सीहोर 21 सितम्बर (विशेष संवाददाता)। वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश में प्रदेश का बंटाढार करने वाले मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा का शंखनाद हुआ था और पूरे प्रदेश में आशातीत भाजपा को सीटें मिली थी। आज 5 वर्ष पूरे होने को हैं और एक बार फिर चुनाव की तैयारियाँ शुरु हो गई हैं। ऐसे में हर तरफ एक ही चर्चा है कि आखिर क्या होगा आगामी चुनावों में? सबसे यादा कयास तो यह लगाये जा रहे हैं कि आखिर किसको मिलेगा टिकिट ? क्योंकि सभी संभावित उम्मीद्वारों के टिकिट को लेकर तरह-तरह की संदिग्धताएं सामने आने लगी हैं।
किसे मिलेगा टिकिट यह सीहोर में आज सबसे यादा महत्व का प्रश् बना हुआ है ? हर जुबान पर यही प्रश्न रहता है कि आखिर किसको टिकिट मिलेगा ? आपस लोग यदि चर्चा करते हैं कुछ कहते हैं पूछते हैं तो यह पूछते हैं क्या गणित बैठेगा किन कारणों से किसको टिकिट मिलना तय है। भाजपा से भी इस बार अधिक नाम सामने आ रहे हैं।
कुछ ऐसे विवाद विधायक रमेश सक्सेना के साथ लोगों की जुबान पर हैं जिसको लेकर वह कयास लगा रहे हैं कि संभवत: इस कारण उनका टिकिट कटेगा और किसी दूसरे को मिलेगा। इधर कांग्रेस में भी बहुत कम नाम सामने हैं और सारे ही नामों के साथ ढेर सारे तर्क-वितर्क चल रहे हैं। भाजश अभी कहीं दूर नजर आने लगी है।
ऐसे में कुछ गणितज्ञ गणित भी लगा रहे हैं कौन सा प्रत्याशी बनेगा और यदि वह लड़ा तो कौन-सा प्रत्याशी उसे टक्कर देगा ? कौन किस परिस्थिति में जीत सकता है ? क्या परिस्थितियाँ निर्मित हो जाने पर प्रत्याशी बहुत आसानी से हार जायेगा।
कांग्रेसी हल्कों में जहाँ कांग्रेस से टिकि ट मांगने वालों और टिकिट किसको मिलेगा की चर्चाएं सरगर्म हैं वहीं भाजपाई हल्कों में इस बार अलग-अलग धड़े अलग-अलग ढंग से अपने-अपने प्रत्याशियों के पक्ष में बातें करते हैं और दूसरे प्रत्याशी की जमानत जप्त हो जाने की जानकारियाँ बताया करते हैं।
ऐसे में गणितज्ञों के लिये पिछले रिकार्ड का स्मरण कराना भी आवश्यक है। इसलिये आज फुरसत वर्ष 2003 के 5 दिसम्बर के अंक में प्रकाशित विधानसभा में किसे कितने मत मिले थे इसकी सूची प्रकाशित कर रहा है।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा को पूरे प्रदेश में लहर चलने के बावजूद कांटे की टक्कर मिली थी और वह मात्र 11 हजार 11 मतों से विजयश्री प्राप्त कर सकी थी। इसमें विधायक रमेश सक्सेना को 52 हजार 681, कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह ठाकुर को 41670, जसपाल सिंह अरोरा जो निर्दलीय प्रत्याशी थे उन्हे 4613 मत मिले थे जबकि सुनीता शर्मा बसपा की उम्मीद्वार जिन्हे भाजपा ने आज एक जिम्मेदार पद पर बैठा रखा है उन्हे 2349 मत मिले थे। नौशाद खान को 1524 और पायल जान को 1498 मत मिले थे।
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