Friday, July 18, 2008

जिन वाणी की बरसात होते ही जीवन से विकास के द्वार खुल जाते हैं-मधुबाला जी

आष्टा 17 जुलाई (नि.प्र.)। आज का दिन किसी पर्व से कम महत्व का नहीं है। आज से चातुर्मास शुरु हो गया है आपकी इतनी बड़ी उपस्थिति यह दर्शाती है कि आप इस दिन का महत्व समझते हैं जब संत सतियों के मुख से जिनवाणी की बरसात होती है तो जीवन में विकास के द्वार खुल जाते हैं। चातुर्मास व्यक्ति के जीवन को विनाश से विकास की और ले जाता है। तप धर्म की आराधना करने से पापों का नाश होता है, जिनवाणी की बरसात से वासना, राग, द्वेष का जो कचरा भरा रहता है और वह जाता है और चरम लक्ष्य को पायें।
उक्त उद्गार चातुर्मास हेतु विराजित पूय साध्वी मधुबाला जी ने आज चातुर्मास प्रारंभ दिवस पर कहें। म.सा. ने कहा कि जिस प्रकार एक किसान के लिये बरसात का उसके जीवन में काफी महत्व है वो गरजते बरसते बादलों से प्रेम करता है। हमें भी चातुर्मास में ज्ञान, दर्शन, तप, साधना, चरित्र की तप-साधना करना है और विकास के द्वार खोलना है। धर्म से घबराओ मत पीछे मत हटो जिनेश्वर भगवान ने जो कहा वो ही सत्य है। देव, गुरु धर्म पर दृंढ आस्था रखो। इस अवसर पर साध्वी सुनीता जी ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिये लौकिक महत्व का संतों की सुनी वाणी को अगर जीवन में उतारोगे तो इस जीवन की दिशा बदलते देर नहीं लगेगी। आज आप अपनी पत्नि, अपने ग्राहक की सबकुछ सुन लेते हो क्योंकि उसमें आपका स्वार्थ रहता है लेकिन जो संत आपका जीवन बदल सकता है आपको विनाश से विकास की और ले जा सकता है उसकी बात आप सुनने को तैयार नहीं हो। म.सा. ने 48 मिनिट की एक सामयिक का क्या महत्व से उसे भी बताया। आज चातुर्मास के प्रथम दिन एक बेला, 36 उपवास, 55 एकासने, दो बियासने एवं 2 दयाव्रत की तपस्या के साथ कई पचकान हुए। दोपहर में आलोचना का पाठ एवं शाम को प्रतिक्रमण आदि के कार्यक्रम स्थानक में सम्पन्न हुए। आज चातुर्मास के प्रथम दिन पर बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे।


हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।