भाजपा नेताओं के साथ हुई घटनाएं चौराहों पर हास्य का कारण बनीं....
सीहोर 25 मार्च (नि.सं.)। भारतीय जनता पार्टी की सत्ता होने का मतलब ही यह है कि बेचारे भाजपा कार्यकर्ताओं की कहीं कोई सुनने वाला नहीं रहता, बल्कि कथित पदाधिकारियों को भी कोई अधिकारी घांस नहीं डालता। उल्टे उन्हे झिड़क अलग देता है। फिर भले ही भाजपा संगठन के कोई भी पद पर वह आसीन होकर खुद को बड़ा नेता बताता फिरे अधिकारी तो इन दिनों ऐसे नेताओं की सरेआम धूल बिखेर दे रहे हैं। अब वो कहे तो किससे कहें। पानी को लेकर भाजपा के ऐसे दो बड़े नेताओं को प्रशासन के अधिकारी ने अच्छी तरह जबाव देकर रवाना कर दिया है जिसके किस्से नगर के हर एक चौराहे पर चटकारे ले-लेकर लोग एक दूसरे को सुना रहे हैं कि किसके साथ कैसा व्यवहार हुआ। अब ये सत्ता वाले नेता करें तो क्या करें।
जिला प्रशासन के अधिकारियों की दमखम के आगे भाजपा के अनेक नेताओं ने घुटने पहले ही टेक दिये थे अब कई छोटे-मोटे नेता गण भी जो उचक रहे थे उनकी कथित दमखम भी उजागर हो गई है। पिछले तीन-चार दिनों में भाजपा के दो-तीन नेताओं को प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने सार्वजनिक रुप से लताड़ पिलाई, अपने ढंग से समझाईश दी। एक नेताजी जी की हालत ही पतली कर दी, बेचारे अभी तक किसी से कुछ कह सुन नहीं पा रहे हैं तीन दिन से घर में ही हैं शायद कल रंगपंचमी पर किसी तरह बाहर निकलें।
हुआ यह कि कल भाजपा की जिला कार्यसमिति में पदस्थ भाजपा के युवा नेता और जनआंदोलनों में सदैव आगे रहने वाले, कांग्रेस शासनकाल में विद्युत के लिये आये दिन आंदोलन करने यहाँ तक की जनता के लिये डंडे तक खा लेने वाले युवा तुर्क नेता की भाजपा शासन में क्या स्थिति हो गई यह सुनकर-देखकर लोग हतप्रभ हो रहे हैं। गंज के यह नेताजी परसो जब होली के समय पेयजल वितरण नहीं हो रहा था, प्रशासन दूसरे दिन की होली के दिन जब पानी के टैंकर से पानी नहीं भेज रहा था तो गंज के नेताजी अपने हुरियारे साथियों व आक्रोशित जनता का नेतृत्व करते हुए बाल विहार मैदान स्थित टंकी पर पहुँच गये। यहाँ नारेबाजी हुई, पहले नगर पालिका अधिकारी के खिलाफ फिर सबके खिलाफ नारे लगे। लेकिन यह क्या इतने में ही जिला प्रशासन के अधिकारी आ गये....और....और क्या लिखा जाये, प्रशासन के अधिकारी ने उस ढंग से इन नेताजी को ठीक किया कि सुनने वाले को विश्वास ही नहीं होता। अच्छी तरह से इन्हे समझाईश दे डाली, अपने कार्यप्रणाली के उदाहरण भी अधिकारी ने देते हुए बता दिया कि बच गये हो तो बचे रहो यही खैर है। अधिकारी ने खुलकर भाजपाई निकाल देने की बात भी कह डाली, नेताजी अपने समर्थकों के साथ थे, लेकिन चुप रहे।
लेकिन यह खबर नगर में आग की तरह फैल गई, हर एक भाजपा कार्यकर्ता और छोटे-मोटे पदों के पदाधिकारी उबल-उबल जाने को उतावले हो गये लेकिन गंज वाले नेताजी ने ऐसी चुप्पी साधी की वो कहीं नजर ही नहीं आ रहे हैं।
आज भाजपा की एक महिला नेत्री भी जल अव्यवस्था को लेकर ज्ञापन देने पहुँची। कलेक्टर द्वार पर जब यह अपनी महिला कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी थीं, एक नेताजी के समझाने पर इन्होने दूरभाष पर एसडीएम को यह कहा कि हम ज्ञापन देने आये हैं हमारे कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद हैं आप कहाँ हैं ? एसडीएम यहाँ आये तो संख्या देखकर विफर गये। उन्होने आव देखा ना ताव सीधे-सीधे भाजपा नेत्री से बोले कहाँ आपकी जनता ? कितनी महिला हो आप ? मालूम है मैं कितने महत्वपूर्ण काम लगा हूँ, आप लोग जबरन परेशान कर रहे हो, और पूरे गुस्से में उन्होने ज्ञापन लिया और लेकर चले गये। महिला नेत्री नीचे मुँह करके चुपचाप आ गईं....।
सीहोर 25 मार्च (नि.सं.)। भारतीय जनता पार्टी की सत्ता होने का मतलब ही यह है कि बेचारे भाजपा कार्यकर्ताओं की कहीं कोई सुनने वाला नहीं रहता, बल्कि कथित पदाधिकारियों को भी कोई अधिकारी घांस नहीं डालता। उल्टे उन्हे झिड़क अलग देता है। फिर भले ही भाजपा संगठन के कोई भी पद पर वह आसीन होकर खुद को बड़ा नेता बताता फिरे अधिकारी तो इन दिनों ऐसे नेताओं की सरेआम धूल बिखेर दे रहे हैं। अब वो कहे तो किससे कहें। पानी को लेकर भाजपा के ऐसे दो बड़े नेताओं को प्रशासन के अधिकारी ने अच्छी तरह जबाव देकर रवाना कर दिया है जिसके किस्से नगर के हर एक चौराहे पर चटकारे ले-लेकर लोग एक दूसरे को सुना रहे हैं कि किसके साथ कैसा व्यवहार हुआ। अब ये सत्ता वाले नेता करें तो क्या करें।
जिला प्रशासन के अधिकारियों की दमखम के आगे भाजपा के अनेक नेताओं ने घुटने पहले ही टेक दिये थे अब कई छोटे-मोटे नेता गण भी जो उचक रहे थे उनकी कथित दमखम भी उजागर हो गई है। पिछले तीन-चार दिनों में भाजपा के दो-तीन नेताओं को प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने सार्वजनिक रुप से लताड़ पिलाई, अपने ढंग से समझाईश दी। एक नेताजी जी की हालत ही पतली कर दी, बेचारे अभी तक किसी से कुछ कह सुन नहीं पा रहे हैं तीन दिन से घर में ही हैं शायद कल रंगपंचमी पर किसी तरह बाहर निकलें।
हुआ यह कि कल भाजपा की जिला कार्यसमिति में पदस्थ भाजपा के युवा नेता और जनआंदोलनों में सदैव आगे रहने वाले, कांग्रेस शासनकाल में विद्युत के लिये आये दिन आंदोलन करने यहाँ तक की जनता के लिये डंडे तक खा लेने वाले युवा तुर्क नेता की भाजपा शासन में क्या स्थिति हो गई यह सुनकर-देखकर लोग हतप्रभ हो रहे हैं। गंज के यह नेताजी परसो जब होली के समय पेयजल वितरण नहीं हो रहा था, प्रशासन दूसरे दिन की होली के दिन जब पानी के टैंकर से पानी नहीं भेज रहा था तो गंज के नेताजी अपने हुरियारे साथियों व आक्रोशित जनता का नेतृत्व करते हुए बाल विहार मैदान स्थित टंकी पर पहुँच गये। यहाँ नारेबाजी हुई, पहले नगर पालिका अधिकारी के खिलाफ फिर सबके खिलाफ नारे लगे। लेकिन यह क्या इतने में ही जिला प्रशासन के अधिकारी आ गये....और....और क्या लिखा जाये, प्रशासन के अधिकारी ने उस ढंग से इन नेताजी को ठीक किया कि सुनने वाले को विश्वास ही नहीं होता। अच्छी तरह से इन्हे समझाईश दे डाली, अपने कार्यप्रणाली के उदाहरण भी अधिकारी ने देते हुए बता दिया कि बच गये हो तो बचे रहो यही खैर है। अधिकारी ने खुलकर भाजपाई निकाल देने की बात भी कह डाली, नेताजी अपने समर्थकों के साथ थे, लेकिन चुप रहे।
लेकिन यह खबर नगर में आग की तरह फैल गई, हर एक भाजपा कार्यकर्ता और छोटे-मोटे पदों के पदाधिकारी उबल-उबल जाने को उतावले हो गये लेकिन गंज वाले नेताजी ने ऐसी चुप्पी साधी की वो कहीं नजर ही नहीं आ रहे हैं।
आज भाजपा की एक महिला नेत्री भी जल अव्यवस्था को लेकर ज्ञापन देने पहुँची। कलेक्टर द्वार पर जब यह अपनी महिला कार्यकर्ताओं के साथ खड़ी थीं, एक नेताजी के समझाने पर इन्होने दूरभाष पर एसडीएम को यह कहा कि हम ज्ञापन देने आये हैं हमारे कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद हैं आप कहाँ हैं ? एसडीएम यहाँ आये तो संख्या देखकर विफर गये। उन्होने आव देखा ना ताव सीधे-सीधे भाजपा नेत्री से बोले कहाँ आपकी जनता ? कितनी महिला हो आप ? मालूम है मैं कितने महत्वपूर्ण काम लगा हूँ, आप लोग जबरन परेशान कर रहे हो, और पूरे गुस्से में उन्होने ज्ञापन लिया और लेकर चले गये। महिला नेत्री नीचे मुँह करके चुपचाप आ गईं....।