Sunday, August 24, 2008

ग्रामीण जन ढूंढते रहते हैं भागवत कथा के मुख्य यजमान को....

सीहोर 23 अप्रैल (नि.सं.)। बड़ा बाजार में विगत तीन दिन से चल रहे श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा के मुख्य यजमान लोकप्रिय विधायक रमेश सक्सेना हैं। लेकिन यहाँ दूसरे ही दिन की कथा में मुख्य यजमान नदारत रहे तो कई ग्रामीणजन उन्हे ढूंढते रहे। कुछ पूछते भी रहे कि आखिर वो कहाँ बैठे हैं। असल में कल विधायक जी काजल की कोठरी अर्थात नगर पालिका से संबंधित आवश्यक कार्यों में व्यस्त हो गये थे। लेकिन भक्तजन थे कि बार-बार विधायक जी को भी तलाश रहे थे।
मालवांचल के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से भागवत जी की कथा सुनने, कराने और दूर-दूर तक कथा श्रवण करने के लिये जाने का महत्व है। यहाँ संत कमल किशोर जी नागर जी जैसे पूयनीय संतगण भी हैं जिनकी कथा सुनने के लिये लाखों की तादाद में भक्तजन एकत्र होते हैं। लेकिन छोटी-सी कथा से लेकर बड़ी कथाओं तक श्रीमद् भागवत कथा में मुख्य यजमान का महत्व अनेकानेक बार प्रतिपादित किया जा चुका है। भागवत सुनने वाले ग्रामीणजनों के जहन में यह बात स्पष्ट रुप से है कि मुख्य यजमान को 7 दिन तक कथा श्रवण करना चाहिये क्योंकि कथा का आयोजक ही वह है और कथा उसी के लिये हो रही है दूसरा यहाँ तक मान्यता है कि कथा के सातों दिनों तक उसे अपना स्थान भी नहीं बदलना चाहिये पहले दिन जिस स्थान पर बैठकर कथा सुनी थी सातों दिन उसी स्थान पर बैठकर वह कथा सुने....आदि आदि। हालांकि यह सीहोर का सौभाग्य है कि यहाँ के लोकप्रिय नेता विधायक श्री सक्सेना बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के हैं बल्कि नवरात्र के नौ दिनों के अलावा अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर वह अक्सर अपने गृहक्षेत्र बरखेड़ाहसन में पूरे समय रहते हैं और वहीं सारे कार्य छोड़ सिर्फ भक्ति रस में लीन रहते हैं लेकिन यहाँ सीहोर में हो रही भागवत जी में उनकी अनियमित उपस्थिति चर्चाओं में बनी हुई है। कल भी बहुत से ग्रामीणजन बार-बार यहाँ कथा स्थल पर एक दूसरे से पूछते रहे कि विधायक जी कहाँ हैं। वह उन्हे देखना भी चाहते थे। लेकिन विधायक जी नदारत रहे। चाची जी कल अकेली ही बैठी थीं। वह बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की हैं इसलिये चच्चा की अनुपस्थिति से वह नाराज हों इसके पूर्व ही चच्चा को अपना स्थान पर आ जाना चाहिये।


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