Monday, July 21, 2008

काका पैनल के अलावा ब्राह्मण पैनल भी चर्चा में, युध्द स्तर पर चल रहा प्रचार, बड़ी मात्रा में प्रचार सामग्री पम्पलेट भी आये बाजार में

सीहोर 20 जुलाई (आनन्द भैया)। नागरिक सहकारी बैंक चुनाव की सरगर्मियाँ दिनों दिन बढ़ती जा रही है। जहाँ छावनी में यादा दम लगाई जा रही है वहीं पूरे नगर में घूम-घूमकर उम्मीद्वार अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने के प्रयास में लगे हैं। काका पैनल के सदस्य भले ही पैनल में हो लेकिन सब अपना-अपना प्रचार स्वयं करते नजर आ रहे हैं जबकि बाहरी उम्मीद्वारों की वजनदारी भी धीरे-धीरे बढ़ती नजर आ रही है।

उधर बैंक के कुछ कर्मियों के रुख भी अलग-अलग उम्मीद्वारों पर आ जाने से मामले में रोचकता बढ़ती जा रही है। 'भैया बाकी किसी को भी एक मेरे को भी' का बोध वाक्य सभी उम्मीद्वारों की जिभान पर है। प्रचार बहुत तेजगति से चलने से नगर भर में चुनाव को लेकर तरह-तरह के कयास, आंकड़े, पूर्वानुमान और गणित चलने लगी है। चुनाव के अंतिम समय तक ही संभवत: स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। लेकिन तब तक बाजार नागरिक बैंक चुनाव की सरगर्मी से सरगर्म बना रहेगा ।

नागरिक सहकारी बैंक के प्रतिष्ठापूर्ण चुनावों ने एक बारगी फिर नगर में उत्साह का माहौल बना कर रख दिया है। बहुत दिनों से राजनीतिक गतिविधियों से शून्य और पानी को लेकर त्रस्त नगर के नागरिकों में इन चुनावों ने कुछ नया संचार किया है। हालांकि विधायक रमेश सक्सेना के चुनावी कार्यालय का उद्धाटन भी इस दौरान हुआ है लेकिन उसके कारण चुनावी सरगर्मी नहीं बन पाई थी लेकिन नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव में नगर के बड़े ही नामचीन वरिष्ठ नागरिकों के चेहरों के सामने आ जाने से पूरा नगर चुनाव पर निगाह दौड़ाने में लगा हुआ है। नागरिक बैंक के प्रति आई रोचकता और उत्साह को देखकर बैंक से जुड़े लोगों को भी खुशी अनुभव हो रही है।

इस बार के चुनावों में जैसा की अभी तक स्पष्ट हो चुका है कि जहाँ पूर्व अध्यक्ष रहे प्रकाश व्यास काका ने अपनी पैनल उतारी है वहीं काका की पैनल के सामने कोई भी खुलकर नहीं आया है लेकिन अभी तक यह भी नहीं कहा जा सकता है कि काका पैनल के 8 लोगों को छोड़कर जो शेष 8 लोग बचे हैं क्या वह संगठित है अथवा अलग-अलग।

काका पैनल वाले भी

अपना प्रचार खुद कर रहे

देखा जाये तो काका पैनल से लेकर अन्य लोगों में कहीं भी कोई संचालक पद उम्मीद्वार ऐसा नजर नहीं आ रहा जो आपस में सामंजस्य के साथ चुनाव लड़ता प्रतीत हो। काका पैनल के सारे सदस्य ही चुनाव को जहाँ पूरी गंभीरता से ले रहे हैं वहीं उनकी गंभीरता के कारण वह अपने-अपने स्तर पर अपना प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। हालांकि काका पैनल का बड़ा पम्पलेट सबसे पहले बाजार में आया है। जिसमें काका पैनल के सारे उम्मीद्वारों के नाम और उनके चुनाव चिन्ह प्रकाशित हैं लेकिन इसके बावजूद यहाँ सारे उम्मीद्वार अपने-अपने स्तर पर खुद का प्रचार करते नजर आ रहे हैं। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी काका की संभवत: यही रणनीति हो अभी यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।

लेकिन शेष बचे 8 उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी प्रचार सामग्री प्रकाशित कराकर प्रचार पहले ही दिन प्रारंभ कर दिया है। प्रचार युध्द स्तर पर किया जा रहा है। जोड़-तोड़ के साथ ही पुराने अनुभवियों के अनुभव भी लिये जा रहे हैं।

ब्राह्मण वाद और पैनल

अब मजे की बात यह है कि छावनी के एक ब्राह्मण युवा तुर्क ने जिस दिन नाम वापसी हुई थी उसी दिन कुछ स्थानों पर यह कह दिया था कि हमें किसी से मतलब नहीं हमारी पैनल है ब्राह्मण पैनल। इनका ब्राह्मण पैनल कहना इतना प्रभावी हो गया है कि काका पैनल के बाद अब सब जगह ब्राह्मण वाद चलाये जाने के प्रयास भी शुरु हो गये हैं। यूँ ब्राह्मण वाद में खुद प्रकाश व्यास काका सहित उनकी पैनल के वरिष्ठ नागरिक मदन मोहन शर्मा मद्दी गुरु, युवा पार्षद पं. प्रदीप गौतम तो शामिल है हीं लेकिन एक बाहरी राजेन्द्र शर्मा कल्लू पूर्व पार्षद भी जुड़ रहा है। जो भी हो ब्राह्मण वाद की बात फैलाने वाले का मंतव्य क्या था यह तो राम जाने। लेकिन ब्राह्मण वाद यदि चला तो कहीं ना कहीं राजेन्द्र शर्मा कल्लू को अवश्य लाभ दे सकता है। कल्लू के पीछे छावनी के युवा दल का पूरा सहयोग होना भी उसे भारी प्रदर्शित कर रहा है। इसके अलावा पार्षद अनिल मिश्रा भी इस ब्राह्मण वाद की नैया से पार लग सकते हैं तो कुल मिलाकर ब्राह्मण वाद चलाने के प्रयास भी युध्द स्तर पर किये जा रहे हैं।

वर्मा दोहरे लाभ में

पूर्व में संचालक के रुप में राजेन्द्र वर्मा रह चुके हैं ऐसे में इस बार वर्मा ने दोहरी राजनीतिक समझ का परिचय देते हुए न सिर्फ खुद बल्कि अपनी पत्नि श्रीमति अर्चना वर्मा को भी खड़ा किया है। अब राजेन्द्र वर्मा को यह लाभ हो रहा है कि यदि वह जीतते हैं तो स्वभावत: जो मतदाता उन्हे वोट देगा वो अपनी आदरणीय भाभी जी को कैसे छोड़ देगा और यदि वाकई राजेन्द्र वर्मा की यह गोटी फिट बैठ गई तो यदि वर्मा जीते तो एक साथ दो सदस्य हो जायेंगे जिससे इनका वजन भी बढ़ेगा। वहीं इनकी विजय काका पैनल के लिये सर्वाधिक खतरे की घंटी साबित होगी क्योंकि एक साथ दो उम्मीद्वार विजयभव: होकर आयेंगे।

वाकी कोई भी... पर एक मुझे ही

नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव सिर्फ चुनाव ही नहीं यह एक प्रतिष्ठापूर्ण पद भी है इस दृष्टि से हर एक उम्मीद्वार चुनाव को पूरी गंभीरता से ले रहा है। न सिर्फ गंभीरता से ले रहा है कुछ उम्मीदवारों की नींद भी उड़ गई है। वहीं वह पुराने अनुभवियों के चक्कर भी काट रहे हैं। इस मामले में सबसे खास बात यही सामने आ रही है कि हर प्रत्याशी जब भी किसी मतदाता से मिलता है तो यही कहता है कि भैया आप सारे मतदान किसी को भी करना, वाकी कोई भी हो लेकिन एक मुझे अवश्य अपना मत देना।

दोनो तरफ बराबर प्रत्याशी

हालांकि काका पैनल नाम वापसी के साथ ही एक उम्मीद्वार निर्विरोध ले आई है लेकिन इसके बाद भी शेष बचे 8 में से 4 उम्मीद्वारों की जीत सुनिश्चित की जाना है काका पैनल के आठ उम्मीद्वारों में सर्वप्रथम मदन मोहन शर्मा मद्दी गुरु सहित प्रदीप गौतम, प्रकाश राठौर, कमल झंवर कमल प्रेस, पूर्व संचालक रहे कैलाश अग्रवाल, डॉ. अनीस खान और खुद प्रकाश व्यास काका सामान्य वर्ग से तथा एक महिला श्रीमति उर्मिला देवी हैं।

जबकि इस पैनल के बाहर जो आठ लोगों का चक्र बन रहा है उनमें राजेन्द्र वर्मा व उनकी पत्नि श्रीमति अर्चना वर्मा, पंकज खत्री, राजेन्द्र शर्मा कल्लू पूर्व पार्षद, कुतुबुद्दीन शेख, अनिल मिश्रा पार्षद, सुनील वर्मा व मुकेश खत्री शामिल हैं। इनमें कौन कितना भारी है यह तो समय ही बतायेगा।

मंत्र-तंत्र का सहारा भी

नागरिक सहकारी बैंक के प्रतिष्ठा पूर्ण चुनाव को लेकर भारी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। हर उम्मीद्वार अपनी जीत को सुनिश्चित करना चाहता है चाहे इसके लिये उसे कुछ भी करना पड़े। यही कारण है कि कुछ उम्मीद्वार अभी से तंत्र-मंत्र का सहारा लेना शुरु कर चुके हैं। कुछ ने गंडे-ताबीज पहन लिये हैं ताकि वह किसी के पास भी जायें तो मतदाता उनसे प्रभावित हो वहीं कुछ ने हाथ में मौली आदि धारण कर ली है। तरह-तरह के प्रयोग यह लोग कर रहे हैं। इनके लिये प्रयोग और विशेष पूजन पाठ भी पंडितों द्वारा शुरु कर दिया गया है।

उन्होने शुक्रवार को सुन्दर काण्ड कराया

तंत्र-मंत्र के अलावा पूजन पाठ का महत्व भी इन उम्मीद्वारो के बीच अत्याधिक बढ़ गया है। वह अपने-अपने स्तर पर पूजन-पाठ भी करने में जुट गये हैं। सुबह से उठकर देर तक पूजन पाठ करके ही घर से बाहर निकल रहे हैं। उनके घर परिवार के लोग भी तरह-तरह की पूजन कर रहे हैं। कल गुरुपूर्णिमा को अधिकांश उम्मीद्वारों ने अपने गुरुओं के चरण पकड़ ही लिये, जिनके गुरु नहीं थे पूर्णिमा को नये गुरु की तलाश में रहे और किसी न किसी गुरु के पास पहुँचकर आशीर्वाद लेकर ही उन्हे संतुष्टि मिली। कल एक उम्मीद्वार ने शुक्रवार को ही घर में सुन्दर काण्ड के पाठ का आयोजन बड़े स्तर पर रख दिया। हनुमान जी की कृपा के साथ राम जी का आशीर्वाद लेकर अब यह मैदान में अंगद की तरह जमना चाहते हैं। इस प्रकार पूजा-पाठ धर्म-कर्म की तरफ प्रत्याशियों का रुझान स्पष्ट रुप से बढ़ रहा है।

कांग्रेस के नेता पीछे लगे

इस बार प्रदेश में चूंकि कांग्रेस की सत्ता नहीं है इसलिये जहाँ नागरिक बैंक चुनाव में पिछली बार जितनी दमदारी कांग्रेसी नेताओं व कांग्रेसी चेहरों ने दिखाई थी इस बार कांग्रेसी नेता उतने ही पीछे रहे। लेकिन इसके बावजूद राजनीति की बिसात यह लोग बिछाने में चूक नहीं रहे हैं। चुनाव में पीछे से ही सही लेकिन कुछ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बारम्बार कुछ उम्मीद्वारों को संबल प्रदान कर रहे हैं। पीछे से उन्हे गणित भी दे रहे हैं बल्कि कुछ ने जाकर प्रचार- प्रसार भी किया है। कांग्रेसी नेताओं की सक्रियता भी जन चर्चा में बनी हुई है। क्योंकि कांग्रेसी नेता यदि पीछे से गंभीरता के साथ सक्रिय रहे तो निश्चित ही प्रत्याशियों की विजय के बाद जोड़ तोड़ की राजनीति चलेगी।

सबके हाथ में है पम्पलेट

सारे ही प्रत्याशियों ने अपने-अपने पम्पलेट व प्रचार सामग्री छपवा ली है और वह सूची में से बड़ी शांति से मतदाता का नाम खोजते हैं फिर उसके यहाँ किसको साथ लेकर जाना है, यह तय करते हैं और फिर मतदाता के पास हाथ जोड़कर प्रचार करने पहुँच जाते हैं तथा प्रचार सामग्री भी देकर आते हैं।

पूछते फिरते हैं पता,

कुछ गलत जगह भी जा रहे

कुछ मोहल्लों में एक ही नाम अन्य लोग भी मौजूद हैं, और वैसे भी नागरिक बैंक के मतदाताओं को ढूंढ पाना बड़ी मुश्किल और मेहनत का काम है इसलिये जहाँ प्रत्याशी हर मोहल्ले के अपने परिचित के साथ मतदाता के घर पहुँच रहे हैं वहीं अधिकांश लोग चुपचाप पता भी पूछते नजर आते हैं। मोहल्ले वालों को भी पता चल गया है कि कौन-कौन नागरिक बैंक का ऋण ले चुका है । उनके मोहल्ले में किसने ऋण लेकर वाहन खरीदा है और किसने मकान बनाया है। ऐसे ऋण वाले मतदाताओं को चूंकि अब मोहल्ले वाले ही पहचानने लगे हैं तो ऐसे में जब प्रत्याशी इनसे पता पूछता तो यह तत्काल बता देते हैं कि आपका मतदाता वहाँ रहता है, जबकि आज एक मतदाता ने फुरसत को बताया कि उसके यहाँ जबरन मिलते-जुलते नाम के कारण कुछ प्रत्याशी प्रचार सामग्री दे गये हैं जबकि वह मतदाता ही नहीं है। कुल मिलाकर सीहोर नागरिक सहकारी बैंक की चुनावी सरगर्मी लगातार हर दिन और हर रात बढ़ती ही जा रही है। जैसे-जैसे प्रचार प्रसार बढ़ रहा है वैसे-वैसे तरह-तरह की चर्चाएं भी बाजार में और चोराहों पर आने लगी है। पटियों की बिसात पर बैंक की चुनावी रणनीतियां बनने से नहीं चूक रही हैं तो ऐसे में निश्चित ही आगामी सप्ताह भर तक पूरा नगर नागरिक सहकारी बैंक की चुनावी सरगर्मी से सराबोर रहेगा। रविवार को सभी धड़ों ने अपने-अपने स्तर पर व्यापक प्रचार प्रसार किया है। जिससे वातावरण गर्मा गया है। आगे-आगे पढ़िये चुनाव की सरगर्मियाँ।


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