Wednesday, November 12, 2008

बिसात बिछ गई, सक्सेना, स्वदेश, सन्नी में संघर्ष सन्नी के चक्कर में दूसरे हो रहे चकरघिन्नी

        सीहोर 11 नवम्बर (आनन्द भैया)। अंतत: नाम वापसी के बाद जिन प्रमुख लोगों के नाम उभरकर सामने आये हैं उनमें विशेष रुप से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के अलावा भारतीय जनशक्ति पार्टी ही सामने दिख रही है। हालांकि इन तीन पर 10 और प्रत्याशी सामने हैं कुल मिलाकर 13 लोग मैदान में कूद पड़े हैं। 3 प्रमुख लोगों की नाम वापसी की उम्मीद लग रही थी वह भी कल स्पष्ट हो गई। जफरलाला चूंकि कांग्रेस के हैं और वह खड़े हो गये थे तो लग रहा था क हीं कांग्रेस के मुस्लिम मतदाता प्रभावित न हों । इसके बाद यह भी अनेक चर्चाएं सड़क पर आ गई थीं कि कहीं न कहीं कांग्रेस प्रत्याशी अखलेश स्वदेश राय द्वारा इन्हे बैठा दिया जायेगा। जो भी हो हुआ यही कि अंतत: जफरलाला स्वयं ही बैठ गये। इनके अलावा योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दामोदर राय कस्बा का भी कहना था कि हम नहीं बैठेंगे लेकिन वह भी अंत में बैठ गये यह दोनो ही कांग्रेस के लिये कुछ हद तक फायदा का सौदा रहा। इनके अलावा एक और वजनदार नाम लोकेन्द्र मेवाड़ा का भी सामने थे लेकिन इनका बैठना तय था, क्योकि यह जनशक्ति के उम्मीद्वार के रुप में लड़ने वाले थे लेकिन जब भाजश से गौरव सन्नी महाजन के लडने की इच्छा इन्हे ज्ञात हुई तो उसे मौका जनशक्ति से दिलवाते हुए लोकेन्द्र मेवाड़ बैठ गये

      कुल मिलाकर नाम वापसी के बाद जिन प्रमुख तीन उम्मीद्वारों में संघर्ष समझ में आ रहा है उनमें सक्सेना, सन्नी और स्वदेश का नाम ही सामने है।

      विधायक रमेश सक्सेना राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं, भारतीय जनता पार्टी लगातार तीन बार से विजयी पार्टी है इस दृष्टि से निश्चित रुप से यदि आंकड़ो को, वर्तमान परिस्थितियों को छोड़कर एक सामान्य दृष्ठि से देखा जाये तो भाजपा किसी से कमतर नहीं बैठती।

      कांग्रेस भी देश की बड़ी पार्टी है और दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में कांग्रेस का काम आज भी जारी है। हालांकि अखलेश स्वदेश राय विधानसभा क्षेत्र की ग्रामीण से लेकर शहरी राजनीति तक के लिये एकदम नये हैं। अनुभव शून्य हैं लेकिन फिर भी अखलेश राय की होशियारी पर भरोसा किया जा सकता है। कांग्रेस की अपनी एक रीति-नीति और धुरंधर कांग्रेसियों द्वारा कार्य करने की पध्दति से निश्चित ही कांग्रेस भी चुनाव उन्नीसी बैठे ऐसा नहीं माना जाना चाहिये।

      पूरे प्रदेश में उमाश्री भारती का कितना और कैसा प्रभाव है यह तो स्पष्ट कहना मुश्किल है लेकिन मुख्यत: सीहोर विधानसभा क्षेत्र में उमाश्री भारती की दमदारी से हर एक व्यक्ति परिचित है। ऐसी उमाश्री भारती की पार्टी भारतीय जनशक्ति से भाजपा के बागी और सड़क के नेता गौरव सन्नी महाजन के खड़े हो जाने मात्र से ही पहले दिन से समीकरण बनना-बिगड़ना शुरु हो गये हैं। जनशक्ति का प्रभाव, उमाश्री का जादू और गौरव सन्नी महाजन की सतत् सक्रियता का कमाल भी क्या  कुछ कर दिखायेगा अभी से कहना मुश्किल है।

      इस प्रकार देखने में आ रहा है कि सीहोर को भाजपा, भाजश और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तीनों ही भा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में क्या कुछ समीकरण बनेंगे, कितने बिगड़ेंगे ? किसके पक्ष में लहर चल पायेगी ? या फिर मतदाता मौन रहेगा और अंदर से कुछ और बात निकलकर आयेगी। पेटियाँ खुलने पर क्या होगा ? आज नगर के चौराहों पर और गांव के चौपाल पर होने वाली चर्चाओं में जो नाम सर्वाधिक हैं क्या कल तक वही मत प्राप्त कर पायेंगे या फिर मतदान किसी तीसरे के पक्ष में चला जायेगा। अभी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।

      27 नवम्बर को मतदान है और मतदान के दिन तक हर दिन नये समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे। चौराहों पर कभी भाजपा, कभी कांग्रेस और कभी जनशक्ति की बातें होगी। अलग-अलग समीकरणों से अलग-अलग पार्टियों को लोग वजनदार बतायेंगे।

      जातिगत समीकरण, ग्रामीण क्षेत्रों की मार-पकड़, सीहोर के क्षेत्रश: स्थितियाँ, चुनावी अनुभवों और लहर पर भी चुनावी चकल्लस जारी रहेगी।

      फुरसत में भी समय-समय पर इन्ही समीकरणों में वह मुख्य बातें जो वाकई असर कारक हैं उन्हे प्रकाशित किया जाता रहेगा। जिसके कारण कई नये समीकरण बनेंगे और बिगड़ेंगे।


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