Sunday, July 20, 2008

खेत में पानी भरा नहीं रहने दें कीट नियंत्रण के जैविक उपाय अपनाएं

सीहोर 19 जुलाई (नि.सं.)। किसानों को चाहिए कि वे अपने खेत में पानी जमा नहीं होने दे, समय रहते कीट नियंत्रण करें, दवाओं को तय करते समय उपयोग की अंतिम तिथि अवश्य देखें और केशमेमो प्राप्त करें। कीट नियंत्रण के लिए जैविक उपाय करें। कृषि संबंधी किसी भी तरह की समस्या होने पर नियंत्रण कक्ष के दूरभाष मांक 07562-224044 अथवा 1551 पर किसान संपर्क कर सकते हैं।
किसानों को यह समझाइश किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग सीहोर द्वारा दी गई है। प्रभारी उप संचालक कृषि श्री एच.आर.प्रभाकर ने बताया कि भारत सरकार के मौसम विज्ञान विभाग भोपाल की जानकारी के अनुसार सीहोर एवं आसपास के क्षैत्रो में आगामी 120 घंटों के दौरान हल्की या मध्यम वर्षा के आसार हैं। मौसम के मद्देनजर किसानों को चाहिए कि वे अपने खेतों में कृषिगत निंदाई-गुड़ाई कराएं। कृषि विभाग द्वारा सोयाबीन फसल में ब्लू बीटल, हेमीलूपर, गर्डिल बीटल एवं रस चूसने वाले कीटों के प्रकोप की संभावना व्यक्त करते हुए इनके नियंत्रण की सलाह दी गई है। किसानों को सामयिक सलाह में बताया है कि यदि पत्तियां खाने वाली इल्लियों का फसल में प्रकोप होता है तो क्विनालफॉस 25 ईसी अथवा क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी डेढ़ लीटर प्रति हेक्टेयर के मान से 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर इस घोल का छिडकाव करें। ब्लू बीटल कीट के प्रकोप होने पर मिथाइल पैराथियॉन दो प्रतिशत या क्विनालफॉस डेढ़ प्रतिशत पावडर 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टर के अनुसार भुरकाव करें। इसी तरह फसल में रस चूसक कीट की मौजूदगी होने पर इथियॉन या मेटासिस्टॉक्स 30 ईसी की डेढ़ लीटर मात्रा 600 से 700 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करने से इस कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है। इन दवाओं का पहला छिडकाव फसल के 25-30 दिन में एवं दूसरा छिडकाव 40-45 दिन की अवस्था में अवश्य करना चाहिए।
खरपतवारों पर नियंत्रण
खरपतवारों के नियंत्रण के संबंध में किसानों को सलाह दी गई है कि खेतों में निदाई - गुड़ाई के कार्य को प्राथमिकता से किया जाना चाहिए जिससे खरपतवार को खेत से बाहर किया जा सके। खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए क्विजेलोफाप इथाइल उपयुक्त है। किसान इस दवा की एक लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर के मान से छिडकाव करें।
कीट नियंत्रण के जैविक उपाय
कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं के अलावा किसानों को जैविक उपाय भी अपनाना चाहिए। इसके लिए रात्रि के समय खेत के आसपास प्रकाश प्रपंच लगाएं। साथ ही टी आकार की लक ड़ी पक्षियों के बैठने के लिए लगाएं। प्रति एकड़ में 8 से 10 की संख्या में टी आकार की लक ड़ी खेतों में गाड़े जिस पर पक्षी बैंठेगे और इनसे इल्लियों पर नियंत्रण होगा। इसके अतिरिक्त खेतों में नीम आधारित रसायनों के छिड़काव से कीटों की रोकथाम के साथ साथ प्रदूषण को रोकने में भी मदद मिलेगी।
दवाओं को खरीदते समय सावधानी रखें
बाजार से य की जाने वाली दवाओं को खरीदते समय किसानों को सावधानी रखना चाहिए। दवाएं लायसेन्स धारी दूकानदारों से ही खरीदी जाना चाहिए और य की गई दवाओं का केश मेमो अवश्य प्राप्त करना चाहिए। दवाई के पैकेट पर अंकित उपयोग करने की अंतिम तिथि को देखकर ही दवाएं खरीदना चाहिए। अधिक जानकारी नियंत्रण कक्ष के दूरभाष मांक 07562-224044 अथवा 1551 पर संपर्क कर प्राप्त की जा सकती हैं।


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