Friday, June 27, 2008

'नेताजी' अपने समर्थकों के साथ 'नाली' में घुसे और ऐसे अड़े की कोई उन्हे निकाल ही नहीं पाया

सीहोर 26 जून (घुमक्कड़)। जी हाँ साहब यह बात हो रही है सीहोर टाकीज चौराहा पर बनी अंग्रेजों के जमाने की नाली की जिसको एक नेताजी ने अपने समर्थकों के साथ नाली में प्रवेश कर चौक कर दिया। इनके चक्कर में विगत 10 दिन से नाली ऐसी जाम हुई यहाँ डाकघर के सामने के सारे दुकानदार नाली के पानी उफनने के कारण परेशान होने लगे। इतना ही नहीं बल्कि भयानक बदबू से भी सब परेशान हो चले। ऐसे में जब इसकी जानकारी नगर पालिका के सफाई अमले को हुई तो वह भी इन्हे अनुनय-विनय करके बाहर निकालने पहुँचे। सफाई कामगारों ने सारे प्रयास किये, बहुत नम्रता से काम किया, सारे मशीनी उपकरण लगाकर उन पर प्रेशर बनाया लेकिन वो थे कि टस से मस नहीं हो रहे थे। अंतत: आज अंग्रेजों के जमाने की नाली खोदकर इन्हे खेंच-खेंचकर बाहर निकाल ही डाृला। लेकिन इस चक्कर में आज यातायात काफी प्रभावित रहा। लोगों को परेशानी हुई और हाँ नगर पालिका को बैठे-बिठाये एक और काम मिल गया।
हुआ यूँ कि सीहोर टाकीज चौराहा पर जहाँ छविग्रह की फिल्मों के पोस्टर लगते हैं वहीं जिले भर के नेताजियों और कुछ संगठनों के बड़े-बड़े बेनर होर्डिंग जो आजकल फ्लेक्स के बनने लगे हैं वह भी लगते हैं। ऐसे ही किसी नेताजी और उनके समर्थकों को फ्लेक्स अपने साथ एक आध दो और फ्लेक्स लेकर काम निकल जाने उड़ गया और पीछे की तरफ नाली में गिर गया। इसके बाद वह बहता हुआ अंग्रेजों के जमाने की बनी सड़क के बीच की नाली में जाकर अड़ गया और ऐसा अड़ा की वह पानी को आगे ही नहीं बढ़ने दे रहा था। इसके कारण बरसात का पानी जब नाली में भराता तो नाली उफनती और दुकानदार परेशान होते। बल्कि सड़क पर नाली का पानी आता तो बदबू भी फैलती।
मजबूरन 3-4 दिन तक लगातार सफाई कर्मचारी यहाँ नाले को साफ करने का प्रयास करते रहे, कई बार बांस चलाये, कुछ मशीनों का भी उपयोग हुआ लेकिन वह फ्लेक्स था की ऐसा अड़ा जो टस से मस नहीं हो रहा था। उसे भी सीहोर टाकीज चौराहा ही मिला जो सर्वाधिक व्यस्त है। सीहोर का यह चौराहा शुरु से ही राजनेताओं की राजनीति सरगर्मी का केन्द्र भी रहा है। इस फ्लेक्स को भी यह चौराहा रास आ रहा था। मजबूरन नगर पालिका सफाई कर्मचारियों ने आज अंग्रेजों की जमाने की यह नाली सड़क पर से खोद डाली और उस फ्लेक्स को खींच-खींचकर बाहर निकालकर फेंक दिया और हाँ नगर पालिका को पुलिया बनाने के नाम से संभवत: किसी ठेकेदार को खुश करने का मौका भी नसीब हो गया हो, हालांकि ऐसी पुलिया भी बनाने वाले श्रमिक पालिका में हैं। देखते हैं क्या होता है....।