सीहोर 29 अगस्त (घुमक्कड़)। पिछले दिनों नगर में रामानुज मण्डल सीहोर के तत्वाधान में हुई श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव आयोजन की चर्चाएं बड़ी जोरों पर रहीं और सबसे भी यादा चर्चाएं उसके प्रसाद को लेकर रहीं। हर दिन कुछ विशेष प्रसाद के आकर्षण की बात थी और शुरुआत हुई शुध्द घी की नुक्ती से। लेकिन जब श्रीकृष्ण जन्मोत्सव कथा के चौथे दिन हुआ तो उस दिन कथा 1 बजे से रात 8 बजे बहुत यादा लम्बी खिंच गई। बहुत बड़ी संख्या में यहाँ महिलाएं जन्मोत्सव का प्रसाद अपने सामर्थ्य के अनुरुप लेकर आई थीं। इस दिन 56 भोग का आयोजन किया गया था । इसलिये अलग-अलग तरह के व्यंजन लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार लेकर आये थे। बड़ी मात्रा में आये प्रसाद को लेकर यहाँ विश्वास व्यक्त किया जा रहा था कि हो सकता प्रसाद या तो आज ही बंट जाये या फिर दूसरे दिन बंट जायेगा। समिति वालों ने भी उस दिन प्रसाद की विशेष व्यवस्था की थी। जन्मोत्सव के दिन युवा नेता अक्षत कासट की तरफ से खर्च का वहन किया गया था। बडी मात्रा में प्रसाद तो बंटा लेकिन भगवान के समक्ष जो बहुत बड़ी मात्रा में प्रसाद 56 भोग के नाम से चढ़ावा आया था वह अंतिम समय तक नहीं बांटा जा सका।
भक्तों का उत्साह तब भी कम नहीं हुआ उन्हे विश्वास था कि दूसरे दिन इसमें कुछ तो मिलेगा ही लेकिन दूसरे दिन भी जब प्रसाद नहीं मिला तो फिर कुछ प्रसादी भगत तो उखड़ने लगे....। लेकिन करते क्या ? और किससे कुछ कहते। अब तो कथा भी समाप्त हो गई और पाण्डाल भी उठ गये हैं लेकिन अभी तक चर्चा यह बनी हुई है कि उस दिन जो चढ़ावे में प्रसाद आया था आखिर वो बड़ी मात्रा में आया प्रसाद गया कहाँ ? ज्ञातव्य है कि प्रतिदिन 11000 रुपये की विशाल राशि का प्रसाद किसी एक भक्त द्वारा यहाँ समिति के माध्यम से वितरित कराया गया था जिसमें कभी नुक्ती, कभी बालूशाही, कभी मावे के पेड़े और कभी कुछ अन्य प्रसाद वितरित हुआ। इस प्रसाद को लेकर तो प्रारंभ से ही चर्चाएं सरगर्म थीं। लेकिन 56 भोग की चर्चाएं अभी तक सरगर्म हैं....। हर दूसरे जुबान यह प्रश्न है कि भैया वो प्रसाद कहाँ गया ?
हमारा ईपता - fursatma@gmail.com यदि आप कुछ कहना चाहे तो यहां अपना पत्र भेजें ।