Saturday, September 6, 2008

फुरसत भी पर्यूषण महापर्व पर सभी से क्षमा याचना करता है

जैन धर्म में महापर्व पर्यूषण का बड़ा महत्व है। पर्यूषण स्वयं के दोषो को देखने, आत्म अवलोकन करने और जाने-अनजाने किये गये समस्त अपराधों की क्षमा याचना का पर्व है। 'क्षमा वीरस्य भूषणम' इस वाक्य के साथ सकल जैन समाज आज जिस प्रकार पर्यूषण महापर्व पर क्षमावाणी उत्सव मनाता है । पर्यूषण के आठ दिनों में कठोर तप-साधना कर विभिन्न प्रकार से शरीर को तपाकर मन, वचन, काया के दोषो के लिये क्षमा याचना करता है। यह तप प्रयिा अपने में आये दुर्गुणों को कम करने और आत्मशुध्दि के लिये अपनाई जाती है।
आज पर्यूषण पर्व समाप्ति के साथ ही वार्षिक क्षमायाचना भी की जाती है। इस महत्वपूर्ण पर्व का सम्पूर्ण लाभ उठाते हुए फुरसत भी अपने समस्त पाठकों तथा अन्य वह सभी जो पाठक न होते हुए भी कहीं फुरसत से जुड़े हों सभी को फुरसत द्वारा प्रकाशित समाचार, टिप्पणी, अग्रलेख या किसी प्रकार अन्य प्रकार की प्रकाशित सामग्री या अन्य किसी कारण से फुरसत द्वारा आपको किसी प्रकार का मानसिक दुख, कष्ट, वेदना हुई हो तो फुरसत परिवार मन, वचन, काया से पूरी विनम्रता के साथ आपसे क्षमा याचना करता है।
समाचारों या विचारों को आप तक पहुँचाने के इस कार्य में कभी किसी कड़वी सच्चाई के कारण, कभी फुरसत आप तक न पहुँच सकने के कारण, कभी देरी से पहुँचने के कारण, कभी किसी समाचार के प्रकाशन नहीं हो पाने के कारण, कभी किसी मात्रा आदि की गलती के कारण, कभी सम्पादन की लापरवाही के कारण, कभी जानकारी के अभाव में या गलत जानकारी के कारण, कभी गलत धारणा या समझ के अभाव के कारण, हमने आपका दिल जाने-अनजाने दुखाया हो तो इस सबके लिये पूरी विनम्रता के साथ बारम्बार क्षमा-याचना करते हैं।
सरल हृदय और शुध्द विचार।
वह कर लेता भव सागर पार॥
साथ ही हम अपने कार्य में और अधिक सावधानी रखने का भी संकल्प लेते हैं । हमारा संकल्प आप तक स्वस्थ, स्वच्छ और निर्दोष समाचार विचार पहुँचा सके । हम राष्ट्र व संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबध्दता पर और अधिक खरे उतर सकें, का आप सभी से आशीष चाहते हैं। क्षमा याचना सहित...
आनन्द गाँधी
सम्पादक



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