आष्टा 7 जुलाई (नि.सं.)। जो पाप को गलाता है उसे मंगल कहते हैं। आज चातुर्मास हेतु हमारा आष्टा से मंगल प्रवेश हुआ वैसे हमारा मंगल प्रवेश तो उसी दिन हो गया था जिस दिन हमने दीक्षा ली थी, चातुर्मास में धर्म पुरुषार्थ करके अब आपको अपने जीवन के अमंगल द्वार बंद कर मंगल के द्वार खोलना है।
पुरुषार्थ चार प्रकार के बताये हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। उक्त उद्गार श्री महावीर भवन स्थानक में खचाखच भरे प्रवचन कक्ष में चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश कर पधारीं साध्वी जी म.सा. श्री मधुबाला जी ने अपने प्रथम उद्बोधन में कहे। महाराज साहब ने कहा कि आप सबकी भावना थी कि हम यहाँ आयें हम आ गये अब आपकी बारी है कि आप इस चातुर्मास में किस प्रकार ज्ञान, दर्शन, चरित्र तप की आराधना करके अपने जीवन को धन्य बनाते हैं एवं जीवन को नई दिशा की और ले जायें। महाराज साहब ने कहा कि चार प्रकार के ढेर लोहे का, चाँदी का, सोने का एवं हीरे का ढेर आपके सामने हैं आप किस प्रकार का ढेर प्राप्त करना चाहते हैं तय करें। आज प्रात: हकीमाबाद से मंगल बिहार कर साध्वी श्री मधुबाला जी, श्री चरित्र प्रभा जी एवं श्री सुनीता जी का इन्दौर नाके से आष्आ नगर में भव्य प्रवेश हुआ। मॉ अन्नपूर्णा मंदिर से जुलूस के रुप में साध्वी जी को विभिन्न मार्गों से होता हुआ चल समारोह महावीर भवन स्थानक पहुँचा यहाँ पर श्रावक दिलीप सुराना, सुशील संचेती, नगीन जैन, रविन्द्र रांका, पवन सुराना, कैलाश गोखरु, श्रीमति साधना रांका ने अपने भाव व्यक्त किये। सुनीता जी म.सा. ने भी अपने उद्बोधन में आज जैन किस तरह का जीवन जी रहा है के बारे में बताया। संचालन लोकेन्द्र बनवट ने तथा आभार अशोक देशलहरा ने व्यक्त किया। मंगल प्रवेश जुलूस में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
साध्वी जी का बकरी ने आखिर तक साथ नहीं छोड़ा
आष्टा। आज प्रात: श्रावक श्री नंदकिशोर बोहरा जी की झीन से जैसे ही साध्वी मंडल का नगर प्रवेश जुलूस प्रारंभ हुआ एक छोटी बकरी भी इस जुलूस में साथ हो गई, जो म.सा. के साथ चल रही थी इसे श्रावकों ने कई बार हटाया दूर छोड़ा लेकिन वो पुन: महाराज साहब के पास आकर साथ-साथ चलने लगी और अलीपुर से महावीर भवन तक साथ आई यहाँ पर जैसे ही साध्वी मंँडल ने महावीर भवन में प्रवेश किया उनके साथ उक्त बकरी ने भी महावीर भवन में प्रवेश किया और सीढ़ी चढ़कर वो म.सा. के साथ ऊपर प्रवचन कक्ष तक पहुँच गई बाद में बड़ी मुश्किल से उसे नीचे उतारा और बाहर छोड़ा। मंगल प्रवेश में उक्त घटना पर महाराज श्री ने कहा कि इसने पूर्व जनम में कोई शुभ कर्म किये होंगे जो आज इसे यह शुभ संयोग प्राप्त हुआ है।