Sunday, May 4, 2008
वो आधी रात को चुपचाप आती है....अपना सबकुछ लुटा देती है
सीहोर। जी हाँ वो रात को ही आती हैं और इतना पिलाती है...इतना पिलाती है....कि बस सारे दिन की थकान भुला देती है....यह व्यवस्था सिर्फ बीआईपी लोगों के लिये हैं। बीआईपी लोगों के लिये तो वो अपना पूरा दिल खोलकर रख देती हैं, जितना चाहो उससे झूम जाओ, वह कुछ नहीं कहती, लाल ओढ़नी में रंगी-पुती नई दुल्हन से कम नहीं लगती वो... और रात को तो उसकी चमक और भी बढ़ जाती है...देर रात चुपचाप कुछ बीआईपी लोगों के घर में जब जिसकी बारी आती है उसके घर में वह भेज दी जाती है। यह धीरे से दरवाजा खटखटाती है, फिर चारों तरफ देखती हैं कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा....यदि उसे शक हो जाता है कि उसे कोई देख रहा है तो वह नाटक करने लगती है जैसे भूल से वो वहाँ आ गई है लेकिन जब कोई नहीं देखता तो आज उसे जिसे संतुष्ट करने और रात सुहानी करने के लिये भेजा गया है उस व्यक्ति के घर में घुस जाती है और उसे तब तक संतुष्ट करती है जब तक वह खुद यह नहीं कह दे कि बस अब बस करो.....अब बहुत हो गया....तुम जल्दी चल जाओ....कहीं कोई जाग न जाये....कहीं कोई देख न ले....तुम्हे मेरे घर किसी ने देख लिया तो पूरे मोहल्ले में हल्ला हो जायेगा.....मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा लेकिन फिर तुम मेरे यहाँ नहीं आ पाओगी....फिर हम बिछड़ जायेंगे....इसलिये तुम जल्दी चल जाओ....। और यह किसी काल्पनिक जलपरी से भी खूबसूरत लाल-लाल चुनरिया ओढ़ने वाली चुपचाप उसके घर से निकलकर अपने गंतव्य को चली जाती है। कुछ वीआईपी लोगों को खुश करने के साथ ही अपने-अपने वालों को चुप रखने और साथ देने के लिये आजकल कुछ लोगों ने इसका सहारा लेना शुरू कर दिया है...जो कोई भी यादा उचकता है उसके यहाँ देर रात को इसकी सप्लाई करवा दी जाती है....फिर वह कभी कुछ नहीं बोलता.....इस प्रकार नगर में एक गोरखधंधा बड़े जोरों चल रहा है....। जी हाँ कुछ ऐसे ही लोग जो यादा उचकते है....या ब्लैकमेल करते हैं....या कुछ और दबाव आदि बनाते हैं....उन्हे संतुष्ट करने के लिये इसका लाल चुनरिया वाली का उपयोग किया जाने लगा है। लाल रंग का अग्निशामक वाहन आजकल देर रात को अनेक बीआईपी लोगों को संतुष्ट कर, उनकी प्यास बुझाने के लिये भेजा जाने लगा है। यह हर रात कितनों को ही निहाल कर देता है.....।