सीहोर 9 जुलाई (घुम्मकड़)। बस स्टेण्ड पर विगत महिने भर में दो बार एक विशेष व्यक्ति गुप्त रुप से आया और उसने अपने विशेष ग्राहकों को 'माउजर' भी दिये। 'माउजर' बंदूक में लगते हैं और फिर इससे ही गोलियाँ चलती हैं। 'माउजर' बेचने वाला कहाँ से आता है ? किसको बेचता है? और उसका क्या उपयोग हो रहा है यह सब तो बस स्टेण्ड क्षेत्र में चर्चा का विषय है ही लेकिन क्या इस 'माउजर' का उपयोग पिछले दिनों लोहे के ट्रक को लूट काण्ड से जुड़ा हुआ है अथवा मामला कुछ और है।
उपरोक्त चर्चाएं सीहोर बस स्टेण्ड से करीब 20 दिन से लगातार उड़ रही हैं। विगत 15 से 20 जून के मध्य सीहोर बस स्टेण्ड पर सीटी पाईंट होटल के पास क्या कोई व्यक्ति ने 'माउजर' डिलेवरी का काम किया है ? यहाँ चर्चाएं व्याप्त है कि एक सफेद टीशर्ट और औसत काली पेंट पहले एक व्यक्ति आया था और उसने अपने एक ग्राहक को 4 'माउजर' दिये थे। इसके बाद वह चुपचाप यहाँ से रवाना हो गया।
चर्चाएं यह भी हैं कि यह व्यक्ति आसपास का नहीं बल्कि सीधे मुरैना से आया था और इसके एक पैर में लटक है। मतलब इसकी चाल अलग ही नजर आ जाती है, जिससे इसे आसानी से पहचाना भी जा सकता है। चर्चा तो यहाँ तक है कि 'माउजर' डिलेवरी देने के बाद उपरोक्त व्यक्ति तो चला गया लेकिन दो दिन बाद ही 21 जून को एक चौपहिया वाहन ने लोहे से भरा एक ट्रक भोपाल-इन्दौर राजमार्ग पर लूट लिया। हालांकि बस स्टेण्ड से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि लोहे के ट्रक लूट काण्ड की घटना में सीहोर के लोगों का हाथ नहीं हो सकता।
लेकिन 'माउजर' बेचने वाला व्यक्ति एक बार और फिर बस स्टेण्ड पर आकर पुन: 4 'माउजर' बेचकर गया जो 25 से 30 जून के बीच की बात बताई जा रही है। मामला क्या है ? असली बात क्या है ? क्या यह सब जबरन उड़ाई हुई हवा है ? पुलिस का गुप्तचर विभाग आखिर क्या कर रहा है ? क्या उसके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है ? चर्चा तो यह भी है कि जुलाई के दूसरे पखवाड़े में यह व्यक्ति फिर माउजर लेकर आयेगा।
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