Sunday, August 24, 2008

भक्त के बनाए सांचे में ही ढल जाते हैं भगवान-स्वामी रंगनाथाचार्य

सीहोर 23 अगस्त (नि.प्र.) भक्त को सच्चा जीवन जीना चाहिए। सच्चे भक्त की भक्ति को देखकर भगवान उसके बनाए सांचे में खुद को ढाल लेते हैं। भगवान के जितने भी श्री विग्रह हैं तो कभी धर्नुधारी राम। यहां तक कि वे गोलमटोल शालिगराम भी बन गए। कई बार भगवान के विचित्र स्वरूप के श्रीविग्रह भी दिखाई देते हैं, वे सब भक्तों की शक्ति का स्वरूप हैं। भक्त के लिए भगवान अपने रूप को वैसा ही परिवर्तित कर लेते हैं जैसा भक्त उन्हें देखना चाहता है।
उक्त आशय के उद्गार स्थानीय बड़ा बाजार में रामानुज मण्डल के तत्वाधान में चल रहे श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव में तीसरे दिन उज्‍जैन से पधारे परम पानीय संत प्रवर 1008 श्री स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज, व्याकरण वेदान्ताचार्य श्री रामानुज कोट उज्‍जैन ने अपनी ओजस्वी एवं अमृतमयी वाणी से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुजनों को कथामृत का पान कराते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि यदि सार्थक जीवन जीना है तो घर का पवित्र वातावरण में बना भोजन ही ग्रहण करें। पहले भगवान को भोग लगाएं फिर स्वयं ग्रहण करें। इच्छाओं का कोई पारावार नहीं है इसलिए इच्छाओं की पूर्ति की बजाए उनका संतोष धन से शमन करें। उन्होंने कहा कि कामनाओं की बेल तो ब्रहमलोक तक जाकर भी कम नहीं पड़ती। इच्छाओं का कभी भी कहीं भी अन्त नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि जप का अर्थ यह नहीं है कि जंगल में जाकर कंदमूल खाकर या फिर पत्ते आदि खाकर तप किया जाए। गृहस्थ जीवन में रहकर तप करना सबसे श्रेष्ठ है। एकान्त में रहकर तप करने से खुद का ही उद्धार होता है किन्तु यदि समाज में रहकर सदविचार रखें तो उसे बहुत लोगों को लाभ होता है। इसलिए समाज में सदविचार से काम करने के तप को श्रेष्ठ माना गया है। उन्होंने कहा कि सोना इकटठा करके रखा तो वह सोना हराम कर देगा। अधिक संग्रह की प्रवृत्ति को त्यागें और संतोष धन से अपने जीवन को कृतार्थ करें, स्वामी जी ने कहा कि घर में सुख-शांति के लिए मधुराष्टकम का पाठ करना चाहिए। घर के सभी सदस्य एक दूसरे से प्रेमभरा व्यवहार करें। उन्होंने कहा कि हम स्वयं को भगवान के प्रति समर्पित करें, यदि सुनने की इच्छा हो तो भगवान की कथा सुरे, करने की इच्छा हो तो भगवान का कीर्तन करें, यदि जाने की इच्छा हो तो भगवान के मंदिर जाए और यदि घूमने की इच्छा हो तो तीर्थ में भ्रमण करें। इस प्रकार आप अपनी हर वृत्ति को भगवान से जोड़कर सहज ही भगवतकृपा प्राप्त कर सकते हैं। श्रीमद भागवत कथा को सुनने पूरे शहर भर से लोग एकत्रित हो रहे हैं।
प्रतिदिन कथा के बीच में स्वामी जी के सुमधुर भजनों को सुनकर भक्तजन आनन्द में मग् होकर नृत्य करने लगते हैं। पूरा बड़ा बाजार क्षेत्र में माहौल धार्मिक हो गया है। श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के मुख्य यजमान विधायक रमेश सक्सेना ने सभी श्रद्धालुजनों से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्यलाभ प्राप्त करें।


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