्द हुआ। लेकिन अभ्यार्थियों की जेब जबरन सुबह-सुबह खाली हो गई और उन्हे परेशान होना पड़ा।
हाँ उन बेचारे परीक्षार्थियों को तो आज काटो तो खून नहीं था। करे तो क्या करें और जायें तो कहाँ जाये। उनके प्रवेश पत्र नाम तो उन्ही का था लेकिन फोटो किसी दूसरे का। कल फुरसत ने भी इस संबंध में विस्तृत व सप्रमाणित समाचार प्रकाशित किया था जिसके अनुसार अनेकानेक रोल नम्बर तो ऐसे थे जिसमें युवक का नाम और युवती का फोटो तथा युवती का नाम और किसी युवक का फोटो चस्पा है। ऐसे रोल नम्बर लेकर जो अभ्यार्थी पहुँच रहे थे उन्हे परीक्षा हाल कैसे बैठाया जाये यह समस्या अंत तक हल नहीं की गई।
आज सीहोर में तो सुबह 9 बजे तक विद्युत ही नहीं थी, ऊपर से बरसाती मौसम के होने के कारण बादल घिरे हुए थे और सूर्य देवता के दर्शन दुर्लभ थे। ऐसे में लगभग सभी परीक्षा केन्द्रों पर अंधेरा छाया हुआ था। जहाँ अलग से विद्युत की व्यवस्था नहीं थीं वहाँ परीक्षा हाल में अंधेरा घुप्प था और मजबूर परीक्षार्थी ऐसी विषम स्थिति में भी परीक्षा देने को मजबूर थे।
व्यवसायिक परीक्षा मण्डल ने परीक्षा के लिये इतनी भारी-भरकम राशि वसूली है कि जितने अभ्यार्थी बैठे उससे कई लाख रुपये की कमाई बैठे ठाले कर ली गई। बेरोजगारों से रुपये कमाने का मध्य प्रदेश शासन का यह फंडा कभी किसी के समझ नहीं आयेगा।
यह तरीका ठीक वैसे ही जैसे कोई फर्जी कम्पनी किसी शहर में बेरोजगाराें को तरह-तरह के झांसे देती हैं और उनसे आवेदन आदि के नाम अच्छा रुपया बटोर लेती हैं। मध्य प्रदेश व्यवासयिक परीक्षा मण्डल की अव्यवस्थित परीक्षाओं का आयोजन कुछ ऐसी तर्ज पर नजर आया कि जैसे उन्हे सिर्फ रुपयों से मोहब्बत है और व्यवस्थाओं से ऐतराज।
कुल मिलाकर आज सैकडों अभ्यार्थी तो परीक्षा दे ही नहीं पाये...सैकड़ो पहुँच नहीं पाये...सैकड़ो को बैठने नहीं दिया गया...और जो बैठ गये वह अपर्याप्त संसाधनों के कारण ठीक से परीक्षा दे नहीं पाये। तो क्या बेरोजगारों के साथ यह कुठाराघात नहीं है।
लेकिन जब मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लुंग-पुंग शासन की बात की जाये तो निश्चित ही यह आभास सहज होता है कि इसमें सुधार की गुंजाईश नगण्य है। क्योंकि जिस सरकार के मंत्री इस बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के आगे नतमस्तक हो, बेचारे किसी का स्थानान्तरण तो दूर खुद का काम नहीं करवा पाते हों ऐसी मंत्री और सरकार क्या खाक कार्यवाही कर सकता है। फिर भी क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के लिये युवा राजनैतिक संगठनों, भाजपा, कांग्रेस सहित अन्य संगठनों को इस संबंध में उचित कदम उठाना चाहिये।
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संविदा शिक्षक वर्ग-3 की परीक्षा में 204 रहे अनुपस्थित
आष्टा 10 अगस्त (नि.प्र.)। आष्टा में आज रविवार की छुट्टी के बाद भी विद्यालयों में हलचल थी कारण यह की आज म.प्र. व्यावसायिक परीक्षा मंडल भोपाल द्वारा संविदा शिक्षक वर्ग 3 की परीक्षा आयोजित की गई थी। आष्टा में इस परीक्षा के लिये 13 प्रायवेट एवं शासकिय विद्यालयों में केन्द्र बनाये गये थे।
आष्टा के इन 13 विद्यालयों में 3140 परीक्षार्थियों कमें से 2936 ने परीक्षा दी। 204 अनुपस्थित रहे। इस परीक्षा को सम्पन्न कराने के लिये नियुक्त सहायक समन्वयक राजाराम परमार पूरे समय आष्टा में उपस्थित रहे। व्यापम द्वारा बुदनी, रेहटी, नसरुल्लागंज के लोगों को परीक्षा केन्द्र आष्टा दिया गया जो इनके लिये काफी कष्टदायक रहा। दूरस्थ इलाके के लोगों को रात्री में ही आष्टा आना पड़ा जो काफी खर्चीला साबित हुआ।
आष्टा के सभी परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा को लेकर काफी अच्छी बैठक, पानी प्रकाश की व्यवस्था की गई थी। आज फुरसत ने कन्या शाला एवं उत्कृष्ठ विद्यालय में पहुँचकर भ्रमण कर परीक्षार्थियों को संतुष्ट पाया। प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर 2-2 प्रेक्षक नियुक्त किये गये थे। आष्टा में आज आष्टा के सभी केन्द्रों पर प्रात: 9 बजे से 10.15 बजे तक परीक्षा सम्पन्न हुई।
इन्हे मिला रोजगार वो हुए परेशान
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डोंडी पीटकर बुलवाया ठेकेदारों को सारे ठेकेदार सलाम ठोंकने पहुँचे
बकायदा डोंडी पिटवाकर एक-एक छोटे से छोटे और बड़े से बड़े ठेकेदारों को न्यौता भेजा गया, सभी को डोंडी पीटने वाले ने बकायदा सूचना दी कि साहब आ गये हैं वह आपको याद कर रहे हैं आपको आना है और मिलना है।
दिनभर चले इस कार्यक्रम के बाद शाम से साहब जहाँ ठहरे हुए थे वहाँ धीरे-धीरे ठेकेदारों का हुजूम लगना शुरु हो गया। सारे ठेकेदार साहब को वापस आने की बधाईयाँ दे रहे थे और उनकी तारीफों में कसीदे पढ़ रहे थे। साहब प्रफुल्लित थे कि उनका जलजला अभी भी माकू ल है। यहाँ एक श्रध्दांजली सभा भी हुई और उस ठेकेदार को श्रध्दांजली दी गई जो पूर्व में साहब के साथ अच्छा सहयोगी रहा था। सबने उसको याद किया ।
इसके बाद साहब सबको ढांढस बंधाया कि पिछले दिनों वो लोग जो परेशान होते रहे अब उन्हे परेशान होने की जरुरत नहीं है।
अब मैं आ गया हूँ, और मेरे कार्यकाल के जो भुगतान रुके हुए हैं सबसे पहले उन्हे ही पास कराऊंगा सबको मिली सांत्वना से ठेकेदारों के चेहरों पर एक नई रौनक आ गई। सबने साहब को एक बार फिर वापस लौट आने की बधाई दी। शाम सात-साढ़े बजे तक धीरे-धीरे करके ठेकेदार साहब को सलाम ठोंककर वापस लौटने लगे। नगर पालिका के ठेकेदारों में गजब का उत्साह आ गया है। वह प्रफुल्लित हैं। साहब ने कहा है कि श्रावण सोमवार से ही हम एक बार फिर काम की शुरुआत कर रहे हैं। कल सब पुन: मिलने आईयेगा।
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जिस जीव को माता के गर्भ में संस्कार मिल जाते हैं उसके जीवन का निर्माण होता है-मधुबाला जी
उक्त उद्गार महावीर भवन स्थानक में विराजित पूय साध्वी म.सा. श्री मधुबाला जी ने रविवार को प्रवचन के दौरान व्यह्न किये। आज महाराज साहब ने माता पिता का हम पर या ऋण है और क्या हम उस ऋण से मुक्त हो सकते हैं पर विस्तार से बताते हुए कहा कि व्यवहार जगत में लेन-देन के लिये आपके पास वही खाते होते हैंह्व वहीं ठाणाम सूत्र के तीसरे ठाणे के अध्याय में ऋण तीन प्रकार के बताये हैं उसमें पहला ऋण माता पिता का बताया है।
हमने जो जन्म लिया उस पर माता-पिता का ऐसा ऋण है जिसे हम अपने शरीर की चमड़ी के जूते बनाकर माता-पिता को पहनायें तो भी उनके ऋण से हम मुक्त नहीं हो सकते हैं। हमारे शरीर में 6 अंग होते हैं इसमें से 3 अंग पिता के व 3 अंग माता के होते हैं। आज व्यक्ति माता-पिता के ऋण को भूलता चला जा रहा है। इस तन को घड़ने और इसे संस्कारित करने वाली पहली कोई गुरु पाठशाला है तो वो माता है। उन्होने नई उम्र की माताओं से पूछा की आप बच्चों को कौन सी लोरी सुनाती हैं जरा विचार करो ? माता मदालसा अपनी संतान को जो लोरी सुनाती थी की तुममे सिध्द, बुध्द, मुक्त होने के गुण हैं संसार को स्वप् के समान समझकर त्याग करना मोह से ऊपर से उठोगे तो सिध्द बुध्द मुक्त बन जाओगे।
आज व्यक्ति माता पिता के उपकारों को भूल गया और केवल गाड़ी, लाड़ी और वाड़ी में ही मस्त है। इस अवसर पर पूय म.सा. सुनीता जी ने गत दिवस मनाये गये फ्रेण्ड शिप-डे को लेकर मित्र कैसा हो के बारे में बताया। महाराज साहब ने बताया कि नीति शास्त्र में मित्र 6 प्रकार के बताये हैं जो इस प्रकार हैं खाली, ताली, प्याली, जाली, जानी और कल्याणी मित्र। इनमें से प्रथम चार प्रकार के मित्र व्यवहार जगत में खतरे की घंटी साबित होते हैं शेष 2 प्रकार के मित्रों में से जानी मित्र वो होता है जो अपने मित्र के लिये ठीक उसी प्रकार जान तक दे देने को तैयार हो जाता है जैसे एक रस्सी के फंदे में लौटा झूलता हुआ कुं ए में जाता है और पानी भरकर लाता है तथा उस लाये हुए पानी को खुद न पीकर दूसरों की प्यास बुझाता है वहीं कल्याणी मित्र कल्याणी मित्र वो होता है जो सुख दुख में और मोक्ष तक का साथी होता है।
फ्रेण्ड शिप डे पर विचार करें आपके जो मित्र हैं वो इन 6 में से किस प्रकार का मित्र है। उन्होने आगाह किया कि कभी भी झाड़ी, बोर की तरह मित्र मत बनाना जो ऊपर से नरम और अंदर से गुठली की तरह कठोर होता है। जीवन में मित्रता स्थायी नहीं होती है। माया मित्रता का नाश करती है।
मुन्ना सेठ की स्मृति में आज एकासने
आष्टा। वरिष्ठ श्रावक श्री बाबुलाल जी जैन (चिवड़ेवाले) के पुत्र स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश जैन (मुन्ना सेठ) की तृतीय पुण्यतिथि पर परिवारजनों ने उनकी पुण्यतिथि को पूय म.सा. की सद्प्रेरणा से त्याग, तप, धर्म आराधना के साथ मनाने का निर्णय लिया है। कल 11 अगस्त को स्थानक में मुन्ना सेठ की स्मृति में 5-5 सामायिक के साथ सामुहिक एकासने महावीर भवन स्थानक में आयोजित किये गये हैं।
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