आष्टा 7 जुलाई (नि.सं.)। धनी बिना धन सुना होता है यह एक कटु सत्य कहावत है ठीक इसी प्रकार अगर किसी विभाग का प्रमुख अधिकारी पूरे विभाग पर निगाह नहीं रखता है तो उक्त विभाग पर यह कहावत पूरी तरह से लागू होती है।
खबर है कि आष्टा नगर का एक शासकिय कार्यालय का परिसर जहाँ पर उक्त विभाग का कार्यालय भी है तथा यहाँ पर विभाग के लोग रहते भी हैं वे रहे तो ठीक लेकिन जिन कक्षों में वे रहते हैं अगर उन कक्षों मे दिन के उजाले में और रात के अंधेरे में दिन-रात जुंआ भी होता हो और शराब भी पी जाती हो तो इसे आखिर क्या कहें। लेकिन यह सही है आष्टा नगर के उक्त शासकिय कार्यालय के परिसर में जुंआ होता है और शराब खोरी भी होती है। खबर है कि अभी कुछ दिनों से इस विभाग के अधिकार विभाग के कार्यों से आष्टा छोड़ सीहोर में व्यस्त थे। उसका पूरा फायदा इस विभाग के चालू कर्मचारियों ने जमकर उठाया और दो नम्बर के कार्य करने वालों से जमकर अवैध कार्यों के बदले पैसे भी वसूले अब जिस कार्यालय के परिसर में यह सब कुछ होता हो तो उस विभाग के कर्मचारियों के क्या हाल होंगे ? सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है....।