Wednesday, August 27, 2008

पर्यूषण के दौरान मांसाहार व्यवसाय बंद हो, ज्ञापन सौंपा

आष्टा 26 अगस्त (नि.सं.)। श्री जैन श्वेताम्बर गंज एवं किला मंदिर स्थानकवासी जैन श्री संघ एवं अखिल भारतीय श्वेताम्बर जैन नवरत्न परिवार की और से आज एक ज्ञापन जिलाधीश सीहोर के नाम संबोधित तहसीलदार बिहारी सिंह आष्टा को सौंपा गया जिसमें श्वेताम्बर जैन समाज ने बताया कि जैन धर्म में अहिंसा एवं जीवों के अभयदान का विशेष महत्व है तथा पर्यूषण पर्व पर इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। उक्त धार्मिक उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए जैन समाज द्वारा देश में अनेकों गौशाला व पिंजरा पोल संचालित हैं। पर्यूषण पर्वाधिराज के दौरान जैन धर्मावलंबी द्वारा विशेष रुप से जीव दया पाली व कराई जाती है। पर्यूषण पर्व 27 अगस्त से 5 सितम्बर तक मनाये जायेंगे। इस दौरान धार्मिक भावना को दृष्टिगत रखते हुए आष्टा व जिले के समस्त पशुओं के कत्लखाने व मछली, मांस, अंडा आदि मांसाहार सामग्री का विक्रय, आदेश प्रसारित कर प्रतिबंधित किया जावे व इस ज्ञापन के द्वारा प्रदेश सरकार से भी मांग की गई है कि वह इस पर्व पर पूरे प्रदेश में पशुओं के कत्लखाने व उनका व्यवसाय प्रतिबंधित करें।
ज्ञापन के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला प्रतिबंधित आदेश की छाया प्रति संलग् है। हिंसा विरोधी संघ द्वारा अपील क्रं. 1684405 व अन्य द्वारा विभिन्न एस.एल.पी. सिविल अपीले मा. सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत की गई थी जिनमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय दिनाँक 14 मार्च 2008 में ऐतिहासिक फैसला पारित कर यह बताया कि मात्र 9 दिनों के लिये कत्लखानों पर प्रतिबंध लगाने से संविधान का कहीं उल्लंघन नहीं होता है व भारत देश एक मिली-जुली संस्कृति का देश है जहाँ अलग-अलग धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं व अपने-अपने ढंग से उपासना करते हैं इसमें किसी समुदाय (जैन)की भावनाओं को आदर देते हुए पर्यूषण पर्व के 10 दिन के प्रतिबंध को अनुचित नहीं मानते हुए प्रतिबंध वैध ठहराया तथा फैसले में यह भी उद्धृत किया गया कि जब अकबर राजा द्वारा जैन समाज के संपर्क में आने पर उसके राय में 6 माह का प्रतिबंध लगाया गया था तो वर्तमान में इस प्रकार के प्रतिबंध को कैसे अनुचित कहा जा सकता है तथा इस प्रकार के प्रतिबंध से व्यापार करने के अधिकार को ठेस नहीं पहुँचती हैं यह प्रतिबंध विभिन्न समाज में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाने में भी सहायक होगा। उक्त न्याय दृष्टांत का अनुसरण करते हुए आष्टा ही नहीं अपितु सम्पूर्ण सीहोर जिले में मूक पशुओं के कत्लखाने व संबंधित व्यापार पर्यूषण अवधि में प्रतिबंधित किये जाने के आदेश प्रसारित किये जावें व जैन समाज की भावनाओं से प्रदेश सरकार को अवगत कराते हुए सम्पूर्ण प्रदेश में भी कत्लखानों व संबंधित व्यवसाय पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई।
ज्ञापन का वाचन नगीन जैन एडवोकेट ने एवं संचालन सुशील संचेती द्वारा किया गया। इस अवसर पर समाज के वरिष्ठ सदस्य सवाईमल बोहरा, कैलाश चन्द्र गोखरु, अशोक देशलहरा, सुरेश भविष्य सुराना, पत्रकार नरेन्द्र गंगवाल, नवरत्न परिवार के प्रदेशाध्यक्ष पवन सुराना, लोकेन्द्र बनवट, दिलीप संचेती, रविन्द्र रांका, उमेश श्रीश्रीमाल, राहुल, प्रताप, रविन्द्र, नरेन्द्र चतरमुथा, विजय देशचंद, बसंत, आलोक, प्रदीप, अंकुर बोहरा, पंकज नाकोड़ा, महेन्द्र, अंकित रुनवाल, मुकेश मेहता, रुपचंद सुशील आनंद रांका, मोहित वेदमूथा, मनीष, नीलेश, सौरभ सुराना, अशोक राका, प्रकाश, विमल मनोज गांग, पुष्पेन्द्र मालू, जितेन्द्र सुराना, शंकर बोडाना, भेरुलाल धनगर सहित अनेकों नागरिक उपस्थित थे।


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