सीहोर 16 जुलाई (नि.सं.)। सीहोर नागरिक सहकारी बैंक के संचालक पद चुनावों को लेकर आज का दिन भारी उठा पटक वाला साबित हुआ। दिन भर कांग्रेस और भाजपा के धुरंधर नेताओं को इस मामले में गुपचुप रुप से कई विसात बिछानी पड़ी। ऊपर से दिख रहे विरोधियों की आपस में बातचीत और गुप्त बैठकें भी हुईं। किसको कैसे बैठाया जाये इस जोड़ तोड़ में दिनभर लोग लगे रहे। कल का बहुत हद तक नागरिक बैंक चुनावों के लिये निर्णायत भरा भी साबित हो सकता है। काका की पैनल क्या गणित चलेगी यह अभी कहा नहीं जा सकता लेकिन कुछ अन्य पैनल बन जाये इसके प्रयास आज भी युध्द स्तर पर होते रहे।
सीहोर नागरिका सहकारी बैंक के चुनावों में कल जिन गिनती के संचालक पद उम्मीद्वारों ने अपने आवेदन दिये हैं उस समय तक तो ऐसा लग रहा था कि मामला सामान्य है और पूरे चुनाव में सिर्फ एक ही पैनल मैदान में है लेकिन एक ही दिन के अंतर में चुनावी सरगर्मी ने नया रुख ले लिया है। चुनाव की नई करवट ने नया ही माहौल बना दिया है। काका पैनल के अलावा जिन उम्मीद्वारों के नाम सामने आये हैं उनमें से कुछ नाम वाकई काका पैनल के लिये दिक्कत भरे हो सकते हैं। इनमें ऐसे नाम भी हैं जो पूर्व के अनुभवी हैं और चूंकि 12 में से अभी 9 ही संचालकों के चुनाव होना हैं ऐसे में काका पैनल के बाहर रहने वाले भी अभी संख्या 4-5 तक ले जाने के लिये प्रयासरत हैं।
राजेन्द्र वर्मा पूर्व संचालक ने सामान्य संचालक पद उम्मीद्वार के रुप में खुद को रखकर अपनी पत्नि को अन्य अनुसूचित जाति महिला आरक्षित वर्ग में मैदान में उतारा है जिनके सामने उर्मिला वीरेन्द्र कुमार वातव रहेंगी। राजेन्द्र चूंकि पूर्व संचालक हैं ऐसी दृष्टि से यदि ये अनुभव के आधार पर लड़े तो कहीं दोनो सीटों पर यह भारी अवश्य पड़ सकते हैं। इनके अलावा काका पैनल के बाहर के नामों में राजेन्द्र शर्मा कल्लू पूर्व पार्षद और अनिल मिश्रा पार्षद का नाम भी प्रमुख से लिया जा सकता है। अनिल मिश्रा के अनुभव और कल्लू की पैठ से इंकार नहीं किया जा सकता।
इन सबसे हटकर एक नाम जो सर्वाधिक चर्चा में है वह राजकुमार गुप्ता का। राजू गुप्ता भी पूर्व पार्षद हैं और उनकी कार्यशैली और अनुभव के आगे नागरिक बैंक संचालक पद का चुनाव बहुत बड़ा नहीं माना जा सकता। राजू गुप्ता असल में इसलिये सबसे यादा चर्चाओं में चूंकि उनका नाम अभी तक काका की पैनल में स्पष्ट रुप से नहीं दिखाई दे रहा है।
इन सबके अलावा युवा वर्ग से एक राजकुमार जायसवाल रिंकु जो युवा कांग्रेस अध्यक्ष हैं ने भी भारी खलीबली मचा रखी है। रिंकु, वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष राकेश राय के भांजे भी हैं और कांग्रेस के युवा नेता भी। किसी चुनाव को लड़ने की इसकी अपनी शैली है, और अपने नाम भरने के पूर्व रिंकु ने जिस प्रकार वातावरण बना दिया है उससे एक बारगी कई अन्य लोग सखते में आ गये हैं। रिंकु के परिचितों ने उसके लिये कुछ खास तैयारियाँ भी विगत सप्ताह भर में की है और यदि चुनाव लड़ा जाये तो उसके लिये क्या रणनीति रहेगी यह भी बनाई गई है।
हालांकि एक मात्र पैनल उतारने वाला प्रकाश व्यास काका के अनुभव के आगे कई लोग नतमस्तक हैं लेकिन नागरिक सहकारी बैंक के चुनावों की रणनीति और जोड़-तोड़ इसके बावजूद तेजी से चल रहा है।
आज कुछ लोगों को बैठाये जाने के लिये जी तोड़ मेहनत की गई। कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं तक ने गुपचुप रुप से इस मामले में हस्तक्षेप किया व कुछ लोगों से बातचीत भी की है। इधर जो लोग बेमेल नजर आ रहे हैं उनमें आपस में टेलिफोनिक बातचीत लगातार होने की जानकारियाँ भी मिली हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों की आपसी कमरा बैठकें भी हो चुकी हैं जिनकी संभावना ऊपर से प्रतीत नहीं होती। ऐसे में कल नाम वापसी के समय क्या गणित बैठती है ? किसका नाम वापस होता है ? कौन पीछे हटता है ? किसको क्लिन चिट मिलती है ? यह सब भविष्य ही बतायेगा।
दोनों राजकुमार चर्चाओं में
सीहोर। नागरिक सहकारी बैंक के चुनावी समर में दोनो राजकुमार चर्चाओं में आ गये हैं। नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव को लेकर वैसे ही जोड़-तोड़ की राजनीति चलती है। किसको कैसे पटकनी दी जाये और किसको अपने पाले में लाया जाये यह समस्या खड़ी रहती है। इस बार के चुनाव में हालांकि वैसा उत्साह नजर नहीं आया है लेकिन फिर भी कल जिस वक्त से भाजपा नेता और छावनी के लोकप्रिय समाजसेवी राजकुमार गुप्ता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है तभी से वह चर्चाओं में है। राजू भैया के नामांकन भरने से कुछ लोग असमंजस की स्थिति भी है। वहीं दूसरे राजकुमार है रिंकु जायसवाल युवक कांग्रेस अध्यक्ष। राजकुमार जायसवाल ने नामांकन पत्र भरने के पहले ही चर्चाओं को सरगर्म कर दिया था। इनकी पैनल उतारे जाने की अफवाहें भी बाजार में थी। युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर लम्बे समय से काबिज राजकुमार जायसवाल कि गणित भी अभी समझ नहीं आ पा रही है।
इस प्रकार दोनो राजकुमार चर्चाओं में गने हुए हैं।
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