Friday, June 27, 2008

मंत्री रुस्तम तो खुद एक समस्या हैं... यह क्या समस्या हल करेंगे...(टिप्‍पणी)

टिप्पणी आनन्द ऋषभ गाँधी

एक पुलिस अधिकारी रहते उच्चस्थ पदों पर रह चुके और वर्तमान में भाजपा के विधायक व शासन के मंत्री के रुप में रुस्तम सिंह नामक प्रभारी मंत्री सीहोर जिले को एक बार फिर नये सिरे से आज दिये गये हैं....। जिला प्रभार में रुस्तम सिंह को पुन: सीहोर का प्रभारी बनाया गया है। पिछले दिनों जिला मुख्यालय पर बाल विहार मैदान में आयोजित लोक कल्याण शिविर में इन्होने अपने अंदाज में भाषण दिया कि हमसे जो बन पड़ेगा उन समस्याओं को हल करेंगे....जो अभी होंगी उन्हे अभी हल किया जायेगा...जो नहीं हो सकती उन्हे बाद में किया जायेगा....सब काम प्रक्रिया के तहत होगा....।

लम्बे समय से प्रभारी मंत्री को झेल रहे सीहोर जिले के हर भाजपा कार्यकर्ता, नेता और आम जनमानस को मंत्री जी का संवाद रटा गया है कि जो नियमानुसार होगा वह किया जायेगा... सीहोर के लोगों को कभी लगता ही नहीं कि रुस्तम सिंह जी उनके जिले के प्रभारी मंत्री हैं....बंगले पर जितने लोग मिलने जाते हैं यदि वह सीहोर के हैं तो बैठे रह जाते हैं और मंत्री जी के गृह जिले से आये लोगों के काम हाथों-हाथ हो जाते हैं....क्योंकि वैसे भी सीहोर वालों के लिये तो नियम हैं ही...।

फिर खुद रुस्तम सिंह जी का सीहोर के प्रति कोई जिम्मेदार पूर्ण व्यवहार भी क भी नहीं दिख पाया....जबसे बने हैं तब से आज तक सीहोर के लिये अलग से कोई दौरा कार्यक्रम नहीं किया गया....एक बार पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से मिले तो किसी प्रशासनिक अधिकारी की तरह 40 मिनिट तक लम्बा भाषण पेल दिया और अंत में बड़ी अदा के साथ कह गये कि कोई बात हो बताईयेगा...हम उसे भी सुनेंगे....करेंगे....और अब चलते हैं मुझे अन्य जगह जाना है...बाद में फिर मुलाकात होगी.....जब पत्रकारों ने पूछा कि आप हमारे जिले के प्रभारी मंत्री हैं आप जिले के अखबार तक तो पढ़ते नहीं....तो घुमा-फिरा कर जबाव दे गये हाँ पढ़ता हूँ....जब बताया कि सीहोर में सारे अखबार में अलग पेज आते हैं क्या सीहोर के पेज आप पढ़ते हैं ? कैसे पढ़ते तब जाकर गलती स्वीकार करते हुए बोले नहीं पढ़ता...आज तक भी यह अखबार पढ़ने की शुरुआत नहीं कर सके। जिस जिले के यह प्रभारी मंत्री हैं जब वहाँ की घटनाओं से उन्हे सरोकार ही नहीं तो फिर कैसे मान लिया जाये कि उन्हे सीहोर के प्रभार के प्रति गंभीरता है.....या सीहोर से कोई मतलब ।

यदि हम पूर्व प्रभारी मंत्री सजन सिंह वर्मा की कार्यशैली को देखें तो तुलनात्मक रुप से आज तक इन प्रभारी मंत्री ने कौन-सा विशेष पैकेज सीहोर जिले को दिलवाया है....क्या रोजगार गारंटी योजना में हुए भ्रष्टाचार की जानकारी इन्हे है...? क्या सीहोर में पेयजल संकट के समस्या के प्रति इन्होने कोई रुचि दिखाई...कई किसानों का गेहूँ समर्थन मूल्य से कम भाव में बिक गया क्या मंत्री जी को यह मालूम भी है....ढाई साल से सीहोर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन बिकने का क्रम जारी है....जमीन के भाव आसमान छू रहे हैं....जमीनों का सट्टा जारी है, इस वर्ष सीहोर में इसी कारण बोवनी आधी से कम हो पाई क्या यह बात मंत्री जी को मालूम है....और मालूम हैं तो इसका कोई हल उन्होने निकाला.....करोड़ों रुपयों का मुआवजा बुदनी-नसरुल्लागंज में बंट गया और सीहोर, आष्टा, इछावर के किसान आस लगाये बैठे रह गये....क्या इससे मंत्री जी को कोई मतलब है....बल्कि सच तो यह है कि खुद उनके विभाग की योजनाएं जिले में सही से नहीं चल पा रही....कई भ्रष्टाचार के मामले उनके विभाग में मौजूद हैं और हजारों किसान उनके विभाग से हैरान-परेशान हैं।

आश्चर्य तो यह है कि जिस पंचायत विभाग के वह मंत्री है उसी पंचायत विभाग ने दो लाख से यादा खर्च करके जिला स्तरीय समस्या समाधान शिविर लगाया और मात्र सवा सौ लोग ही यहाँ आये उसमें 50 प्रतिशत लोग तो बुला-बुलाकर एकत्र किये गये थे.....आंगनबाड़ी वालो, लाड़ली लक्ष्मी योजना की लाड़लियों, किसानों, सरपंचों और विभागों के अधिकारियों से पांडाल भर दिया गया था...क्या यह बात रुस्तम सिंह जी के समझ नहीं आ सकी...सवा सौ समस्याओं के आवेदन में से वह समस्याएं हल कर दी गई जिनमें गरीबी रेखा के नाम के आवेदन थे या राशन कार्ड बनवाने की बात....। और सारी मूलभूत समस्याएं धरी की धरी रह गई। भ्रष्टाचार के आरोपों के आवेदनों को सिरे से हटा दिया गया...क्यों मंत्री जी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया....स्पष्ट है क्योंकि उन्हे सीहोर से कोई मतलब ही नहीं....।

असल में प्रभारी मंत्री की बला से....जो हो सीहोर में उन्हे क्या.....यह उनका विधानसभा क्षेत्र तो है नहीं....और अब वो कोई शासकिय अधिकारी भी नहीं जो जहाँ जायें वहीं का हो जाये....अब वो नेता हैं नेता....और नेता का काम तो होता है अच्छे-अच्छे लच्छेदार भाषण देना...कुटिल मुस्कान भरना....जो यादा नाराज हो उसके कंधे पर हाथ रखना.....और आश्वासन देकर चले जाना....समस्या निवारण शिविर में किसी समस्या का हल, रुस्तम सिंह जी क्या खाक करते । असल तो सीहोर जिले के लिये प्रभारी मंत्री के रुप में वह खुद एक समस्या हैं....।