अब बाजी भाजपा के हाथ, उपाध्यक्ष संभालेंगे कमान, भाजपा में खुशी छाई
सीहोर 21 मार्च (होली सं.)। नगर पालिका अध्यक्ष पद की जिस कुर्सी पर समाजसेवी राकेश राय ने जनता से भारी बहुमत प्राप्त कर पदभार ग्रहण किया था। आज अचानक उस पद से उन्होने इस्तिफा देकर विरोध के सारे स्वरों को विराम दे दिया है। जिलाधीश श्री सिंह को राकेश राय द्वारा दिये गये इस्तिफे की खबर पहले पहल तो किसी को हजम ही नहीं हुई, दोपहर तक राकेश राय के घर पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ एकत्र हो गई। कोई समझ नहीं पा रहा था कि राकेश राय ने ऐसा क्यों किया है। इस संबंध में फुरसत ने भी श्री राय से बातचीत करना चाही तो यही जबाव मिला कि जिस तरह से उन्हे तरह-तरह से परेशान किया जा रहा था और पार्षद दबाव बनाये हुए थे उससे कुपित होकर उन्होने यह कदम उठाया है। लेकिन आज इस उठे कदम से सीहोर की राजनीति में एक भूचाल-सा आ गया है। हालांकि यह जानकारी देर रात तक सार्वजनिक नहीं हो पाई थी।
उल्लेखनीय है कि नगर पालिका अध्यक्ष पद का पद्भार ग्रहण करने के साथ ही राकेश राय को विपरीत सरकार भाजपा के कारण खासी परेशानी उठाना पड़ रही थी। पिछले दिनों उन पर कुछ मामले भी लग गये थे जिस पर तरह-तरह की पेशी के लिये उन्हे भोपाल जाना पड़ता था। विकास के लिये न तो भोपाल से कोई धनराशि मिल रही थी ना ही कोई अन्य सहयोग। इस पर भी आये दिन सत्ता पक्ष की घुड़कियाँ और ठेकों में चल रही राजनीति से श्री राय खासे परेशान थे।
इस सबसे ऊपर श्री राय इस वर्ष पानी की पैदा की गई किल्लत, जमोनिया तालाब से ग्रामीणों को दिलाये गये पानी के पीछे की राजनीति के बाद शुरु हुए आंदोलनों से हैरान परेशान हो गये थे। और उन्होने ऐसी विषम स्थिति में नगर के पत्रकाराें की एक वार्ता बुलाकर अपनी परेशानी भी बताई थी। इसी दौरान अध्यक्षीय समिति के पाँच पार्षद जो उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे एन पानी की समस्या के सामने आते ही उन्होने भी साथ छोड़ दिया और राकेश राय के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिये।
इस तरह चारों तरफ से घिरे राकेश राय ने संभवत: परिवार के सदस्यों अथवा कुछ शुभ चिंतकों से सलाह मशविरा कर यह कठोर कदम उठाया । संभवत: राकेश राय के छोटे भाई अखलेश राय ने भी उन्हे इस तरह की समझाईश दी है।
जो भी हो, आज करीब 11.30 बजे के आसपास राकेश राय बहुत ही गुपचुप या कहे तो शांत तरीके से भोपाल जाकर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह बात आज सीहोर में सार्वजनिक भी नहीं हो पाई। लेकिन फुरसत के सूत्रों को जब यह जानकारी दोपहर बाद लगी तो अपने स्तर पर हमने इस संबंध में जब राकेश राय से मोबाइल नम्बर 9425024444 पर बातचीत करने का प्रयास किया तो पता चला कि वह घर पर हैं लेकिन मोबाइल बंद है और किसी से नहीं मिल रहे हैं।
हालांकि राके श राय के समर्थकों को जैसे-जैसे गुपचुप रुप से यह जानकारी लगती रही वह उनके निवास पर एकत्र होते रहे लेकिन शाम तक श्री राय ने किसी से बातचीत करना उचित नहीं समझा।
ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि आज इस संबंध में राकेश राय पत्रकार वार्ता भी लेंगे और अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।
उधर अब नगर पालिका का क्या होगा ? इस संबंध में नगर पालिका उपाध्यक्ष अशोक सिसोदिया से बातचीत की तो उन्हे भी यह जानकारी लगते ही पहले विश्वास नहीं हुआ लेकिन वह खुश नजर आये। उन्होने फुरसत से कहा कि राय एक अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन वह कई मामलों में पूरी तरह असफल सिध्द हुए हैं। यदि पार्टी ने आज्ञा दी, और विधायक जी की अनुमति रही तो जैसा ही परिषद में भाजपा का बहुमत है। इस दृष्टि से यदि भाजपा ने यह कार्यभार संभाला तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि इतना पानी है कि पूरे नगर में गर्मी भर पानी की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी, प्रतिदिन जल प्रदाय शहर में किया जा सकता है। अन्य विकास कार्य की अनेक संभावनाएं हैं।
चुनावी वर्ष में राकेश का इस्तीफा विधायक जी को भारी न पड़ जाये
सीहोर। आज राकेश राय द्वारा दिये गये इस्तीफे को यदि राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह एक बड़ा घटनाक्रम सिध्द हो सकता है। यह चुनावी वर्ष है और जिस तरह से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी बन गये हैं। उसके बाद से ही कांग्रेसी राजनीति में कुछ उफान सा आया है। उधर भाजपा में विधायक रमेश सक्सेना ही आगामी प्रत्याशी रहेंगे ऐसा विश्वास सभी को है। ऐसे में नगर में अचानक उभरे कांग्रेसी नेता के रुप में राकेश राय ने जिस बहुत भारी मतों के अंतर से पिछले दिनों विजयश्री का वरण किया था और अब जब जनता कुछ नाराज दिखी तो उन्होने बिना विचारे इस्तीफा दे डाला है। इस घटनाक्रम से जनता में उनके प्रति सहज सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ेगी। यदि ऐसा हुआ और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने भी इस भांपते हुए राकेश को टिकिट दे दिया तो यहाँ कम से कम नगरीय क्षेत्र में तो निश्चित ही विधायक जी के लिये एक कड़ी चुनौती की स्थिति बन जायेगी। ग्रामीण क्षेत्र में राकेश राय के भाई अखलेश राय की छवि कुछ दम टेक सकती है। देखते हैं आज हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम का भविष्य में क्या प्रतिफल दिखाई देता है।
आष्टा से सीहोर पानी आ रहा है, इस्तीफा क्यों दिया-कैलाश परमार
सीहोर। हाल में सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस में वापस आये राकेश राय द्वारा अचानक नगर पालिका पद से इस्तीफा दे दिये जाने के संबंध में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष कैलाश परमार से फुरसत ने बातचीत कर यह पूछा कि क्या इस संबंध में पार्टी ने कुछ विचार-विमर्श किया है अथवा आपके निर्देश हैं ? इस पर कैलाश परमार ने पूर्णत: अनभिज्ञता जाहिर की है, श्री परमार ने कहा है कि उन्हे भी कुछ ही समय पूर्व इस तरह की जानकारी मिली है और वह खुद आश्चर्य में है कि श्री राय ने यह कदम कैसे उठा लिया है, नगर पालिका अध्यक्ष का कार्यभार उन्हे संभालना चाहिये था। जब फुरसत ने पूछा कि कहीं आष्टा में पार्वती से पानी सीहोर नहीं आने देने से उपजे जल संकट से त्रस्त श्री राय ने इस्तीफा दिया है आपको नहीं लगता कि इसमें कहीं आप भी दोषी हैं ? आपको उनकी विषम स्थिति मदद करना चाहिये थी? कैलाश परमार इस प्रतिपक्ष पर लगभग उखड़ते हुए बोले की यदि बात पानी की ही है तो आष्टावासियों का इसमें कोई दोष नहीं है, पार्वती भराने के बाद ऊपर का पानी सीहोर की तरफ जा रहा है, उसे कोई छेड़ नहीं रहा है। जल संकट के लिये श्री राय को अपने स्तर पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता थी, वह चाहते तो हमसे बात कर सकते थे, लेकिन उन्होने इस्तीफा दे दिया। आवश्यकता हुई तो हम उनसे बात करेंगे।
सीहोर 21 मार्च (होली सं.)। नगर पालिका अध्यक्ष पद की जिस कुर्सी पर समाजसेवी राकेश राय ने जनता से भारी बहुमत प्राप्त कर पदभार ग्रहण किया था। आज अचानक उस पद से उन्होने इस्तिफा देकर विरोध के सारे स्वरों को विराम दे दिया है। जिलाधीश श्री सिंह को राकेश राय द्वारा दिये गये इस्तिफे की खबर पहले पहल तो किसी को हजम ही नहीं हुई, दोपहर तक राकेश राय के घर पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ एकत्र हो गई। कोई समझ नहीं पा रहा था कि राकेश राय ने ऐसा क्यों किया है। इस संबंध में फुरसत ने भी श्री राय से बातचीत करना चाही तो यही जबाव मिला कि जिस तरह से उन्हे तरह-तरह से परेशान किया जा रहा था और पार्षद दबाव बनाये हुए थे उससे कुपित होकर उन्होने यह कदम उठाया है। लेकिन आज इस उठे कदम से सीहोर की राजनीति में एक भूचाल-सा आ गया है। हालांकि यह जानकारी देर रात तक सार्वजनिक नहीं हो पाई थी।
उल्लेखनीय है कि नगर पालिका अध्यक्ष पद का पद्भार ग्रहण करने के साथ ही राकेश राय को विपरीत सरकार भाजपा के कारण खासी परेशानी उठाना पड़ रही थी। पिछले दिनों उन पर कुछ मामले भी लग गये थे जिस पर तरह-तरह की पेशी के लिये उन्हे भोपाल जाना पड़ता था। विकास के लिये न तो भोपाल से कोई धनराशि मिल रही थी ना ही कोई अन्य सहयोग। इस पर भी आये दिन सत्ता पक्ष की घुड़कियाँ और ठेकों में चल रही राजनीति से श्री राय खासे परेशान थे।
इस सबसे ऊपर श्री राय इस वर्ष पानी की पैदा की गई किल्लत, जमोनिया तालाब से ग्रामीणों को दिलाये गये पानी के पीछे की राजनीति के बाद शुरु हुए आंदोलनों से हैरान परेशान हो गये थे। और उन्होने ऐसी विषम स्थिति में नगर के पत्रकाराें की एक वार्ता बुलाकर अपनी परेशानी भी बताई थी। इसी दौरान अध्यक्षीय समिति के पाँच पार्षद जो उनके कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे एन पानी की समस्या के सामने आते ही उन्होने भी साथ छोड़ दिया और राकेश राय के खिलाफ आंदोलन शुरु कर दिये।
इस तरह चारों तरफ से घिरे राकेश राय ने संभवत: परिवार के सदस्यों अथवा कुछ शुभ चिंतकों से सलाह मशविरा कर यह कठोर कदम उठाया । संभवत: राकेश राय के छोटे भाई अखलेश राय ने भी उन्हे इस तरह की समझाईश दी है।
जो भी हो, आज करीब 11.30 बजे के आसपास राकेश राय बहुत ही गुपचुप या कहे तो शांत तरीके से भोपाल जाकर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह बात आज सीहोर में सार्वजनिक भी नहीं हो पाई। लेकिन फुरसत के सूत्रों को जब यह जानकारी दोपहर बाद लगी तो अपने स्तर पर हमने इस संबंध में जब राकेश राय से मोबाइल नम्बर 9425024444 पर बातचीत करने का प्रयास किया तो पता चला कि वह घर पर हैं लेकिन मोबाइल बंद है और किसी से नहीं मिल रहे हैं।
हालांकि राके श राय के समर्थकों को जैसे-जैसे गुपचुप रुप से यह जानकारी लगती रही वह उनके निवास पर एकत्र होते रहे लेकिन शाम तक श्री राय ने किसी से बातचीत करना उचित नहीं समझा।
ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि आज इस संबंध में राकेश राय पत्रकार वार्ता भी लेंगे और अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे।
उधर अब नगर पालिका का क्या होगा ? इस संबंध में नगर पालिका उपाध्यक्ष अशोक सिसोदिया से बातचीत की तो उन्हे भी यह जानकारी लगते ही पहले विश्वास नहीं हुआ लेकिन वह खुश नजर आये। उन्होने फुरसत से कहा कि राय एक अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन वह कई मामलों में पूरी तरह असफल सिध्द हुए हैं। यदि पार्टी ने आज्ञा दी, और विधायक जी की अनुमति रही तो जैसा ही परिषद में भाजपा का बहुमत है। इस दृष्टि से यदि भाजपा ने यह कार्यभार संभाला तो मैं विश्वास दिलाता हूँ कि इतना पानी है कि पूरे नगर में गर्मी भर पानी की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी, प्रतिदिन जल प्रदाय शहर में किया जा सकता है। अन्य विकास कार्य की अनेक संभावनाएं हैं।
चुनावी वर्ष में राकेश का इस्तीफा विधायक जी को भारी न पड़ जाये
सीहोर। आज राकेश राय द्वारा दिये गये इस्तीफे को यदि राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह एक बड़ा घटनाक्रम सिध्द हो सकता है। यह चुनावी वर्ष है और जिस तरह से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी बन गये हैं। उसके बाद से ही कांग्रेसी राजनीति में कुछ उफान सा आया है। उधर भाजपा में विधायक रमेश सक्सेना ही आगामी प्रत्याशी रहेंगे ऐसा विश्वास सभी को है। ऐसे में नगर में अचानक उभरे कांग्रेसी नेता के रुप में राकेश राय ने जिस बहुत भारी मतों के अंतर से पिछले दिनों विजयश्री का वरण किया था और अब जब जनता कुछ नाराज दिखी तो उन्होने बिना विचारे इस्तीफा दे डाला है। इस घटनाक्रम से जनता में उनके प्रति सहज सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ेगी। यदि ऐसा हुआ और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी ने भी इस भांपते हुए राकेश को टिकिट दे दिया तो यहाँ कम से कम नगरीय क्षेत्र में तो निश्चित ही विधायक जी के लिये एक कड़ी चुनौती की स्थिति बन जायेगी। ग्रामीण क्षेत्र में राकेश राय के भाई अखलेश राय की छवि कुछ दम टेक सकती है। देखते हैं आज हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम का भविष्य में क्या प्रतिफल दिखाई देता है।
आष्टा से सीहोर पानी आ रहा है, इस्तीफा क्यों दिया-कैलाश परमार
सीहोर। हाल में सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस में वापस आये राकेश राय द्वारा अचानक नगर पालिका पद से इस्तीफा दे दिये जाने के संबंध में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष कैलाश परमार से फुरसत ने बातचीत कर यह पूछा कि क्या इस संबंध में पार्टी ने कुछ विचार-विमर्श किया है अथवा आपके निर्देश हैं ? इस पर कैलाश परमार ने पूर्णत: अनभिज्ञता जाहिर की है, श्री परमार ने कहा है कि उन्हे भी कुछ ही समय पूर्व इस तरह की जानकारी मिली है और वह खुद आश्चर्य में है कि श्री राय ने यह कदम कैसे उठा लिया है, नगर पालिका अध्यक्ष का कार्यभार उन्हे संभालना चाहिये था। जब फुरसत ने पूछा कि कहीं आष्टा में पार्वती से पानी सीहोर नहीं आने देने से उपजे जल संकट से त्रस्त श्री राय ने इस्तीफा दिया है आपको नहीं लगता कि इसमें कहीं आप भी दोषी हैं ? आपको उनकी विषम स्थिति मदद करना चाहिये थी? कैलाश परमार इस प्रतिपक्ष पर लगभग उखड़ते हुए बोले की यदि बात पानी की ही है तो आष्टावासियों का इसमें कोई दोष नहीं है, पार्वती भराने के बाद ऊपर का पानी सीहोर की तरफ जा रहा है, उसे कोई छेड़ नहीं रहा है। जल संकट के लिये श्री राय को अपने स्तर पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता थी, वह चाहते तो हमसे बात कर सकते थे, लेकिन उन्होने इस्तीफा दे दिया। आवश्यकता हुई तो हम उनसे बात करेंगे।