आष्टा 17 जुलाई (नि.प्र.)। वर्तमान में सोयाबीन फसल पर इल्ली एवं रसचूसने वाले कीट नुकसान पहुंचा सकते है। एक माह पूर्व बोई गई सोयाबीन फसल में हरिकुन्डलाकर इल्ली सेमीलूपर का असर दिख रहा है कही-कही गोल काले कीट क्यूबीटल भी पत्तियों को कतर कर खाते है। इसी वुम में गर्डल बिटील का भी प्रभाव हो सकता है।
इन सब कीटों के नियंत्रण हेतु क्लोरो-पायरीफास 20 ई,सी,क्यूनालफास 25 ई,सी,1.500 लीटर दवा प्रति हैक्टेयर के मान से 750 से 800 लीटर पानी में धोलकर सुबह एवं शाम के समय अच्छी तरह छिड़काव करने से उक्त कीटों का निराकरण सम्भव है। कुछ जगह खरीफ फसलों में चूहों द्वारा नुकसान किया जाना भी पाया गया है।
अत: चूहा नियन्त्रण के लिए जिंक फास्फाइड दवा को ज्वार या मक्का के फूलें पर मीठा तेल छिडक़कर दवा चिपकाकर चूहों के बिल के पास शाम के समय रखने से चूहों का निराकरण सम्भव है। चूहा नियन्त्रण के लिये विशेष तौर से सामूहिक खेती वालों को एक साथ मिलकर उपरोक्त दवा का प्रयोग करने साए निर्मित परिणाम मिलेगें। विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि तीन चूहें मिलकर एक आदमी के भोजन के बराबर अनाज या तो खा जाते है या नष्ट कर देते है।