सीहोर 3 मई (नि.सं.)। जी हाँ नगर पालिका द्वारा हर एक वार्ड में पर्याप्त पानी उपलब्ध हो, इसकी व्यवस्था लिखित में कर रखी है, यही जानकारी प्रशासनिक अमले को भी है, लेकिन नगर का एक भी ऐसा वार्ड नहीं है जहाँ आज तक 5 टेंकर पानी एक ही वार्ड में भेजा गया हो ? पार्षदों को लिखित में जानकारी दी गई है कि उनके वार्ड में 5-5 टेंकर पानी आयेगा, और बकायदा इसकी जानकारी पार्षदों को टेंकर आने की दी जायेगी। लेकिन वार्डों में आज तक टैंकर नहीं पहुँचे हैं। तो क्या इतने टैंकर कहीं और चले गये हैं ? किसी व्यक्ति विशेष के यहाँ डाल दिये गये हैं ? या फिर कागजों पर ही डाल दिये गये हैं? पानी के टैंकरों की लीला हर बार की तरह इस बार नगर पालिका की व्यवस्थाओं पर कीच उछालने में लगी है ?
नगर पालिका द्वारा गर्मी अर्थात कमाई के इस मौसम में एक बार फिर नये-नये कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है। कमाई का मौसम सिर्फ ठेकेदारों के लिये, असल में अच्छे ठेके जो इस समय निकलते हैं पानी से संबंधित। अब ठेके कौन लेता है ? कौन पानी पिलाता है ? कितना पानी खुद पी जाता है ? कितना पानी कागजों को पिला देता है ? नलकूप खनन के पर कितना गड़बड़ी की जाती है कस्बाई क्षेत्रों में छुप-छुपाकर ठेकेदार बोर कर देता है केसिंग में कितना गड़बड़ झाला करता है कितनी डालता है ? कितनी दिखाता है ? कितने फर्जी फाईले बनाता है? या फिर पाईप फिटिंग के नाम से कुछ जनसेवा में जुट जाता है ? आदि बातें छोड़ भी दी जायें तो भी नगर पालिका नगर के नागरिकों के लिये पेयजल उपलब्ध नहीं करा पाती है।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा विगत मार्च माह में सभी पार्षदों को एक लिखित आदेश पत्र दिया गया था जिसमें उल्लेखित था कि ग्रीष्म ऋतु में नगर सीहोर में जल संकट को दृष्टिगत रखते हुए नागरिकों को सुचारु पेयजल व्यवस्था हेतु नगर पालिका सीहोर के समस्त 35 वार्डों में एक ट्रेक्टर मय टेंकर द्वारा प्रति वार्ड प्रति ट्रेक्टर प्रतिदिन 5 ट्रिप के मान से वार्डवासियों को पेयजल उपलब्ध हेतु व्यवस्था की जायेगी ।
इस प्रकार नगर पालिका के मुख्य अधिकारी द्वारा यह आदेश दिया गया था जिसमें स्पष्ट लिखा है कि प्रत्येक वार्ड में 5 टेंकर पानी प्रतिदिन जायेगा ? लेकिन आज तक किसी भी वार्ड में एक ही दिन में 5 टेंकर पानी नहीं आया है। सुविज्ञ सूत्रों का स्पष्ट कहना है कि जो टैंकर नगर पालिका ने ठेके पर चलाये हैं उनमें से प्रत्येक टेंकर को कम से कम 4-5 वार्ड में पानी डालने के आदेश दिये गये हैं। जबकि यह टेंकर दिनभर में आधे दिन काम करते हैं और मात्र 5 से 7 ट्रिप पानी डालते हैं इस प्रकार प्रत्येक वार्ड में 1 ही टैंकर पानी डाला जाता है। समझा जा सकता है कि सीहोर के नगर के बड़े-बड़े वार्डों में किसी भी एक मोहल्ले में आया टैंकर वहीं पानी डालकर रह जाता होगा और शेष पूरा वार्ड पानी से विहीन रहता है।
इस प्रकार एक तरह से पूरे नगर में ही पानी के टैंकरों का अभाव बना हुआ है जनता पानी के लिये त्राही-त्राही कर रही है। नगर पालिका अध्यक्ष और परिषद को कोस रही है। अनेक मोहल्ले नगर में ऐसे हैं जहाँ आज तक नगर पालिका के टैंकर ने आकर पानी नहीं वितरित किया।
अब मजे की बात यह है कि प्रत्येक वार्ड में नगर पालिका क्या कागजों पर ही 5 टैंकर पानी भेज रही है ? क्योंकि निश्चित ही लाखों रुपये के बिल अब तक पानी के टैंकरों के खातों में बन चुके हैं। वैसे ही प्रत्येक वार्ड में कोई 1 टैंकर पानी पहुँचाने के लिये तो टैंकर नगर पालिका ने लगाये नहीं हैं वह पहुँचायेगी तो 5 ही लेकिन यह सब काम हो रहा है सिर्फ कागजों पर । मतलब कागजों पर ही पानी के टैंकर चल रहे हैं।
अब सीधे-सीधे बात आती है कि आखिर यह गड़बड़ी कौन कर रहा है और कौन-कौन जिम्मेदार है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि अभी तक कोई वार्ड पार्षद पानी को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। भाजपा पार्षद को ऐसे मौन हो गये हैं जैसे उन्हे किसी ने मोल ले लिया हो। सूत्रों का कहना है कि भाजपा पार्षदों ने कांग्रेसी पार्षदाें से गुप्त समझौते किये हैं और कुछ ठेकों में प्रतिशत के आधार पर उनका लाभ बोटी भी बांध दी गई है ताकि वह चुप रहे और चुपचाप सिर्फ रुपये से बास्ता रखें। इसलिये ही नगर के भाजपाई पार्षद एकदम चुप हो गये हैं और क्या-क्या गड़बड़ी चल रही है और कितने टैंकराें के फर्जी बिल बन रहे हैं उसको नजर अंदाज किये हुए हैं। कागजों पर चल रही टैंकरों से किसको लाभ होगा यह बात तो स्वत: ही पता चल सकती है। ठेकेदार नगर पालिका के एक बड़े नेताजी और उनके रिश्तेदार की पसंद के अनुसार तय किया गया था। तो फिर इससे कमाई किसकी जेब में जायेगी। टैंकरों से कितना पानी इधर-उधर हो रहा है कितनों के घर जा रहा है और कितनों की जेब गर्म कर रहा है यह तो राम ही जाने।