Monday, July 7, 2008

सीहोर के जैन, ब्राह्मण और बनिये खा रहे हैं खुले आम ‘’अण्डे’’ कहीं आप तो इनमें शामिल नहीं...

सीहोर 6 जुलाई (आनन्द भैया गाँधी)। जी हाँ अविश्वसीय किन्तु सत्य, हो सकता है आपके बच्चे खुशी-खुशी अंडे खा रहे हों और आपको मालूम भी ना चले। बाजार में मिलने वाले ऐसी अनेक खाद्य सामग्री मौजूद है जो अंडे से बन रही है और समय-समय पर आप व आपके परिजन भी इसे खाते रहते हैं। फुरसत ने इस संबंध में पूर्व में स्थानीय दुकानदारों को सलाह दी थी कि वह ऐसे अंडे के सामान के साथ अलग से जानकारी दें या एक बोर्ड लगायें कि यह सामान अंडे का है, लेकिन सीहोर के नामचीन दुकानदारों ने अंडे का सामान बेचना जारी रखा और लोगों को पता भी नहीं चला। आज स्थिति यह है कि सीहोर में हर जाति, धर्म, विशेषकर धार्मिक महिलाएं, जैन, ब्राह्मण, अग्रवाल, माहेश्वरी बनिया परिवार जहाँ मांस व अंडा वर्जित है उन परिवारों में भी अंडे की सामग्री भूल से आ जाती है और पूरा परिवार मिल जुलकर अंडे का सामान अनजाने में खा लेता है।

कैसे खाते हैं आप अंडे...ध्यान दीजिये

आज कल सीहोर के प्रसिध्द दुकानों पर, बड़ी-बड़ी नामचीन होटलों पर जहाँ आईस्क्रीम, नमकीन बंगाली मिठाईयाँ मिलती हैं वहीं केक के साथ ''पेस्ट्री'' भी मिलती है। जी हाँ पेस्ट्री गजब की स्वादिष्ट लगती है, एक तरह से यह छोटा केक होता है। ऊपर विभिन्न प्रकार के क्र ीम और नीचे केक जैसा स्वादिष्ट ब्रेड होती है। पेस्ट्री का हर कोई दीवाना है। आजकल पेस्ट्री खाना फेशन बनता जा रहा है। विशेषकर सीहोर नगर की बालिकाओं, नवयुवतियों, किशोरियों को पेस्ट्री का बुखार सा चढ़ा हुआ है। हर कोई पेस्ट्री की दीवानी है। आजकल समोसा-कचौड़ी नहीं बल्कि इन बड़ी दुकानों लोग पेस्ट्री खाना यादा पसंद करने लगे हैं। पूरे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में 'पेस्टी' अण्डे से ही बनती है। यह जानकारी दुकानदारों को बहुत अच्छे से है लेकिन वह खरीदने वालों को इसकी जानकारी नहीं देते हैं, और सीहोर के दुकानदार जानबूझकर अंडे वाली पेस्टी बेचते रहते हैं। उन्हे मालूम भी रहता है कि खाने वाले का धर्म उसे अंडे खाने की स्वीकृति नहीं देता तब भी यह दुकानदार उसे आगाह नहीं करते कि पेस्टी अंडे की है जो हम बेच रहे हैं।

पेस्टी में कितने मिलते हैं अंडे

सीहोर की प्रसिध्द बेकरी के दुकानदार व संचालक ने खुद का नाम छापने का मना करते हुए फुरसत से इस संबंध में विशेष बातचीत की व बताया कि सीहोर में भी पेस्टी बनाने की मशीन है, लेकिन पेस्टी बड़ी मात्रा में भोपाल से ही आती है। पेस्टी में मशीन के घान के हिसाब में 4 किलो मैदा, 4 किलो शक्कर के साथ 150 अण्डे डालना जरुरी है, अंडे कम यादा नहीं हो सकते। इतना अधिक अंडे डालने के बाद अच्छी और स्वादिष्ट पेस्टी बन पाती है। तो अब आप समझ ही गये होंगे कि एक पेस्टी में कितना अंडा होता है। कुल मिलाकर अंडे के खेल पर ही पेस्टी का निर्माण टिका हुआ है। पेस्टी की कल्पना अंडे के बिना की ही नहीं जा सकती है अंडे बिना पेस्टी बनाना संभव ही नहीं है। मशीन से पेस्टी का घोल बनता है ।

तो क्या बिना अंडे

का नहीं बनता केक?

जी हाँ कल हो या आज बाजार में मिलने वाला क्रीम का केक चाहे वो दुकानदार यह कहकर भी दे कि उसमें अंडा नहीं है, वह दुकानदार झूठ बोलता है। आप चाहें तो उस दुकानदार से बिना अंडे वाला केक खरीदें और उसका बिल बनवायें फिर खाद्य विभाग में लेबोरेटरी जांच कराकर ऐसे दुकानदारों को सजा भी दिलवा सकते हैं। असल में बिना अंडे का केक बनाया तो जा सकता है लेकिन उसमें वह स्वाद नहीं आता जो आम तौर पर बाजार के केक में रहता है। इसलिये चाहें तो आप बिना अंडे का केक जो दुकानदार बेचता है उससे कह सकते हैं कि हमारे सामने बनाया जाये तब स्थिति स्पष्ट हो जायेगी यदि केक में अंडा नहीं डाला जायेगा तो बेस्वाद होगा और बेकार लगेगा।

याद करें इसके पहले जब आप किसी दुकान पर बिना अंडे का केक लेने गये होंगे, उस दुकानदार से आपसे कहा होगा कि हम बनवा देंगे, आर्डर बुक कर दो, फिर वो बिना अंडे का केक के नाम से आपको केक दिया गया होगा।

कारीगर बोले-बिना अंडे का केक हमने कभी नहीं बनाया

लेकिन इस संबंध में जब फुरसत में गहन छानबीन की तो पता चला कि सीहोर के बेकरी निर्माताओं के उस्तादों ने बताया कि आज तक हमने अपने जीवन में बिना अंडे का केक नहीं बनाया है, जब हमने उनसे पूछा कि तो शायद भोपाल के उस्ताद बनाना जानते हों ? तब भोपाल की बड़ी बेकरी निर्माताओं के यहाँ के एक उस्ताद जिसने पिछले दिनों सीहोर में काम किया था उसने भी बताया कि हम हमेशा झूठ बोलते हैं क्योंकि मालिक और दुकानदार यही चाहता है कि अंडे का केक बनाया जाये और बिना अंडे का बताकर बेच दिया जाये। इस प्रकार जहाँ तक जानकारी मिलती है बाजार में बिकने वाला कोई भी ब्रेड-मैदे का केक जिस पर क्रीम आदि लगी होती है वो बिना अंडे का नहीं होता।

ऐसे फंसा सकते हैं

आप दुकानदार को

तो आगे से ध्यान रखियेगा कि आपको केक का खाने का मन हो, तो दुकानदार से अच्छी तरह बातचीत कर लें फिर जिस केक को दुकानदार बिना अंडे का बताये और कहें की इसमें अंडा नहीं है उस दुकानदार से एक रसीद लें और उस पर लिखवायें की बिना अंडे का केक और उसका मूल्य लिखवा लें। फिर वह कथित बिना अंडे का केक की जांच करवायें, शिकायत करें, लेबोरेटरी भेजें तथा एक मुकदमा दर्ज करायें क्योंकि उपरोक्त दुकानदार द्वारा आपका झूठ बोलकर धर्म भ्रष्ट किया जा रहा था, इसलिये आप उस पर ढेर सारे मुकद्मे दर्ज करवा सकते हैं। ताकि ऐसे दुकानदार को सजा भी मिल सके।

ब्राह्मण श्रेष्ठ सबसे यादा बेचते हैं अंडे की पेस्टी

सीहोर में कुछ नामचीन दुकानदार ऐसे हैं जो धर्म से तो ब्राह्मण हैं लेकिन यह अपने ग्राहक देवता का धर्म भ्रष्ट करने से बाज नहीं आते। यह लोग अंडे की बनी पेस्टी बेचते हैं जबकि ग्राहक को पता ही नहीं होता कि पेस्टी अंडे की है।

1 रुपये के खातिर यह ब्राह्मण समाज के दुकानदार अपने ही समाज के सैकड़ो ब्राह्मणों को अब तक अंडे की पेस्टी खिला चुके हैं। इस प्रकार अपना ही धर्म भ्रष्ट करने में लगे हुए हैं।

वो बिस्कुट भी अंडे के हैं जो नमकीन और कुरकुरे होने के कारण खाते हो

देशभर की अनेक कम्पनियाँ यह समझ चुकी हैं कि भारत देश में अंडे की सामग्री बहुतायत से नहीं बेची जा सकती। इसलिये इन्होने नया फंडा निकाला है। बाजार में कुछ कम्पनियाँ ऐसी हैं जो बिस्कीट बेचती हैं, और आजकल भारत शासन के नियम अनुसार उन पर शाकाहारी होने का लेबल हरा चिन्ह भी लगा रहता है। लेकिन बेकरी के उस्ताद कारीगरों का कहना है कि ऐसे कुछ बिस्कुट जो विशेष रुप से चमक मारते हैं, (हम मजबूर हैं यहाँ किसी कम्पनी का नाम नहीं छाप सकते) यह पतले भी होते हैं, छेददार हों या अन्य किस्म के हों लेकिन इनके ऊपर जो चमक होती है वह चमक तब ही आती है जब इनका सिकाव अंडे के घोल में डालकर उसे निकाला जाये और फिर सेका जाये तो इनकी चमक बहुत तेज हो जाती है। इस प्रकार अंडे के घोल में डालकर सिकाव करने के कारण यह नहीं कहा जा सकता कि इसके अंदर अंडा मिलता है, कम्पनियाँ दोहरी चाल से अंडे का लाभ उठाती हैं, बिस्कुट एकदम चमक उठता है और भारत में बिक्री भी खूब होती है।

अंडे की चमक का राज क्या है ?

असल में किसी भी बेकरी में बनने वाली खाद्य सामग्री जिसके ऊपर की चमक एकदम तेज हो उसमें उतना ही अंडा मिला माना जाता है। बेकरी उद्योग से जुड़े कारीगरों के अनुसार जिस सामग्री के चमक अच्छी होती है, जिस बिस्कुट के ऊपर चमक यादा हो, चिकना हो वो सिर्फ अंडे से होता है।

जैसे क्रीम रोल....

आपने क्रीम रोल तो खाया ही होगा। 95 प्रतिशत क्रीम रोल अंडे के बिना बनना संभव नहीं है। असल में इसे समझ लें कि क्रीम रोल वो भले ही ठेले पर बिकने वाला 1 रुपये का हो या किसी बड़ी दुकान में 5 रुपये वाला हो, सारे क्रीम रोल का रोल जो ऊपर से कड़क होता है उस पर सिकाव के बाद एक चमक आती है ? यही चमक अंडे की होती है। क्रीम रोल का रोल बनाते समय उसे अंडे के घोल में डालकर फिर सेका जाता है जिससे सिकाव के बाद उसकी चमक बढ़ जाती है। शायद अब आप समझ गये हों कि चमक क्या होती है। यही चमक उन कम्पनियों के बिस्कुट में भी रहती है।

अब हो जाईये सावधान

तो यदि आप धार्मिक स्वभाव के हैं, विशेषकर जैन धर्म, ब्राह्मण, अग्रवाल, माहेश्वरी, बौध्द आदि हैं अथवा आप मांसाहारी नहीं है तो फिर अंडे से बचने के लिये ऐसी खाद्य सामग्रियाँ जिनमें खुलकर अंडे का प्रयोग हो रहा है उनसे बचें। साथ ही आपके बालक-बालिकाएं जो पेस्टी, केक के स्वाद के आगे सबकुछ भूल जाते हैं, उन्हे अपना धर्म याद दिलाईये। भारतीय दर्शन, शास्त्र और धर्म में अंडे को मांसाहारी माना गया है, इसलिये हमने उन धार्मिकों का इस और ध्यान दिलाया है जो अंडे से बचना चाहते हैं। समाचार से हमारा अभिप्राय न किसी अंडा प्रेमी का दिल दुखाना है ना ही अंडे से बनी खाद्य सामग्री बेचने वालों को किसी प्रकार का नुकसान पहुँचाना। उद्देश्य पवित्र है, धार्मिक है इसे इसी ढंग से लिया जाना चाहिये।